कहानी प्यार कि - 42 Dr Mehta Mansi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • अनोखा विवाह - 10

    सुहानी - हम अभी आते हैं,,,,,,,, सुहानी को वाशरुम में आधा घंट...

  • मंजिले - भाग 13

     -------------- एक कहानी " मंज़िले " पुस्तक की सब से श्रेष्ठ...

  • I Hate Love - 6

    फ्लैशबैक अंतअपनी सोच से बाहर आती हुई जानवी,,, अपने चेहरे पर...

  • मोमल : डायरी की गहराई - 47

    पिछले भाग में हम ने देखा कि फीलिक्स को एक औरत बार बार दिखती...

  • इश्क दा मारा - 38

    रानी का सवाल सुन कर राधा गुस्से से रानी की तरफ देखने लगती है...

श्रेणी
शेयर करे

कहानी प्यार कि - 42

अनिरूद्ध और सौरभ मोनाली के बताए गए पते पर पहुंच चुके थे..

फैक्टरी सुमासम नजर आ रही थी ..
फैक्टरी का आगे का दरवाजा खुला हुआ था.. अनिरुद्ध और सौरभ जैसे ही दरवाजे के अंदर पहुंचे दरवाजा जोर से बंध हो गया...
दोनो धीरे धीरे आगे चल कर जा रहे थे... आगे एक बड़ी सी जगह पर चारो और गुंडे खड़े हुए थे..

अनिरूद्ध और सौरभ को आता देखकर उन्होंने बंदूक उनके ऊपर कर दी...

सामने उन्हे अखिल और मनीष खुर्सी से बंधे हुए दिखाई दिए... उनकी आंखे बंध थी

उनके पीछे साजिद हाथ में बंदूक लिए पीछे मुड़ कर खड़ा हुआ था...

" कौन हो तुम ? " अनिरूद्ध ने ऊंची आवाज में कहा
..

" यहां पर ऊंची आवाज में सिर्फ साजिद डॉन ही बात कर सकता है समझे...." साजिद ने अनिरुद्ध की तरफ मुड़कर गुस्से से कहा....

सौरभ : " ओह तो अब उसने इस खेल में क्रिमिनल्स को भी शामिल कर लिया है...! "

साजिद : ये कोई खेल नहीं है.... तुम्हारे सामने दिल्ली का सबसे खतरनाक डॉन खड़ा है और तुम यहां डायलॉग मार रहे हो !

सौरभ : तुम इसे डायलॉग कहते हो ?
सौरभ ने मुस्कुराते हुए कहा

साजिद : ए छोकरे ज्यादा शाना मत बन नही तो तेरे इस बाप को और इसे ठोक दूंगा... !

साजिद ने गन अखिल और मनीष पर रखते हुए कहा...
और इस वजह से अखिल और मनीष जाग गए...

" सौरभ , अनिरूद्ध तुम दोनो यहां क्यों आए ? " अखिल जी उन दोनो को यहां देखकर और भी ज्यादा डर गए थे..

" आप को छुड़वाने आए है अंकल ... "

साजिद : ये मेलमिलाप बाद में करना .. अगर मेरे हाथो से बच पाओगे तो...!

अनिरूद्ध : देखो... तुम इन्हें छोड़ दो.. और चाहो तो हमे बांध दो .. पर प्लीज इनको जाने दो...

साजिद : अब ये तो मेरे हाथ में नही है.. वो आयेगी वही डिसाइड करेगी...
अनिरूद्ध : वो कहा है ?

मोनाली : यहां हु...
मोनाली ने पीछे से अंदर की और एंट्री ली...

मोनाली : वेलकम बॉयज....
अनिरुद्ध : देखो मोनाली तुम्हारी दुश्मनी मुजसे है ना तो फिर तुम अखिल अंकल और चाचू को छोड़ दो...

