कहानी प्यार कि - 28 Dr Mehta Mansi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • My Passionate Hubby - 5

    ॐ गं गणपतये सर्व कार्य सिद्धि कुरु कुरु स्वाहा॥अब आगे –लेकिन...

  • इंटरनेट वाला लव - 91

    हा हा अब जाओ और थोड़ा अच्छे से वक्त बिता लो क्यू की फिर तो त...

  • अपराध ही अपराध - भाग 6

    अध्याय 6   “ ब्रदर फिर भी 3 लाख रुपए ‘टू मच...

  • आखेट महल - 7

    छ:शंभूसिंह के साथ गौरांबर उस दिन उसके गाँव में क्या आया, उसक...

  • Nafrat e Ishq - Part 7

    तीन दिन बीत चुके थे, लेकिन मनोज और आदित्य की चोटों की कसक अब...

श्रेणी
शेयर करे

कहानी प्यार कि - 28

सुबह हो चुकी थी.. अनिरूद्ध , संजना और सौरभ कमरे में बैठे थे... वहा सन्नाटा छाया हुआ था.. अनिरूद्ध अपनी सोच में खोया हुआ था.. और संजना भी उसे देख रही थी..
" देखो अनिरुद्ध... तुम ज्यादा टेंशन मत लो.. सब सही हो जायेगा.. मुझे तुम पर पूरा भरोसा है.. " संजना ने अनिरुद्ध का हाथ पकड़ते हुए कहा..

यह सुनकर अनिरुद्ध हल्का सा मुस्कुराया..

" एक बात पूछूं संजू ? " अनिरूद्ध ने संजना की और देखते हुए कहा..

" हा पूछो "

" तुम्हे मुझ पर इतना भरोसा क्यों है ? मेरा मतलब है अगर तुम्हारी जगह कोई और लड़की होती तो यह वीडियो देखकर या यह सब बात सुनकर यही समझती की उसका पति गलत है... "
अनिरूद्ध की बात सुनकर संजना थोड़ी सी मुस्कुराई..

" तुम सही कह रहे हो .. मेरी जगह कोई और होती तो वो यही समझती.. पर यहां कोई और नहीं में हु और मेरा पति और कोई नही पर तुम हो.. और मुझे मेरे पति पर खुद से भी ज्यादा भरोसा है की वो कभी कुछ गलत नहीं कर सकता.. और मेरा यह विश्वास और भी ज्यादा पक्का हो गया जब मैंने करन की वो बात सुनी..."

संजना के इतना बोलते ही अनिरुद्ध और सौरभ उसको हैरान नजरो से देखने लगे...

" कौन सी बात ? " सौरभ ने तुरंत पूछा...

" वो कल में जब करन के पीछे गई थी उससे बात करने तब करन ने मुझे बताया की वो और मोनाली अब साथ में नही है .. "

" क्या ? " अनिरूद्ध और सौरभ दोनो एकसाथ बोले...

" साथ नही है मतलब ? " अनिरूद्ध को कुछ समझ में नही आ रहा था..

" हा अनिरुद्ध करन ने कहा की जिस दिन तुम दोनो के बीच यह सब हुआ था.. उसी रात मोनाली ने करन के साथ ब्रेक अप कर लिया था.. और वो उसे छोड़कर चली गई थी फिर दोनो कभी नही मिले..."

" ओह माय गॉड .. तो इसी वजह से करन मुझसे इतनी नफरत करता है ...! " अनिरूद्ध ने अपनी आंखे बंध करते हुए लाचारी के साथ कहा...

" नही अनिरुद्ध वो सिर्फ कहता है की वो तुमसे नफरत करता है पर असल में ऐसा नहीं है.. उसे आज भी तुम्हारी फिक्र है.. पर कभी मानता नही है... उसे लगता था की मोनाली उससे प्यार करती थी... पर अगर ऐसा होता तो वो ऐसे उसे छोड़कर नही जाती ..."

" और करन को लगता है की मेरी वजह से मोनाली उसे छोड़कर गई है ..." अनिरूद्ध संजना की बात सुनकर कुछ सोचते हुए बोला..

" हा.. और अब हमे करन को यही यकीन दिलाना है की मोनाली ने कभी उससे प्यार नही किया है वो सिर्फ उसका इस्तेमाल कर रही थी... "

" पर हम उसे यकीन दिलाएंगे कैसे...?" सौरभ के इस सवाल का जवाब संजना के पास भी नहीं था..

