अतीत के पन्ने - भाग 26 RACHNA ROY द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अतीत के पन्ने - भाग 26

आलेख ने कहा हां, ये है वो दुकान।।
फिर दोनों वहां पर काफी देर तक किताब देखने लगें पर जो किताबें खरीदनी थी वो नहीं मिला तो ।।
आलेख ने कहा ऐसा करते हैं कि मैं पापा को बोल देता हूं।।
पिया ने कहा हां ठीक है चलो अब।।
फिर वहां से दोनों निकल पड़े।
पिया ने इशारे से कहा अरे गोलगप्पे खाने है।।
आलेख ने कहा हां, ठीक है चलो फिर।
फिर दोनों एक दूसरे के साथ गोल गप्पा खाने लगे। आलेख ने पिया को खिलाया और फिर पिया ने भी आलेख को खिलाया।।
पिया ने उफ्फ तीखा है। चलो कुल्फी खाते हैं।। फिर दोनों ने मटका कुल्फी खाई।
पिया ने कहा अरे बाबा अब चलो काफी देर हो गई।
फिर दोनों वहां से बस स्टैंड पर इन्तजार करने लगे कुछ देर बाद ही बस आ गया और फिर दोनों चढ़ गए। पिया ने कहा ओह बस में बहुत भीड़ है।