मोनाली : ऐसे कैसे ? पहले मुझे जो चाहिए वो तो मिल जाने दो...

अनिरूद्ध : तुम्हे जो चाहिए वो ले लो पर इन्हें छोड़ दो...

मोनाली : ठीक है तो फिर ये लो पेपर्स तुम सब इन पर साइन करदो और तुम्हारी कंपनी मुझे देदो...

मोनाली की यह बात सुनकर मनीष और अखिल को बहुत बड़ा धक्का लगा...

अखिल : ये क्या बोल रही हो तुम ? हमने इस कंपनी को यहां तक पहुंचाने में अपनी पूरी जिंदगी लगा दी है...

मोनाली : तो इससे किसे फर्क पड़ता है ! मुझे जो चाहिए वो में लेकर रहूंगी...

सौरभ : तुम कितनी बेशरम हो... तुम्हारे पास किसी चीज की कमी नहीं है .. फिर भी तुम हमारी कंपनी के ही पिछे क्यों पड़ी हो ?

मोनाली : ओह इस लॉलीपॉप को भी गुस्सा आता है ? मुझे तो पता ही नही था...

सौरभ : माइंड योर लैंग्वेज..मोनाली

मोनाली : हेय... जिसका जवाब तुम्हे पहले से ही पता है तो फिर मुझसे ये क्वेश्चन क्यों कर रहे हो ?

अनिरूद्ध : देखो तुम जहा कहोगी वहा में साइन कर दूंगा तुम प्लीज चाचू और अखिल अंकल को छोड़ दो...

मोनाली : हा ये हुई ना बात...

अनिरूद्ध की बात सुनकर सौरभ , अखिल और मनीष उसे आश्चर्य से देखने लगे..
अनिरूद्ध ने इशारे में कहा की " मुझ पर भरोसा रखो.. "

अनिरूद्ध : हम साइन कर देंगे पर तुम पहले इन्हें छोड़ दो..

मोनाली : ठीक है ... साजिद इन्हे छोड़ दो...

साजिद ने उनकी रस्सी खोली .. अखिल और मनीष रस्सी खुलते ही अनिरुद्ध और सौरभ के पास आ गए..

सौरभ : क्या तुम सच में साइन करने वाले हो...?

अनिरूद्ध : हमारे पास दूसरा कोई ऑप्शन नहीं है...

सौरभ : पर अगर वो मेडिसिन इस मोनाली के हाथो में आ गई तो क्या होगा ये तुमने सोचा है ?

सौरभ अनिरुद्ध को धीरे से कह रहा था...
अनिरूद्ध सौरभ की बात सुनकर चुप था...

मोनाली : ये लो अनिरुद्ध साइन करो...

मोनाली ने पेपर्स और पेन अनिरुद्ध को देते हुए कहा..

अनिरूद्ध ने पेपर्स और पेन हाथ में लिए ... उसे कुछ समझ नही आ रहा था की वो क्या करे.. उसने अपनी चारो तरफ नजर की तो उसे एक बंदूक नीचे पड़ी हुई नजर आई... जो सौरभ के पीछे पड़ी हुई थी...

मोनाली : साइन करो अनिरुद्ध....

अनिरूद्ध साइन करने अपना हाथ आगे बढ़ा रहा था.. उसने सौरभ की तरफ देखा और गन की तरफ इशारा किया ... सौरभ समझ गया.. उसने पीछे देखा..

मोनाली : क्या सोच रहे हो साइन करो नही तो तुम्हारे ये अंकल , चाचा और भाई तीनो को उड़ा दूंगी...

तभी सौरभ ने जल्दी से गन हाथ में ली और मोनाली को पकड़कर उसके सिर पर रख दी...

सौरभ : बंदूक नीचे करो अपनी नही तो में इसे गोली मार दूंगा....

मोनाली : बंदूक नीचे करो सब...
उसने गभराहट में चिल्लाते हुए कहा...

