Loan Waiver - Farmer Heran - Government upset books and stories free download online pdf in Hindi

कर्जा माफ़ – किसान हेरान – सरकार परेशान

हरिराम के उम्र पेंतीस आगे निकल चुकी थी, उसके दो लड़के थे, बड़ा राजू दस वर्ष का था, व् छटी क्लास में और छोटा अक्षय आठ वर्ष का चोथी क्लास में गाँव के सरकारी स्कूल में पड़ते थे, जहां उनकी कोई फीस तो नही लगती थी, परन्तु  किताबों व् स्कूल की ड्रेस पर बहुत खर्चा हो जाता था, हरिराम के पास कोई दो बीघा जमीन थी, बाकी  वह  दूसरों के खेत पट्टे पर ले कर, किसानी करके परिवार का पालन पोषण  करता था, परन्तु बीज,खाद की कीमते जो महंगाई से होड़ लगा कर बड रही थी, तो उसे गाँव के आडती से कर्जा  लेना पड़ता था. परन्तु पांच वर्ष पहले उसने आडती  से कर्ज ना ले कर गाँव के बैंक से किसी तरह कर्जा ले लिया था. साल भर  बाद मोसम की मार के बाद फसल बेच कर  जो रकम हाथ  में आती थी उससे कर्जे के ब्याज अदायगी, व् घर का खर्चा भर ही चल पाता था. बड़ा लड़का राजू  पिछले दो वर्ष से मोबाइल दिलाने की जिद कर रहा था,और हरिराम  के पास देने के लिए आश्वासन के सिवाय कुछ नहीं था.

पिछले  पांच वर्षों  से हर रोज गाव  की पंचायत के टेलीवीजन पर, अखबारों में,  व् चोपाल पर सुनता था, की  फलां पार्टी ने एक राज्य में किसानो का कर्जा माफ़ कर दिया तो दुसरी पाटी ने दुसरे राज्य में किसानो का कर्जा माफ़ कर दिया .

हरिराम को ये सब सुन कर बड़ी राहत मिलती थी, और  वह कुदरत से हारा हुआ, मोसम से मारा हुआ, किसान सपने देखता था, की इस बार तो मेरा भी नंबर भी आयेगा, मेरा भी कर्जा माफ़ होगा, और कर्जा माफी के भरोसे उसने राजू को पुराना मोबाइल दिला दिया था, और उसकी छाती गज भर चोडी हो गई थी. पिछले वर्ष अक्षय बीमार हुआ तो उसे शहर  के बड़े डॉक्टर को दिखाया, बच्चे की जान से उपर क्या है, हरिराम ने सोचा. घरवाली से झगड़ कर उसने बहन की लडकी की शादी में खर्च किया, आखिर समाज में इज्जत भी कोई चीज हे, इसतरह महाजन  कर्जा  बड़ता गया, उसने सोचा था,  बैंक का कर्जा तो माफ़ हो ही जाएगा,  और महाजन का कर्जा हर फसल पर धीरे धीरे चुका ही देगा. वह इन्तजार करता रहा, उमीदों में भी साल दर साल इन्तजार कर के सुखा पड गया, उसका कर्जा माफी का नंबर नहीं आया, तो  तंग आ करा अपना उपर जाने का खुद ही नंबर लगा लिया .

सरकार में आने का, कर्जा माफ़ सब से आसान तरीका  बन गया हैं. आखिर इतने कर्जा माफी  के बाद भी किसान की हालत सुधरती क्यों नहीं है? सरकार किस किसान के कर्जे माफ़ करा रही हे.

क्या आप जानते है, 22.5% से ज्यादा किसान आधिकारिक गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं. आजादी के समय भूमिहीन किसानो के संख्या 2.7 करोड थी, जो अब बड कर 5 गुना हो गई है. जब की हर नेता हर राजनेतिक पार्टी सुबह शाम किसान की भलाई की बात करती है.

क्या आप जानते है, 2011 की जनगणना के अनुसार, कृषि में लगे 26 करोड़ किसानो में से केवल 12 करोड़ किसान परिवारों के पास कृषि भूमी है. भारत के  67 प्रतिशत सीमांत किसानों के पास है, एक हेक्टेयर से भी कम भूमि है, जिन्हें या तो सरकारी बैंकों, कोपरेटिव सोसाइटी से कर्जा मिलता ही नहीं अगर मिलता भी है तो नाम मात्र . 10 हेक्टेयर और उससे अधिक भूमी 1 प्रतिशत किसानो के पास है. बस ये ही 1 % मात्र किसान है, और कुछ उनसे नीचे वाली श्रेणी के किसोनो के ही कर्जे माफ़ होते है, या फिर सरकारी कागजों में दर्ज़ तथाकथित किसोनो के , जिन्होंने खेत केवल फोटो में देखे हैं, उनके वो कर्जे जो माफी के लिए ही लिए जाते हैं,  माफ़ हो भी जाते हैं.

अब सरकार को चाहिए इन भूमिहीन  किसानों के साथ साथ, सभी किसानों के बारे में इसी योजनायें  बनाए, जिसका लाभ हर छोटे सिमान्त, भूमिहीन मजदूर किसान तक पहुंचे ताकी वास्तव में उन का भला हो सके और कर्जा माफी की नोबत ही ना आए.

अन्य रसप्रद विकल्प

शेयर करे

NEW REALESED