आलेख ने कहा अरे बाबा तुम भी ना आओ मेरे पास।।
फिर आलेख ने पिया को अपनी ओर खींच लिया और फिर दोनों एक दूसरे को देखते रहे पिया थोड़ा सरमा गई थी।
आलेख ने कहा क्या हुआ अब , ठीक हो ना!
पिया ने कहा हां मैं ठीक हूं।
कुछ ही देर बाद दोनों बस से उतरकर जाने लगें।
आलेख ने कहा चलो मैं तुम्हें छोड़ देता हूं कुछ ज्यादा ही देर हो गया है।
पिया ने कहा हां, ठीक है।
फिर पैदल ही दोनों जाने लगें।।
पिया ने कहा अब इतना दूर आ गए हो तो रात का खाना खा कर जाओ।
आलेख ने खुश होकर कहा अरे वाह! तुम कैसे समझ जाती हो यार!
पिया ने कहा हर बात क्या समझाने की जरूरत होती है कुछ बातें ऐसी होती हैं जो खामोश रह कर भी समझी जा सकती है।
फिर पिया ने बेल बजाया और फिर जतिन ने दरवाजा खोला।
जतिन ने कहा आओ बेटा कैसे हो?
आलेख ने आगे बढ़ कर पैर छूएं और फिर बोला हां ठीक हुं।
फिर सब अन्दर पहुंच गए। पिया ने कहा जल्दी से फ्रेश होकर आ जाओ फिर सब मिलकर खाना खाते हैं।
फिर आलेख बाथरूम में चला गया और फिर हाथ मुंह धोकर आ गया।
पिया ने टेबल पर खाना लगा दिया।
आलेख आकर बैठ गए और फिर बोला अरे वाह क्या खुशबू है।।
जतिन ने कहा हां बेटा आज दम आलू और हींग की कचौड़ी बनाया है।
पिया ने गर्म गर्म कचौड़ी तल कर पापा को और आलेख को देने लगी। आलेख खाना खाते खाते अचानक आंख नम सी हो गई कि वही स्वाद, वहीं नपा तुला हाथ हींग की खुशबू में वही अपनापन महक उठा था।।
पिया भी समझ गई थी कि आलेख अपनी छोटी मां को याद कर रहा है।।
पिया ने कहा आलेख जानते हो तुम्हारी छोटी मां जब स्कूल में पढ़ाती थी तब हमेशा दम आलू और हींग की कचौड़ी बनाकर सबको खिलाया करती थी और फिर मेरे पापा हमेशा से खाने के शौकीन तो वो सीख लेते थे।।
आलेख ने कहा हां ठीक कहा तुमने वहीं स्वाद वहीं खुशबू।।
जतिन ने कहा हां, आलेख काव्या तो सर्व गुण संपन्न थी ।।पर उसके कद्र किसी ने नहीं किया तभी तो तुम आज भी याद कर रहे हो और आंसु भी निकल रहें हैं।।
आलेख ने कहा हां, ठीक कहा आपने अंकल छोटी मां हमेशा से प्यार के लिए तरसती रही, मेरे मुंह से वो मां शब्द सुनना चाहती थी पर मैं इतना खुदगर्ज और बदनसीब हुं कि कोई इच्छा पूरी न कर सका।।
पिया ने कहा अब बस करो, ये तो रबड़ी खा लो। नंथथू हलवाई के दुकान की।।
आलेख ने रबड़ी खा लिया और फिर बोला अच्छा अब चलता हूं।
पिया ने कहा हां,कल मिलते हैं।
फिर आलेख चला गया।
घर पहुंच कर ही आलोक का फोन आया और फिर आलोक ने कहा कि सारी किताबें तुम्हें दो दिन बाद मिल जाएगी।
आलेख ने कहा हां ठीक है पापा।।
आलोक ने कहा अरे क्या बात है आज आवाज में कुछ दम नहीं है?
आलेख ने कहा हां, थोड़ा सा थक गया हूं।
आलोक ने कहा हां, ठीक है सो जाओ।
फिर आलेख ने फोन रख दिया और फिर छाया से कहा कि वो खाना खा ले।
छाया ने कहा हां, ठीक है आप खा कर आएं हो।
आलेख ने कहा हां मैं अब सोने जा रहा हुं।कह कर ऊपर चला गया।।
फिर आलेख अपने रूम में इधर उधर घुमने लगा।।
फिर उसको छोटी मां की सब बातें याद आने लगी।।
सच मैंने छोटी मां को तकलीफ़ ही तो दिया और कुछ भी नहीं दे पाया।
फिर आलेख सीधे छोटी मां के कमरे में चला गया और उनकी अलमारी टटोलने लगा।
और आगे फिर वही डायरी निकाल लिया और वहीं बैठ गया और फिर डायरी पलटने लगा।
उसमें काव्या की लिखी हुई एक एक बात पढ़ने लगा और एक बच्चे की तरह फूट फूट कर रोने लगा। छोटी मां कहा हो बस एक बार बाबू को गले से लगा लिजिए बस और कुछ नहीं चाहिए मुझे।।
फिर कुछ देर बाद बादल फटने लगा मेध गर्जन होने लगा जैसे कि सच में बाबू ने अपनी छोटी मां को बुलाया तो सच छोटी मां आ गई हो। खिड़कियां सब खुल गई और फिर पानी बरसने लगा।।
बाबू को प्रतीत हुआ कि उसकी छोटी मां आ गई है और फिर एक पायल की झंकार छम,छम होने लगी और फिर बाबू एक दम से कह उठा छोटी मां अब जब आ गई हो तो बस मत जाना।।
एक मीठी सी आवाज़ आई। बाबू मैं तो तेरे पास ही आऊंगी रे।तेरे घर आंगन में खेलुगी।
और एक सन्नाटा छा गया।
फिर सुबह जब बाबू खुद को छोटी मां के कमरे में पाया तो फिर उस सब कुछ याद आ गया।।
फिर आलेख अपने कमरे में जाकर तैयार हो गया और फिर कालेज के लिए निकल पड़ा।
छाया ने कहा अरे आज भाई को क्या हुआ कुछ नाश्ता नहीं किए।।

बस स्टैंड पर इन्तजार करने लगा और फिर पिया आ गई।
पिया ने आलेख का चेहरा पढ़ लिया और फिर बोली चलो बस आ गई।
फिर दोनों बैठ गए पर आलेख कुछ भी नहीं बोला और चुप ही रहा।।
पिया ने कहा मैं पुछुगी नहीं कि क्या हुआ था?पर मैं जानती हूं तुम मुझे बताओगे।।

क्रमशः