सौरभ : अनिरूद्ध तुम पापा और चाचू को बाहर ले जाओ...

अखिल : नही में तुम लोगो को छोड़कर कही नही जाऊंगा...

अनिरुद्ध : अंकल प्लीज आप लोग जाइए .. हम आ जायेंगे...

सौरभ भी मोनाली पर गन ताने दरवाजे की तरफ जा रहा था..
अनिरूद्ध : चाचू आप और अखिल अंकल यहा से चले जाइए .. ये लो गाड़ी की चाबी... हमारी कम्पनी के लिए आप दोनो को जाना होगा..

अनिरुद्ध के कहने पर अखिल और मनीष वहा से भाग गए.. उनके जाते ही साजिद ने दरवाजा बंध कर दिया और वो वहा खड़ा हो गया..

सभी गुंडों ने अनिरुद्ध और सौरभ को घेर लिया था

मोनाली : तुम ठीक नही कर रहे हो सौरभ... इसकी कीमत तुम्हे चुकानी पड़ेगी...

सौरभ : चलेगा...

मोनाली को बहुत गुस्सा आया और उसने सौरभ के हाथो पर जोर से काट लिया...

" आउच " सौरभ के मुंह से चीख निकल गई... और उसके हाथो से बंदूक नीचे गिर गई...

यह देखकर अनिरुद्ध ने साजिद को जोर से लात मारी और उसे गिरा दिया...

यह देखकर एक एक करके गुंडे अनिरुद्ध और सौरभ को मारने के लिए आने लगे...

दो गुंडे जैसे ही अनिरुद्ध को मारने आए .. अनिरूद्ध ने दोनो को बहुत जोर से मुक्का मारा सौरभ भी मुक्को और लातो से गुंडों को धोने लगा...

इस तरफ अखिल और मनीष घर पहुंच गए...

उनको देखकर सबकी जान में जान आई..

संजना : अनिरूद्ध और सौरभ कहा है ?

अखिल : वो वही है...

अखिल और मनीष ने पूरी बात सब को बताई...
उनकी बात सुनकर संजना और बाकी सब की चिंता और बढ़ गई..

संजना : अखिल अंकल हमे उनको बचाने जाना चाहिए...

अखिल : पर अनिरुद्ध ने हमे वहा आने से मना किया है.. अगर हम वहा पकड़े गए तो हमे पेपर्स पर साइन करनी पड़ेगी और हमारी वजह से अनिरुद्ध और सौरभ भी मुश्किल में आ जाएंगे...

संजना : हा आप सही कह रहे हो.. आप दोनो का वहा जाना सेफ नहीं है... पर में तो वहा जा सकती हु ना..!

मनीष : नही संजना .. वो लोग बहुत खतरनाक है...तुम्हे कुछ हो गया तो ?

संजना : कुछ नही होगा चाचू .. में सही सलामत वापस लौटूंगी...वहा अनिरुद्ध और सौरभ उन लोगो से अकेले लड़ रहे है और में यहां ऐसे बैठी नही रह सकती...

अखिल : पर बेटा...

संजना : प्लीज अंकल मुझे जाने दीजिए...

दादी : तू जा संजना बेटा ... मुझे तुझ पर पूरा भरोसा है.. में देखती हु की यहां तुझे कोन रोकता है!

दादी की बात सुनकर संजना के चहेरे पर मुसकुराहट आ गई...
संजना : थैंक यू दादी.. यू आर धी बेस्ट...

संजना ने कहा और वो वहा से निकल गई..

उसने जाते हुए मोहित को फोन लगाया...

मोहित : क्या ? इतनी बड़ी बात तू मुझे अब बता रही है ?

संजना : सोरी भाई.. आप पहले से ही परेशान थे तो में आपकी परेशानी और नही बढ़ाना चाहती थी..
मोहित : पागल है क्या ? में अभी वहा पहुंच रहा हु.. तू पुल के पास मेरा इंतजार करना हम साथ में ही अंदर जायेंगे समझी...

