सपने - (भाग-13) सीमा बी. द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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सपने - (भाग-13)

सपने.....(भाग-13)
 
आस्था ने आदित्य और श्रीकांत को सरप्राइज देना था इसलिए उसने उनको नहीं बताया अपने मुंबई जाने की बात.......निकिता ने अपनी एक कजिन का एड्रेस और नं दिया था, कभी कोई जरूरत हो तो जा सकती है और अपनी कजिन को भी बता दिया था आस्था के बारे में......मुंबई पहुंच कर वहाँ से टैक्सी ले कर जो होटल बताया गया था वहाँ पहुँच गयी। मैनेजर ने उसे बताया कि वो रेस्ट करे शाम को डिनर पर सर मिलेंगे....। उधर आदित्य और श्रीकांत तो पहले ही पहुँच गए थे। अगले दिन आदित्य ऑफिस चला गया फार्मेलिटिज पूरी करने और श्रीकांत काम पर....... आस्था पहले फ्रेश हो गयी, खाने का आर्डर कर दिया। शाम को 8 बजे नचिकेत दत्ता ने फोन करके आस्था को नीचे डिनर पर चलने के लिए बुला लिया......!! डिनर पर नचिकेत ने बाकी लोगो से भी मिला दिया और अभी 2 लोग और आने वाले थे 2 दिन में उसके बाद उनकी वर्कशॉप पहले और उसके बाद रिहर्सल । नचिकेत ने सब को ड्रामा की SCRIPT पकडा़ दी और कहा कि अपने अपने कैरेक्टर को समझ लो.....!! आस्था को वापिस होटल छोड़ते हुए नचिकेत ने कहा, "अभी 2 दिन तुम्हारे पास फ्री हैं ,चाहो तो मुबंई घूम लो".....! सुबह आराम से उठने का सोच कर वो काफी देर से सोई पर तकरीबन सुबह 5 बजे होटल में अचानक भगदड़ सी मच गयी। किसी तीखी आवाज ने जैसे कोई अलार्म बजा था, वो तो बाद में पता चला कि फायर अलार्म की आवाज थी। वो उठ कर बाहर आयी, सब घबरा कर बाहर की तरफ जा रहे थे.....पर तभी होटल मैनेजर आया और उसने ऊँची आवाज में कहा,"Please don't panic, Situation is under control....It was false alarm due to technical issue.please sorry for innconvience".कुछ लोग अच्छे खासा नाराज दिख रहे थे। सुबह का वक्त था और सबकी नींद खराब हो गयी थी.....सब बड़बड़ाते हुए अपने अपने कमरों में चले गए।
आस्था भी अपने कमरे में जाने को मुड़ी ही थी कि उसे मैनेजर की गुस्से वाली आवाज सुनायी दी! वो किसी को बोल रहा था, "सर आपकी वजह से मेरी नौकरी पर बन आयी है, प्लीज आप कहीं और रूम देख लीजिए। यहाँ से आपको अभी जाना पड़ेगा"। आस्था ने घूम कर देखा तो वो किसी लड़के से बात कर रहे था........लड़का काफी शर्मिंदा दिख रहा था। वो ओ के बोल कर अपने कमरे की तरफ चला गया और मैनेजर शायद उसका बिल बनाने लगा। आस्था ने वहाँ से जा रहे एक सर्विस बॉय से पूछा," यहाँ क्या हुआ"?
