भारत सोने की चिड़िया Arun Singla द्वारा क्लासिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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भारत सोने की चिड़िया

भारत सोने की चिड़िया

हिन्दुस्तान पहले सोने की चिडया था, यह कोई कपोल कल्पना नहीं, बल्कि ठोस हकीकत है. परन्तु हिन्दुस्तान हमेशा आपसी धर्म,जात-पात की लड़ाई व् गद्दारों के कारण, जब तब विदेशीयों द्वारा लुटता रहा.

इसकी अमीरी का यह आलम था की वर्ष 1739 में नादिर शाह भारत में केवल लूट-पाट के उदेश्य से आया था, कत्लेआम करवाना उसके जेहन में शायद न रहा होगा, परन्तु स्थितिगत उसने ये काम भी करवाया. उसने दिल्ली के एक छोटे से इलाके उमराह (omarah) में अपने  सोलिजेर्स को अमीर व्यापारियों के घरों में प्रवेश करने के लिए व् सब कुछ लूटने के लिए भेजा तो, उन्हें वहां सोने,चांदी और कीमती पत्थरों के इतने खजाने मिले कि,नादिर शाह ने तुरंत इरान में घोषणा करवा दी की अगले तीन वर्षों तक ईरानी जनता पर कोई कर नहीं लगाया जाएगा. यह तो विशाल हिन्दुस्तान के,एक शहर के, केवल एक छोटे से इलाके की संपदा थी. उसने लूटपाट के बाद सभी व्यापारियों के परिवार सहित मोट के घाट उतर दिया.

नादिर शाह ने अनुमान लगाया अगर एक छोटे से इलाके से इतनी संपदा मिल सकती है तो भारत में ना जाने और कितनी संपदा छुपी है, इसलिए उसने अपने मंत्रियों को कहा की वे भारतीय गद्दारों से सम्पर्क करें व् पता लगायें की कहां-कहां और संपदा छुपाई गई है.

और शनिवार, 5 मई 1739 को, नादिर शाह को सूचित किया गया कि मुगल शाही परिवार के कब्जे में दो बहुत कीमती चीजें थीं, एक ठोस सोने, हीरों, रूबी, माणिक और पन्नों से जडित, तख्त-ए-ताओस (मयूर सिंहासन) था. इसकी कीमत उस समय 1739 में नौ करोड़ रुपये आंकी गई थी. दुसरा था हीरा, कोहनूर, Koh-i-Noor (theMountain of Light), जो की एक कबूतर के अंडे के आकर का था, और बताया गया, उस समय में इसकी कीमत सारी दुनिया की सात दिनों की इनकम के बराबर थी.

इस सुचना से नादिर शाह भोच्चका रह गया, और उसने मुगल शाही परिवार से दोनों कीमती वस्तुएं तख्त-ए-ताओस व् कोहनूर हीरा हासिल कर लिया .

सोचो सारे हिन्दुस्तान में कितनी संपदा होगी, तभी महमूद ग़ज़नवी ने हिन्दुस्तान पर 17 बार लावारिस भारत पर आक्रमण किया और यहां की अपार सम्पत्ति को वह लूट कर ग़ज़नी ले गया था. लावारिस ही कहा जाएगा क्योंकि हर लुटेरा बार-बार यहाँ आता रहा और लूट कर जाता रहा, आक्रमणों का यह सिलसिला 1001 ई. से आरंभ हो कर 1027 ई तक चलता रहा. यह तो मलेरिया महा पर्भु की किरपा से उसकी मृत्यु सन 1030, में हो गई वर्ना ये सिलसला कब तक चलता, आप बेहतर जानते हैं.

 

महमूद बचपन से भारतवर्ष की अपार समृद्धि और धन-दौलत के विषय में सुनता रहा था. महमूद भारत की दौलत को लूटकर मालामाल होने के स्वप्न देखा करता था, क्योंकि शायद उस समय दुनिया में सबसे संम्पन देश भारत था, और जिसको लूटना कोई मुश्किल काम नहीं था , और महमूद ग़ज़नवी ही क्यों दुनिया के हर शासक की निगाहें, गरीब की जोरू हिन्दुतान पर थी. महमूद का सबसे बड़ा आक्रमण 1026 ई. में काठियावाड़ के सोमनाथ मंदिर पर था. हज़ारों पुजारीयों को मौत के घाट उतार कर वह मंदिर का सोना और भारी ख़ज़ाना लूटकर ले गया. अकेले सोमनाथ से उसे अब तक की सभी लूटों से अधिक धन मिला था.