कहानी प्यार कि - 18 Dr Mehta Mansi द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कहानी प्यार कि - 18

अनिरुद्ध और किंजल संजना के कमरे के पास दीवाल के पीछे छुप गए.. मोहित अभी भी संजना के कमरे में था..

" भाई तो अभी भी अंदर है ..." किंजल ने कमरे में झांकते हुए कहा..

" तो तू कुछ करना ... एसे खड़े खड़े तो मे अकेला भी देख सकता था.."

" मुझे कुछ सोचने तो दे .."

" मुझे सुबह तक यहां वेट नहीं करना है किंजल .."

" सुबह तक क्यों ? "

" अब तुम सोचोगी तब तक सुबह तो हो ही जाएगी.. "

ये सुनकर किंजल अनिरूद्ध को गुस्से मै घूरने लगी..

" अब जा ना...." अनिरूद्ध ने कहा और किंजल को रूम में धक्का दे दिया ..

" क्या कर रहे हो.." किंजल बोलती तब तक तो को कमरे में आ चुकी थी..

" किंजल तुम यहां ? और कौन क्या कर रहा है ? " मोहित बोला..
" नहीं तो कोई कुछ नहीं कर रहा.. मे तो बस यहां एसे ही आ गई .."

" एसे ही मतलब .. रात के दो बजे है अब सो जा..."

" हा बस सोने ही जा रही थी मैंने सोचा एकबार जाकर संजु को देख लू फिर कल तो वो चली जाएगी ना " किंजल ने मासूम फेस बनाते हुए कहा..

" तुझे बड़ी जल्दी है मेरे जाने की " संजना ने उसकी तरफ शक भरी नजरों से देखते हुए कहा..

ये सुनकर किंजल संजना को आंखे दिखाने लगी..

" एक तो दोनो का स्नेह मिलन करवा रही हूं और दोनो बदले में मुझे ही सुना रहे है ..! " किंजल मन में बडबडा रही थी..

" भाई आप अभी तक सोए नही ..? "

" हा वो में भी संजना को मिलने ही आया था कल उसके लिए बहुत बड़ा दिन है तो .."
मोहित संजना कि तरफ देखता हुआ बोला.. थोड़ा इमोशनल भी हो गया था..

" भाई...." संजना प्यार से मोहित कि तरफ देखती हुई बोली..

" मै ठीक हूं संजू .. तू सो जा ... चल किंजल तू भी जाके सो जा .. बहुत रात हो गई है .."

" हा भाई आप जाइए मे अभी आती हूं .."

" क्यों अब तुझे क्या काम है ? "

" काम ...? हा काम है ना .. "

" कौन सा काम ..? " संजना बोली..

" मेरी मा थोड़ी देर चुप रहना.. तुम्हारे लिए ही कर रही हूं...! " किंजल फिर से संजना को आंखे दिखाती हुई मन में बोली

" भाई वो पर्सनल है हमारा .. "

" अच्छा ठीक है पर फिर जल्दी जाकर सो जाना .." कहकर मोहित चला गया...

" तू कभी मेरा साथ नही दे सकती क्या .. ? "
किंजल संजना को कहती हुई बोली..

" अरे ! मैंने कब तुम्हारा साथ नहीं दिया.."

" अभी क्या कह रही थी.. मे तुम्हारे लिए सब कर रही थी और तुम मुझ पर ही सवाल कर रही थी ! "

" मेरे लिए ? एसा क्या काम है जो तुम इतनी रात को मेरे लिए करने आई ! "

तभी अनिरूद्ध अंदर कमरे में आ गया..

" ये काम ..."
किंजल अनिरूद्ध को देखकर बोली..

" अनिरूद्ध ..? तुम अभी यहां क्या कर रहे हो ? " संजना उसे अचानक देखकर घबरा गई ..

" मे चलती हु... तुम लोग अपने सवाल जवाब कंटिन्यू रखो..." किंजल ने कहा और वो भी वहा से चली गई..

संजना ने जल्दी से जाकर कमरा बंद कर दिया..

