तेरी चाहत मैं - 41 Devika Singh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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तेरी चाहत मैं - 41


"आओ - आओ अजय, बैठो, असल मैं एक बहुत ही जरूरी काम आ गया था। इसी लिए तुमको इस वक्त बुला लिया। प्रोजेक्ट के सिलसिला मैं कुछ जरूरी राय लेनी थी। मोहित और सिमरन भी आते होंगे। तुम चाय लोग या कॉफी।"
"कुछ भी चलेगा सर।" अजय ने जवाब दिया। कुछ देर में मोहित और सिमरन भी आ गए। फिर काफ़ी देर बात चीट होती रही प्रोजेक्ट के बारे में। जब सब कुछ चर्चा हो गया तो मुकेश रॉय बोले, "अब खाना यहीं खा लो तुम सब।"
थैंक्स सर, लेकिन आपको तो पता है कल मैं नहीं आ रहा हूं, लीव पे हूं, वाइफ के साथ जाना है। आज रात की फ्लाइट है तो मैं आपकी इजाज़त लुंगा। कुछ पैकिंग भी करनी है। मोहित ने जवाब दिया।

"सर कल आप नहीं आयेंगे?" अजय ने पूछा
“हां अजय, असल मैं एक दम से निकल आया। वाइफ की तरफ फंक्शन है।" मोहित ने बताया।
"तो सर एक जरूरी बात है, जो मुझे आपको बतानी थी, अगर आपके पास टाइम हो तो अभी ही बता देता हूं। मैं तो कल आप दोनो को बताना चाहता था।” अजय बोला.
"हां - हां बताओ। क्या बात है।" मोहित बोला.
"सर इज प्रोजेक्ट के सिलसिले मैं आपने मुझे अपनी और दूसरी कंपनीज के प्रोजेक्ट्स स्टडी करने को कहा था। आपने एक्सेस भी दिया था।” अजय ने बताना शुरू किया।
"हां सही है। तुमको अकाउंट्स और बजट डिसाइड करना मेन हेल्प के लिए पुराने प्रोजेक्ट्स हेल्पफुल थे। मोहित ने कहा तो अजय बोला "जी सर असल मैं जब मैं कुछ खाते चेक कर रहा था तब मुझे ये पता चला की हमने काई प्रोजेक्ट्स मैं समान खरीदा तो है पर काफ़ी ज्यादा प्राइस देकर। जैसे की हमारी कंपनी ने पिछले साल दो बड़े प्रोजेक्ट किए थे। एक प्रोजेक्ट मैं जो इक्विपमेंट हमने अच्छे मैं खरीदा वही इक्विपमेंट हमने दसरे डीलर से दुसरे प्रोजेक्ट में तीन गुना दाम दे के खरीदा है। ऐसा एक नहीं काई बार हुआ है, और ये सिर्फ मैंने पिछले पांच साल के आंकड़े देखे हैं। मुझे कुछ समझ नहीं आया। मैं पिछले दो दिनों से समझने की कोशिश कर रहा हूं।

“अजय तुमको जो समझना था वो तुम समझ गए हो। इसमे कोई दो राय नहीं की कोई ना कोई गड़बड़ हुई है।" मोहित ने अजय के लैपटॉप के स्क्रीन को देखते हुए कहा।
"मतलब बजट मैं गड़बड़ है मोहित।" मुकेश रॉय बोले
"सर 100 फ़ीसदी गड़बड़ है।" मोहित ने जवाब दिया।

"हम्म, जिन दोनो प्रोजेक्ट्स का बजट को अजय ने स्टडी किया है, वो किसने सुपरवाइज किया है।" मुकेश रॉय ने पूछा।
“सर मलाड वाला प्रोजेक्ट तो मैंने ही किया है। वर्सोवा का देखता हूं अभी।” मोहित विवरण देखने लगा।

"सर वो प्रोजेक्ट टू सिकंदर सर ने हैंडल किया था।" सिमरन एक दम से बोली।
"सिमरन तुमको पक्का पता है।" मुकेश रॉय बोले,
"सिमरन सही कह रही है, सारे परचेजस, उन्ही की ऑथराइजेशन पे हुवे है।" मोहित ने जवाब दिया।
"मलाड वाले प्रोजेक्ट की तुलना मैं वर्सोवा के प्रोजेक्ट्स के खरीद कितनी जायदा अंतर है। औसत अंतर बताओ।" मुकेश रॉय संजीदा होते जा रहे थे।
"सर लगभग 60% मेहँगे खरीदेंगे हुवे हैं।" मोहित ने जवाब दिया।
“और ये सिर्फ़ दो प्रोजेक्ट्स है वो भी पिचले पांच सालो के। अरसलान ने कुछ और प्रोजेक्ट भी ऐसे देखे हैं जिनमे कोई ना कोई गड़बड़ है। यानी अगर हम और पीछे जाएंगे तो शायद कुछ और भी मिल सकता है। और ये सब पता नहीं कब से चल रहा है।” मुकेश रॉय बोले
"सर इस्के लिए हमको बाकी रिकॉर्ड भी देखने पढेंगे।" मोहित ने जवाब दिया।
“खैर, इस बात का ख्याल रखना की इस बात का हम चारो के अलावा किसी को पता नहीं चलना चाहिए। मोहित तुम अभी जाओ, फंशन अटेंड करो। लेकिन टच मैं रहना, मैं चाहता हूं की अजय कुछ और रिकॉर्ड चेक करें। इस्से हमको ये पता चलेगा की गड़बड़ कौन कर रहा है। जब तुम मंडे को आओगे तो तुम उनसभी प्रोजेक्ट्स को चेक करना और पता लगाना की किस- किस शक्स ने गड़बड़ की है।”
“और अजय, आज फिर तुमने सबित कर दिया है कि क्यों तुम लोग से हमको और मोहित को इतनी उम्मीद है। सिमरन को अभी में शामिल हों किए साल भर भी नहीं हुआ और उसे ये पता है की कौन सा प्रोजेक्ट किसने किया था और तुम चीज को इतनी गौर से देखने लगे हो।” मुकेश रॉय बोले
"ओके सर, अब मैं चलता हूं, सिमरन को भी ड्रॉप करना है।" मोहित ने कहा और फिर दोनो बहार चले गए।
"अब मैं भी चलता हूं सर।" अजय बोला.
“बरखुरदार, तुमको किसी फंक्शन मैं तो जाना नहीं है, फिर तुम डिनर यहां क्यों नहीं कर लेते। हम तुमको ड्रॉप करवा देंगे।" मुकेश रॉय बोले
“असल मैं सर एक बात और थी, बुरा मत मनिएगा। पर आप मुझे लेने के लिए खास तौर पर किसी को ना भेजा किजिये। विशेष रूप से रिया को तो बिलकुल मत भेजा किजिये। "अजय ने कहा।
"क्यूं रिया ने कुछ कहा क्या!" मुकेश रॉय मुस्कुराते हुए बोले।
“नहीं, कुछ नहीं कहा। पर मुझे आफिस में शामिल हों किए अभी दिन ही कितने हुए हैं। बाकी सीनियर लोगों को अच्छा नहीं लगता है। और एंड ऑफ द डे रिया इस कंपनी में एक एंप्लॉयर हैं। बस सर अजीब लगता है।" अजय ने कहा।
मुकेश रॉय बोले "हम्म .. हम समझ गए क्या बात है। कोई बात नहीं। अगली बार हम इस बात का ख्याल रखेंगे। पर आज तो तुमको ड्रॉप करना पडेगा। बहार मौसम ठीक नहीं है। अब चलो डिनर कर लो। भूख तो लगी ही होगी।”

डिनर टेबल पर रिया पहले से मौजूद थी। अजय को देख कर उसे गुस्सा तो बहुत आया पर कंट्रोल कर गई। मुकेश रॉय ने खाते हुए पूछा “तो अजय, अब आगे क्या प्लान है। अब तो तुम्हारा डिजाइनिंग का कोर्स भी खतम हो गया है। क्या प्रोजेक्ट के बाद तुम कंपनी के परमानेंट एम्प्लॉय हो जाएंगे। फिर आगे क्या सोचा है।"
“आगे अभी नहीं सोचा सर। अभी तो सिरफ शुरुआत की है। अभी मंजिल दूर है।" अजय ने जवाब दिया।
"तो क्या मंजिल तक का सफर अकेले ही पुरा करोगे।" मुकेश रॉय बोले
"सर इंसान आता अकेला है जाता अकेला है। और मंजिल मेरी है तो रास्ते पे मुझे ही चलना होगा। अब कोई और थोड़े ही मेरे लिए रास्ता पार करेगा।" अजय बोला
“हां पर साथ चल तो सकता है। जहां तुम गिरो ​​वो संभाले जहां वो डगमगाए वहा तुम।" मुकेश बोले तो अजय ने कहा "सर मैं समझा नहीं आपकी बात।"
“शादी का पूछ रहा हूं। उसके बारे में क्या सोचा है तुमने।" मुकेश रॉय मुस्कुरा कर बोले।
"उसका अभी नहीं सोचा। कभी वक्त नहीं मिला। और मैं अभी अपने फ्यूचर को स्थिर करना चाहता हूं।" अजय ने जवाब दिया तो मुकेश रॉय बोले "देखो अजय, एक बात हमेशा ध्यान रखना हर चीज की जिंदगी मैं बराबर इंपोटेंस होती है, फ्यूचर को स्टेबल करना जरूरी है, इस्के साथ लाइफ को भी सेटल करना जरूरी है।" अजय, मुकेश रॉय की बात पर सिर्फ मुस्कुरा दिया।



To be continued
in 42th Part