संजना : ठीक है भाई...

तभी संजना के फोन पर किंजल का फोन आ रहा था..
संजना : इतनी रात को किंजल का फोन ?

संजना ने तुरंत फोन उठाया..

संजना : किंजल क्या हुआ ?

किंजल : क्या हुआ है संजू ? कोई फोन क्यों नही उठा रहा ? में कब से सौरभ और अनिरुद्ध को फोन लगा रही हु ..

संजना : वो दोनो मोनाली के पास गए है...

किंजल : वॉट ? पर क्यों ?

संजना ने किंजल को पूरी बात बताई..

किंजल : में भी तुम्हारे साथ आ रही हू संजू..

संजना : नही किंजल .. वहा पर बहुत खतरा है..

किंजल : आई डोंट केयर.. में तुम्हारे साथ चल रही हू धेट्स फाइनल...

संजना : ठीक है पुल के पास मिलते है..

किंजल : ओके...

इस तरफ अनिरुद्ध और सौरभ गुंडों को मजा चखा रहे थे... पर तभी साजिद ने एक बड़ा सा डंडा अनिरुद्ध के सिर पर मारा ...

सिर पर जोर से चोट लगने की वजह से अनिरुद्ध बेहोश हो गया...

सौरभ अकेला गुंडों को संभाल नही पा रहा था... वो मौका देखकर अनिरुद्ध के पास गया और उसे जगाने की कोशिश करने लगा पर साजिद ने उसे भी वो डंडा सिर पर मारा और सौरभ भी वही बेहोश हो कर गिर गया..

मोनाली : पकड़कर बांध दो दोनो को...

अनिरूद्ध और सौरभ को कुर्सी पर बांध दिया..

संजना , मोहित और किंजल पुल के पास पहुंच चुके थे..

मोहित : अंकल ने जैसे कहा था वहा पर बहुत सारे गुंडे है.. इसीलिए हमें वहा पूरी प्लानिंग से जाना होगा..

किंजल : में अपने साथ कुछ लाई हु...
मोहित : क्या ?
किंजल : पेपर स्प्रे... और ये बेस बोल का बेट...

मोहित : अरे वाह ! तू इतनी समझदार कब से हो गई ?
किंजल : में पहले से ही समझदार हु ...

संजना : मुझे ऐसी किसी चीज की जरूरत नहीं है... मेरे कराटे क्लासेस किस दिन काम आयेंगे हा ?

मोहित : हा यहां पर तेरा पूरा पैसा वसूल हो जायेगा...
संजना : हा...सही कहा..
मोहित : मेरे पास यह बंदूक है.. मेरे दोस्त की लेकर आया हूं.. और हा संभलकर उनके पास हथियार है.. हमे छिपते हुए वहा पर जाना है... यहां दरवाजा बंध है हम पीछे से खिड़की में से अंदर जायेंगे...

संजना : ठीक है चलो..

संजना , किंजल और मोहित धीरे धीरे पीछे की खिड़की से फैक्टरी के अंदर पहुंचे...
वहा पर छिपते हुए वो लोग उसी बड़े होल तक आ गए जहा उन्होंने अनिरुद्ध और सौरभ को बांधकर रखा था..मोनाली और साजिद भी वही पर खड़े थे...

संजना : ओह नो इन्होंने तो अनिरुद्ध और सौरभ को बांध दिया है... अब हम क्या करेंगे ?
मोहित : एक काम करते है में उस दरवाजे की तरफ जाता हु और इनका ध्यान भटकाता हू और तब तुम दोनो जाकर इनको छुड़ा लेना..
किंजल : ठीक है भाई...

मोहित वहा रखे पुराने मशीन के पीछे छिपता हुआ दरवाजे के पास चला गया...
उसने वहा रखा एक बॉक्स जोर से निचे गिराया...