" तुम इस वक्त क्यों आए ..? भाई ने देख लिया तो..? "

" शी....." अनिरूद्ध मे संजना के होठ पर उंगली रखकर उसे चुप कर दिया..

" तो क्या हुआ..? देखते है तो देखने दो... "

" तुम भी ना .. एसे कहीं पर भी आ जाते हो ...! " संजना मे उसकी उंगली हटाते हुए कहा..

" हा तो क्यों नहीं..? जहां जहां तुम होगी वहा वहा तुम्हे ये अनिरूद्ध तुम्हारी सेवा मे हाजिर मिलेगा..."

" हा .. हा.. सेवा तो तुम्हे करनी पड़ेगी वो भी डबल.. मुझसे बहुत कुछ छुपाया जो था तुमने ..."

" सोरी संजू ... आई एम वेरी सोरी " अनिरूद्ध कान पकड़ता हुआ बोला..

" नहीं अनिरूद्ध मे तो बस मजाक कर रही थी " संजना ने तुरंत अनिरूद्ध के हाथ कान पर से हटा दिए..और उसके गले लग गई...

" सोरी तो मुझे कहना चाहिए .. कि में समझ नहीं सकी तुम्हे.. "

" एसा नही है संजू.. तुम्हारे जैसे मुझे कोई समझ नहीं सकता ...तुम हो तो मे हूं .. मेरा वजूद है .. अब तो तुम मेरे साथ ही हो..मेरे पास हो .. और अब मे तुम्हे कभी अलग नहीं होने दूंगा ..." अनिरुद्ध और संजना ने अभी भी खुद को कसकर गले लगाया हुआ था..

" आज इतने दिनों के बाद इतना सुकुन मिला है .. "

" मुझे भी..."

थोड़ी देर तक दोनो चुपचाप एक दूसरे को महसूस कर रहे थे...
फिर संजना ने अनिरूद्ध का हाथ पकड़ा और उसे बेड पर बैठा दिया..
" अरे क्या कर रही हो .. इसके लिए अभी कल रात तक का वेट तो करो ..." अनिरूद्ध मस्ती करता हुआ बोला..

" शट अप तुम ना एसी वेसी बाते मत करो ..." संजना ने अनिरूद्ध को धक्का मार कर सुला दिया..

" तुम मेरे शक को यकीन मे मत बदलो संजू.. मुझे तुमसे डर लग रहा है " अनिरूद्ध फिर से सीरियस फेस बनाता हुआ बोला..

" शी..." संजना ने उसे चुप रहने को कहा.. और फिर संजना धीरे से अनिरूद्ध के हाथ पर सीर रखकर उसके पास लेट गई...

" इसी जगह मे हररोज सोते वक्त बस तुम्हारे बारे में सोचती थी ...और आज तुम्हारे साथ इसी जगह तुम्हारे पास हूं .. यकीन ही नहीं हो रहा है "

" तो यकीन करो क्योंकि कल से हर रात हर सुबह मे और तुम इसी तरफ से साथ और पास होंगे..."

" तुम्हे मेरी वजह से कितना कुछ सहना पड़ा ना ..." संजना कुछ सोचती हुई बोली...

ये सुनकर अनिरूद्ध ने संजना कि तरफ देखा जिसकी आंखे कि कोर में मोती जैसे आंसू छलक आए थे..

अनिरूद्ध संजना कि तरफ मुड़ गया और उसकी आंखो मे आए आंसू पौछ दिए.. और उसके चहेरे पर हाथ रखते हुए कहा..

" संजू मेरी तरफ देखो..."

पर संजना ने अपना सिर हिला के मना कर दिया..

" संजू मैंने कहा मेरी तरफ देखो ..."

संजना ने भीगी आंखो से अनिरूद्ध की आंखो मे देखा...
" संजू तुम्हारी वजह से कुछ नहीं हुआ है .. कुछ भी नहीं.. बल्कि तुम्हारे प्यार कि वजह से ही मे कोमा में से बाहर आ पाया हूं .. इसीलिए ये गिल्ट कभी मत लाना .."