" देखो सौरभ ..अभी इसका जवाब नहीं है मेरे पास.. पर तुम दोनो मुझे पहले यह बताओ कि मोनाली थी कैसी..? और उसने अनिरुद्ध को फसाने के लिए यह सब क्यों किया ? " संजना से अब और इंतजार नही हो रहा था..

" ठीक है संजू में तुम्हे सब पहले से बताता हूं...

कॉलेज में हमारा पहला दिन था और में और सौरभ पहले ही दिन कॉलेज लेट पहुंचे थे.. वहा के प्रोफेसर बहुत स्ट्रिक्ट थे.. हमे क्लास में एंट्री ही नही दी और क्लास के बाहर खड़ा कर दिया.. " अनिरूद्ध यह बोलते हुए स्माइल कर रहा था..

" बहुत ही शेमफुल फिलिंग थी उस वक्त .. पूरा क्लास हम पर हस रहा था..." सौरभ भी हस्ते हुए बोला...

" पर वहा लेट पहुंचने वाले सिर्फ हम दोनो ही नही थे और एक लड़का था और वो था करन... तभी हमारी पहली मुलाकात हुई थी... धीरे धीरे हम दोस्त बन गए.. एक दूसरे के साथ वक्त बिताते हुए कब हम भाई बन गए पता ही नही चला.. हमारी दोस्ती इतनी गहरी हो गई थी की पूरी कॉलेज में सब हमें हमारी दोस्ती की वजह से जानने लगे थे.. हर जगह हम साथ ही होते थे फिर वो चाहे पढ़ाई हो या फिर पनिशमेंट.." अनिरूद्ध को वो पुराने दिन याद आ गए थे.. संजना के चहेरे पर भी यह सुनकर मुसकुराहट आ गई ...

" हा और फिर हमारी लाइफ में उस छिपकली की एंट्री हुई.." सौरभ थोड़ा उदास होकर बोला..

" छिपकली ? " संजना हैरानी से बोली..

" इसका मतलब है मोनाली.... उसके पापा केनेडा की बिग मार्केटिंग कंपनी के मालिक है.. इंडिया में भी उनकी कई बड़ी कंपनी है.. मोनाली की मा इंडियन थी.. और इसी वजह से मोनाली भी इंडिया में आती जाती रहती .. मोनाली ने हाफ सेमेस्टर में हमारी कॉलेज में एडमिशन लिया था..." अनिरूद्ध ने मोनाली के बारे में बताते हुए कहा..

" हा.. वैसे तो बड़ी खूबसूरत थी पर बहुत अकडू थी.. चिपकती ही रहती थी सब से... मै तो ऐसी लड़की के मुंह ही ना लगू..." सौरभ मुंह बिगाड़ता हुआ बोला..

" ओह ऐसा... ? तो कॉलेज में पहले ही दिन उसे गुलाब देने कौन में गया था ? " अनिरूद्ध सौरभ को घूरता हुआ बोला..

" वो वो तो .. ऐसे ही .. तब में उसे जानता नही था की वो कैसी है बस इसीलिए...पर फिर में कभी नही गया उसके पास फुल लेकर..."

" हा वो तो उल्टा मुंह पर गुलाब खाने के बाद तुम दोबारा क्यों जाते अपनी बेज्जती कराने ! है ना ? "
अनिरूद्ध की बात सुनकर सौरभ नजरे जुकाकर चुप हो गया... और संजना यह बात सुनकर हसने लगी..

" अब बस भी करो संजना..." सौरभ की शक्ल फटे गुब्बारे जैसी हो गई थी..

" सोरी सोरी सौरभ..." संजना हस्ती हुई बोली..

" मोनाली के पीछे पूरी कॉलेज के लड़के पड़े हुए थे.. करन को भी मोनाली पर क्रश आ गया था... धीरे धीरे करन मोनाली को प्यार करने लगा पर वो उसे बोल नही पाता.. ऐसे में हमारा पूरा साल बीत गया... पर करन ने मोनाली को अपने दिल की बात नही बताई..." अनिरूद्ध अब शांत होकर यह सब बता रहा था..

" फिर एक दिन चमत्कार हुआ... या फिर मोनाली ने करन की बैंक डिटेल्स जान ली थी... क्या था वो नही पता पर वेलेंटाइन के दिन मोनाली सामने से करन के पास आई और उसे डेट के लिए पूछा... "

" मोनाली ने सामने से करन को डेट के लिए पूछा ? क्या वो जानती थी की करन उसे पसंद करता था? " संजना सौरभ की बात सुनकर हैरान थी ...

