करोड़ों-करोड़ों बिजलियां - 15 - अंतिम भाग S Bhagyam Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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करोड़ों-करोड़ों बिजलियां - 15 - अंतिम भाग

अध्याय 15

"वैगई हमारी पैदा की हुई बेटी होने पर आप ऐसा करते क्या ? उमैयाल के एक प्रश्न पूछने पर श्रीनिवासन हंसे।

"उमै----! हमारी पैदा की हुई बेटी वैगई के नहीं होने के कारण ही यह अंडर ग्राउंड काम करना पड़ा । वह मेरी बेटी होती तो सामने ही, 'अभी शादी नहीं चाहिए। सीरियल में अभिनय करो' ऐसा आज्ञा देता----! यह किस तरह का एक अवसर है------1 दिन में 50 हजार रुपये------1 महीने में कितना आएगा थोड़ा सोच कर देखो----चक्कर ही आ जाएगा----सीरियल पिक अप हो जाए, सोचो 1 साल में वैगई करोड़पति--"

"शादी रुक जाने पर वैगई टीवी सीरियल में काम करने के लिए मान जाएगी क्या--- ?"

"उसके बाद, उसके मन को बदलना आसान होगा। रेणुका देवी चार-पांच बार आकर बात करें, तो वैगई जरूर मान जाएगी।"

"आप कुछ भी बोलो, यह सब सही है ऐसा मुझे नहीं लग रहा। हमें शादी होने के बाद 5 साल तक बच्चे नहीं हुए तो, करुणाबिका अनाथ आश्रम जाकर वहां 6 महीने की बच्ची वैगई को गोद लिया और उसे पाला। वैगई के घर में आने के कारण अगले 2 वर्षों के अंदर यमुना और तुंगभद्रा पैदा हुए ----फिर भी वैगई इस घर की पहली लड़की है। न्याय के हिसाब से देखो तो उसकी शादी पहले करनी चाहिए थी। अर्थात् हमें करवाना चाहिए था---"

"उसी ने तो शादी करने के लिए मना कर दिया था ?"

"उसने कह दिया तो छोड़ देना चाहिए क्या ?"

"उमै अब तुम क्या कह रही हो ?"

"मेरे पेट से पैदा हुई दोनों बेटियों को 10 लाख रुपये खर्च कर अच्छा वर देखकर वैगई ने शादी कर दिया था। आज वैगई के लिए एक अच्छा रिश्ता आने पर, और शादी पक्की होने पर उसे रोकना बहुत बड़ा पाप है----"

"यह प्राणेश नहीं हो तो वैगई को दूसरा वर नहीं मिलेगा क्या ? वैगई सीरियल में अभिनय करना शुरू कर दें तो बड़े-बड़े वर अपनेआप आएंगे---।"

"आपको एक सच्चाई का पता नहीं है ?"

"क्या ?"

"ईलम चेरियन के अचानक मृत्यु से अब शादी नहीं करूंगी बोली वैगई, प्राणेश से शादी करने के लिए मानी वह साधारण बात नहीं है। प्राणेश के पास कुछ तो ऐसी बात है जो उसे पसंद आई। कल बड़े बड़े घरों में से आने वाले लड़कों के पास वह गुण होगा क्या?"

"यह देखो उमै--- ! जीवन में जब अवसर आता है उसे सख्ती से पकड़कर बांध कर रखना चाहिए।"

दरवाजे पर खड़ी वैगई सब कुछ सुन रही थी उससे ज्यादा खड़े रहना अब संभव नहीं होने के कारण उसने धीरे से दरवाजा खटखटाया।

श्रीनिवासन ने नकली आश्चर्य से पूछा "क्यों भाई वैगई---आज आधा घंटे पहले स्कूल से आ गई?"

"एक जरूरी विषय के बारे में आप से बात करनी थी इसलिए---"

"बोलो---क्या बात है ?"

"अप्पा---प्राणेश की अम्मा को मुझे बहू बनाने की इच्छा नहीं है। इसलिए यह शादी को रोकना है।"

"अरे----क्यों भाई---- ?"

"उसकी अम्मा को मेरे बारे में एक बात पता चल गई।"

"कौन सी बात ? कि तुम हमारी बेटी नहीं हो यह बात?"

