दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 23 VARUN S. PATEL द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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दो पागल - कहानी सपने और प्यार की - 23

अंक २३ संजय सिंह VS रूहान 

     नमस्कार दोस्तों। आशा करता हु की आप सब ठीक ही होंगे। आज मे लेखक वरुण पटेल फिरसे हाजिर हु आप के बिच हमारी बहुत ही मजेदार कहानी दो पागल के एक और अंक के साथ लेकिन मेरी बिनती है आप सब लोगो से कि अगर आपने आगे के २२ अंको को नहीं पढा है तो सबसे पहले उन अंको को पढले ताकी आपको यह अंक अच्छे से  समझ आए।तो आइए शुरु करते है हमारी इस बहेतरीन नवलकथा के हार्ट-बिट वाले इस बहेतरीन अंक को ।

     आगे आपने देखा की केसे रुहान जीज्ञा को नाटक स्पर्धा मे आगे बढने के लिए मनाने की कोशिश करता है और जीज्ञा इसका कोई भी उत्तर दे उससे पहले जीज्ञा के होनेवाले पती का फोन आ जाता है और उसे संभालने के लिए जीज्ञा अपनी जगह से खडी होकर सभी दोस्तो से उठकर थोडी दुर चली जाती है और इस घटना से रुहान की हालत जो हुई होगी वो तो आप सायद जानते ही होंगे। 

     रुहान जीज्ञा के फोन मे उसके होनेवाले पती यानी जीज्ञा के मंगेतर का फोन देखकर अपना मु बिगाडता है और महावीर उसे आश्वासन देने के लिए अपना हाथ रुहान के कंधे के उपर रखता है और उसको अपने चहरे के हावभाव से बताता है की धीरज रख सब अच्छा होगा। थोडी देर बाद जीज्ञा वापस सब के साथ आकर बेठजाती है। 

     क्या हुआ कुछ काम था... रुहानने जानबुझकर नाटक करते हुए फोर्मालीटी के लिए कहा। 

     नहीं वो एसे ही फोन किया था कह रहा था की मुझे लगता है कि तुम दुनिया की सबसे अच्छी हाउसवाईफ बनोगी... जीज्ञाने अपना मु न खुशीवाला और न दुःखवाला हो एसा बनाकर कहा। 

     जीज्ञा की बात सुनकर महावीर हसने लगता है  लेकिन आसपास बेठे सभी दोस्त वातावरण की गंभीरता समझते हुए शांत ही थे और सभी महावीर की और देखने लगते हैं। सभी के गंभीर चहरे को देखकर महावीर चुप हो जाता है।

     इस पे नहीं हसना था ?... अपनी हसी पे फुलस्टोप लगाते हुए महावीरने कहा ।

     छोडना रुहान मुझे ही पता है कि बिना खुशी के अपनी सगाई के बाद के नतीजे क्या होते हैं... जीज्ञाने रुहान को अपनी परिस्थिति बताते हुए कहा ।

     तु वो सब छोड और प्लीज मेरा मान ले क्योकी हमारा दुसरा मुकाबला यानी सेमीफिनाले और अगर हम यह मुकाबला जीत गए तो हम मशहुर डिरेक्टर संजयसर के सामने अपना परफोर्मन्स दिखा सकते हैं और ज्यादा से ज्यादा क्या है दो ही तो मुकाबले है...रुहान के इतना बोलते ही संजयसिह होटल पे अपने दोस्तों के साथ पहुचता है और रुहान को बिच मे ही अटकाकर अपनी बकवास शुरु करता है। 

     दो मुकाबले तो ठीक है लेकिन उसको तीसरा मुकाबला खेलना है उसका क्या ...अपनी गंदी हसी के साथ संजयसिह ने कहा। 

     तु फिर आ गया अपनी भडवागीरी करने के लिए ...अपनी जगह पे खडे होते हुए और संजयसिह के एक दम सामने आकर बोलते हुए रुहानने कहा। 

     छोड देना रुहान। जाने दे उसको अब तु बडा हो गया है और बच्चो से लडा नही करते अगर उसके साथ कुछ करना है तो उसे चोकलेट, आइस्क्रीम एसा कुछ खीला वो बिचारा खुश हो जाएगा... संजयसिह की धजीया उडाते हुए महावीरने कहा। 

