कुछ तो कमी है Arun Singla द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

कुछ तो कमी है

डॉक्टर विद्या सागर एक प्रसिध मनोचिक्त्सक थे. वे हर रोज की तरह पेशेंट को देख रहे थे कि एक व्यक्ति ने उनके कक्ष में प्रवेश किया, जिसने बड़े सलीके से जींस व उस पर गोल गले की टी शर्ट पहनी हुए थी, उम्र उसकी 50 वर्ष के लगभग रही होगी. चेहरे पर थोड़ी परेशानी झलक रही थी.

“बताइये क्या परेशानी है” डॉक्टर ने पूछा. वह व्यक्ति कुछ क्षण खामोश रहा, जैसे सोच रहा हो बात कैसे शुरू करूँ.

‘शर्माइये मत, जो भी है आप मुझे बताएं’

“डॉक्टर साहब, ऐसे मुझे कोई बीमारी तो नहीं है पर दुसरे लोगों के व्यवहार से लगता है में नार्मल नहीं हूँ “

डॉक्टर विद्या सागर खामोशी से उसकी तरफ देखते रहे .

फिर तो वह व्यक्ति अपनी धुन में खो गया और कहता गया “हालांकि मेरे उम्र पचास से उपर है, पर मुझे लगता है की अभी अभी  मेने जीवन का सफ़र शुरू किया है, वही उमंग वही सपने है, कुछ करने  का इरादा है. आसमान की बुलंदिया छूने का इरादा है, बादलों में उड़ने को दिल करता है , सागर की गहराइयों को खोजना चाहता हूँ . सोचता हूँ अभी तो नाम पैदा करना है, और साधन संपन्न बनना है, पुरी दुनिया घूमनी है”.

वह बोलता चला गया “परन्तु कोई नवयुवक भी जब मुझे उम्र  का एहसास कराता  है तो मुझे परेशानी होती है, मुझे लगता है, मैं उन जेसा ही तो हूँ, बल्कि उन सब से बेहतर हूँ, और सब कुछ उनसे बेहतर कर सकता हूँ. हर एडवेंचर को मैं उनसे बेहतर और आनंदपूर्वक करता हूँ. परन्तु परेशानी तब होती है जब वो लोग जो खुद तो कुछ नहीं कर पाते और मुझे कहते है “ध्यान से”. बार बार सभी मुझे उम्र का ध्यान दिलाते है. छोटी मोटी गलती, दुर्घटना तो सब के साथ ही होती है, मेरे साथ हो तो कहते है, मेने तो पहले ही कहा था. कई बार लगता है ये उनकी  निराशा है, पर कई बार लगता है क्या ये सभी गलत है, कहीं में ही गलत तो नहीं. फिर लगता है ”कुछ तो कमी है” .

डॉक्टर विद्या सागर कहीं खो गए, वे बहुत ही व्यस्त रहते थे और पिछले कुछ सालों में उन्होंने इतना  काम किया था, की अब उनको जीवन से विरक्ति सी होने लगी थी, कोई भी काम उन्हें उत्साहित नहीं करता था .जीवन में कोई उमंग नहीं रही थी, अभी वो एक महीने के लिए पत्नी के साथ यूरोप टूर भी कर आए थे पर कुछ ना बदला था. कभी वो सोचते थे, क्या नहीं है, उनके पास, परिवार है , नाम है ,पैसा है  और क्या चाहिए. पर जीवन ऊर्जा से खाली था, कुछ भी उन्हें रोमांचित नहीं करता था, अक्सर वो सोचते “कुछ तो कमी है”

अचानक डॉक्टर नींद से जागे, यह व्यक्ति भी तो यही कह रहा है “कुछ तो कमी है”

डॉक्टर ने अचानक खुद में एक रोमांच अनुभव किया जैसे उनके रोंगटे खड़े हो गए हो, उन्होंने उस व्यक्ति से कहा :

“आदमी तुम दुर्लभ हो समस्या भी अजीब है” कल से तुम मेरी व्यक्तिगत निगरानी में रहोगे, बल्कि कुछ दिनों तक तुम मेरे साथ मेरे घर पर रहोगे“