तेरी चाहत मैं - 42 Devika Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तेरी चाहत मैं - 42

मिस्टर मोहित के वापस आने तक , अजय और सिमरन ने मिल कर काफी अकाउंट चेक कर लिय थे। उस शाम अजय, सिमरन और मोहित, मुकेश रॉय के केबिन में थे। उन्होंने मीटिंग का आगाज़ करते हूवे पूछा "से तुम दोनों ने जिन प्रोजेस्ट्स के एकाउंट्स की जांच किए है, उससे क्या बाते सामने आ रही हैं?"

"सर मैंने और सिमरन ने जो प्रोजेक्ट्स चेक किए हैं, उनमे से बहुत से प्रोजेक्ट ऐसे हैं जिनमे बड़े लेवल पे गड़बड़ पाई गई है। हमने उन परचेस को हमारे समय के मार्केट प्राइज से भी कंपेयर किया है। हर प्रोजेक्ट मैं कुछ चालीस प्रतिशत ज्यादा पे खरीद हुआ है।" अजय ने रिपोर्ट्स की फाइल्स मिस्टर मोहित और मुकेश रॉय को दिखाते हुए जवाब दिया।
"और ये सारे प्रोजेक्ट किसने हैंडल किया था?" मुकेश रॉय ने पूछा
"सर ये सब प्रोजेक्ट्स सिकंदर सर ने हैंडल किए हैं।" सिमरन ने जवाब दिया।
"हम्म.. मोहित तुम्हारा क्या ख्याल है?" मुकेश रॉय मिस्टर मोहित की तरफ मुखातिब हुवे

"सर, इन रिपोर्ट्स से तो यहीं बात सामने आ रही है की सिकंदर सर ने जिन प्रोजेक्ट्स को हैंडल किया है उनमे ज्यादातर में गड़बड़ है।" मिस्टर मोहित ने रिपोर्ट्स देखते हुए जवाब दिया।
"हम्म .. मोहित तुम्हारा कोई भरोसामंद इंसान है, जिसको हम अपने सारे प्रोजेक्ट्स के अकाउंट्स ऑडिट करवा सके, कम से कम पिचले 25 साल के। लेकिन बिना किसी को पता चले।” मुकेश रॉय ने मोहित से पूछा।
"सर, है कुछ लोग, हो जाएगा ये काम।" मिस्टर मोहित ने जवाब दिया।
“मुझे हैरात हो रही है की सिकंदर ने ये सब क्यूं किया। ये तो सब दिख रहा है, पता नहीं वो और क्या - क्या करता रहा है।"

"अब आगे क्या करना है सर।" मोहित ने पूछा
“साझेदारी खत्म करुंगा और जो यह सब उसने गड़बड़ किया है वो कानूनी रूप से वापिस देगा। हां जो उसका हिसा बनता है। ईमानदारी से उसे मिल जाएगा। बस अब जरा जल्दी से मुझे उसके लिए प्रोजेक्ट्स की रिपोर्ट करो। हमको जल्दी ही उस इंसान को अपने काम से अलग करना है।" मुकेश रॉय ने जवाब दिया।

न्यूटन आज ऑफिस नहीं गया था, उसकी तबियत कुछ खराब थी। वो अपने कमरे मैं लेटा था। तभी उसका फोन बजा, उसी अंजान नंबर से कॉल आई थी। उसे झट से कॉल रिसीव की "हैलो"

"कैसे हैं आप साहिल? मैं बोल रही हूं।" दूसरी तरफ से जवाब मिला

“आप ठीक तो हैं, इतने दिनों से आपको कॉल कर रहा था, एसएमएस भी रहा था। मैं परशान हो गया था।" न्यूटन ने कहा

"जी देखा था आपकी काई मिस कॉल थी, और एसएमएस दे, पर आप मेरे लिए क्यूं परेशान थे" उसने पूछा
"अजीब सा सवाल है, तुमने मरने की बात कह कर फोन ऑफ कर दिया था, अब कोई भी नॉर्मल इंसान परेशान तो होगा।" न्यूटन ने जवाब दिया।
“ओह तो ये बात थी, मुझे लगा की शायद आपको मेरी मोहब्बत पे यकीन आ गया है। खैर, पहले ये बुजदिली भरा ख्याल आया तो था पर फिर मैंने सोचा की मैं क्यों अपनी जिंदगी किसी ऐसे शक के लिए ख़राब करूं जो मुझे रत्ती भर भी नहीं चाहता। हमें शक के लिए मैं अपने लोगो को क्यूं रूलाउ। तो मैंने सोचा की जिंदगी में हर किसी को उसकी मोहब्बत नहीं मिली और ना ही मोहब्बत कोई तिजारत है की अगर मैंने आपसे मोहब्बत की तो आपसे भी उम्मीद करूं की आप भी मुझसे मोहब्बत करिए। मैंने फैसला किया की जिंदगी मैं कोई तो होगा ना जो मुझे भी चाहेगा? बस मैं उसका इंतजार कर लुंगी और मुझे यकीन है की वो जरूर आएगा।" दूसरी तरफ़ से जवाब आया।
"काफ़ी अच्छी सोच है आपकी" न्यूटन बस इतना ही कह सका

“खैर अब आप परशान ना होइए मैं आपको कॉल कर के परेशान नहीं करुंगी। वो तो मैंने इतनी कॉल और एसएमएस देखी तो कॉल करी, खैर अब मैं रखती हूं।” उस लड़की ने बात खतम करते हुए कहा।
"एक मिनट जरा रुकिए" न्यूटन ने उसे रोका
"जी बोलिये साहिल" लड़की रुक गई
"असल मे मैं अपनी बेरुखी और बदतमीज़ के लिए आपसे माफ़ी चाहता हूँ।" न्यूटन बोला
"कोई बात नहीं, मैंने बुरा नहीं माना, वैसा भी इससे मुझे एक चीज समाज मैं आ गई, की कभी किसी को ये ना जताओ की आप उसे कितना प्यार करते है, कम से कम तब तक जब तक सामने वाला आपके प्यार की कदर ना करता हो. मैं ही पागलों की तरह आप के पीछे पढ़ गई, पर क्या करें मोहब्बत पागल जो बना देती है।" लड़की ने जवाब दिया।

“आप मुझसे नराज है, मैंने आप का दिल जो दुखा है। पर मैं भी क्या करता, काफ़ी गहरा जख्म मिला था मुझे, उसकी चोट ने पत्थर बना दिया था मुझे, और आप उस पत्थर से सर टकरा रही थी। पर आपकी बातें ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया की मैं गलत था।” न्यूटन के लेहजे मैं अफ्सोस साफ था।

"चलिये अच्छा ही है, इसी बहाने आपको याद करेंगे, जब कभी आपको मोहब्बत हो तो मुझे इस बात की खुशी होगी की मेरी वजह से आप दोबारा मोहब्बत पर यकीन तो करने लगे।" लड़की ने कहा

"अच्छा आपका नाम क्या है!" न्यूटन ने पूछा

"आपने तो चुड़ैल रखा था, शायद।" लड़की ने कहा

"हा हा हा, आपका असल नाम क्या है।" न्यूटन ने पूछा

"मेरे दोस्त मुझे और घर वाले मुझे सोनी कहते हैं।" लड़की ने कहा

"तो क्या मैं भी आपको सोनी कह कर पुकारूं?" न्यूटन ने कहा

"क्यूं किस लिए, ये सिर्फ मेरे दोस्तों का हक है।" लड़की ने जवाब दिया

"तो क्या हम दोस्त नहीं बन सकते" न्यूटन ने हैरत से कहा।

"क्यूं, आपके तो कई अच्छे दोस्त हैं।" लड़की ने जवाब दिया।

"हां पर अगर हम और आप दोस्त बन जाएंगे तो क्या बुरा है।" न्यूटन ने कहा

“मेरे कई दोस्त हैं, साहिल साहब। पर इंसान सारी जिंदगी सिर्फ दोस्ती के साथ नहीं कट सकती, एक वक्त ऐसा आता है जब उसे हमसफर की जरूरत होती है, जो उसके साथ जिंदगी के सफर में साथ चले। उसे समझे, मोहब्बत करे। मुझे आप में वो शख्स दिखा था, मुझे लगा था की शायद आपके साथ मैं जिंदगी के सफर को तय करुंगी। मैंने सोचा था की शायद आप मुझे उतना ना चाहे जितना मैं आपको, पर आप इतने भी बुरे इंसान नहीं है की मोहब्बत के बदले मुझे नफरत देते पर….” इतना कह कर लड़की चुप हो गई।

"पर हर रिश्ते मैं दोस्ती जरूरी होती है। और आपने ही तो कहा था की हर इंसान को दुसरा मौका मिलना चाहिए। "न्यूटन ने अपनी बात रखी"
"ओह तो अब आपको लगता है की मैं सही थी।" लड़की ने कहा
"हां, इसी लिए मैं आपसे माफी भी मांग रहा हूं और एक नई शुरुआत करना चाहता हूं।" न्यूटन बोला

"साहिल मुझे पता है की आप गिल्टी फील कर रहे हैं, और शायद आपको मुझे पर तरस आया हो, पर मैं ऐसे किसी रिश्ते में दिलचस्पी नहीं रखती। "लडकी ने जवाब दिया तो न्यूटन बोला" नहीं आप गलत समझ रही हैं, मुझे अपनी गलती का एहसास है और मेरे दोस्तों की भी यही राय है की।"
"आपको अपनी गलती का एहसास हुआ है या आप अपने दोस्तों के कहने पर ऐसा कर रहे हैं।" लड़की ने एक टका सा जवाब दिया। न्यूटन चुप रहा, वो समझ नहीं पा रहा था की कैसे उस लड़की को यकीन दिलाये की वो सच मैं शर्मिंदा है और अब अपनी गलती को सुधारे।

"क्या हुआ साहिल, आप चुप क्यूं हो गए?" लड़की ने पूछा
"अब मैं क्या कह सकता हूं, गलती मेरी है और मेरे पास कोई तरिका नहीं है जिससे मैं ये सबित कर सकता हूं, जो कह रहा हूं वो सच है।" न्यूटन ने हाथियार डालते हुए कहा।
"हम्म .. तो ये बात है, चलीये मैं आपकी परशानी हल कर देती हूं।" लड़की ने मुस्कुराते हुए कहा।

"कैस?" न्यूटन भी थोडा हेयरां था।

"आपको साबित करना होगा की आप सच मैं अपनी गलती मान गए हैं।" लड़की ने शोखी से कहां।

"वो कैसे होगा" न्यूटन बोला
"कुछ खास नहीं, बस एक दो आसन से काम करने होंगे।" लड़की ने मजे से कहां।

"ओके, क्या करना होगा, मैं करुंगा, बस किसी तरह तुमको यकीन दिला देना चाहता हूं की मैं सच मैं दोषी महसूस कर रहा हूं।" न्यूटन ने कहा।

"अछा, पहला काम, किचन मैं जाये और फ्रिज खोलिए।" लड़की ने कहा।

"अब ये कौन सा काम है, फ्रिज खोलना, लो खोल दिया।" न्यूटन ने कहा।

"हां तो अब आपको हरी मिर्च दिख रही है क्या।" लड़की ने पूछा
"हां, वो तो हैं, पर उनका क्या करना है।" न्यूटन ने पूछा
"कितनी है?" लड़की ने पूछा?

"यही कोई 20-25, क्यूं?" न्यूटन बोला

“बिलकुल ठीक, अब ये सब आपको खानी है, बिना पानी पिए। हो पायेगा आपसे?" लड़की ने शोखी से कहा।

“ये क्या बात हुई, ये मुझे बड़ी तेज लग रही है। और बिना पानी के कैसे होगा।" न्यूटन ने कहा।

"देख लिजिये, आपकी मर्ज़ी।" लड़की ने संजीदा हो के कहा।

"ओके ठीक है, पर तुमको कैसे पता चलेगा की मैंने सच में खाई है" न्यूटन ने कहा।

"मुझे आप पर भरोसा है, अब भरोसा आप तोड़ते हैं या बनाए रखते हैं आपकी मर्जी" लड़की बोली।

"ठीक है, मैं कोशिश करता हूं।" ये कह कर न्यूटन ने मिर्च खानी शुरू कर दी। दो तीन खाने में ही उसकी हालत खराब हो गई। उसकी सू-सू की आवाज सुन की लड़की बोली, "अच्छा बस किजिये, लगता है काफ़ी तेज़ है। चलिये पानी पे लिजिये। "

न्यूटन पूरी एक बोतल पानी गटक गया, फिर बोला "जहर थी बिलकुल, मैं सिर्फ 5 ही खा पाया"

"हम्म.. चलिये अब दूसरा काम। अपने रूम मैं जाये।” लड़की ने हंसते हुये कहा। न्यूटन रूम मैं आ गया।

"ओके अब फोन टेबल पे रखिये और अपने दोनो कान पकड कर बोलिये की मैं अब किसी को परेशान नहीं करुंगा। अब मैं अच्छा बच्चा बनूंगा। अगर मैं गलती करुंगा तो मैं 10 हरी मिर्च खाऊंगा।” लड़की ने हंसते हुये कहा। न्यूटन ने वैसा ही किया। इस पर लड़की ज़ोर-ज़ोर से हसने लगी।

कुछ देर बाद अपनी हसी कंट्रोल करते हुए बोली "साहिल आप सच मैं बहुत अच्छे इंसान हैं, कोई भी आपसे कुछ भी करवा सकता है। उसे बस ये शो करना होगा की वो नाराज है।”
"मतलब क्या हुआ इस्का" न्यूटन ने हंसते हुए कहा।

"कुछ खास नहीं, बस ये समाज लिजिये मैं आपकी इतनी डेर से टांग खिच रही थी।" लड़की ने हंसते हुऐ कहा।
"मतलब आप मुझसे नराज नहीं थी।" न्यूटन ने हेयरानी से कहां
“थी पर इतनी भी नहीं। अब हम जिसको दिल और जान से मोहब्बत करते हैं, उससे नाराज़ कैसे रह सकते हैं। बस आपको थोड़ा बहुत जला रही थी। और आप से अपने नाज़ उठवा रही थी।” लड़की ने मजे से कहा।

"आपको अंदाज भी है, की आपके इस खेल में मेरी जान पे बन आई थी।" न्यूटन ने कहा
"माफ कर दिजिये साहिल, बस जरा ज्यादा खिच गया ड्रामा, पर सच बताये मजा आया ना!" लड़की बोली
"हां, बड़ा मजा आया, पर दोबारा नहीं बेवकूफ बनूंगा मैं।" न्यूटन बोला
लड़की फिर खिलखिला के हसने लगी। अब न्यूटन भी अपने को रोक नहीं पाया। वो भी खिलखिला के हसने लगा।
कुछ देर बाद न्यूटन बोला "अछा तो अब हम दोनो के बीच कोई गिला शिकवा नहीं है, तो क्या अब हम दो दोस्त बन सकते हैं।"

"हां, बिलकुल और इसी खुशी मैं चलिये 2-4 मिर्च और खा लिजिये" लड़की हंसते हुए कहा
"तुम बच के रहना, तुमको भी खिलवाउंगा मैं, बस मिल जाओ एक बार।" न्यूटन बोला।

"तब तो हम आपसे कभी नहीं मिलेंगे" लड़की ने मजे में कहां?
"देखता हूं, कैसे नहीं मिलोगी" न्यूटन बोला
“खैर मैं अब फोन रखती हूं, आपसे दोबारा बात होगी ही जल्दी ही। काम करना है थोड़ा।" लड़की ने कहो
"अच्छा ठीक है। मैं भी थोड़ा आराम कर लेता हूं।" न्यूटन बोला।

फिर कॉल डिस्कनेक्ट हो गई। एक मिनट के बाद उसके मोबाइल पे एक संदेश आया


"साहिल और सोनी की दोस्ती का आगाज करने के लिए
आपका शुक्रिया। -आपकी सोनी।"



To be continued
in 43th Part