     महावीर की बातें सुनकर रुहान के सभी दोस्त हसने लगते हैं ।

     बोल ले बेटा तुम सबको मे एक दिन सबक सिखाउंगा और हा रुहान तु ना इसके पीछे इतनी मेहनत ना किया कर अब इसमे ना तो कुछ भी करने की ताकात है और ना तो यह तेरी होनेवाली है और स्पर्धा जीतना तुम लोगो के बस की बात नहीं है... संजयसिहने अपने मु पर सेतानो वाली हसी लाते हुए कहा।

     तो तु देख बेटा अब हम लोगो केसे इस नाटक स्पर्धा को तेरे सामने जीतते है और हा रही बात मेरे और रुहान की एक होने ना होने की तो वो हमारा पर्सनल मामला है और उस मामले को तुम ना ही छेडो तो ही अच्छा। चाचा इस बच्चे को एक आइस्क्रीम दो... जीज्ञाने सजंयसिह की बात का मु तोड जवाब देते हुए कहा। 

     उडलो जीतना उडना है उडलो अब बहुत हो गया सालो तुम सबको बरबाद करदुंगा...इतना बोलकर संजयसिह अपने दोस्तों के साथ चला जाता है ।

     संजयसिह के जाने के बाद। भाई जीसे भी यह नाटक करना है वो करे अब मे इसका हिस्सा नहीं हुं... जीज्ञा से नाराज होकर रुहानने कहा।

     अब तु क्यु बच्चा बन रहा है...महावीरने रुहान से सवाल करते हुए कहा। 

     साला कब से हम मना रहे हैं यह मान नहीं रही थी और संजयसिह के आने से एक दम से मान गई यह क्या बात हुई ...रुहानने जीज्ञा को पीठ दिखाते हुए कहा। 

     अरे यार तुम दोनो का अभी ज्यादा हो रहा है यह रुठना मनाना अब यह सब बंद करो और कुछ खाने के लिए मंगाउ वरना मे नाटक से पहले ही मरजाउंगा ...महावीरने रुहान और जीज्ञा से कहा। 

      हमने यह हा सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे भरोसे पे और तुम्हारे गुरुर को संजयसिह के सामने छोटा ना पड जाए इसलिए कि है और अब तुम भी रुठ जाओगे तो हम क्या करेंगे... अपनी मासुमीयत के साथ जीज्ञाने रुहान को मनाते हुए कहा। 

      ओह भाई तु खाना ला जल्दी  जीसको खाना हैं वो खाए बाकी भाड मे जाए 😂😂😂...महावीरने अपना बंदोबस्त करते हुए कहा। 

      तो कुछ इस तरह जीज्ञा फिरसे स्पर्धा मे हिस्सा लेने के लिए तैयार हो जाती है। एक हप्ता बितता है। नाटक स्पर्धा के दिन। सुबह ९:०० बजे का समय था रुहान, जीज्ञा और पुर्वी तीनो बरोडा टाउनहोल के पास वाले कोफी शोप पे इक्कठा होकर टेबल पे कोफी का , महावीर का और रवी का इंतजार कर रहे थे। वेइटर आता है और टेबल पर तीन कोफी रखता है। तीनो कोफी पीने की और संवाद दोनो की शुरुआत करते हैं ।

      बाकी के दोस्त टाउनहोल पहुच गए हैं अब सिर्फ रवी और महावीर का इंतजार है... रुहानने कोफी का पहला घुट पीते हुए कहा। 

      अरे हा वो दोनो अभी तक आए नही है और स्पर्धा को शुरु होने मे ज्यादा समय भी नहीं है...पुर्वीने रुहान और जीज्ञा से कहा। 

      अभी फोन लगाता हुं... अपना फोन अपनी जेब मे से निकालते हुए कहा। 

      रुहान जेसे अपना फोन निकालकर रवी को फोन लगाने के लिए जाता है तभी रवी का सामने से टेक्स मेसेज आता है ( मेसेज:- तुम लोग टाउनहोल पहुचो में और महावीर सीधे वही पर पहुचेंगे) 

      यह लो उनका ही मेसेज आया है... अपनी कोफी पीते हुए कहा। 

      क्या मेसेज है... जीज्ञाने रुहान को पुछते हुए कहा।

      कुछ नहीं वो लोग हमे सीधा टाउनहोल पे ही मीलेंगे... रुहानने अपनी कोफी पुरी करते हुए और अपनी जगह से खडे होते हुए कहा। 

      रुहान... थेन्कस तुम नहीं होते तो सायद इस समय मे अपने आपको इतना संभाल नहीं पाती...अपनी जगह से खडे होते रुहान को देखकर जीज्ञाने कहा। 