संजना ने सिर्फ हा मे अपना सिर हिला दिया..
" संजू आज इतने दिनों के बाद हम मिले है और तुम फिर भी ये मोती से भी ज्यादा कीमती आंसू बहा रही हो.. चलो अब रोना बंध और मुझे एक प्यारी सी स्माइल चाहिए..." अनिरूद्ध मुस्कुराता हुआ बोला..

और ये सुनकर संजना भी मुस्कुराने लगी..

" आई लव यू अनिरूद्ध ..."

" आई लव यू टू संजू ... " अनिरूद्ध ने कहा और हल्के से संजना का माथा चूम लिया..



फिर अनिरूद्ध धीरे धीरे संजना के सिर पर हाथ फेरने लगा... वो अगले दिन जो होने वाला था उस के बारे में सोच रहा था और संजना अनिरूद्ध के हाथ पर ही सो गई थी... अनिरूद्ध ने जब देखा तो उसके चहेरे पर स्माइल आ गई ... संजना सोती हुई बहुत प्यारी लग रही थी..
" संजू अब वक्त आ गया है दुनिया के सामने आने का .. कल पूरी दुनिया जान जाएगी की अनिरूद्ध ओब्रॉय संजना का है और संजना अनिरूद्ध की " अनिरूद्ध ने धीमे से कहा और फिर वो भी सो गया ..

"मुझे अपनी जान बना लो,
अपना अहसास बना लो,
मुझे अपने अल्फाज़ बना लो,
अपने दिल की आवाज़ बना लो,
बसा लो अपनी आँखों में
मुझे अपना ख़्वाब बना लो,
मुझे छुपा लो सारी दुनिया से
अपना एक गहरा राज बना लो.."

सुबह हो चुकी थी ... शादी का दिन था इसलिए सब लोग जल्दी उठ गए थे... मोहित किंजल को उठाने के लिए उसके कमरे में आया.. पर किंजल तब तक उठ चुकी थी और तैयार भी हो गई थी..

" आज जल्दी उठ गई मेरी कीनजू..." मोहित किंजल के पास आता हुआ बोला...

" हा... "

" संजू उठ गई क्या ? "

" पता नहीं भाई...! "

" अनिरूद्ध भी दिखाई नहीं दे रहे .. अपने कमरे में भी नहीं थे.. तू जरा देख ले .. मे संजना को उठा के आता हूं..." मोहित ने जैसे ही बोला किंजल के हाथ से उसकी लिपस्टिक गिर गई...

" क्या हुआ ...? " मोहित को अजीब लगा किंजल को एसे शॉक्ड देखकर ..

" कुछ नहीं भाई... आप रुकिए .. मे जाती हूं संजू के पास .. उसे उठाकर तैयार भी कर दूंगी " किंजल बोलती बोलती भाग कर जाने लगी..

" अरे पर ... " मोहित कुछ बोले उससे पहले ही किंजल जा चुकी थी..

" ये लड़की भी ना .. " मोहित मुस्कुराता हुआ चला गया...

किंजल भागती हुई संजना के कमरे में गई तो अनिरूद्ध और संजना अभी भी सो रहे थे..

" है भगवान्..! दोनो को मिलने को कहा था और ये दोनो तो साथ मे एक ही बिस्तर मे सो गए... " किंजल ने अपना सीर पिट लिया था..

" संजू .. अनिरूद्ध उठो ... उठो सुबह हो गई है "

" सोने दो ना " संजना नींद मे बोली और फिर से सो गई..

" अनिरूद्ध उठो ... " किंजल दोनो को उठाने कि कोशिश कर रही थी पर दोनो हिलने का नाम नहीं ले रहे थे...

" हा मोहित भाई.. आइए.. हा अनिरूद्ध और संजना साथ मे ही है ... " किंजल जोर से बोली...

ये सुनते ही दोनो जट से खड़े हो गए..

" भाई ...? " संजना इधर उधर देखने लगी...

" मोहित ...? कहा है ? " अनिरूद्ध ने पूछा..