आवाज सुनते ही कुछ गुंडे उस तरफ आने लगे...
उनके आते ही मोहित ने अपनी बंदूक निकाली और उन पर गोली चलाने लगा...
गोलियों की आवाज सुनकर साजिद और मोनाली भी उस तरफ देखने के लिए जाने लगा..
बाकी गुंडों का ध्यान भी कुछ देर के लिए उस तरफ चला गया था...
इस वक्त का फायदा उठाकर किंजल और संजना बिना आवाज किए धीरे धीरे अनिरुद्ध और सौरभ के पास आए और उनकी रस्सी छोड़ने लगे...

" इनके सिर पर तो चोट लगी है ...! " संजना ने जब सिर पर खून देखा तो कहा..

" अनिरूद्ध ... सौरभ ...." वो दोनो उन्हें उठाने की कोशिश करने लगे...

तभी अनिरुद्ध ने अपनी आंख धीरे से खोली ...
सामने संजना को देखकर वो हैरान रह गया और वो जोर से बोलने ही जा रहा था की संजना ने हाथ से उसका मुंह बंध कर दिया..

संजना : शी... चलो यहां से...

संजना और किंजल अनिरुद्ध और सौरभ को सहारा देकर ले ही जा रहे थे की एक आदमी की नजर उन पर पड़ गई..
" ये देखो ... वो भाग रहे है..." वो जोर से चिल्लाया...

उसकी आवाज सुनकर सबकी नजर उन पर गई...

वो गुंडे उन पर हमला करने के लिए दौड़े...

तभी किंजल ने अपना पेपर स्प्रे निकाला और उनकी आंखों पर छांट दिया...

वो सब आंखे जलने की वजह से वही खड़े हो गए और आंखे मिचमिचाने लगे...
किंजल ने अपना बेट निकाला और उससे सब को मारने लगी... संजना भी अपनी कराटे की टेक्नीक से उन गुंडों को धोने लगी...
अनिरूद्ध और सौरभ को चोट की वजह से पूरा होश नही आया था .. वो वही खड़े अपनी आंखे खोलने की कोशिश कर रहे थे...

मोहित भी अपनी बन्दूक से गुंडों को अपने पास आते रोक रहा था पर तभी उसकी बंदूक में गोलियां खत्म हो गई..

मोहित ने बंदूक उठाई और उससे सब को मारने लगा..
मोनाली यह सब देखकर गुस्से से धुआपुआ हो रही थी...

मोनाली : साजिद इन सब को रोको...

साजिद संजना और किंजल के पास आया और उनकी गर्दन को पकड़ लिया... उसका पंजा इतना मजबूत था की संजना और किंजल उन्हें छुड़ा नही पा रही थी... अब उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगी थी...

संजना : अनिरूद्ध बचाओ....

अनिरूद्ध को संजना की आवाज आ रही थी पर उसे सब धुंधला धुंधला नजर आ रहा था...

" अनिरूद्ध...." इस बार संजना जोर से चीखी...

संजना की दर्दनाक आवाज सुनकर अनिरुद्ध ने अपनी आंखे खोली और वो संजना और किंजल को उसके हाथो से छुड़ाने लगा...

उसने साजिद की छाती पर जोर से लात मारी और इस वजह से साजिद का हाथ छूट गया और उनसे थोड़ा दूर हो गया... उसे छाती पर इतनी जोर से लगा था की वो कुछ देर तक वहा से हिल भी नही पा रहा था..

अनिरूद्ध : संजू , किंजल तुम ठीक हो ना ?

" हा हम ठीक है " उन दोनो ने कहा..

तब तक सौरभ भी आ गया..

अब अनिरुद्ध साजिद के पास गया और उसका कोलर पकड़कर उसे मारने लगा...
सामने साजिद भी कई बार उसे बराबर की टक्कर दे रहा था... सौरभ मोहित के पास गया और उसकी वहा मदद करने लगा...