      तु फिर भी अपने आपको संभाल लेती। तुन्हे जो फेसला लिया है ना वो सिर्फ बाहदुर ही ले सकता है। मे बिल पे करके आता हुं... इतना बोलकर रुहान केसीयर के टेबल पर बिल पे करने के लिए चला जाता है और जीज्ञा अपनी कोफी को फिर से मु लगाती है । दोनो के अंदर बहुत कुछ चल रहा था लेकिन दोनो मे से एक भी अपने आसु गीराकर भी नहीं बताना चाहता था की कितनी तकलीफ है। 

      पुर्वी और जीज्ञा रीक्षा से और रुहान अपनी बुलेट बाईक लेकर बरोडा टाउनहोल पहुचता है जहा पे यह नाटकीय स्पर्धा हो रही थी और जीसका आज सेमी फाइनल मुकाबला था। तीन दोस्त पहुचकर टाउनहोल के पास इक्कठा होते हैं और तभी संजयसिह अकेला अपनी ओपन जीप लेकर पहुचता है और ठीक रुहान, जीज्ञा और पुर्वी के पास खडी करता है और सैतानोवाली हसी के साथ अपनी बातो की शुरुआत करता है। 

      केसी तैयारी चल रही है जीज्ञाजी...संजयसिहने मुस्कुराते हुए कहा। 

      जेसी भी चल रही हो तु अपना काम कर... जीज्ञाने संजयसिह से चिडते हुए कहा। 

      अरे मेडमजी आप इतना गुस्सा क्यु हो रही हो... संजयसिहने फिर से अपनी गंदी मुस्कुराहट दिखाते हुए कहा। 

      तुझे बार बार पीटवाने का शोख लग गया है क्या... रुहानने जीज्ञासे कहा। 

      मेरा तो पता नहीं लेकिन मे तुम दोनो को अब बिना हाथ लगाए पीटने की तैयारी मे जरुर हुं और मेरी बात पे भरोसा ना हो आगे भी मे आप दोनो को बिना हाथ लगाए राजनैतिक धुलाई दे चुका हुं और अगली बार भी तैयार रहेना क्योकी तुमने कोई ऐरे घेरे आदमी से पंगा नहीं लिया है तुमने संजयसिह से पंगा लिया है और संजयसिह से पंगा लेना मतलब अपनी दुनिया मे होते हुए भी गायब हो जाना। जय माताजी... इतना बोलकर अपनी कार का एक्सिलरेटर लगाकर संजयसिह आगे टाउनहोल के पार्किंग की और चल देता है। 

      साले एसे लोगो को या तो मार देना चाहिए या तो आजीवन जेल मे डाल देना चाहिए... पुर्वीने जीज्ञा और रुहान से कहा। 

      तुम दोनो अंदर जाकर टीम के बाकी लोगो को तैयार कर लो तब तक मे उन दोनो का यही इंतजार करता हुं। 

      ठीक है... बोलकर जीज्ञा और पुर्वी दोनो अंदर टाउनहोल मे चले जाते हैं। 

      रुहान बहार ही खडा रहकर दोनो का इंतजार करता है। अंदर प्रतियोगीता की शुरुआत होती है और अभी तक रवी और महावीर नहीं पहुचे थे लेकिन रुहान यह तय नहीं कर पा रहा था की दोनो इतना लेट क्यु हो रहे हैं। रुहान दोनो को फोन लगाता है लेकिन दोनो के फोन बंद आ रहे थे फिर रुहान अपने दुसरे दोस्तों को फोन लगता है लेकिन कही से रुहान को दोनो का पता नहीं मिलता इस वजह से रुहान थोडी सी चिंता मे आ जाता है और सोचने लगता है कि अगर दोनों नहीं आए तो इस नाटक को केसे करेंगे क्योकी उन की जगह इतनी जल्दी लाईव नाटक मे कोई हिस्सा नहीं ले सकता और अब अगर यह नाटक नहीं हुआ तो जीज्ञा की आखरी जगी आशा भी चुर हो जाएगी। रुहान इस सब सोच मे पडा ही था तभी पुर्वी बहार आती है और आते वक्त ही रुहान को सवाल करती है। 

      क्या हुआ रुहान वो दोनो कहा तक पहुचे...पुर्वीने रुहान से सवाल करते हुए कहा। 

      पहोचने की बात तो तब की जब उनसे कोन्टेक्ट हो सके दोनो मे से एक भी फोन नही उठा रहे हैं और ना तो मेसेज दे रहे हैं... रुहानने टाउनहोल के बहार इधर उधर चक्कर लगाते हुए कहा। 

      रुहान तु जानता है की अगर वो दोनो नहीं आए और यह नाटक नहीं हुआ तो उसकी असर जीज्ञा के उपर क्या हो सकती है ...पुर्वीने चिंता जताते हुए कहा। 

      जरुर जानता हु पर मुझसे जो हो रहा है वो मे कर रहा हु और आखरी समय तक मे एसी ही यह स्पर्धा जीज्ञा को या हमारी टीम को हारने नहीं दुंगा... रुहानने पुर्वी से कहा। 

      ठीक है मे अंदर जाकर जीज्ञा को समझाकर रखती हु तुम प्लीज़ जल्दी से उनको लेकर आओ... पुर्वी इतना बोलकर टाउनहोल के अंदर चली जाती है। 

      थोडी देर वही चक्कर लगाते हुए फिरसे रुहान अपने दोनो दोस्तो से संपर्क करने की कोशिश करता है लेकिन दोनो मे से कोई फोन नहीं उठा रहा था। 

      सालो कोई तो फोन उठा लो... रुहानने इधर उधर चक्कर लगाते हुए अपने आपसे कहा। 

      अंदर स्पर्धा की शुरुआत हो चुकी थी और सभी लोग अंदर अपनी अपनी जगह ले चुके थे और रुहान अभी भी अपनी बहार अपने दोस्तों का इंतजार कर रहा था और जीज्ञा और पुर्वी अंदर।

      इन्तहा हो गई तेरे इंतजार की, आई ना खबर मेरे यार की यह हमे है यकी बेवफा वो नहीं फिर वजह क्या हुई अभी तक न आने की... पीछे से रुहान को चिडाने के लिए गाना गाते हुए आते हुए संजयसिहने कहा। 

      सुना है गटर रास्ते के साईड मे से होकर गुजरती है तो आज मुझे रास्ते पे आते हुए क्यु दिख रही है... संजयसिह को उलटा चिडाते हुए रुहानने कहा। 

      गटर की चींता तु बाद मे कर लेना पहले तु अपने दोस्तों की और अपनी उस दोस्त जीज्ञा के सपने की चिंता कर वरना तु उसका छोटे लेवल पे भी सपना पुरा नही कर पाएगा... संजयसिहने रुहान की आखो मे आखे चौडी करते हुए कहा। 

      मेरी फिक्र मे करलुंगा तु अपनी कर और हा अगर मुझे पता चला कि इसमे तेरा कोई हाथ है तो तु इस शहर मे जेसे गटर साफ होती है वेसे मे तुझे साफ करदुंगा... संजयसिह को अपनी और से धमकाने हुए रुहानने कहा। 

      अबे तु अपने दोस्तों को तो ढुंड नहीं पा रहा है और मुझे साफ करने की बात कर रहा है। जा इसमे मेरा ही हाथ है तुझे जो उखाडना है उखाड ले। जय माताजी... इतना बोलकर रुहान पर हसते हुए संजयसिहने अंदर टाउनहोल मे जाते हुए कहा। 

      संजयसिह की बात सुनकर रुहान सोच मे पडजाता है क्योकी रुहान यह जानता है की संजयसिह कुछ भी गुंडागर्दी वाला काम कर सकता है और इस बात को लेकर रुहान किसी को फोन लगाता है और... 

     अब यह कहानी ज्यादा दिलचस्प होनेवाली है जब संजयसिह और जीज्ञा के पापा रंग मे भंग डालने का काम करेंगे और क्या रुहान इन सब के बिच क्या जीज्ञा को अपना बना पाएगा ? क्या इस नाटक स्पर्धा मे रुहान और उसकी टीम आगे बढ पाएगी या जीज्ञा फिर से अपनी और आती हुई हार देखेगी ? इन सबके बिच केसे होगी जीज्ञा रुहान की ? सवाल बहुत से है लेकिन उत्तर एक ही है की आप इस नवलकथा की वेब सीरीज के आनेवाले सारे अंको को पढते रहे और साथ ही साथ इस नवलकथा को अपने दोस्तों के साथ भी शेर करते रहे। 

TO BE CONTINUED NEXT PART 

|| जय श्री कृष्णा ||

|| जय कष्टभंजन दादा ||

A VARUN S PATEL STORY