"यह बात भी ठीक है पर यह बात हम तीनों को ही मालूम है, प्राणेश की अम्मा के कानों तक नहीं पहुंची। उनके कानों तक यह बात पहुंच जाती तो वे ज्यादा अपसेट हो जाती। पर यह बात मेरी किडनी की थी। 3 साल पहले एक गरीब कालेज की छात्रा को मैंने अपनी किडनी दान दी थी ना उसे किसी ने उसकी अम्मा को बता दिया शायद ----एक ही किडनी वाली को मुझे अपनी बहू बनाने की इच्छा नहीं है ऐसा कह रही थी।"

"देखो इस अन्याय को !" श्रीनिवासन अच्छी तरह से नाटक कर रहे थे। सचमुच में उनका चेहरा गुस्से से पत्थर जैसे कठोर हो गया था।

वैगई आगे बोली “प्राणेश से मुझे किडनी की बात ना बता कर, इस शादी की मुझे इच्छा नहीं है ऐसा बोलकर शादी को रुकवाना है। यह बात उसकी अम्मा के सामने कहनी होगी ।"

श्रीनिवासन नकली आवेश में आए। "कह दे,! तुम्हारे घर बहू बनकर आने की मेरी भी बिल्कुल इच्छा नहीं है उसके चेहरे पर चांटा लगे जैसा बोल दो!"

उमैयाल अपनी रोने को मुश्किल से अंदर दबा रही थी, वैगई ने उसे महसूस किया वह श्रीनिवासन की तरफ मुड़ी "अप्पा मैं क्या करूं बताओ? किडनी के बारे में बताने को मना कर दिया उस अम्मा ने ।"

"और एक कारण तो हमारे पास है ना ! उसे बोल दो---"

"कौन सा कारण अप्पा ?"

"रेणुका देवी के टीवी सीरियल में अभिनय करने वाली हो ऐसा बोल दो । वह उसी समय उठकर चल देगा।"

"अप्पा---तो अप्पा ही हैं !" बोलकर वैगई उमैयाल की तरफ मुड़ी।

"अम्मा मुझे भूख लग रही है---खाना परोसोगी क्या ?"

उमैयाल अपने उमड़ते हुए आँसू को रोकते हुए रसोई की तरफ जाने लगी तो वैगई उसके पीछे गई।

दूसरे दिन सुबह 10:00 बजे।

प्राणेश और मणिमेकलैय दोनों कुर्सी पर सहारा लेकर आराम से बैठे थे और सामने श्रीनिवासन और वैगई लंबे बेंच पर बैठे थे।

"वैगई ! किसलिए मुझे और मेरी अम्मा को यहां आने को बोला? अपने होने वाली शादी की कोई समस्या है क्या?"

वैगई मुस्कुराई। तो प्राणेश ने पूछा "क्यों हंस रही हो वैगई ?"

"होने वाली शादी बोले उसी को सुनकर हंसी आ गई।"

"क्यों ?"

"वह न होने वाली शादी है।"

"क्या ? नहीं होने वाली? "प्राणेश का चेहरा एकदम से काला हो गया।" वैगई तुम क्या कह रही हो? उस दिन तुमने मान लिया---?"

"वह गलती थी।"

"वैगई तुम्हें किसी ने धमकाया है मैं ऐसा सोचता हूं।"

"मुझे कोई धमका नहीं सकता !"

प्राणेश तपाक से कुर्सी से उठ गया, खड़े होकर गुस्से और आवेश में चिल्लाया।

"नो वैगई ! इस शादी में तुम्हारी इच्छा नहीं है यह तुम्हारे होंठ भले बोलें, आंखें सच बताने को परेशान हो रही हैं। ऐसा भूकंप लाने वाले फैसले के पीछे निश्चय ही तुम कारण नहीं हो। तुम्हारे पीछे कोई और है ।"

श्रीनिवासन कठोर स्वर में बीच में बोले "यह देखो भैया----! वैगई को इस शादी में कोई रुचि नहीं है तो उसे छोड़ दो-----उसके भविष्य के अनेक प्लान है---"

"फ्यूचर प्लैनिंग ?"

"हां ! एक प्रसिद्ध टीवी सीरियल कंपनी ने वैगई को अभिनय करने को बुलाया है। उसके लिए उसे एक बड़ी रकम की भी बात हुई है-----वैगई ने उसमें स्वयं अभिनय करने की अनुमति दे दी है।"

"झूठ !" रसोई के दरवाजे पर टिक कर बैठी उमैयाल पूरी ताकत लगाकर जोर से चिल्लाई। सभी लोगों की निगाहें उसकी ओर आश्चर्य के साथ मुड़ी।

उमैयाल चल कर प्राणेश के पास गई। "भैया ये सब लोग झूठ बोल रहे हैं---किसी का कहना भी सच नहीं है। वैगई को आपसे शादी करने की इच्छा है---। आपकी अम्मा ही----"

प्राणेश की निगाहें मणिमेकलैय के ऊपर आश्चर्य और सदमे के साथ टिक गई।

"आ…….अ……….अम्मा……….. तुम…………तुम…………….?"

मणिमेकलैय अपने कसे हुए चेहरे से ऊंची आवाज मैं बोली "हां--रे मैं ही हूं! अरे प्राणेश! इन सब ने मिलकर एक बात को छुपाया। यह वैगई है ना----इसकी एक किडनी नहीं है। 3 साल पहले इसने किसी एक गरीब लड़की को एक किडनी डोनेट कर दिया।"

"यह बात तो मुझे पता है ना अम्मा----"

"क्या तुमको पता है ?"

"अच्छी तरह से पता है----वैगई ने ही मुझे यह बात बताई थी ?"

'एक किडनी इसकी नहीं है यह मालूम होने पर भी तू शादी के लिए राजी हो गया ?"

"अम्मा ! मेरी वैगई से शादी करने का मुख्य कारण ही वह एक किडनी ही है।"

"अरे---तू क्या कह रहा है ?"

"मेरे भी तो एक ही किडनी है?" बोलकर प्राणेश ने अपने शर्ट और बनियान को ऊंचा कर दिखाया। ऑपरेशन करने का दो अंगुल लंबा निशान दिख रहा था। मणिमेकलैय आश्चर्यचकित आंखों से देखती खड़ी रही। प्राणेश हंसकर शुरू हुआ।

"अम्मा ! पिछले साल मेरे एक दोस्त को देखने पुणे गया था तुमको पता है। जब मैं वहां गया तो वह दोस्त अस्पताल में भर्ती था। उसकी दोनों किडनियां फेल हो गई थीं। उसकी पत्नी के गोद में 6 माह का बच्चा था। वह मेरे सामने मेरे पति की जान बचा लो कह कर बिलख-बिलख कर रोई । मैंने डॉक्टरों से कंसल्ट किया। उन्होंने कहा नई किडनी ट्रांसप्लांट ही एकमात्र उपाय है। मेरी किडनी ठीक रहेगा क्या पूछा? उन्होंने टेस्ट करके देखा और बोला ठीक रहेगा। मैंने एक किडनी दे दिया। आज वह दोस्त पूरी तरह स्वस्थ है।"

जैसे ही प्राणेश ने अपनी बात खत्म की तो वैगई शुरू हुई। "आपका बेटे प्राणेश पिछले महीने जब मुझसे मिलने आए तब मैंने पूछा आपकी शादी कब है ? यह बात साधारण ढंग से मैंने पूछा था। उसका जवाब आपके बेटे ने क्या दिया आपको पता है--?"

"मैं सच कह दूं तो कोई लड़की मुझसे शादी करने आगे नहीं आएगी। मैं झूठ बोलकर किसी लड़की से शादी करना नहीं चाहता। इसलिए इस जन्म में मेरी शादी का कोई संयोग नहीं है। "उनके ऐसे बोलते ही मेरे मन में एक दुविधा हुई। फिर मैंने कहा कुछ समझा कर बोलिए तब उन्होंने अपने ऑपरेशन के निशान को दिखाकर सारा विवरण मुझे बता दिया। मुझे इस पर आश्चर्य हुआ कि मैं किसी लड़की को धोखा नहीं दूंगा उनके बोलने पर। यह बात मुझे बहुत पसंद आई। मैं भी एक किडनी डोनर हूं मैंने उन्हें बताया। इस पर वे बोले "ऐसा है! वी आर इन दी सेम बोट।" कहकर मजाक से "आप भी मुझसे शादी नहीं करोगी क्या ?" उनकी आवाज में जो दर्द छुपा था वह मुझे छू गया। एक 10 मिनट मैंने सोचा। फिर मैं सीरियस होकर बोली "यस आई विल।" मेरे कहते ही उनकी खुशी का कोई अंत नहीं था। प्राणेश जैसे एक अच्छे आदमी के साथ जीवन भर पार्टनरशिप बनाने की इच्छा हुई। वह गलत है आप कहें तो मैं उस इच्छा को टा-टा बाय-बाय करने को तैयार हूं---"

"नहीं तुम मुझे और मेरे बेटे को छोड़कर नहीं जाना तुम राजा थी (राजकुमारी) हो !" तेज आवाज में चिल्लाते हुए दौड़कर जाकर वैगई को गले लगा लिया मणिमेकल ने।

सभी की आंखों में आंसू थे। श्रीनिवासन की आंखों में कुछ अधिक आंसू थे।

खिड़की के बाहर 102 डिग्री दोपहर की धूप थी पर अभी अंदर चंद्रमा की ठंडक थी।

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समाप्त