में और मेरे अहसास - 66 Darshita Babubhai Shah द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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में और मेरे अहसास - 66

1.
जूठ की जिंदगी जिनी आती नहीं l
सच्च कहने की फ़ितरत जाती नहीं ll


2.
आशा की सिर्फ़ एक किरण है l
नाचो गाओ खुशी की सहर है ll

प्यारभरे पल जितने मिले जी l
प्यार बिना जिंदगी सिफर है ll

यकीन रखो बात पर जरा l
साहिल से मिलती लहर है ll

चराग़-ए-हौसला बना रहे l
हर लम्हा रहती नज़र है ll

चैन सुकून से जी रहे हो l
सच्ची चाहत का असर है
१९-१०-२०२२
3.
प्यार की तलाश में दर-ब-दर भटक रहे हैं l
जरा सा अंदाजा मिला और अटक रहे हैं ll

जब से मुहब्बत में चैन ओ सुकून मिला है l
तब से कीसी की आँखों में खटक रहे हैं ll

ड़रते है जिंदगी कशमकश में न निकले l
रस्मों रिवाजों के बंधन में लटक रहे हैं ll

कभी न बिछड़ के वादा किया था वो l
अपनी  ही बात से क्यूँ छटक रहे हैं ll

चार क़दम साथ साथ चले और वह l
सखी किसके डर से हाथ झटक रहे हैं ll
२०-१०-२०२२
4.
सब कुछ तेरा तो मेरा तू है l
क़ायनात में तू ही अपना है ll

सब कुछ पा लिया है और l
तूझे पाना आखरी सपना है ll

साथ तो चाहिए उम्रभर का l
तेरे बिना जिंदगी सहरा है ll

बहोत महफ़ूज़ समझते हैं l
तेरे दिल में आशियाना है ll

जो भी जीया है आजतक l
तेरे इंतजार में जीया है ll
२१-१०-२०२२


5.
हर्षो उल्लास है दिल में l
जान आई है महफिल में ll

रुक जाना नहीं चलते रहो l
मंजिल खड़ी साहिल में ll

पलकों की छाँव चाहिये l
नहीं रहना संगदिल में ll

हाथ और साथ रहेगे तो l
सुकूं मिलेगा मंज़िल में ll

रूबरू आकर चले न जाए l
सखी न रहेना गाफिल में ll
२२-१०-२०२२


6.
तौफ़ीक़ करके दिल चल पड़ा है l
नसीब आज़माने नीकल पड़ा है ll

बैखोफ होकर मुस्कुरा दो आज l
दुख का आफताब ढल पड़ा है ll

ज़माने की बंदिशों को तोड़के आए l
देखो आसमाँ भी पिघल पड़ा है ll

अगले इतवार को आएगें सुनकर l
दिल खुशी के मारे उछल पड़ा है ll

आँखों की गहराई में डूबकर सखी l
हुस्न की अंगड़ाई में मचल पड़ा है ll
२३-१०-२०२२

7.
दिल नये उमंग जगाने आई दिवाली l
हर्षो उल्लास जगाने आई दिवाली ll

दिल में चाहतों का दीप जलाओ l
सब को गले लगाने आई दिवाली ll
8.
मौसम के बदले मिजाज है l
बीच में आया हिजाब है ll

कस्मों को निभाकर अब l
चुकता करना हिसाब है ll

सब कुछ समज जाओगे l
पढ़ लो खुली किताब है ll

क्या छुपाना चाहते हो ?
क्यूँ चहेरे पर नकाब है ll

नशे से झूम उठोगे लो l
चखो पुरानी शराब है ll
२४-१०-२०२२
9.
खुशियां ले आई दीपावली घर के द्वार l
आज आंगन को सजाऊ फ़ूलों के हार ll

चेन सुकून और अमन लेजर आए रोज़ l
नया दिन नया साल सब को मुबारक ll

हर ख्वाइशे और सपने पूरे हो जाए l
आओ मिलकर करे उसका सत्कार ll

चलो नाचो गाओ झूमो मिलजुल आज l
फ़ूलों की बारिस से महकाए दिन रात ll

दीपोत्सव में आशा का दीप जलाकर l
क़ायनात में बांटे बटोरे लुटाएं प्यार ll
२५-१०-२०२२
10.
भाई दूज का पर्व है आया l
भाई बहन का स्नेह दर्शाता ll

भाई बहन के अटूट बंधन से l
रिसते को मजबूत बनाया ll

माथे पर तिलक लगाया l
भाई को गले से लगाया ll

भाई की लंबी उम्र के लिए l
बहन ने खुदा को मनाया ll

खुशियो के पावन पर्व को l
दोनों ने मिलकर सजाया ll

भाई दूज का पर्व है आया l
ढ़ेर सारी खुशियां लाया ll
२६-१०-२०२२  12:12
11.
दिल खुशी से बाग-बाग जब तुम आये l
नमी से भर गई है आंख जब तुम आये ll

कब से उदासी ओ ने डेरा डाला हुआ है l
दिन रात हो गये हैं ख़ास जब तुम आये ll

अंधारी अमावस सा आलम छाया था l
पूनम का निकला चांद जब तुम आये ll

सारी तमन्नाएं एक साथ पूरी हो गई l
आई मुरादों वाली रात जब तुम आये ll

बार बार दुआओं में बिनती की तब l
बिगड़ी बन गई बात जब तुम आये ll
२७-१०-२०२२
12.
आज थोड़ी सी ख़ुशी की तमन्ना की है l
खिलखिलाती हँसी की तमन्ना की है ll

सीनेमे कबसे ख्वाबों को संजोये रखा है l
ख्वाइशे मुक़म्मली की तमन्ना की है ll

रेजा रेजा करके साँसों को सम्भाला l
खुशहाल जिंदगी की तमन्ना की है ll

फ़क़त वक़्त ओ प्यार ही प्यार चाहिए l
नदिमों ओ हबीबी की तमन्ना की है ll

एतबार है खुदा देगा छप्पड़ फड़के l
दिल को तसल्ली की तमन्ना की है ll
२८-१०-२०२२
13.
महफिल में दर्द को सुनाना नहीं है l
ग़म के मारो को रुलाना नहीं है ll

कुछ हट कर सुनाएंगे ग़ज़ल आज l
सर शायरों का झुकाना नहीं है ll

दिल फेंक बिना बात के रूठ के l
जाने वालो को बुलाना नहीं है ll

नुमाइश नहीं करेगे हाले दिल  l
दर्द का खज़ाना लुटाना नहीं है ll

कुछ न कुछ तो लोग कहेंगे अब l
दिल को ज्यादा दुखाना नहीं है ll
२९-१०-२०२२