Teri Chahat Main - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

तेरी चाहत मैं - 3

वो लोग कुछ ही दूर आगे चले थे कि रास्ते में विक्रम अपने कुछ साथियो के साथ वहां आकर खड़ा हो जाता है। और अजय का रास्ता रोक लेता है। उसके साथ वहां पर रिया भी थी। न्यूटन और अरसलान आगे बढ़ने लगे तो उतने में विक्रम बोला, “क्या भाई कहां चले जा रहे हो? ज़रा हमसे भी तो मिलते जाओ। सुबह तो आप बड़ी ऊंची आवाज में बात कर रहे थे, अब क्या हुआ?”

अजय बोला “सुबह मैंने गलत फ़हमी दूर कर दी थी बस। और मैं बातों को तूल नहीं देना चाहता। इसलिए आप सब हमारा रास्ता छोड़िए और हमें अपने रास्ते जाने दीजिए।”

रिया “गलत फहमी तो हम तुम्हारी दूर करेंगे। सुबह बड़े होशियार बन रहे थे न क्लास में तुम। किसने तुमसे कहा था कि तुम टीचर के सवाल का जवाब दो। तुम्हारे जवाब देने से मेरी कितनी बेइज्जती हो गई है।”

अजय बोला “ओह मैडम मुझे जो पता होगा वह मैं बोलूंगा। इसके लिए मुझे किसी से इजाज़त लेने की कोई ज़रूरत नहीं है और दूसरी बात मैं यहां पर पढ़ने के लिए आया हूं। वह तो करूंगा। अब इससे आप की इंसल्ट हो तो मैं इसमें कुछ भी नहीं कर सकता।”

इसपर न्यूटन बोला “देखो विक्रम अजय यहां पर किसी से लड़ने झगड़ने के लिए नहीं, बल्की पढ़ाई करने के लिए आया है। और तुम बिला वजह बात का बतंगड़ बना रहे हो। जो तुम कर रहे हो वह बिल्कुल ठीक नहीं है।”

इसपर रिया बोली “ओह आते ही चमचे भी बना लिए तुमने। हां छोटे लोगों को छोटे लोग जल्दी मिल जाते हैं। और फिर ग्रुप भी बना लेते हैं। क्यों विक्की ! सही कहा ना मैंने।”

इसपर विक्रम और उसके साथी सब मिलकर ज़ोर-ज़ोर से हसने लगे। फ़िर विक्रम बोला “क्यूं बे साहिल, तेरे बहुत चरबी चढ़ गई है। लगता है तेरी सारी चर्बी उतारनी पड़ेगी। अभी बताता हूं मैं तुझे। इस नमूने से पहले हम तेरे को ही सीधा करते हैं।”

विक्रम ने उसे मारने के लिए अपना हाथ साहिल की तरफ उठाया, पर एक दसरे हाथ ने उसे रोक लिया और अपनी गिरफ्त में ले कर मोड़ दिया। विक्रम ने हाथ के मलिक को देखा, तो इतने में गुर्रा कर बोला, “तेरी ये हिम्मत…।”

विक्रम के साथी भी उसी तरफ बढ़े, तो अजय गुर्रा कर बोला, “अगर किसी ने मुझे या साहिल को हाथ भी लगाया, तो इस कार्टून का हाथ ऐसा तोड़ूंगा कि दुनिया का कोई भी डॉक्टर इसका हाथ नहीं जोड़ पाएगा। और तुम में से जो भी मुझे पहले हाथ लगाएगा, उसका तो मैं पूरा जियोग्राफिया ही बदल कर रख दूंगा। चुप चाप यहां से भागो तुम लोग। वरना इसका हाथ आज शहीद हुआ।”

विक्रम दर्द से तड़पने लगा। अजय के तेवर देख कर उसके दोस्तों की भी हिम्मत जवाब दे गई।

वो सब अजय के गुस्से को देखकर डर कर वहां से भाग लिए। रिया बस वहां पर खड़ी रह गई। अजय ने विक्रम को एक तरफ़ किया। फिर साहिल से कहा “चलो साहिल, ये बड़े लोग हम लोगों की तरह खाने में अनाज, सब्जी और गोश्त नहीं खाते, ये ब्रेड बटर के बने हुए लोग हैं, और सिर्फ झुंड में ही रहते हैं। अकेले इनके बस का कुछ भी नहीं होता।

फिर वो रिया से मुखातिब हुआ “मैडम बिना वजह चीजो को तूल न दीजिए। मैं यहां लड़ने के लिए नहीं आया हूं। और हां एक और बात इंसान छोटा या बड़ा अपने कर्म से होता है। फाइनेंशियल स्टेटस से नहीं। आपका कार्टून नीचे पड़ा काफी देर से ज़मीन सूंघ रहा है। आप उसे देखिये।”

इतना कह कर वो दोनो, हॉस्टल की तरफ चल पड़े। रिया उसे ज़हर बुझी निगाहों से घूरती रही।


To be continued in 4th Part

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