करोड़ों-करोड़ों बिजलियां - 14 S Bhagyam Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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करोड़ों-करोड़ों बिजलियां - 14

अध्याय 14

अर्चना ने आश्चर्य से वैगई को देखा।

"प्राणेश की अम्मा अभी क्यों आई है वैगई तुम्हें देखने आई है---वैगई ! शादी की तैयारी के बारे में बात करने?"

वैगई मुस्कुराई। "मैं ऐसा नहीं सोच रही क्योंकि शादी के प्रोग्राम के लिए बात करनी होती तो वह मेरी अम्मा अप्पा को मिलने घर जाती। मुझसे कुछ पर्सनल बात करने ही आई है ऐसा मैं सोच रही हूं। अर्चना तुम 10 मिनट के लिए यहां रहो----मैं जाकर बात करके आती हूं।"

अर्चना के सिर हिलाते ही वैगई उस कमरे को छोड़ बाहर तेज तेज चलकर एक मिनट में स्वागत कक्ष में पहुंच गई।

स्वागत कक्ष में एक बड़े बेंच पर बैठी, खिड़की से बाहर नजर दौड़ा रही थी प्राणेश की अम्मा मणिमेक्लैय। वैगई के चलने की आवाज सुन मुड़ी तो उसका चेहरा पत्थर जैसे था।

"आइए अम्मा---"

"अभी तुम्हें कोई जरूरी काम तो नहीं है वैगई ?"

"नहीं अम्मा---मेरी एक फ्रेंड चेन्नई से आई है---उससे ही बात कर रही थी। क्यों क्या बात है ?"

"तुमसे कुछ बात करनी है।"

वैगई मुस्कुराई। "बेशक आराम से बात कीजिएगा। बोलिए क्या बात है?"

मणिमेकलैय ने कुछ क्षण संकोच कर बोलना शुरू किया "मैंने एक बात सुनी। वह सच है या झूठ तुमसे पूछ कर मालूम करने आई हूं।"

"क्या सुना कहिएगा ?"

"वह----जो---"

"कोई भी बात हो तो परवाह नहीं बोलिए।"

"तुम्हारे शरीर में एक ही किड़नी है----क्या यह सच है ?"

वैगई मुस्कुराई और मुस्कुराते हुए ही बोली "आपको किसने बताया?"

"किसने बताया यह मुख्य बात नहीं है अभी। मैंने जो सुना वह सच है या झूठ ?"

"सच है ! 3 साल पहले घूस निर्वाण संस्था के भवन में वॉचमैन का काम करने वाले वीर स्वामी की इकलौती लड़की मल्लिका की दोनों किडनियां खराब हो गई। किडनी ट्रांसप्लांटेशन करने की स्थिति उत्पन्न हो गई। उस समय लड़की को मैंने ही किडनी दी थी।"

"यह बात तुम्हारे अम्मा अप्पा को पता है ?"

"बिल्कुल उनको पता है।"

"मेरा बेटे प्राणेश से यह सच्चाई क्यों छुपाई, जब वह तुमसे शादी की बात करने आया तो एक किडनी की बात क्यों नहीं बताई ?"

"उसे क्यों बताना है ? क्या यह क्रिमिनल दोष है? मैंने अब तक 10 बार ब्लड डोनेट कर दिया है। क्या यह बातें लड़की देखने आए लोगों को बताते रहना होगा क्या?"

"बहुत होशियारी से बात कर रही हूं ऐसा सोच रही हो क्या ?"

"अच्छा ओह ! ऐसी बात करने का नाम ही होशियारी है क्या?"

"वैगई ! तुम्हारे बारे में मैं बहुत उच्च विचार रखती थी ,अब उस बात पर मिट्टी पड़ गई।"

"यह देखो अम्मा----आपकी सोच पर मैंने मिट्टी भी नहीं डाली ना सोना डाला। हां मेरी किडनी की बात मुझे कोई बड़ी बात नहीं लगी, इसीलिए मैंने आपको नहीं बताया---"

मणिमेंकलैय कुछ देर मौन रहकर वैगई से बोली "इस शादी में मेरी और प्राणेश के अप्पा की स्वीकृति नहीं है-----?"

