तेरी चाहत मैं - 5 Devika Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तेरी चाहत मैं - 5

क्लास में सब बैठे थे कि मिस्टर शर्मा दाखिल हुए। मिस्टर शर्मा ने क्लास को देखा। अजय के साथ न्यूटन बैठा था। मिस्टर शर्मा बोले “रिया अपनी जगह से उठो, और अजय के पास बैठो। यहां सामने बैठोगी तो नजर में रहोगी। न्यूटन तुम जरा, राज के साथ बैठो।”

रिया न चाहते हुए भी अरसलान के पास बैठ गई। अजय ने उसकी तरफ देखा तक नहीं। पर रिया उसे खा जाने वाली नजरों से देख रही थी। अजय ने पूरी क्लास में उसपर तवज्जो ना दी, जब क्लास खत्म हुई। अगली टीचर मिस रूबी दूर पर आ गई। मिस्टर शर्मा ने मिस रूबी को ग्रीट किया और कहा “आइए मैडम, माफ़ी चाहता हूं कि क्लास थोड़ी लंबी खिंच गई।”

मिस रूबी बोली “अरे नहीं सर, कोई बात नहीं, वैसे कैसी गई आपकी क्लास, सब पुराने स्टूडेंट्स है या कुछ नए भी हैं।”

“जी सिर्फ़ एक लड़का नया है, काफ़ी होनहार है। मुझे उम्मीद है कि अच्छा करेगा, वैसे मैंने रिया को आज उसके साथ बैठा दिया है, ताकि वह अपने पुराने दोस्तों के साथ मिलकर क्लास में सिर्फ मस्ती न करती रहे।” मिस्टर शर्मा ने जवाब दिया।

मिस रूबी बोली “आपने बिल्कुल सही फरमाया। मैं खुद इससे और कुछ स्टूडेंट्स से परेशान हूं।”

फिर वह अंदर आ गई। रिया उठकर अपनी जगह जाने को हुई तो मिस रूबी ने उसे रोका और कहा “रिया तुम यहीं बैठो।”रिया फिर मन मारकर बैठ गई।

मिस रूबी क्लास से मुखातिब हुई, “मैं आपको इंडस्ट्रियल आर्ट्स का मॉड्यूल पढ़ाऊंगी। यह मॉड्यूल बहुत इंट्रेस्टिंग होता है। जब आगे चल कर आप लोग बड़े बड़े प्रोजेक्ट्स करेंगे तो आपके काफ़ी काम आएगा, जो आपने यहाँ सीखा। लेकिन आज क्योंकि यह पहली क्लास है, तो मैं कोर्स से हट कर आप को एक वर्क देती हूं। आप सब एक ऐसी तस्वीर बनाइए जो आपके दिल के करीब हो। कुछ ऐसा जो आप शिद्दत से पाना चाहते हो। शुरू हो जाइए।”

पूरी क्लास काम में लग गई। सब कुछ न कुछ बनाने लगे। थोड़ी देर बाद मिस रूबी ने कहा “देखा जाए की आप सब ने क्या बनाया है। वह न्यूटन के पास गई, तो न्यूटन ने अपने आपको बड़े से घर के आगे खड़ा किया हुआ था। फिर रोहित की पेंटिंग में वह एट पैक एब्स बनाए हुए था। इस तरह वह एक एक करके सबकी आर्ट्स देखती हुई रिया के पास आई। रिया की पेंटिंग में एक सीनरी थी जो कि अधूरी थी। फिर उन्होंने अजय से पेंटिंग मांगी।

अजय ने अपनी पेंटिंग में रंग नहीं भरे थे। सिर्फ पेंसिल से एक मां-बाप और बेटे को पोर्ट्रे किया था, मां-बाप का चेहरा खाली था। सिर्फ खाका था। बेटे के चेहरे पर मुस्कान थी।

मिस रूबी बोली “यह क्या बनाया है तुमने?” तो अजय ने कहा, मैम “आपने कहा था कि जो मैं शिद्दत से चाहता हूं, वह पोर्ट्रे करूं। मैं यही चाहता हूं। अपने मां बाप की गोद में बैठा हूं। इन पलों को चाहता हूं मैं।”

इस पर रिया बीच में बोली “तो जाओ और बैठो न अपने घर पर, यहां पेंटिंग किस लिए बना डाली।” और वह ज़ोर ज़ोर से हसने लगी। साथ में उसके दूसरे साथी भी हसने लगे।

मिस रूबी ने सबको डांट कर चुप किया, और अजय से बोली “पर आप तो बचपन में खूब खेले होंगे, आप अभी भी यही करना चाहते हैं?”

अजय ने बड़ी संजीदगी से जवाब दिया “मेरे मां और बाप एक एक्सीडेंट में गुजर गए। इसलिए मेरा यह अरमान अच्छे से पूरा नहीं हुआ।”

मिस रूबी काफी संजीदगी से बोली “ओह आई एम सॉरी अजय। मुझे पता नहीं था, प्लीज दिल पे मत लेना।”

अजय बोला “अरे कोई बात नहीं मैम, आपने जान कर नहीं किया। ना ही मेरे अरमानों का मज़ाक बनाया।” यह कहते हुए उसने रिया और विक्रम को देखा। कशिश चुप चाप सिर नीचे करके बैठ गई।

फिर मिस रूबी बोली “अच्छा यह बताओ कि आपने अपने मां-बाप के चेहरे क्यों नहीं बनाए? “

इस पर अजय ने जवाब दिया “क्योंकि मैंने उनको सही से देखा ही नहीं था। मैं उनको पहचान पाता उससे पहले ही वो जा चुके थे। मैं एक साल का भी नहीं था, जब ये हादसा हुआ।”

इतना कहकर अजय चुप हो गया, मिस रूबी को भी कुछ ना सूझा। तभी क्लास ओवर हो गई और सब बाहर चले गए। मिस रूबी अजय को देखती रही। फिर वह भी उसके दोस्तों के पीछे चली गई।

गैलरी में अजय को उसके दोस्त घेरे हुए थे। वह ज़बरदस्ती मुस्कुरा रहा था। तभी मिस रूबी ने उनके पास आकर अजय को आवाज दी। सब उठकर उनके पास चले गए। फिर वह बोली “अजय, मैं तुम्हारा दिल नहीं दुखाना चाहती थी, असल में सब अनजाने में हो गया। जो हुआ उसे याद करके परेशान न हो।”

अजय बोला “मैम आप मुझसे माफ़ी मांगकर मुझे शर्मिंदा ना करिए। आप मुझसे बड़ी हैं।”

इस पर राज बोला “भाई तुम अपने को अकेला न समझना। यहां जितने भी लोग खड़े हैं, मैं गारंटी लेता हूं, सब तेरी फैमिली हैं। तू दिल छोटा ना कर, और रही गोद में बैठने की बात तो आ मैं तुझे बिठा लेता हूं। कर ले अरमान पूरे।”

सब लोग खिलखिला के हसने लगे। अजय भी हंसे बिना न रह पाया।

फिर हिना बोली “अच्छा रूबी आपा, आप कब बुला रही हैं हम लोगो को अपने घर। कसम से आपके हाथ की चाय और पकोड़ियां खाने का बड़ा दिल कर रहा है।”

रूबी बोली “आज ही आ जाओ शाम को। अजय तुम भी आना।”

अजय बोला “जी मैम आऊंगा।”

रूबी बोली “मैम मैं क्लास में होती हूं। ऐसे तुम्हारे सारे दोस्त मुझे दीदी या आपा कहते हैं। तुम भी अगर यही कहो तो मुझे अच्छा लगेगा।”

अजय बोला “जी रूबी आपा।”

फिर रूबी वहां से चली गई और वह सब लाइब्रेरी चले गए।

To be continued in 6th Part