उसने बताया कि वो सर सुबह सुबह पूजा करने के लिए धूप अगरबत्ती जला रहे थे तो धुँए से फायर अलार्म बज गया"। आस्था अपने कमरे में आयी उसे चाय पीने का मन हो रहा था, पर इस फायर आलर्म की वजह से जो प्रॉब्लम खड़ी हो गयी थी, उसको मैनेज करने में स्टॉफ बिजी दिखायी दे रहा था, सो उसने बाहर जा कर चाय पीने का मूड़ बनाया और होटल से बाहर आ गयी। वो होटल से निकाला गया लड़का बाहर एक साइड अपने सूटकेस को रख कर किसी को फोन कर रहा था......। आस्था उसको परेशान देख कर अपने आप को रोक नहीं पायी। हालंकि जो उसने किया था वो सोच सोच कर आस्था मन ही मन हँस भी रही थी, पर इंसानियत के तौर पर वो उसके पास पहुँच गयी और सीधा बोली, "मैं आस्था हूँ, मुझे पता है कि क्या हुआ होटल में!! मैं कोई हेल्प कर सकती हूँ"? हैलो मैं राजशेखर है, बैंगलूरू से यहाँ आया हूँ, ऑफिस वालों ने ये होटल बुक कराया, Now what should i do? I am confused.......उसकी बात सुन कर आस्था ने बोला, "चलो पहले चाय पीते हैं और कुछ खाते हैं, फिर सोचते हैं कि क्या करना है"।आस्था की बात सुनकर राजशेखर कुछ रिलैक्स हुआ। एक ऑटो वाले से नजदीक कहीं चाय कॉफी के लिए पूछा तो उसने थोड़ी आगे जा कर एक चाय की दुकान पर रूक गया। जगह तो अच्छी नहीॆ थी पर सिरदर्द होने की वजह से दोनो ने चाय ली और साइड पर खड़े हो कर चाय पीने लगे.....राजशेखर मुंबई में एक सॉफ्टवेयर कंपनी में जॉब करने आया था.......पर यहाँ आ कर सुबह सुबह ये सब हो गया तो परेशान हो गया कि क्या करे? आस्था ने श्रीकांत को फोन करके उससे उसका एड्रेस पूछा तो उसने कहा क्यों चाहिए तो आस्था को उसे बताना पड़ा कि वो मुंबई में है और वो मिलना चाहती है, पर आदित्य को सरप्राइज देना है, इसलिए जल्दी से एड्रैस बताओ......श्रीकांत से एड्रेस ले कर आस्था ने एक टैक्सी ली और राजशेखर को अपने साथ ले गयी। 1 घंटा पहले राजशेखर उससे मिला और आस्था ने उसे मुसीबत से निकालने के लिए भी सोच लिया, यही सोच कर उसने आस्था को थैंक्यू बोला हेल्प करने के लिए.......!! काफी इंप्रेस हो गया था राजशेखर आस्था से.......1 घंटे के बाद टैक्सी आदित्य के फ्लैट की बिल्डिंग के सामने खड़ी थी.....। सामान ले कर 5th फ्लोर पर उनके फ्लैट के सामने खड़े थे। घंटी बजायी तो एक 24-25 साल की लड़की ने खोला। सांवली सी लड़की साड़ी में थी, " जी कहिए "। आस्था लड़की को देख कर सोच में पड़ गयी, क्या ये सोफिया है? लगती तो नहीं , अभी यही सोच ही रही थी कि श्रीकांत आ गया, " आओ आस्था अंदर आ जाओ बाहर क्यों खड़ी हो", दोनो अंदर चले गए। "आदित्य अपने रूम में सोया हुआ है, मैं उसे उठाता हूँ। तुम लोग बैठो".....सविता झट से उनके लिए पानी ले आयी।श्रीकांत आदित्य को उठाने गया, तब तक आस्था ने घर देख लिया। वाकई बहुत बड़ा घर है। ड्राइंग रूम भी अच्छा है। आदित्य को जबरदस्ती श्रीकांत उठा कर लाया था। आँखे मलता हुआ जब वो ड्राइँगरूम में आया और आस्था को देखा तो खुशी के मारे वो उछल ही गया। खुशी में उसने आस्था को गले से लगा लिया।आस्था तुमने बताया क्यों नहीं? हम लेने आते? और भी न जाने क्या क्या कहता जाता अगर वो राजशेखर के न देखता। राजशेखर की तरफ देखते हुए आदित्य और श्रीकांत की आँखो में सवाल देख कर उसने राजशेखर के बारे में जितना जानती थी सब बता दिया! तब तक सविता ताई चाय और गरमा गरम पोहा बना कर ले आयी। राजशेखर थोड़ा नार्मल हो गया था। जैसा उसने श्रीकांत और आदित्य से उम्मीद की थी, वैसा ही हुआ, आस्था के कहने पर तुरंत राजशेखर को अपने साथ एक रूम में शिफ्ट होने को कह दिया और राजशेखर भी इस शर्त पर रहने को तैयार हुआ कि वो रेंट और बाकी चीजो में बराबर का शेयर देगा और आदित्य ने भी उसे कहा "आराम से रहे, पर पूजा करते टाइम घंटियाँ तेज मत बजाना भाई, 5बजे उठने की आदत नहीं है भाई कह कर वो हँसने लगा। राजशेखर भी मुस्कुरा दिया"......!!
क्रमश: