कहानी प्यार कि - 49 Dr Mehta Mansi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कहानी प्यार कि - 49

" भैया कितने पैसे हुए ....? "
मीरा ने ऑटो वाले भैया से कहा....

" पचास रूपिए मेडम ...."

मीरा ने पचास रुपए ऑटोवाले को दिए और ओब्रॉय मेंशन में अपने कदम रखे....

मीरा बैग में कुछ ढूंढते हुए आगे चली जा रही थी... सामने से आ रहे सौरभ की और उसका ध्यान नहीं था.. सौरभ ने जैसे ही मीरा को सामने से आते देखा वो मुस्कुराते हुए वही खड़ा रह गया ... पर मीरा रुकी नही... वो सौरभ के कुछ आगे चली गई...

अचानक से मीरा रुक गई....
उसका हाथ पीछे से सौरभ ने पकड़ा हुआ था... मीरा पीछे की और मुड़ी...

मीरा : सौरभ.....!

सौरभ : हा क्यों में दिखाई नही दिया ?
मीरा : नही ऐसा नहीं हैं वो मेरा ध्यान नहीं था तो...
सौरभ : ठीक है.. वैसे कब वापस आई..तुम ?
मीरा : कल ही आई हु...

सौरभ : ओके... तुमने मेरे मेसेज का रिप्लाई नही दिया...?

मीरा यह सुनते ही खामोश हो गई.. और सौरभ से नजरे चुराने लगी...

सौरभ : क्या बात है मीरा तुम मुझे इग्नोर क्यों कर रही थी ?

मीरा : नही ऐसा कुछ भी नही है ...

सौरभ : तो फिर ऐसे अचानक अपने नानी के घर चली गई और मुझे बताया भी नही...

मीरा : वो एकदम से प्लान बन गया था इसीलिए...

सौरभ : ठीक है... पर मेरे मेसेज का रिप्लाई दे दिया होता तो मुझे अच्छा लगता...



मीरा यह सुनकर कुछ बोली नहीं ..

सौरभ मीरा के चहरे को देख रहा था... वो इंतजार कर रहा था की शायद मीरा उससे कुछ कहेगी पर मीरा ने कुछ नही कहा...

सौरभ मीरा के और करीब आया...
मीरा के बाल हवा में उड़ रहे थे... सौरभ ने धीरे से उसके बालो को कानो के पीछे किया...

" मैने तुम्हारे इस खूबसूरत बालो को बहुत मिस किया..."
सौरभ बोला और फिर वहा से जाने लगा...
मीरा अपनी जगह से हिल भी नहीं पाई थी...

सौरभ रुका...

" और हा तुम्हे भी...."

इतना बोलकर सौरभ बाहर चला गया....

मीरा उसे जाता हुआ देखती रही....

संजना पीछे से यह सब देख रही थी....

मीरा सौरभ के जाने के बाद पीछे मुड़ी तो वहा पर संजना खड़ी थी...

" संजू .... Congratulation..."

मीरा संजू को जाकर लिपट गई....

" बस कर अभी ...." संजना ने उससे दूर होते हुए कहा..

" क्या यार .. इतनी बड़ी खुशखबरी है और तू उसमें भी कंजुसाई कर रही है...! "

" ठीक है ठीक है अब अंदर चल..."
संजना मीरा को अंदर ले गई...

संजना और मीरा ने बैठ कर ढेर सारी बाते की...

" चल अब ये सब छोड़ मुझे तूजसे कुछ सीरियस बात करनी है..."

" हा बोल ना संजू...."

" मैने अभी तुम दोनो की बात सुनी .. तुमने सौरभ की बात का जवाब क्यों नही दिया...? "

संजू की बात से मुस्कुराता हुआ मीरा का चहेरा उदासी में बदल गया...

" अब कुछ बोलेगी भी...? "

" यार ऐसा कुछ नही है... में बिजी थी इसलिए..."

" जूठ मत बोल मीरा .. इतना तो में तुम्हे अच्छी तरह से जानती हु की तू कब और कहा बिजी होती है...! "

मीरा अब संजना से नजरे चुराने लगी थी..

" प्लीज मीरा में तेरी दोस्त हु ना ..! तो मुझे बता क्या हुआ है ? "

" देख संजू... में और सौरभ सिर्फ दोस्त है... और में इससे ज्यादा आगे बढ़ना नही चाहती थी... सौरभ से मेरी दोस्ती होने के बाद हमारी बाते और भी बढ़ गई थी... मेसेज , कॉल कभी कभी साथ में बाहर जाना सब बढ़ चुका था... उपर से सौरभ की फ्लर्टिंग... ! "

" मीरा तुझे यह सब पसंद नही था तो उसे कह देती .. ऐसे इग्नोर करने की क्या जरुरत थी ? "

" नही संजू ऐसा नहीं है की मुझे उसकी बाते पसंद नही थी... बल्कि मुझे अच्छा लगता था.. उसकी नॉनसेंस बातो से , उसके जोक्स से , में खुलकर हसने लगी थी..."

" तो फिर प्रोब्लम क्या है ? "

" प्रोब्लम यह है की अगर मुझे सौरभ से प्यार हो जायेगा तो क्या होगा ? "

" क्या होगा का क्या मतलब है... प्यार तो कितनी खुबसूरत फीलिंग है.. "

" हा संजू पर प्यार के आगे क्या होता ? "

" तुम दोनो की शादी और क्या ! "

" यही तो में नही चाहती... सौरभ अच्छा है बहुत अच्छा पर वो मेरा हसबैंड नही हो सकता ... उसके लिए कितनी मैच्योरिटी चाहिए होती है और सौरभ बिलकुल एमेच्योर है... कभी कभी एकदम बच्चो वाली हरकते करता है ..."

" यही तो उसकी क्वालिटी है मीरा... वो सब को खुश रखने की कोशिश करता है "

" तुम अनिरुद्ध को ही देख लो वो भी सब को खुश रखता है , फिर भी वो कितना मेच्योर है , समझदार है स्मार्ट है तुमसे कितना प्यार भी करता है...."

" तुम सौरभ को अनिरुद्ध से क्यों कंपेयर कर रही हो ? वो दोनो अलग है उन दोनो में अपने प्लस और माइनस पॉइंट है... "

" तुम मेरी बात नही समझ रही हो... संजू..."

" रहने दो संजना ... ये सही ही तो कह रही है...में हु ही नासमझ कहा में और कहा अनिरुद्ध ! "
सौरभ ने कमरे में आते हुए कहा...

मीरा और संजना दोनो सौरभ को वहा देखकर शॉक्ड थे...
" में तो सिर्फ यहां तुम्हे तुम्हारी इयरिंग्स वापस देने आया था जो तुम बाहर ढूंढ रही थी... मुझे गेट के पास मिली तो सोचा में तुम्हे लौटा देता हु..."

सौरभ ने वो इयरिंग मीरा के हाथ में दी और वहा से चला गया... उसका चेहरा बता रहा था की उसका दिल किस तरह से टूटा था...

" सौरभ रुको ...." संजना ने उसे रोकने की कोशिश की पर सौरभ नही रुका ...
सौरभ घर के बाहर निकल गया...उसकी आंखों में आंसू आ गए थे... वो अपनी कार में बैठकर चला गया...

मीरा भी रोती हुई अपने घर वापस चली गई....
मीरा अपने अंदर सौरभ के प्रति पल रहे प्यार को एक्सेप्ट नही कर पा रही थी या शायद वो अपने फ्यूचर के लिए डर रही थी इसीलिए उसने यह सब किया था...

इस तरफ अंजली कुछ काम की वजह से ओब्रॉय कंपनी में अपने पापा जतिन खन्ना के साथ आई थी...

अंजली अंदर आकर काम कर रहे सब लोगों को देख रही थी...
तभी उसे वहा मोहित किसी से बात करता दिखाई दिया...

अंजली एक टक उसे देखती रही....मोहित अपना काम पूरा करके नीचे बेसमेंट में कुछ फाइल्स लेने चला गया...

अंजली भी उसका पीछा करते करते बेसमेंट की और जाने लगी... पर उसे नही पता था की अनिरुद्ध ने उसे मोहित के पीछे जाते देख लिया था...

" राजू..... यहां आओ....! "
अनिरूद्ध ने प्यून को अपने पास बुलाया..

" जी साब कहिए....."

" वो नीचे बेसमेंट में कौन कौन है ? "

" वहा तो मोहित सर और जय सर है.... "

" एक काम करो जय को बोलो की उसे में बुला रहा हु.. और जैसे ही जय वहा से जाए.... तुम दरवाजा बाहर से बंध कर देना ..."

" पर सर...? "

" राजू में जो कहता हु वो करो और कोई सवाल नही..."

" ठीक है सर...."

राजू ने अनिरुद्ध के कहे मुताबिक जय को कहा की उसे अनिरुद्ध सर बुला रहे है... जैसे ही जय बाहर गया राजू ने बाहर से दरवाजा बंध कर दिया... अंजली पहले से ही बेसमेंट के अंदर दीवाल के पीछे छिपी हुई थी...

तभी अंजली चुपके से बाहर जाने के लिए दरवाजे के पास गई और दरवाजा खोला पर दरवाजा बाहर से लॉक था...

" ये दरवाजा बंध कैसे हो गया अब में क्या करू...! "
अंजली मन ही मन परेशान हुए जा रही थी..

अंजली के दरवाज़े खोलने की कोशिश में आवाज आया और मोहित का ध्यान उस तरफ गया...

" तुम यहां क्या कर रही हो ? "

मोहित वही से बोला...

ये सुनकर अंजली घबरा गई.... उसकी धड़कने तेज हो गई.... बहुत हिम्मत से उसने मोहित की तरफ देखा...

" कुछ नही बस गलती से यहां आ गई थी...पर ये दरवाजा शायद किसी ने बाहर से बंध कर दिया है..."
अंजली डर और हसी के साथ बोली... क्योंकि इस स्थिति में उसे समझ नही आ रहा था की वो अपने हाल पर हसे या फिर रोए...

मोहित दरवाजे के पास आया... उसने दरवाजा खोलने की कोशिश की पर दरवाजा खुला नही...

" व्हाट धी हेल...! अब ये किसने कर दिया ? " मोहित गुस्से में बोला...

" पता नही..."

मोहित जाकर कुर्सी पर बैठ गया...
" शीट ! मोबाईल में भी नेटवर्क नही आ रहा है...! "
मोहित ने फोन चेक करते हुए कहा...

" अब बैठ जाओ... इंतजार करने के अलावा हमारे पास और कोई रास्ता नहीं है...."

मोहित की बात सुनकर अंजली भी मोहित के पास वाली कुर्सी पर आकर बैठ गई...

" तुम्हे याद है हम एक बार ऐसे ही कॉलेज में कमरे में बंध हो गए थे ! "
मोहित ने कुछ याद करते हुए अंजली को कहा...

" हा... कॉलेज का टाइम खत्म होने के बाद भी हम वहा मेरी गुम हुई रिंग ढूंढने गए थे और कॉलेज के प्यून ने गलती से हमे बंध कर दिया था..." अंजली मुस्कुराती हुई बोली...

" हम पूरे चार घंटे उस क्लासरूम में रहे थे... वो चार घंटे मेरी लाइफ के सबसे बेस्ट थे... "

" मेरे भी..."
अंजली मुस्कुराती हुई बोली...

मोहित ने अंजली से ये एक्सपेक्ट नही किया था तो वो उसे आश्चर्य से देखने लगा...

" उस वक्त तुमने मेरे लिए एक गीत गाया था याद है तुम्हे ? हम नए नए ही रिलेशनशिप में आए थे... "

" कैसे भूल सकता हु ... मुझे हर एक बात याद है...! "

मोहित ने अपनी आंखे बंध करली...
अंजली को लगा था की मोहित आज भी वो गीत उसके लिए गाएगा... पर मोहित ने ऐसा कुछ नही किया...
पर मोहित को वो गाना याद आ गया ... वो उसे अपने मन में ही गुनगुनाने लगा...

"कुछ ना कहो, कुछ भी ना कहो
क्या कहना है, क्या सुनना है
मुझको पता है, तुमको पता है
समय का ये पल, थम सा गया है
और इस पल में कोई नहीं है
बस एक मैं हूँ बस एक तुम हो"

" एक बात पूछूं मोहित ...?"

" हा बोलो..."

" क्या तुम भी मन में वही गीत गुनगुना रहे हो ...? "

" नही नही तो...! "

" और एक बात थी..."

" हम...बोलो "

" तुमने अब तक मूव ओन क्यों नही किया...? "

यह सुनकर मोहित के चहरे पर फीकी मुस्कुराहट आ गई...

" बिना मेरे सवालों का जवाब जाने में मूव ओन कैसे कर सकता हु...? "

" और वो जवाब तुम्हे कभी मिले नही तो ? "

" तो में पूरी जिंदगी उस जवाब का इंतजार करूंगा... पर बिना सच्चाई जाने आगे नहीं बढूंगा...क्योंकि में जानता हू की बिना रीजन के तुम कुछ भी नही करती "

" इतना भरोसा है तुम्हे मुझ पर ? "

" नही... मेरे प्यार पर ...."

मोहित का जवाब जानने के बाद अंजली कुछ नही बोल पाई...

" सुनो मोहित में तुम्हे छोड़कर नही जाना चाहती थी पर..."
अंजली रोती हुई मोहित को सच्चाई बताने ही जा रही थी की ... किसीने जोर से दरवाजा खोल दिया...

अंजली अपनी बात पूरी नही कर पाई....

दरवाजे से अंदर आते हुए उस शख्स को देखकर अंजली और मोहित दोनो हैरान थे...

वो शक्स और कोई नही पर अथर्व मैथ्यूज था...
वो भागता हुआ अंजली के पास आया और उसे कस कर गले लगा लिया... अंजली के लिए चिंता उसके चेहरे पर बखूबी दिखाई दे रही थी....

मोहित ने यह देखकर अपनी आंखे बंध करली... उससे अंजली का किसी और के साथ होना देखा नही गया...

" तुम ठीक तो हो ना ? "

" हा अथर्व में ठीक हु..."

" थैंक्स गॉड... अंकल का कोल आया था की अंजली कही मिल नही रही है... तो में भागता हुआ यहाँ आ गया..."

" हा वो गलती से किसीने हमे यहां बंध कर दिया था..."

अंजली के मुंह से हमे शब्द सुनकर उसकी नजर मोहित पर गई...

" आप ? "
अथर्व ने मोहित को पहचाना नहीं ...

" मोहित सिंघानिया..."

" ओह..! थैंक यू सो मच.... मेरी फियांसे का ध्यान रखने के लिए....में तो टेंशन में ही आ गया था...."

" फियांसे शब्द मोहित और अंजली दोनो के दिल को चीरते हुए निकला था.... " यही तो राज था जो अंजली मोहित से छिपा रही थी... उसने सोचा नहीं था की यह बात ऐसे मोहित के सामने आएगी....

मोहित जूठी स्माइल देकर वहा से निकल गया... और भागता हुआ वॉशरूम के अंदर चला गया... उसने टॉयलेट का दरवाजा जोर से बंध किया और नीचे जमीन पर बैठ गया.... पर उसकी आंखे को जैसे इस दर्द की आदत सी हो गई थी की एक भी आंसू उसकी आंखों से नही बहा...

आज एक साथ चार दिल पर चौट लगी थी... पर एकदूसरे के जज्बातों से अनजान चारो बेशुमार प्यार होने के बाद भी इस कठिन समय का सामना कर रहे थे। खैर ! ऐसी छोटी छोटी कठिनाइयां तो हर प्रेम कहानी में आती है पर उसे थोड़ा नजरंदाज करके देखते है तो हमे सिर्फ बेइंतहा प्यार दिखाई देता है तो अपनी अपनी कहानी में ये सारे हीरो और हमारी प्यारी हिरोइन कैसे अपने इस प्यार को मुकम्मल करते है यह जानने के लिए मेरे साथ पढ़ते रहिए " कहानी प्यार की "

🥰 क्रमश: 🥰