करोड़ों-करोड़ों बिजलियां - 12 S Bhagyam Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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करोड़ों-करोड़ों बिजलियां - 12

अध्याय 12

अर्चना!

कमरे के बाहर अम्मा की धीमी आवाज सुनाई दी।

"क्या बात है अम्मा ?"

"तुमसे मिलने कोई दो लोग आए हैं।"

"कौन है ?" अर्चना पूछती हुई बाहर आई।

"रेणुका देवी है---उस अम्मा के साथ एक अधेड़ उम्र का आदमी भी है। टीवी सीरियल बनाने वाले हैं।"

"टी. वी. सीरियल बनाने वालों का इस घर में क्या काम ? उसके अंदर एक प्रश्न उठा वह हॉल में गई । वहां कुर्सी पर बैठे थे रेणुका देवी और मुल्ले वासन दोनों मुस्कुराए।

"आपको परेशान करने के लिए क्षमा करें............. मेरा नाम रेणुका देवी है हम टी.वी. सीरियल बनाने वाले हैं। यह सीरियल डायरैक्ट करने वाले हैं। आपका ही नाम अर्चना है?"

"हां।"

"आपसे 5 मिनट बात करनी है।"

अर्चना उनके सामने असमंजस की स्थिति में बैठी थी।

"क्या बात है ?"

रेणुका देवी ने कुछ क्षण संकोच के बाद धीमी आवाज में पूछा।

"अब आपकी फ्रेंड वैगई कहां रहती है आप बता सकते हैं ?"

अर्चना की भौहें ऊंची हुई।

"आप क्यों वैगई के बारे में पूछ रहे हैं ?"

"2 साल पहले की एक पुरानी डायरी मिली है। एक पुरानी पुस्तकों की दुकान पर अचानक मिली उस डायरी को पढ़ कर देखा तो डायरी में वैगई के जीवन में घटी घटनाओं के बारे में था और आपका नाम भी उसमें था। डायरी में लिखी हुई बातों ने मुझे भी और डायरेक्टर को भी बहुत प्रभावित किया, वैगई और आपको मिलने के लिए हंसा हॉस्पिटल गए। वहां पता किया। आप दोनों ही अब इस अस्पताल में नौकरी नहीं करते बताया। वैगई के घर का पता मांगा तो वैगई पहले के पते पर नहीं रहती बोल दिया। उनका नया पता उन्हें मालूम नहीं था । अतः आपके पास आए।"

"अब वह डायरी आपके पास है क्या............ ?"

"हां---"

"दीजिएगा देखें।"

डायरेक्टर मुल्लेवासन ने अपना ब्रीफकेस खोल कर उसके अंदर से डायरी निकाल कर उसे अर्चना को पकड़ाया। उसे लेते हुए अर्चना ने पूछा।

"यह किसकी डायरी है आपको पता है ?"

"नहीं मालूम।"

"यह मेरी डायरी है---पिछले 2 हफ्ते से मैं इसे ढूंढ रही हूं। पुराने मासिक पत्रिकाएं और पेपर को डालते समय अम्मा ने इसे भी डाल दिया होगा सोचती हूं। क्योंकि मेरी अम्मा की दोनों आंखों में मोतियाबिंद है, ऑपरेशन करने तक इस तरह की गलतियां होती रहेंगी।"

रेणुका ने पूछा-"इस डायरी में जो बातें लिखी हैं वह सब आपका लिखा हुआ है ना अर्चना?"

"हां ! मुझे वैगई का सामीप्य और उसका साहस, उस का रहन सहन बहुत पसंद है। इसलिए रोज रात को सोने से पहले वैगई से संबंधित बातों को एक कहानी जैसे डायरी में लिख कर रख देती थी उससे मुझे एक खुशी मिलती थी। परंतु ईलमचेरियन की अचानक मौत ने हमें डरा दिया। उसके बाद मैंने डायरी लिखना बंद कर दिया---डायरी जाने कैसे पुरानी पुस्तकों के साथ मिलकर रद्दी में चला गया---"

"वैगई अब कहां रहती है, आप बता सकती हैं अर्चना ?"

