कहानी प्यार कि - 47 Dr Mehta Mansi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कहानी प्यार कि - 47

सौरभ अपने कमरे में बैठा मीरा के बारे में सोच रहा था... मीरा कई दिनों से अपने नाना नानी के घर अहमदाबाद गई थी इस वजह से सौरभ मीरा से मिल नही पाया था और मीरा से ज्यादा बात भी नही हो रही थी....

आज संजना और अनिरुद्ध का प्यार देखकर उसे मीरा की याद आ रही थी....
तभी बाहर हल्की हल्की बारिश शुरू हो गई...
खिड़की से ठंडी हवा सौरभ के बदन को छू रही थी....
सौरभ ने अपना कबाट खोला और अपने कॉलेज के दिनों वाला गिटार निकाला...
गिटार को देखकर उसे अपने कॉलेज के दिनों की याद आ गई... सौरभ का एक बैंड हुआ करता था ...और उनका यह बैंड पूरे कॉलेज में फेमस था...
सौरभ ने उस गिटार से धूल हटाई और खिड़की के पास जाकर बैठ गया...
एक गहरी सांस ली और उसने गाना शुरू किया...

"तुमने हमसे वादा किया था
आएगा जो सावन तो आओगे
आजा मेरे माही
तेरी याद आई है
हल्की हल्की सी बरसात आ गयी
हल्की हल्की सी बरसात आ गयी
ओ माही तेरी याद बेहिसाब आ गयी
पढ़ ले आके मेरी आँखें
तेरा इंतेज़ार है
तेरे झूठे वादे पे भी
मुझे ऐतबार है
आजा मेरे माही तेरी याद आ गयी
हल्की हल्की सी बरसात आ गयी
हल्की हल्की सी बरसात आ गयी
ओ माही तेरी याद बेहिसाब आ गयी
हल्की हल्की सी बरसात आ गयी"

" वाउ में नही जानती थी की तुम इतना अच्छा गाते हो ..."
संजना की आवाज सुनते ही सौरभ ने गाना बंध किया और उसकी तरफ देखा...

" हा वो कॉलेज में गाया करते थे... फिर काम में ये सब छूट गया..."
सौरभ मुस्कुराते हुए बोला...

" कभी कभी कुछ आदतें ना छूटे तो ही अच्छा होता है है ना ? "

" हा संजना .. सही कहा..."

" वैसे किसकी याद आ गई ? "
संजना ने थोड़ी मस्ती करते हुए पूछा...

तो सौरभ शर्म के मारे अपने सिर पर हाथ फेरने लगा ...

" अच्छा कोई बात नही .. मुझे पता है ... पर तुम टेंशन मत लो तुम जिसे याद कर रहे थे वो बस दो दिन में यहां आने वाली है ...."

" क्या सच ? " सौरभ ने एकदम एक्साइटेड होकर कहा...

" हा उसका कोल आया था मुझ पर ..."

" उसने मुझे तो नही बताया....! "

" लड़किया हर बात हर किसीको नही बताती... इसके लिए तुम्हे उसका भरोसा जितना पड़ता है ... फिर वो सामने से तुम्हे सब कुछ बताएगी... "

" एक बात बताओ संजना तुम लड़किया इतनी कॉम्प्लिकेटेड क्यों होती हो ? "

" ऐसा कुछ नही है हा..."

" ऐसा ही है ... मतलब तुम लड़कियों से कैसे बात करे , कौन सी बात करे , कब उन्हे प्रपोज करें सब कितना सोच समझकर करना पड़ता है ... पूरा सिरदर्द वाला काम है ..." सौरभ ने सिर पकड़ते हुए कहा...

" अब देखो सौरभ मान लो तुम क्रिकेट के मैदान में हो ..वहा मैच चल रही है और उस मैच में तुम्हे जितना है .. तो उसे जितने के लिए तुम क्या करोगे ? "

" पहले तो हम मैच के लिए प्रैक्टिस करेंगे...."

" हम राइट अब समझ लो की तुम ओपनिंग में बल्लेबाजी के लिए उतरे हो तो क्या तुम पहले बोल में ही बाउंड्री मारने की कोशिश करोगे ? "

" नही ... पहले हम कुछ बोल खेलकर सेट हो जायेंगे और फिर बाउंड्री लगाने की कोशिश करेंगे... "

" धेट्स धी पॉइंट... अब एक लड़की का पूरी जिंदगी साथ पाने के लिए .. तुम्हे पहले उससे जान पहचान बनानी पड़ती है फिर तुम उसकी लाइफ में सेट होने की कोशिश करनी पड़ती है , फिर उससे अच्छी दोस्ती करनी पड़ती है और फिर उसे प्रपोज करते हो ... तब जाकर तुम्हे तुम्हारा सच्चा प्यार मिलता है ...."

" वाह! क्या example दिया है ! अब में समझ गया कि अब मुझे क्या करना है ... दोस्ती तक तो में पहुंच गया हूं अब एक चोग्गा लगाने की बारी है..."

" बड़े समझदार हो ...."

" पहले से ही..."
ये सुनकर दोनो हसने लगे...
" वैसे तुम ठीक तो हो ? धक्का जोर से तो नही लगाना ? "

" नही नही में बिल्कुल ठीक हु..."