" हा.. संजू शायद मोनाली को यह पता चल गया होगा पर पक्का नहीं पता.. करन के पापा भी बड़े बिजनेसमैन थे.. करन अपने पापा का इकलौता बेटा था.. पर वो अपनी शोहरत का कभी ढिंढोरा नही पीटता था.. ऐसा भी हो सकता है की मोनाली ने पैसों के लिए करन से प्यार करने का नाटक किया हो..." अनिरूद्ध गंभीर होते हुए बोला...

" ऐसा ही होगा .. मुझे तो पक्का विश्वास है... पर करन तो यह नही जानता था इसीलिए उसने भी मोनाली को हा कह दिया.. करन और मोनाली साथ में बहुत खुश थे... कुछ महीने बहुत अच्छे से बीते.. पर... फिर उस मोनाली ने अपने असली रंग दिखाने शुरू किए..." सौरभ के चहेरे पर मोनाली के लिए गुस्सा साफ नजर आ रहा था..

" मैंने और सौरभ ने मोनाली को एक दिन रेस्टोरेंट में किसी और लड़के के साथ देखा .. जब हमने करन को कहा तो उसने हम पर विश्वास नहीं किया.. और ये एक बार नही कई बार हुआ था.. मोनाली को हमने कई बार उस दूसरे लड़के के साथ देखा था पर करन हमारी बात नही मानता .. और करन जब मोनाली से इस बारे में पूछता तो वो कोई बहाना बना देती.. फिर मैंने और सौरभ ने उसे रंगे हाथ उस दूसरे लड़के के साथ पकड़ा.. तब उसका सही चहरा हमारे सामने आया.. " अनिरूद्ध का चहरा यह सब बताते हुए गुस्से से लाल हो चुका था..

" वो लड़की इतनी बेशर्म थी तुम सोच भी नही सकती संजू.. उसे अपने किए पर जरा भी पस्तावा नही था.. वो करन को धोखा दे रही थी .. उसने हमें खुले आम कहा की तुम दोनो को जो करना है करलो .. मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता.. और जब हमने करन को यह बताया तो करन हसने लगा.. उसने हमे कहा की वो पहले से ही इस बारे में जानता है और वो लड़का मोनाली का कजिन भाई है..तब ही हम समझ गए थे की मोनाली ने खुद को बचाने के लिए पहले से ही करन को कुछ नई स्टोरी सुना दी है..."

" फिर क्या हुआ ? "

" उसके बाद तो उस मोनाली ने हद ही पार कर दी... में कॉलेज के पीछे वाले गार्डन में बैठकर लैपटॉप में मेडिसिन पर रिसर्च कर रहा था... तब वो वहा पर आई.. में उसे वहा देखकर हैरान था.. अनिरूद्ध ने उस समय जो हुआ था वो बताना शुरू किया..
" मोनाली तुम यहां क्या कर रही हो ..? "

" वो में बस तुमसे मिलने आई थी..."
" मुझे तुमसे कोई बात नही करनी है तुम चली जाओ यहां से " अनिरूद्ध गुस्से में बोला..

" अब भूल भी जाओ जो भी हुआ है .. " मोनाली ने अनिरुद्ध का हाथ पकड़ते हुए कहा..

" प्लीज दूर रहो मुझसे..." अनिरूद्ध ने मोनाली का हाथ हटा दिया..

" देखो अनिरुद्ध .. कॉलेज लाइफ में तो यह सब होता रहता है.. यहीं तो टाइम है एंजॉय करने का.. "

" करन तुम्हारे एंजॉय करने का कोई खिलौना नही है वो तुमसे प्यार करता है ...समझी "

" हा में जानती हु.. में भी करन को पसंद करती हु पर में पूरी जिंदगीभर किसी एक के साथ बंधकर तो नही रह सकती..हु ना!. "

" हा तो यह बात करन से क्यों नहीं कहती .. उसके सामने प्यार का नाटक क्यों करती हो ? "

" सही वक्त पर उसे भी कह दूंगी पर अभी में तुमसे कुछ और कहने आई हु... " मोनाली अनिरुद्ध की और नजदीक आती हुई बोली..
उसने फिर से अनिरुद्ध का हाथ पकड़ लिया..