"आप वैगई से क्यों मिलना चाहते हैं ?"

"उस लड़की के जीवन में जो घटनाएं घटी उसका एक टी. वी. सीरियल बनाएं ऐसी योजना है। समस्याओं को अहिंसा के तरीके से फेस करके वैगई जीत गई। उसी को छोटे पर्दे पर दिखाने की सोच रहे हैं। टी वी सीरियल का नाम भी हमने रख दिया। 'आंखों में पानी क्यों ?' उस कैरेक्टर को यदि वैगई ही निभाए तो हमें बहुत खुशी होगी।"

"वैगई अभी पडपैय में है---वहां एक दिव्यांग स्कूल है। वहां वह एक टीचर का काम कर रही है। उसके अप्पा और अम्मा उसके साथ हैं।"

"उसने अस्पताल के काम को क्यों छोड़ा ?"

"ईलम चेरियन के मरने के बाद वैगई एक साधारण जीवन लीड नहीं कर पाई---अस्पताल में अकाउंट सेक्शन में उसके काम में कई गलतियां हो गईं । अतः उसने रिजाइन कर दिया। सोसाइटी फॉर केयरिंग एंड शेयरिंग चला रही प्रेसिडेंट वाणी सुब्रमण्यन भी अपने बेटे के पास ऑस्ट्रेलिया जाकर सेटल हो गई। वैगई के पास दूसरा रास्ता ना होने से पड़पैय मैं शारीरिक दिव्यांग विद्यालय में अध्यापिका के काम के लिए एप्लीकेशन उसने डाला। वैगई को महिला उन्नति अवार्ड मिला होने के कारण उस स्कूल वालों ने आराम से उसे काम दे दिया।"

मुल्ले वासन बीच में बोले "महिला उन्नति अवार्ड में 10 लाख रुपए मिले होंगे?"

"हां मिले थे---उन रुपयों को रखकर ही यमुना और तुंगभद्रा दोनों की शादी अच्छी जगह में अच्छा दामाद देखकर कर दी। यमुना अपने पति के साथ शारजहां मैं रहती है और तुंगभद्रा मलेशिया में खुशी से अपना जीवन चला रही हैं। थोड़े दिनों पहले यमुना की गोद भराई की रसम भी हुई थी।

"वैगई की शादी ?"

"शादी नहीं करूंगी बोलती है।"

"ईलम चेरियन की याद में रहती है क्या ?"

"वैसा भी नहीं लगता---शुरू के दिनों में जो परेशानी थी अब नहीं है--- 2 महीने पहले एक दिन उससे मिलकर बात करते समय ईलम चेरियन की बात आई। उस समय वह साधारण ढंग से बात कर रही थी बोली ‘उनको पहले बस मिल गईहम बस का इंतजार कर रहे हैं, बस इतना ही अंतर है’।"

"सो ईलम चेरियन को भूल गई।"

"ऐसा लगता है।"

"आपने उन्हें आखिरी बार कब मिलीं ?"

"पड़पैय मैं वैगई का घर कहां है ?"

"राजकीय दिव्यांग स्कूल के सामने ही घर है आप उससे कब मिलने जाओगे ?"

"अभी ।"

वे उठ गए।

पडपैय।

राजकीय दिव्यांग स्कूल के सामने, एक पगडंडी में नारियल के पेड़ों के बीच में आखिरी में एक खपरेल का मकान दिखा, उसके सामने खड़े हुए रेणुका और मुल्ले वासन।

"यहीं पर है सोचता हूं।"

"उमैयाल कुएं पर कपड़े धो रही थी। श्रीनिवासन नारियल के पेड़ को काटकर सही कर रहे थे। उन्हें देख अपने काम को छोड़कर वह उठे।

"किसे देख रहे हो ?"

"यहां वैगई नाम की कोई है ?"

"हमारी लड़की ही है।"

"उनसे मिलना है।"

"अंदर आइएगा।" श्रीनिवासन उन सामानों को रखकर बोले, रेणुका देवी और मुल्ले वासन अंदर आए।

"आप ?"