"प्राणेश की?"

"उसे अब तक किडनी की बात पता नहीं। पता चले तो उसका क्या रिएक्शन होगा, यह मैं गैस नहीं कर पा रही हूं। हो सकता है इसे बड़ी बात ना मान, वह तुमसे शादी करने को राजी हो जाए। ऐसी परिस्थिति में मुझे और प्राणेश के अप्पा को इस शादी से, कोई मतलब नहीं होगा हम इसमें शामिल नहीं होंगे ।"

"मुद्दे की बात यह है कि यह शादी नहीं होनी चाहिए। ऐसा आप बोल रही हो! नहीं ?"

"हां।"

"ठीक है इसके लिए मुझे क्या करना पड़ेगा ?"

"तुम फोन करके प्राणेश को कल अपने घर बुलाओ।"

"क्या बोल कर ?"

"मुझे इस शादी में रुचि नहीं है। अम्मा अप्पा के कहने पर मैं राजी हुई थी। अब मैंने सोच कर देखा तो, शादी मेरे लक्ष्यों पर एक बाधा होगी ऐसा लगता है। सो आप दूसरी लड़की देख कर शादी कर लो। तुम्हें ऐसा बोलना है।"

"वह मान जाएंगे ?"

"प्राणेश मना ना कर सके ऐसा तुम्हें स्ट्रांग बोलना पड़ेगा।"

"ठीक है।"

"आज ठीक है बोलकर, कल पलटना नहीं चाहिए ?"

वैगई मुस्कुराई।

"कल प्राणेश के साथ आप भी आइएगा। आपके बेटे से कितना स्ट्रांग बातें करती हूं आप ही देख लेना-----"

मणिमेंगलैय धीरे से चल कर आई और वैगई के हाथ को अपने हाथ में लिया।

"वैगई तुम्हें मुझ पर कोई गुस्सा तो नहीं है ? आज सुबह 10:00 बजे तक तुम मुझे बहुत पसंद थी। तुम्हें मैं अपनी बहू ही मान रही थी। परंतु तुमने एक किडनी डोनेट कर दिया सुनकर फिर-----"

वैगई हंसी।

"यह देखो अम्मा मैं आपसे बिल्कुल नाराज़ नहीं हूं। अपने घर आने वाली बहू एक किडनी डोनर है इसे आप ही नहीं कोई भी सास पसंद नहीं करेगी----आपकी भावनाओं को मैं समझ गई। आप हिम्मत के साथ घर जाइएगा। मैं आज शाम को ही प्राणेश को फोन कर दूंगी। अम्मा को लेकर कल सुबह 10:00 बजे के करीब मेरे घर आइएगा----आपसे एक जरूरी विषय पर बात करनी है। बोल दूंगी।"

"फोन पर और कुछ बात मत करना वैगई ?"

"मुझे पता नहीं है क्या ?"

अर्चना को आवेश आया।

"ये क्या अन्याय ? तुम एक किडनी डोनर हो इसीलिए शादी नहीं होगी कह कर मना करना चाहिए? वह अम्मा है या गई?"

"चली गई।"

"तुम मुझे बुला लेती ! उस अम्मा से चार बातें चुभने लायक पूछती----अपने जीवन से विरक्त होकर आत्महत्या करने वाले प्राणेश को पुनर्जन्म देने वाली हो तुम-----वह कृतज्ञता थोड़ी भी नहीं होनी चाहिए? अपने आने वाली बहू किडनी डोनर है मालूम होते ही गौरवान्वित नहीं होना चाहिए? मेरे एक रिश्तेदार बड़े आदमी एक किडनी से ही 90 साल की उम्र तक रहे। एक किडनी दे दो तो जीवन काल क्या आधा चला जाएगा?"

"अर्चना थोड़ी देर चुप रहोगी क्या ?"

"मुझे बहुत गुस्सा आ रहा है ?"

"छोड़ गुस्सा--- ?"