" अनिरूद्ध तुम मुझे अच्छे लगते हो.. में तुमसे कहना चाहती थी पर उससे पहले ही तुमने मुझे विकि के साथ देख लिया.. और तब से हमारा सिर्फ जगड़ा हो रहा है.. तुम प्लीज यह सब भूल जाओ.. हम एक नई शुरआत करते है नए रिश्ते के साथ और मेरा विश्वास करो करन को हमारे बारे में कुछ पता नही चलेगा..."

" शट अप मोनाली... तुम कितनी बेशर्म हो.. तुम सोच भी कैसे सकती हो की में करन को धोका देने के बारे में सोचूंगा भी.. ये तो अच्छा है की तुम लड़की हो नही तो तुम्हे ऐसी थप्पड़ लगाता की किसीको धोका देने के बारे में तुम सोचती भी नही..." अनिरूद्ध गुस्से में खड़ा होते हुए बोला..

" तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझसे ऐसे बात करने की...! लड़के पागल है मेरे पीछे.. और तुम हो की मुझे मना कर रहे हो ? "

" हा क्योंकि वो तुम्हारी असलियत नहीं जानते ना.. पर अब बहुत हो गया.. अब करन के सामने तुम्हारा ये असली चहरा लाने का वक्त आ गया है.. मिस मोनाली.."

" तुम मेरी असलियत सामने लाओगे? तो फिर ठीक है पर याद रखना की तुम जो ये मुझे इतनी अकड़ दिखा रहे हो ना .. में उसे ऐसे तोडूंगी की कही मुंह दिखाने के लायक नही रहोगे... मोनाली से टक्कर लेने का नतीजा क्या होता हैं वो तुम्हे तब समझ में आएगा .." मोनाली गुस्से से बोली और फिर जाने लगी..

अनिरूद्ध उसे गुस्से से घूर रहा था.. अनिरूद्ध ने उसे मजा चखाने के लिए .. मार्बल्स लिए और उसके पैरो के पास फेंके ...मोनाली की हाई हील्स सेंडल के नीचे मार्बल्स आते ही उसका पैर फिसला और वो मुंह के बल गिरी...

अनिरूद्ध को यह देखकर बहुत हसी आई .. वो हस्ता हुआ उसके पास गया और बोला..
" अरे रे मोनाली जी आप तो गिर गई... ओह सॉरी आप तो पहले से ही गिरी हुई थी... " इतना बोलकर अनिरुद्ध वहा से चला गया..

" तुम्हे तो में देख लूंगी.. मि अनिरुद्ध ओब्रॉय... " मोनाली गुस्से में तिल मिल होती हुई बोली...

संजना और सौरभ अनिरुद्ध की बात सुनकर जोर जोर से हसने लगे...
" क्या सीन रहा होगा... वो .. काश में वहा पर होता यार ..." सौरभ हस्ते हुए बोला...

अनिरूद्ध यह सुनकर मुस्कुराया..

" मैंने ऐसी लड़की अपनी लाइफ में नही देखी ..." संजना को भी मोनाली पर बहुत गुस्सा आ रहा था..

" उस दिन हमारे दोस्त सनी का बर्थडे था और उसने पब में बहुत बड़ी पार्टी ऑर्गनाइज की थी.. करन कुछ काम से बाहर गया था और वो सीधा रात की पार्टी में आने वाला था.." अनिरूद्ध ने आगे की बात बतानी शुरू की..

" अनिरूद्ध ने सब बात मुझे बताई और हम दोनो ने पार्टी में करन को सब बताने का डिसाइड किया.. पर हमे क्या पता था की उस रात पब में जाना हमारी जिंदगी की सबसे बड़ी भूल थी..." सौरभ के चेहरे पर डर की परछाई घिर आई थी

" हा संजू .. मोनाली ने मुझसे बदला लेने के लिए इतना घटिया प्लान बनाया होगा उसका हमे जरा सा भी अंदाजा नहीं था... वो मेरी जिंदगी का एक ऐसा चैप्टर है जिसे में चाहकर भी भुला नहीं सकता..."

"क्या हुआ था उस रात अनिरुद्ध ? " संजना ने अनिरुद्ध के कंधे पर हाथ रखते हुए पूछा.. अनिरूद्ध की बात सुनकर संजना की भी घबराहट बढ़ गई थी...

क्रमश: