सपने - (भाग-12) सीमा बी. द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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सपने - (भाग-12)

सपने........(भाग-12)
 
आस्था की खुशियों का ठिकाना नहीं था, पर दूसरी तरफ उसके पापा विजय जी को लग रहा था कि उनकी बेटी अपने सपनो के पीछे दौड़ तो रही है, पर दुनिया और उसमें रहने वाले लोग उतने अच्छे नहीं है जितना उनकी प्यारी बेटी सोच रही है.......ये सब सोच कर वो परेशान तो थे पर फिर भी आस्था की खुशी में खुश हो रहे थे या फिर खुश होने का दिखावा कर रहे थे!! निखिल और निकिता दोनो ही आस्था को सपोर्ट कर रहे थे.......
शायद हर लड़की के माँ बाप की तरह आस्था के मम्मी पापा भी डर रहे थे कि उनकी बेटी कहीं मुबंई की चकाचौंध में खो न जाए!! विजय जी और अनिता जी दोनो समय समय पर आस्था को भला बुरा समझाते रहते थे। निकिता और स्नेहा भी उसे जब से वो दिल्ली आयी थी , हर कदम संभल कर चलने की ताकीद करते रहते थे.....आस्था सब को सुनती बहुत ही ध्यान से क्योंकि वो अचिछे ढँग से समझ रही थी कि उसको जिस विश्वास से मम्मी पापा ने भेजा है, उसको बनाए रखना होगा......आखिर वो दिन भी आ गया जिसका आस्था को बेसब्री से इंतजार था.....उनका आखिरी ड्रामा, जिसके बाद उनकी पढाई पूरी हो जाएगी...और सब अपने अपने सपने पूरे करने के लिए आगे बढते चले जाएँगे.......आस्था की पूरी फैमिली को भी आना था, उसने श्रीकांत और आदित्य को भी उनका प्रॉमिस याद दिला दिया। आदित्य के भी तो MBA के आखिरी सेमेस्टर के एग्जाम हो रहे थे.....वो भी तब तक फ्री हो जाएगा....ऐसा उसने बताया था।
एक महीने से तैयारियाँ रिहर्सल चल रही थी, तय समय में ड्रामा हुआ और बहुत अच्छा रहा सब कुछ.......आदित्य और श्रीकांत के लिए उसने इंवाइट लिया था.....दोनो बहुत खुश हुए आस्था की परफार्मेंस देख कर.......बाद में आस्था सबसे मिली.........सब कुछ परफेक्ट हो रहा था आस्था के साथ। अभी कुछ दिन का काम बाकी था तो फैमिली अगले दिन वापिस चली गयी। उनके जाने से पहले श्रीकांत और आदित्य से आस्था ने मिलवाया था...... आदित्य और श्रीकांत सीधा ही ऑडिटोरियम आ गए थे तो वो लोग भी कुछ दिन रूकने वाले थे.....आस्था और उसकी फैमिली से मिल कर आदित्य श्रीकांत को भी अपने घर ले गया..... दोनो लोग बाहर खाना खा कर घर पहुँचे तो काफी देर हो गयी थी......सब सो गए थे। सुबह राधा अम्मां से मिल कर नाश्ता करके दोनो बाहर निकल गए......राधा अम्मां से पता चला कि उसकी मॉम अपनी फ्रैंड की बेटी की शादी में जयपुर गयी हुई हैं ,वो कल आ जाएँगी और उसके डैड ऑफिस जल्दी चले गए। राधा अम्मां इस बार जिद पकड़ कर बैठ गयीं कि, "मुझे भी अपने साथ ले चलो, यहाँ आपके बिना मन नहीं लगता"! आदित्य की आँखो में आँसू आ गए।" अम्मां यहाँ बहुत खुला खुला है, आपको वहाँ अच्छा नहीं लगेगा........हम दोनो तो घर से पूरा दिन बाहर रहेंगे, आप वहाँ पूरा दिन अकेली हो जाँएगी, फिर वहाँ कोई बात करने के लिए भी कहाँ होगा ? यहाँ तो मावी, ड्राइवर, पवन और बाकी लोग हैं काम करने वाले तो पूरा दिन सब से बातें करने में निकल जाता होगा"। आदित्य की बात सुन कर राधा अम्मां कुछ देर सोचती रहीं, फिर बोली, "ठीक है, छोटे मालिक फिर आप मुझे हरिद्वार भेज दो....वहीं भगवान की शरण में रहूँगी, यहाँ भी कौन सा मेरे आगे पीछे है? जो है आप लोग ही हो"! आदित्य राधा की बात सुन कर अभी सोच ही रहा था कि तभी श्रीकांत बोला, " हाँ अम्मां का ये आइडिया ठीक है, वहाँ अच्छी जगह देख कर इनको ठहरा देना चाहिए"। श्रीकांत और अम्मां की बात सुन कर आदित्य बोला, "ठीक है अम्मां, कल मॉम आ जाए, फिर उनसे बात करके छोड़ आऊँगा "! "आदि बाबा मैं अकेले चली जाऊँगी, आप क्यों परेशान होते हो"! "नहीं अम्मां हम दोनो आप को छोड़ कर आँएगे और घूम भी लेंगे"! आदित्य की बात सुन कर ऱाधा मुस्कुरा दी। उधर आस्था के जाने का दिन नजदीक आ गया था। नचिकेत ने अपने मैनेजर को कह कर उसका टिकट करवा दिया था।आस्था के मम्मी पापा चाहते थे कि कोई उसको वहाँ छोड़ कर आए, पर आस्था ने कहा," 3 साल दिल्ली में रह कर सीख गयी हूँ पापा, मैं चली जाऊँगी"! आस्था कि तैयारी हो गयी थी....स्नेहा की शादी तय हो गयी थी तो वो उसको शादी में आने के लिए बार बार कह रही थी तो उसने कहा, "वो जरूर आएगी"........! आस्था ने अपने सपने पूरे करने के लिए मुंबई की तरफ चल दी....! उधर राधा अम्मां के जाने का इंतजाम आदित्य की मॉम ने दो दिन में कर दिया...! राधा ने अपनी जिंदगी के 27-28साल इस घर को दिए थे। बस खाना, कपड़ा और रहना ही तो करती आयी थी। मिसेज खन्ना अच्छे ढंग से जानती थी कि आदित्य को सही मायने में राधा ने पाला है, तभी वो अपने अरमान पूरे कर पायी थी, अपने पति के साथ ऑफिस जाया करती थी। वो तो धीरे धीरे उन्होंने जाना बंद कर दिया और अपना समय सोशल वर्क और पेज थ्री पार्टीज को देने लगीं......। बच्चा हो जाने के बाद भी बेफिक्री राधा की वजह से ही थी......सो अब राधा को हरिद्वार के सबसे अच्छे आश्रम में रूम बुक करवा कर उसका शुक्रिया अदा करना चाहा रही थी। उसके पैसे एकाउंट में वो हर साल डाल दिया करती थी......राधा के लिए कपडे़, कुछ कैश हाथ में दिया और उसे बैंक की पास बुक वगैरह देनी चाही तो उसने मना कर दिया, ये कह कर कि उसे जब चाहिए होगा माँग लेगी। आदित्य और श्रीकांत राधा को छोड़ कर आए। जो बाकी जरूरत का सामान था, वो दिलवा कर वापिस आ गए.....रात को उसने अपने मॉम डैड को बताया, "मॉम डैड उसका प्लेसमेंट मुबंई में हुआ है, वो दोनो कल चले जाँएगे"!"Aaditya why another company? Why don't you join me"? डैड की बात सुन कर आदित्य ने बोला कि, "वो पहले जॉब करके एक्सपीरियंस लेगा फिर वो उन्हें जॉइन करेगा"! उसकी बात सुन कर उसके डैड अपसेट तो हो गए थे, पर आदित्य जो 2 साल अपने नए दोस्तों के ससथ बिताए तो उसे समझ आया कि उसके उम्र के लड़को पर जॉब और करियर का कितना प्रेशर है और एक वो है कि सब कुछ आसानी से मिलता गया तो उसे वैल्यू ही नहीं समझ आयी अपने डैड और दादा के मेहनत की......उसे सब टाइम पर मिले और अच्छा मिले की दौड़ में दौड़ते हुए उसके डैड उसको टाइम ही नही् दे पाए। इसलिए पहले वो अपनी काबलियत परखेगा तब जा कर अपना बिजनेस संभालेगा.....!! श्रीकांत , आदित्य और उधर आस्था अपने आप की तलाश में एक सफर पर चल दिए...........
क्रमश: