अजय को जब होश आया तो उसने अपने आपको हॉस्पिटल में पाया उसका सर दर्द से फटा जा रहा था। जगह-जगह छोटे लगी थी। जिससे दर्द काफ़ी हो रहा था। उसने इधर-उधर देखा तो उसके बगल में कोई नहीं था। उसने उठने की कोशिश की तो दरवाजे से रूबी आपा को अंदर आते हुए उसने देखा।
"अजय उठना नहीं, डॉक्टर ने तुम्हारे उठने से मना किया है।" रूबी ने उसे लेटाते हुए कहा।
“अल्लाह का शुक्र है की तुमको होश आया। पूरे दो दिन बाद तुम्हे होश आया है तुम्हे।" रूबी ने कहा।
अजय "रूबी आपा मुझे यहां कौन लेकर आया?"
रूबी ने जवाब दिया "न्यूटन को तुम मिले थे। वही तुमको यहां लाया था। बाकी भी साथ ही हैं। मैं उन सब को बुलाती हूं। जब से तुम यहां आए हो, सब यहीं है। कोई भी घर नहीं गया।"
कुछ डर मैं राज, रोहित, न्यूटन, हीना और सना उसे घर बैठे थे।
राज बोला "यार क्या हुआ था, तेरी इतनी बुरी हलत कैसे हुई?"
पता नहीं यार अंधा था, अचानक गाड़ी ने टक्कर मारी। फिर मैं रोड के किनारे गिरा, एक कांच का टुकड़ा सर से टकरा गया।" अजय साफ झूठ बोल गया।
"कार किसकी थी, कोई नंबर वेगेरा देखा?" रोहित ने पुछा।
"नहीं यार" अजय ने फिर झूठ बोला।
इसपर हीना बोली "क्या तुम लोग भी क्या सवाल जवाब करने लगे हैं। अजय को अभी होश आया है, अभी वो कामजोर है, अल्लाह का शुक्र अदा करो।”
"और नहीं तो क्या सब जेम्स बॉन्ड बने लगे है।" सना बोली।
तब रूबी बोली "अच्छा अब तुम लोग घर जाओ, दो दिनों से यही हो। अब तो अजय को होश आ गया है। घर जा कर थोड़ा फ्रेश हो लो। कुछ खा के आ जाओ। तब तक मैं यहां हूं। और हां अब कोई एक या दो लोग ही यहां रुकेंगे। कौन ये तुम लोग तय कर लो।”
“ओके अजय हम लोग थोड़ी देर में आते हैं, तुझे कुछ खाने पीने का दिल हो तो बता दे। लेता आऊंगा।" रोहित बोला.
अजय बोला "नहीं यार कुछ दिल नहीं कर रहा, तुम लोग जाओ, काफ़ी थके हुए हो मेरी वजह से।"
"यार तुम इतना तक्लुफ ना किया करो।" हीना ने बोला, तो सब जल्दबाजी में बहार चले गए।
तभी डॉक्टर ने आ कर अजय को कुछ इंजेक्शन दिए और बताया की इसे उसका दर्द इससे काफी कम हो जाएगा।
डॉक्टर के जाने के बाद अजय बोला "आप भी जाएं, आप भी काफी थक गई हैं। इंजेक्शन से मुझे काफी आराम है।"
"इनमे से किसी को वापस तो आने दो।" रूबी ने कहा।
"आपा मैं ठीक हूं। कोई बात होगी तो नर्स को बुला लूंगा। आप परेशान ना होइए।”
अभी अजय कह ही रहा था की मिस्टर शर्मा और मुकेश रॉय रिया के डैड अंदर दाखिल हुए।
"कैसे हो अजय?" मुकेश रॉय ने पुछा।
अजय ने कहा "ठीक हूं सर।"
मिस्टर शर्मा बोले "भगवान का धन्यवाद जो तुम सही हो। हम सब तो घबरा ही गए जब तुम्हारे बारे में सुना। शाम को जैसे ही मैं घर पहुचा वैसे ही यहा आ गया। अब राहत मिली की तुम ठीक हो।”
"हां, जैसे ही मिस्टर शर्मा से पता चला हम भी आ गए। अब कैसा लग रहा है।" मुकेश रॉय बोले
अजय बोला "काफ़ी बेहतर लग रहा है। डॉक्टर जाने के लिए बाकी।”
"कैसे हो अजय?" उस आवाज़ की तरफ़ अजय ने देखा। तो सामने वो ज़ालिम खडी थी, अपने हसीन शफ़ाक़ चेरे पर कातिल मुस्कुराहट लिए। और हाथ मैं एक फूल का गुलदास्ता लिए।
अजय ने जज़्बात के साथ जवाब दिया "बस ठीक हूं। आप यहाँ कैसे?"
रिया बोली "कमाल करते हो अजय, हम एक साथ एक ही क्लास मैं पढ़ते हैं। मेरा इतना हक तो है ना आप पर। देखो क्या हाल हुआ है तुम्हारा। अपना ख्याल रखा करो।"
मुकेश रॉय बोले "वैसे अजय बेटा क्या हुआ था?"
जवाब मैं अजय ने वही जवाब दिया जो उसे बाकीयो को दिया था।
जवाब सुन कर रिया के होठों पर मुस्कानाहाट खिल गई। अजय उसके सुर्ख होंटो पर हमें जहरीली मुस्कुराहट को देख कर मुस्कुरा पड़ा।
"अछा तो अजय हम लोग चलते हैं, अपना ख्याल रखना।" श्री शर्मा बोले।
“रूबी आप आप भी जाए। मैं ठीक हूं।" अजय ने कहा।
अच्छा ठीक है, अगर कोई बात हो तो फोन करना।” रूबी ने कहा। फिर वो सब चलने लगे।
तबी मुकेश रॉय बोले। “रिया, अजय के पास एक ग्लास मैं पानी निकल कर रख दो। और हां जरा काउंटर से जा कर एक जूस का पैकेट लेकर रख दो। हम आपका गाड़ी मैं इंतजार करते हैं।"
रिया ना चाहते हुए भी काउंटर की तरफ चली गई। फिर जब वो लौटी तो अजय अकेला था।
उसने पानी रखा और जूस का पैकेट रखा।
अजय बोला "अच्छा लग रहा है, तुमसे खिदमत करवाते हुए।"
रिया ने उसे घूर कर देखा। अजय मुस्कुरा पडा।
रिया जाने लगी तो अजय बोला "जूस लाई हो तो एक गिलास पिला भी देती तो सही रहता।"
रिया ने जल भुन कर एक गिलास जूस निकल कर उसे देते हुए बोली "मेरा बस चले तो तुम्हें जहर पिला देती।"
अजय ने ग्लास पकड़ते हुए हुए कहा “तुम्हारे हाथ लगाने से तो ये ऐसे ही जहर हो गया है। कोई और पिता तो तड़प कर मार जाता। वो तो मैं सख्त जान हूं इसी लिए बच गया। वैसा क्या देखने आई थी की कहीं कोई कसर तो नहीं छुटी।"
रिया बोली "अच्छा किया की जो तुमने किसी को सच नहीं बताया। लगता है अपना अंजाम देख कर समझ जल्दी ही आ गई। वर्ना बेकार मैं दोबारा यहां पडे होते हैं।"
अजय ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया
"रिया मुझे पता चला है की जिस बोतल से तुम ने मुझे मारा था वो पुलिस को मिल गई। और वो उसके फिंगरप्रिंट मिला रहे हैं। कुछ लोगों के बयान से तुम्हारा भी नाम शक के दयारे मैं हैं। अब मैं बोलूं या ना बोलूं, पुलिस से तुमसे मिलेगी ही। तो अजय के पास जाने की तयारी कर लो।”
कशिश के चेहरे का रंग बदल गया वो बोली "ये..ये सच नहीं है।"
अजय ने इतमीनान से जूस पीटे हुए कहा “क्यों नहीं हो सकता। गुनाह छुपता तो है नहीं। वैसा अब पता नहीं कब तुमसे मिलना हो, लेकिन जेल मैं जरूर आउंगा। "हम एक साथ एक ही क्लास मैं पढ़ते हैं। मेरा इतना हक तो है ना तुम पर वैसे इस अनार के जूस के लिए शुक्रिया। बिलकुल सुर्ख है खून की तरह "
रिया की हलत खराब थी। वो बोली "अजय क्या सच मैं पुलिस मुझे ले जाएगी?"
“हां, इसमे नई बात क्या है, अटेंप टू मर्डर का केस बनेगा। कम से कम 10 साल।”
रिया और परेशान हो गई। तब अजय बोला "तुम्हे पता है मैंने असल में क्यों नहीं बोला की ये सब तुमने किया है, क्यों की तुम एक बुजदिल हो और बुजदिल लोगो की सजा तो खुद उनका खौफ होता है। तुमको तो वैसे ही इतना खौफ है, फिर और क्या सजा मिलती तुम्हें। जाओ मैंने अभी जो कुछ कहा सब झूठ है। कुछ नहीं होने वाला।”
रिया गुर्रा कर आगे बड़ी "मैं तुम्हारा खून पी जाऊंगी अजय।"
ये कह कर वो आगे बड़ी तो लड़खड़ा के अजय के ऊपर जा गिरी। अजय ने उसे रोका। उसके घने बालो मैं महक थी। खूबसूरत चेहरा जो गुस्से से लाल हो गया था। सुर्ख होंठ जो उसके अजय के काफ़ी पास था। दोनो की सांस एक दुसरे के चेहरे से टकराने लगी। पहली बार अजय ने उसकी खूबसुरती को निहारा। उसकी झील जैसी आंखें मैं देखते हुए बोला "अब क्या सच मैं मेरा खून पीना है। किसी ने देख लिया तो क्या समझेंगे। यही की तुमको इतना भी सबर नहीं है। अब मैं ज़्यादा देर तुम्हे नहीं बरदाश्त कर सकता। अगर कहीं मैं दर्द से चीख पड़ा तो इस बार तुम पक्का फसोगी।”
रिया हड़बडा के अलग हुई और बोली "निहायत बदतमीज शक्स हो तुम। तुम्हें देख लुंगी मैं।" रिया पलट कर जाने लगी।
अजय ने हंसते हुए बोला। “कल फिर आना। हो सके तो एक जूस का पैकेट लेटी आना। साथ मैं अपने घर से कुछ पका के भी आना। साथ मिल कर खायेंगे । "
कशिश उसे घुरते हुए कामरे से निकल गई। गुस्से से उसका चेहरा सुर्ख हो गया था। उसे अजय पर तेज गुसा आ रहा था।
अजय ने फिर हंसते हुए कहा
"जालिम पलट कर आना जरूर।" फ़िर रिया नहीं रुकी।
To be continued
in 12th part