"क्या ढूंढ रही हो राधा" दानी ने पूछा तो राधा ने मुस्कुरा कर कहा :
"दानी मैं नौ मन तेल ढूंढ रही हूँ " दानी ने हंसकर पूछा :
"क्या करोगी नौ मन तेल का?"
राधा ने कहा :
" छुटकी कह रही थी कि ना नौ मन तेल होगा न राधा नाचेगी तो मैं नौ मन तेल ढूंढ रहे हैं जिससे मैं नाचने लगूं।"
और राधा खिलखिला कर हंसने लगी।
राधा इस घर में काम करने वाले लड़की थी जो बच्चों से हर समय मजाक करती रहती बच्चे भी उसे बहुत प्यार करते थे दानी ने कहा था ऐसी बातें सीखनी चाहिए जिससे हमें कुछ काम करने को मिले या जिन बातों का प्रयोग हम कहीं कर सकते हों।
दानी की समझ में नहीं आया था राधा क्यों नौ मन तेल ढूंढने की बात कर रही है उन्होंने फिर पूछा :
"क्या करेगी और घर में क्या नौ मन तेल रखा है?" राधा फिर से हंसी और बोली "छुटकी को दिखाऊंगी कि नौ मन तेल भी है और राधा नाचती भी है।" दादी ने हंसकर राधा से कहा:
"तुम्हें इस बात का मतलब मालूम है अगर नहीं मालूम है तो तुम बच्चों को क्या बताओगी, तुम तो ढूंढती रह जाओगी न नौ मन तेल और फिर यह बात सच हो जाएगी कि 'ना नौ मन तेल होगा ना राधा नाचेगी।
"मुझे क्या पता था मैं क्या कोई पढ़ी लिखी हूं? "राधा ने कहा।
" कितनी बार तुम्हें बताया राधा तुम्हारे पास समय होता है तो मेरे से पढ़ लिया करो ना तुम्हारा मन ही नहीं लगता पढ़ने में! अगर तुम्हें पता होता कि इसका क्या मतलब है तो तुम बेकार में नौ मन तेल ना ढूंढती! "छुटकी हंसते हुए बोली :
" दानी! मैं तो राधा दीदी से मजाक कर रही थी की ना नौ मन तेल होगा ना राधा नाचेगी इसका मतलब यह हुआ ना राधा दीदी पढेंगी और ना उन्हें दूसरा काम करना पड़ेगा। "
दादी इस बात से खुश नहीं हुईं। उन्होंने कहा:
" काम तो हर इंसान को करना पड़ता है और करना भी चाहिए। राधा पड़ेगी नहीं तो घर के काम ही करती रह जाएगी इससे अच्छा यह नहीं है कि वह बच्चों के साथ पढ़ना शुरू कर दे तब उसे पता चलेगा कि यह तो एक मुहावरा है न नौ मन तेल होगा ना राधा नाचेगी, इसका मतलब हुआ हमारे पास यदि कोई वस्तु नहीं है तो हम उस काम को नहीं कर सकेंगे।इसलिए बच्चों छोटी-छोटी चीजें सिखाते रहा करो जरूरी नहीं है कोई बड़ा ही पढ़ाई करवाए। हम सब एक दूसरे को बहुत सी चीज सिखाते हैं और हमें सबसे कुछ ना कुछ सीखना चाहिए। "दानी ने मुस्कुराते हुए कहा।
" अच्छा! दानी, हम सब एक दूसरे को वो सिखाएँगे जो हम जानते हैं। "
दानी ने बच्चों को ममता से देखा और कहा:
" ये हुई न अच्छे बच्चों वाली बात! "
डॉ प्रणव भारती