"हम चेन्नई से आ रहे हैं। टी. वी. वाले हैं।"

"आइए ।" कहते हुए श्रीनिवासन उन्हें अंदर ले गए। वहां एक कुर्सी पर 4 साल की लड़की को बैठा कर उसके दुबले और काले पड़े पैरों को तेल लगा कर मालिश करके वैगई मुड़ी । श्रीनिवासन बोले "वैगई, यह लोग टीवी के लोग हैं। चेन्नई से आए हैं। ये तुमसे मिलना चाहते हैं।"

वैगई ने तेल लगे हाथों से उन्हें देखा।

"5 मिनट वेट कीजिए अभी आ रही हूं।"

"आराम से आइएगा कोई जल्दी नहीं है--"

रेणुका देवी और मुल्ले वासन, श्रीनिवासन की डाली कुर्सियों में बैठ गए। मुल्ले वासन धीरे से बोले "हमारे उम्मीद से ज्यादा ही सुंदर है लड़की ... होमली फेस। कैमरा के सब कोणों से ठीक रहेगा।"

"आंखों को देखा ? टाइम निकाल कर चार लाइन कविता लिखने की इच्छा हो रही है।"

वैगई उस बच्चे से कह रही थी "मैंने अच्छी तरह तेल मालिश कर दिया है। मैं जब तक ना कहूं कुर्सी से मत उतरना। सूसू आयें तो मुझसे बोलना। समझी?"

उसने अच्छे से सिर हिला दिया । वैगई तेल के हाथों को टावल से पौंछती हुई उन लोगों के सामने रखी कुर्सी पर जा कर बैठी। बोली "बताइए क्या बात है?"

अपना परिचय देते हुए रेणुका देवी, अर्चना की डायरी में पढ़े विवरणों को बोलकर खत्म किया तो वैगई मुस्कुराई।

"सो..! इस वक्त आपको मेरे बारे में सब कुछ पता है?"

"हां"

"ठीक है.... आप लोग मुझे देखने क्यों आए हैं बताइएगा ?"

"आपके जीवन में घटी घटनाओं के सच को रख कर 'आंखों में पानी क्यों ?' नाम से सीरियल बनाने की सोच रहे हैं! पहले से ही 4-5 हिट सीरियल्स हमने बनाये हैं। अभी विनस टीवी में आ रहा है 'झांसी की रानी 2004' वह मैंने ही बनाया। महिलाओं ने इस सीरियल को बहुत पसंद किया।"

"सॉरी...! मेरे पास टीवी सीरियल देखने का समय नहीं..! मेरे जीवन में घटी घटनाओं को रखकर सीरियल तैयार करने लायक उसमें कुछ भी नहीं है।"

मुल्ले वासन बीच में बोले 'आप ऐसे कैसे बोल रहीं हैं? आपने जो जीवन जिया है उसका अर्थ है, महत्व है इसी कारण ही तो आपको 'महिला उन्नति' अवार्ड दिया गया अवार्ड ऐसे ही थोड़ी मिलेगा?"

"टीवी सीरियल तो एक खाली समय काटने का साधन है उसमें मुझे मत घसीटो ।"

रेणुका देवी मुस्कुराई। "मैं दूसरे टीवी सीरियल तैयार करने वालों से अलग हूं। नहीं तो आपको ढूंढ कर इस पड़पैय में नहीं आती। आप हां कहें तो कल से ही स्टूडियो में पूजा शुरू करें। आप वैगई ही बनकर आओगी। 1 दिन का आपका वेतन 25000 रुपये होगा। सुबह 10:00 बजे शूटिंग स्टॉफ आ जाता है, और शाम को 6:00 बजे जा सकते हैं। कुल मिलाकर 300 एपिसोड होंगे। सीरियल पिकअप हो जाए तो आपको 1 दिन का वेतन 50 हजार रुपये होंगे। आप क्या बोल रही हो वैगई?"

"गेट आउट---"वैगई बोली।

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