Kanyadaan - Rishta Dil Ka Dil Se books and stories free download online pdf in Hindi

कन्यादान - रिश्ता दिल का दिल से


कन्यादान - रिश्ता दिल का दिल से

बेटियाँ पराई नहीं, दिलों में रहती है...

एक बार एक गरीब पिता ने अपनी एकलौती पुत्री की सगाई करवाई...

लड़का बड़े अच्छे घर से था, इसलिए माता-पिता दोनों बहुत खुश थे ।

लड़के के साथ लड़के के पूरे परिवार का स्वभाव भी

बड़ा अच्छा था।

पिता को अपनी बेटी की शादी अच्छे घर में पक्का होने पर राहत भी महसूस हो रहा था।

शादी से एक सप्ताह पहले लड़के वालों ने लड़की के पिता को अपने घर खाने पर बुलाया...

उस लड़की के पिता की तबीयत ठीक नहीं थी फिर भी वो नाराज होने के डर से मना नहीं कर सका...

लड़के वालों ने सहज स्वभाव से तथा बड़े ही आदर सत्कार से उनका स्वागत किया।

फ़िर लडकी के पिता के लिए चाय-पानी लायें ।

लेकिन शुगर की वजह से लडकी के पिता को चीनी वाली चाय से दूर रहने के लिए डाक्टर ने सलाह दी गई थी...

पिता अपनी लड़की के होने वाले ससुराल में थे, इसलिए उन्होंने बिलकुल चुप रह कर चाय अपने हाथ में ले ली ।

चाय कि पहली चुस्की लेते ही वो चौंक से गये। चाय में चीनी बिल्कुल ही नहीं थी और इलायची भी डली हुई थी ।

वो सोच मे पड़ गये कि ये लोग भी हमारी जैसी ही चाय पीते हैं शायद ।

जब दोपहर में उन्होंने खाना खाया, वो भी बिल्कुल उनके घर जैसा ।

उसके बाद दोपहर में आराम करने के लिए दो तकिये, पतली चादर मौजूद थे...

उठते ही उन्हें निम्बू पानी का शर्बत दिया गया ।

वहाँ से विदा लेते समय उनसे रहा नहीं गया तो वे हैरानी वश पूछ बैठे...

श्रीमान जी, मुझे क्या खाना है, क्या पीना है, मेरी सेहत के लिए क्या अच्छा है या डॉक्टरों ने मेरे लिए क्या मना किया है, ये सही से आपको कैसे पता है...

पिता की पूरी बात सुनने के बाद बेटी कि सास ने धीरे से कहा कि कल रात को ही आपकी पुत्री का फ़ोन आ गया था औऱ उसने बेहद विनम्रता से कहा था कि मेरे पापा स्वभाव से बड़े सरल हैं, बोलेंगे कुछ नहीं लेकिन प्लीज अगर हो सके तो आप उनका ध्यान रखियेगा...

पूरी बात सुनकर पिता की आंखों में गंगाजल भर आया....

लड़की के पिता जब अपने घर पहुँचे तो घर के कमरे में लगी अपनी स्वर्गवासी माँ के फोटो से हार निकाल दिया...

जब पत्नी ने उनसे पूछा कि ये क्या कर रहे हो तो लडकी के पिता बोले- 'मेरा आजीवन ध्यान रखने वाली मेरी माँ इस घर से कहीं नहीं गयी है, बल्कि वो तो मेरी बेटी के रुप में इस घर में ही रहती है'।

और फिर पिता की आंखों से गंगाजल की धारा छलक आई ओर हृदय भर आया अंत में सब्र का बांध टूट गया व सुबक पड़े... साथ में पत्नि भी सुबकने लगी ।

दुनिया में सब कहते हैं ना कि बेटी है, एक दिन इस घर को छोड़कर चली जायेगी लेकिन बेटियां कभी भी अपने माँ-बाप के घर से नहीं जाती, बल्कि वो हमेशा उनके दिल में रहती हैं ।

कन्यादान - रिश्ता दिल का दिल से..... दिनेश कुमार कीर


अन्य रसप्रद विकल्प

शेयर करे

NEW REALESED