" बाहर है और अभी मे नहीं होती तो यहां मेरी जगह वो होते .. और तुम दोनो को एसे देख लिए होते..."

" ओह .. रात को पता ही नहीं चला कि में कब सो गई..." संजना ने कहा..

" कोई बात नहीं.. संजू और अनिरूद्ध तुम जाओ भाई तुम्हे ढूंढ रहे थे... संजू तुम भी जल्दी से तैयार हो जाओ..." किंजल ने कहा और वो चली गई... अनिरूद्ध और संजना भी तैयार होने चले गए..

उधर त्रिपाठी हाउस में भी सब जोर शोर से तैयार हो रहे थे...
" हैलो ... हा बोलो " जगदीशचंद्र त्रिपाठी किसी से फोन पर बात करते हुए बोले..

" सर .. कल का सारा इंतजाम हो गया है .." सामने से आवाज आईं ..

" बढ़िया.. कल सारी मेडिसीन ठीक से एरपोर्ट पहुंच जानी चाहिए और ध्यान रखना किसी को पता ना चले..."

" जी सर " उसने कहा और फोन काट दिया..

" बेटे तैयार हो गए ? " जगदीशचंद्र ने हरदेव के पास आते हुए कहा..

" हा पापा ... बस हो गया " हरदेव बोला..

" बेटा देखा ना मैंने जैसा कहा वैसे तुमने किया तो तुम आज अपनी पसंदीदा लड़की से शादी कर पा रहे हो ...एसे ही हमेशा मेरी बात माना करो.. "

" जी पापा..."

" हम ... मेरे बाद तुम्हे ही मेरी जगह लेनी है .. इसीलिए अपने बाप कि तरह चालाक बन जाओ .. जो चाहोगे वो तुम्हारे कदमों मे होंगा..."

" आप सही कह रहे हो पापा.. आज के बाद से में आप कि सारी बाते मानूंगा " हरदेव ने कहा और फिर जगदीशचंद्र वहा से चले गए...

" आज बारात मे कई सारे लोग होंगे... जगदीशचंद्र और हरदेव कि सिक्योरिटी भी टाइट रखी होंगी इसीलिए कोई भी गड़बड़ ना हो उसका ध्यान रखना ... संजना तुम्हे याद है ना तुम्हे क्या करना है ? " अनिरूद्ध सब को आखिरी बार आज का प्लान समझा रहा था

" हा ... याद है " संजना ने कॉन्फिडेंस से कहा..

" गुड .. मोहित आप कैमरे मे नजर रखना.. आपको जरा सा भी कोई शक हो तो मुझे तुरंत बता देना "

" ओके अनिरूद्ध " मोहित ने कहा और वो वहा से चला गया..

" किंजल तुम संजना के साथ ही रहना .. जब संजना वहा जाए तब उस पर नजर रखना ... कुछ भी तकलीफ़ लगे सौरभ को तुरंत बता देना वो आजाएगा ."

" ठीक है..."

" तो हम दोनों चलते है पार्लर के लिए ..."
संजना ने कहा..

" हा अपना ध्यान रखना " अनिरूद्ध ने कहा और फिर संजना और किंजल पार्लर चले गए..

" आज आख़िरी दिन है इस मास्क से चेहरा छुपाने का... फिर इस से हमेशा के लिए आजाद ..." अनिरूद्ध मास्क पहनते हुए बोला..

सौरभ ने भी विक पहनी और अपने वरूण वाले गेट अप मे आ गया .. था
आज अखील अंकल और अनुराधा जी भी आने वाली थी.. दादी तो पहले से ही थी.. सौरभ के चाचा चाची कुछ काम कि वजह से नहीं आने वाले थे.. पर अनिरूद्ध ने शर्माजी को इन्विटेशन दे दिया था वो भी फूल फैमिली...
त्रिपाठी हाउस से भी बारात निकलने के लिए तैयार थी... और हमारे सभी कमांडर बारात मे बेंड बजवाने के लिए तैयार थे..

🥰 क्रमशः 🥰