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मम्मी का टॉमी

किसी समय एक शहर में जाने-माने जज साहब का तबादला हुआ था वो अपने परिवार के साथरहने आएं उन‍के परिवार में उनकी पत्‍नी और तीन बच्‍चे सबसे बड़े बेटे कानाम अमन दूसरी बेटी का नाम खुशबू तीसरी बेटी का नाम खुशी था। वैसे तो जजसाहब का व्‍यवहार बहुत अच्‍छा था पर थोड़े से सख्‍त थे इसलिए जब वो शाम कोकोर्ट से घर आते तब तीनों बच्‍चे अपने कमरे में चले जाते और कुछ देर केबाद दोनों बेटियां अपने पापा के पीने के लिए पानी , चाय लाई जिन्हें तीनों बच्‍चे प्यार से डैडी कहकर बुलाते थे
कभीकभी माँ घर केे लिए कुछ सामान खरीदने काे दोनों लड़कियों को भेजती जिसेखरीदने के बाद बचे 25 पैसे या कभी 50 पैसे को खुशबू अपने गुल्लक में डालदे देती पर खुशी उन पैसो से गटागट , संतरे की गोली ,बुढ़िया के बालखरीदकर बड़ेे मजे से खाती ।
जज साहब के सख्त व्यवहार के कारण अमन उन्हें हिटलर बोलता था। दरअसल उसे पढ़ने को लेकर जज साहब सख्ती करते थे।

एकदिन जज साहब ने कोर्ट से आकर अपनी पत्नी को बताया उनके परिचित अग्रवालसाहब के पामेरियन कुत्ते ने बच्चे दिये हैं उन्होंने पूछा है कि हम कुत्तेके एक बच्चे को लेंगे क्या
यहपूरी बात तीनों बच्चों ने सुनी जिसे उनकी पत्नी ने अनसुनी कर दी कि कौनसंभालेगा कुत्ते को। पर तीनों बच्चों के मन पर यह बात घरकर गई ।
डैडीके जाते ही बच्चे माँ के पीछे लग गए । वे सब जिद पकड़ गए। तो अगले दिन माँने डैडी से कहा कि बच्चों का बड़ा मन है कि वो कुत्ते का बच्चा अपने घर आजाए जज साहब ने कहा ठीक है ये कहकर वह कोर्ट चले गए शाम को एक छोटी सुंदरसी टोकनी में एक नन्हा सा दो दिन का टॉमी घर आ गया जिसे देखकर तीनों बच्‍चेबहुत खुश हुए क्योंकि अब उनके साथ खेलने के लिए एक नन्हा सा सुन्दर सफेदरंग का टम्मु घर आ गया। टॉमी का टम्मु नाम प्यार से खुशी ने रखा था अभीटम्मु की आंखें खुली नहीं थी उसे चलना नहीं आता था वो दो कदम चलने पर लद्दसे गिर जाता था उसके सोने के लिए छोटा सा पलंग और गादी आई जिसे देख कर जजसाहब के यहाँ काम करनेवाले काका एक लाइन जरूर बोलते
कुत्ता गादी पर सोता है
आदमी सड़क पर रोता है
यह सुनकर तीनों बच्चों को बहुत बुरा लगता था ।
उससमय मनोरंजन का एकमात्र साधन फिल्में थी जब भी कोई नई फिल्म बदलती एक वर्दी धारी अतर सिंह घर पर आकर सूचित करता कि आज नई फिल्म लगी है।अतरसिंह का आने से घर में सबकी खास तौर पर तीनों बच्चों की खुशियों काठिकाना नहीं रहता था। डैडी के सामने सब अनजान बनते पर सब आपस में खुसुरफुसुर करते रहते। मां से फिल्म समय तय करके वो चला जाता फिर वे सब लोगफिल्म देखने जाते। इस समय में टम्मु अकेला पड़ जाता था।
अबसमस्या ये थी कि टॉमी ( टम्मु ) को कहाँ छोड़ा जाए । ये तय हुआ किटम्मु को कार की पीछे की सीट पर बैठाकर कार के थोड़े थोड़े से कांच खोलदिये जाएंगे और बड़े भईया फिल्म के बीच-बीच में टम्मु को देख जाएंगे हर बारऐसा ही होता था पर एक दिन बड़े भईया ने देखा कि टम्मु कार में बैठे- बैठेबहुत परेशान हो रहा है तो उन्होंने टॉमी को छुपाकर अपनी जैकेट की जेब मेंरख लिया और फिल्म देखने चले गए टिकट चैकर को पता नहीं चला मां ने टॉमी कोअपनी शाॅल में लपेट कर बैठा लिया वो भी दुबककर बैठ गया बीच-बीच में वो कूकू करता था।
डैडी ने पूछा टॉमी है क्या
मां ने कहा अरे नहीं ।
फिल्म देख कर बाहर निकले तो डैडी ने बड़े भाई को टॉमी को छुपाते देख लिया उन्होंने सबको गुस्से से देखा मां को भी सब कोई घर आ गए।
इसीतरह दिन बीतते गए टॉमी बड़ा हो गया सबके साथ खेलता बॉल लेकर आता सीढ़ीचढ़ने मैं सबको हराना चाहता दो सीढ़ी एक साथ कूद कूद कर चढ़ जाता। उसे दूधब्रेड और दाल चावल बहुत पसंद थे जिन्हें वह बहुत चाव से खाया करता था।
अब बच्चे बड़े हो गए बहनों की शादी हो गई। भाई की जॉब लग गई टॉमी घर पर अकेला पड़ गया।

अब टॉमी की देखभाल करने के लिए सिर्फ चपरासी बचे
जो कई बार कमरे में फ्लिट करके टामी को बंद कर देते जिससे वो बहुत परेशानहोता था एक दिन अचानक खुशी आई तो उसने देखा टॉमी कमरे में बंद है और बहुतपरेशान होकर जोर जोर से भौंक रहा है खुशी ने डैडी से कहा टॉमी को मैं अपनेघर ले जा रही हूं यह कहकर वो टॉमी को अपने घर ले आई जहां अब खुशी की बेटीटॉमी के साथ खेलती और अब टॉमी के पुराने मस्ती भरे दिन लौट आए

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