" मुझे तो लगता है की वो और कोई नही वैशाली चाची ही थी.. देखा ना कैसे मुंह फुलाकर घूम रही थी..."

" पता नही .. जो भी हो ... जब तक आप सब मेरे साथ है मुझे कुछ नही होगा..."

" राइट हम सब है ना तुम्हे कुछ नही होने देंगे...! "

सौरभ और संजना की ये प्यारी बाते सुनकर अनिरुद्ध बाहर ही खड़ा होकर मुस्कुरा रहा था और फिर वही से वापस कमरे में चला गया...


इस तरफ दादी गुस्से में वैशाली के कमरे में गई...
वैशाली गुनगुनाते हुए अपना मेकअप लगा रही थी...

दादी ने आकर उसके हाथो से उसकी लिपस्टिक छीन ली...
" मेरी बहु को चोट देकर तुम यहां मेक अप लगा रही हो ! "

" मां लाइए मेरी लिपस्टिक वापस दीजिए...! "

" नही दूंगी...ये क्या ये तेरा सारा मेकअप बाहर फेंक दूंगी... "

" एक मिनिट मां ... आपकी बहू में हु वो संजना नही...और उसके मां बनने की खबर से आप लोग तो फुलाए नही समा रहे...! "

" संजना मेरी बहु ही है ... और में सब जानती हु की तुमने ही उसे धक्का दिया था... बूढ़ी हो गईं हु पर मेरी नज़रे बाज की तरह तेज है..."

" पर में ऐसा क्यों करूंगी मां ? "

" क्योंकि तुम्हे जलन होती है ...तुम तो मां बन नही सकती और मेरी संजू पेट से है इसीलिए तुम उसे जानबूजकर चोट पहुंचाने की कोशिश कर रही हो..."

" हा सही कहा आपने मां मुझे जलन होती है बहुत ज्यादा जलन होती है उस संजना और अनिरुद्ध से... ये बिजनेस उनका , ये घर उनका , और अब उसका बच्चा आयेगा तो ये सब तो उसको ही मिलेगा ना हमारा क्या होगा ? "

" तुम कब तक ये मेरा तुम्हारा करती रहोगी ? ये सब हम सबका है.... और इन सबके लिए मेहरबानी करके तुम कोई ऐसी वैसी हरकत मत करना मरना ... "

" मरना क्या मां हा ? क्या करेगी आप ? अनिरूद्ध को बता देगी की मैने संजना को धक्का मारा था ? "
वैशाली का गुस्सा हद से ज्यादा बढ़ चुका था

" हा सही कहा में सब को तुम्हारी सच्चाई बता दूंगी...और ये भी बता दूंगी की तुमने ही अनिरुद्ध की सगाई वाले दिन उस हरिश्चंद्र को फोन लगाकर उसे अनिरुद्ध का सारा प्लान बता दिया था..."
दादी एक ही सांस में इतना बोली की वो खांसने लगी...
वैशाली यह सुनकर मुस्कुरा रही थी ...

" ठीक है बता दीजिए... फिर में भी अनिरुद्ध को वो बात बता दूंगी जिसे आप सब लोग इतने वक्त तक छुपाने की कोशिश कर रहे हो ..."

ये सुनते ही दादी की आंखे और भी ज्यादा चौड़ी हो गई... और वो और भी ज्यादा खांसने लगी...
फिर भी वैशाली उनको पानी नही दे रही थी...

" क्या में अनिरुद्ध को बता दू की उसके मम्मी पापा की मौत कैसे हुई थी ? और क्यों आप सब ने अनिरुद्ध को पालने का फैसला लिया था हा ? बता दू..."

वैशाली की एक एक बात सुनकर दादी की तबियत और भी ज्यादा खराब होती जा रही थी... और वो अचानक से जमीन पर गिर गई...

तभी मनीष वहा कमरे में आया... दादी को नीचे गिरा हुआ देखकर मनीष भागता हुआ दादी के पास आ गया..

" मां .. मां क्या हुआ आपको ...? क्या किया तुमने मेरी मां के साथ ...? " मनीष ने घबराते हुए कहा...

" मैने कुछ नही किया दादी अचानक से गिर गई ..."

" अब आओ मेरी मदद करो...."
मनीष ने वैशाली का सहारा लेकर दादी को बेड पर सुलाया और पानी पिलाया और तुरंत डॉक्टर को फोन किया...

कुछ वक्त में ही डॉक्टर आ गए और वो कमरे में दादी का चेक अप कर रहे थे , बाहर सब कबसे डॉक्टर की राह देख रहे थे की कब डॉक्टर बाहर आए और कब वो दादी की तबियत के बारे में बताए..

कुछ चेकअप के बाद डॉक्टर बाहर आए...

" चिंता की बात नही है ... अब दादी ठीक है ... उनका बीपी बढ़ गया था... आप प्लीज इनका ध्यान रखे ... टेंशन वाली कोई बात इनसे मत कीजिए...उनकी तबियत पर इसका असर होगा..."

" ठीक है डॉक्टर हम ध्यान रखेंगे..."
अखिल जी ने कहा और वो डॉक्टर को बाहर छोड़ने के लिए चले गए..।

🥰 क्रमश: 🥰