"वैगई----- ! तुम्हारे जीवन के बारे में सोचते ही मेरे अंदर जो भगवान पर विश्वास है वह खत्म हो जाता है। तुमने किसी का भी कोई बुरा नहीं किया। हजारों लोगों को आत्महत्या करने से बचाया। एक गरीब बच्ची को अपनी किडनी डोनेट कर दिया। 6 महीने में एक बार स्वेच्छा से ब्लड डोनेट किया। कितने ही मेडिकल कैंप्स चलाकर गरीब लोगों का फ्री बायपास सर्जरी का इंतजाम किया। तुम्हारे बाद की दो छोटी बहनों की दिव्यांगता को दूर कर अपने अवार्ड के 10 लाख रुपयों को खर्च कर उनके लिए अच्छे वर देखकर उनकी शादी की। जो अच्छी नौकरी कर रही थी उसे भी रिजाइन कर इस गांव में आकर शारीरिक रूप से दिव्यांग लोगों की टीचर बनकर काम कर रही हो। तुमने इतना अच्छा काम किया इसे सोचकर ही भगवान को तुम्हारे साथ अच्छा नहीं करना चाहिए क्या?"

वैगई ने उसके कंधों को झकझोरा। "जो होता है सब अच्छे के लिए !"

"यह विरक्ति वाला जवाब नहीं चलेगा ! प्राणेश और उसकी अम्मा सुबह तुम्हारे घर पर आएें तो तुम कुछ मत बोलना----मैं उनसे बात करूंगी----मैं जो प्रश्न पूछूंगी उसका जवाब उन्हें देने दो।"

"अर्चना तुम इस विषय में बीच में मत आओ। मैं ही इसे हैंडल कर लूंगी-----"

"मैं क्या बोलने वाली हूं----"

"सॉरी अर्चना----इस विषय में तुम अकेली नहीं----कोई और का हस्तक्षेप मैं पसंद नहीं करूंगी।"

"यही तुम्हारा फैसला है ?"

"मेरा फैसला ठीक है कह सकती हूँ ---" वैगई के बोलते ही अर्चना गुस्से से उठी।

अर्चना के गुस्से से बाहर जाने के बाद, वैगई स्कूल में और एक घंटा रहकर, अपने कर्तव्यों को खत्म कर दोपहर के खाने पर घर गई।

ठीक 3 मिनट चलकर घर पहुंची।

वैगई घर पहुंचकर बाहर के गेट को खोलकर अंदर गई। दरवाजे की सीढ़ियां पारकर दरवाजे को खटखटाने वाली ही थी कि अंदर से बात करने की आवाज आई। वह एक क्षण रुकी।

घर के अंदर अम्मा उमैयाल और अप्पा श्रीनिवासन दोनों बात कर रहे थे। उनकी बातों में अपना नाम सुनते ही वह सहम गई। उमैयाल की आवाज आई।

"वैगई के विषय में आपका व्यवहार थोड़ा भी ठीक नहीं---

"क्या ठीक नहीं ?"

"क्या ठीक नहीं मुझसे पूछ रहे हो ? वह टीवी सीरियल में काम करे इसलिए उसकी होने वाली शादी को रोकना किस तरह न्याय संगत है?"

"क्या है उमै----तुम बिना समझे बात कर रही हो ? वह रेणुका देवी बड़ी करोड़पति है। वह अपना घर ढूंढ कर आकर अभिनय करने के लिए बुला रही है। 1 दिन के 50 हजार रुपये तक दूंगी बोल रही है। चुपचाप मान जाना चाहिए----! शादी का कारण बताकर उस स्वर्णिम अवसर को मना करना, मुझे तो ठीक नहीं लगा ! इसलिए प्राणेश की अम्मा मणिमेकलै को पब्लिक टेलीफोन बूथ जाकर फोन करके, किसी और की आवाज में बात करके, वैगई की एक किडनी नहीं है यह बात बता दी। शादी टूटे तो टूटने दो----फिर क्या?"

उमैयाल रोने की आवाज में बोली "क्यों जी मैं आपसे एक प्रश्न पूछूं?"

"पूछो"

"वैगई मेरी पैदा की हुई लड़की होती तो भी आप ऐसा काम करते ?"

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