किंजल : संजू तुम इन सब को देखो में उस मोनाली को देखती हु...

किंजल मोनाली के पास गई और उसे जोर से थप्पड़ लगाया...
मोनाली : हाउ डेयर यू....!
किंजल : ए अपनी इंग्लिश झाड़ना बंध कर और चुपचाप मेरी बात सुन ... अगर तुमने मेरे दोस्तो को या फिर करन को चोट पहुंचाई तो मुझसे बुरा कोई नही होगा.. में तुम्हे करन के दिल के साथ खेलने नही दूंगी...

मोनाली : ओह हा में भूल गई थी तुम प्यार जो करती हो करन से..
किंजल : हा करती हु में प्यार करन को ...
मोनाली : पर वो तुमसे नही मुझसे प्यार करता है और इसी वजह से उसने मेरी बात सुनी और मान भी ली...
किंजल : वो इसलिए कि वो अब तक तुम्हारी सच्चाई नही जानता.. उसके सामने जब तुम्हारा सच आएगा तब वो तुमसे सिर्फ नफरत करेगा...
मोनाली : ऐसा में होने नही दूंगी समझी...

मोनाली ने किंजल को जोर से धक्का दिया और किंजल कुछ दूर जाकर गिर गई...

मोहित : किंजल... तुम ठीक तो हो ?
मोहित ने किंजल के पास जाते हुए कहा...
किंजल : हा भाई ...

अनिरूद्ध को वही डंडा दिखाई दिया जिससे साजिद ने उसे मारा था .. उसने वो डंडा उठाया और साजिद के सिर पर जोर से मारा.. और साजिद वही पर गिर गया...

अनिरूद्ध , सौरभ , मोहित , संजना और किंजल ने वहा पर मौजूद ज्यादातर गुंडों को धो दिया था और उनकी हालत कुछ ऐसी हो गई थी की वो ठीक से खड़े भी नही हो पा रहे थे...

यह देखकर मोनाली घबरा गई ..
मोनाली : अब में क्या करू... इन्होंने तो सब को हरा दिया... मुझे कुछ करना होगा नही तो ये लोग मुझे पुलिस के हवाले कर देंगे...

मोनाली की नजर जमीन पर पड़ी बंदूक पर गई .. उसने बंदूक उठा ली..

मोनाली : रुक जाओ मरना में गोली चला दूंगी...

बंदूक देखकर सब वही अपनी जगह खड़े हो गए...

मोनाली : सबसे पहले में गोली तुम पर चलाऊंगी अनिरुद्ध...

संजना : नही...
कहते हुए वो अनिरुद्ध के आगे जाकर खड़ी हो गई...

मोनाली : संजना हट जाओ नही तो तुम अपनी जान गवा दोगी...

संजना : यही सही पर में यहां से दूर नहीं हटुगी..

अनिरूद्ध : संजू तुम दूर हटो .. ये क्या पागलपन है..

संजना : नही अनिरुद्ध में तुम्हे कुछ होने नही दूंगी...

तभी मोनाली ने बंदूक से निशाना ताका और ट्रिगर दबा दिया... पूरे कमरे में जोर से गोली की आवाज गूंजी...



क्या लगता है गोली किसे लगी होगी...? संजना या फिर अनिरुद्ध को ..? मोनाली आगे और क्या क्या करने वाली है ? क्या मोनाली का पर्दाफाश करन के सामने होगा या नही ? यह सभी सवालों के जवाब आपको अगले भाग में मिल जायेंगे... अगला भाग हमारा महाएपीसोड होने वाला है .. तो मेरे साथ चलते रहिएगा इस कहानी के सफर में... अगर आपको यह पार्ट अच्छा लगा हो तो आपका अमूल्य रिव्यू जरूर दीजियेगा... 🥰

🥰 क्रमश: 🥰