सपने - (भाग-14) सीमा बी. द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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सपने - (भाग-14)

सपने......(भाग-14
 
राजशेखर आदित्य की बात सुन कर उस समय तो मुस्कुरा दिया और बोला, "मेरी अम्मां सुबह उठ कर पूजा किया करती थी, उनकी डेथ के बाद मेरे अप्पा सुबह 5 बजे ही पूजा करने के बाद ही कुछ और काम करते थे। मैं जब यहाँ आ रहा था तो उन्होंने मुझे रोज पूूजा जरूर करने का प्रॉमिस लिया था। मैं पहली बार घर से दूर यहाँ आया हूँ तो मुझे होटल के रूल्स नहीं पता थे और न ही फायर अलार्म बजने का आइडिया था, सुबह सुबह सब मेरी वजह से डिस्टर्ब हो गया, मुझे अच्छा नहीं लगा। आप लोग टेंशन मत लो, मैं पूजा आराम से करूँगा......जैसे ही मुझे कोई और जगह मिलेगा मैं शिफ्ट हो जाऊँगा। उसकी बात सुन कर श्रीकांत बोला, अरे भाई हम लोग मस्ती कर रहे थे तुम बिंदास हो कर पूजा पाठ करना हमें कोई परेशानी नहीं"।श्रीकांत की बात सुन कर आदित्य भी बोला, "चिल यार मैं मजाक कर रहा था"....... इसके बाद राजशेखर रिलेक्स हो गया और रूम में अपना सामान लगाने के लिए चला गया। आदित्य श्रीकांत के साथ आस्था बातों में बिजी हो गयी। तीनों अपनी अपनी बातें बता रहे थे। आदित्य को ऑफिस 2 दिन बाद जॉइन करना था। श्रीकांत को तो काम पर जाना ही था, वो अपना लंच ले कर चला गया। बाद में तीनों लंच करके घूमने चले गए और सविता ताई अपने साफ सफाई के काम में लग गयी।
आदित्य और राजशेखर की एक ही दिन में जान पहचान हो ही गयी थी। आस्था को अच्छा लगा कि आदित्य और श्रीकांत ने राजशेखर को अपने साथ रखने से मना नहीं किया। एक फ्लैट में दिल्ली, महाराष्ट्र और साउथ का संगम हो गया था........आदित्य को जब पता चला कि एक हफ्ते के बाद आस्था को भी रहने की जगह देखनी पडे़गी तो उसने आस्था को भी अपने फ्लैट में अगले ही दिन शिफ्ट होने को कह दिया। आस्था ने कहा, "नहीं यार तुम तीनो लड़को के साथ मैं अकेली लड़की रहना ठीक नहीं है न? लोग क्या सोचेंगे"? आस्था कि बात सुन कर आदित्य खूब हँसा और बोला," ये मुबंई है आस्था, फास्ट लाइफ है, किसी को किसी की नहीं पड़ी है कि कौन क्या कर रहा है, हाँ तुम्हे डर लग रहा है तो रहने दो, वैसे सविता ताई भी लड़की है और हमारे यहाँ काम करने रोज बहुत दूर से आती है, तुम आओगी तो उसको भी तुम्हारे साथ यहीं रख लेंगे क्योंकि वो वैसी भी अकेली ही रहती है"। आदित्य की बात सुन कर आस्था थोड़ी देर सोचने के बाद बोली, "ठीक है मैं भी अपना सामान ले आऊँगी".....आदित्य उसकी बात सुन कर खुश हो गया और बोला, "कल भी मैं फ्री हूँ तो कल ही शिफ्ट करते हैं......तुम्हें भी दो दिन बाद ही रिहर्सल पर जाना है, उसके बाद हम सब बिजी रहेंगे"। " ठीक है आदित्य कल ही सामान ले आएँगे", आदित्य की बात सुन कर आस्था ने हाँ कर दी। फिर वो ठीक ही कह रहा था, कल के दिन का फायदा उठाया जाए। आस्था को डिनर करा कर तीनों इसे होटल छोड़ आए। हालंकि आदित्य तो सोच रहा था कि आस्था उनके साथ ही रूक जाए, सुबह होटल से सामान लाने चले जाएँगे, पर आस्था ने मना कर दिया और कहा, "सुबह वो खुद आ जाएगी.......क्योंकि सामान ज्यादा नहीं है"। रात को होटल वापिस आने के बाद आस्था ने नचिकेत के मैनेजर को फोन करके बता दिया कि, "वो कल ही अपने फ्रैंड के साथ शिफ्ट हो रही है"। मैनेजर को तो खुश ही होना था क्योंकि ये तो पहली बार ही हो रहा था कि किसी को उन्होंने हफ्ते के लिए ठहराया हो और वो एक दिन में ही अपने रहने का इंतजाम भी कर ले और उनका पैसा बचा दे। उसने बोला ठीक है, "आप जहाँ शिफ्ट हो रही हैं, वहाँ का एड्रेस मुझे भेज दीजिए........और मैं होटल के मैनेजर से बात कर लूँगा"। अगले दिन आस्था ने अपना सब सामान पैक किया और मैनेजर को टैक्सी बुलाने के लिए कह दिया.....मैनेजर बोला, "मैम आप की बुकिंग 1 Weekकी थी आप एक ही दिन में जा रही हैं....कोई प्रॉब्लम है आपको यहाँ"? आस्था बोली, "नहीं सर मुझे यहाँ कोई प्रॉब्लम नहीं है, मैं अपने फ्रैंडस के साथ रहने के लिए यहाँ से शिफ्ट हो रही हूँ, प्लीज डोंटवरी"! आस्था के पास आदित्य का फोन पूछने के लिए आया,"कितनी देर में आ रही हो", आस्था उस टाइम पहुँचने ही वाली थी....... ड्राइवर से पूछा तो पता चला कि 10 मिनट लगेगे। आस्था कि टैक्सी रूकी तो श्रीकांत नीचे खड़ा था, उसे देख कर आस्था खुश हो गयी और सोचने लगी कि नए दोस्त भी इतने केयरिंग हो सकते हैं सोचा न था। श्रीकांत ने उसके दोनो सूटकेस उठा लिए और आस्था ने एक बैग उठा लिया..........
फ्लैट में आए तो सविता ने उसका सामान उसके कमरे में रखवा दिया। राजशेखर तो सुबह 8:30 ही ऑफिस के लिए निकल गया था। श्रीकांत भी नाश्ता करके काम पर चला गया और घर पर रह गए आदित्य और आस्था...... आदित्य ने सविता ताई को लंच बनाने के लिए मना कर दिया और आस्था को बाहर घूमाने ले गया। टैक्सी ले कर दोनो एर गाड़ियों के शोरूम पहुँचे। वहाँ जा कर पता चला कि काफी दिन पहले आदित्य ने अपने लिए गाड़ी बुक करवा रखी थी वो भी suv....
अपनी कार की डिलिवरी लेने आया था। बाकी पेपर वर्क सब पूरा पहले ही कर चुका था.......कार ले कर आस्था ने जो अपने लिए सामान लेना था, वो लेने के बाद एक कैफे हाउस में आदित्य ने आस्था को कॉफी के लिए ले कर गया। कॉफी के साथ ब्राउनी केक खा ही रहे थे कि वहाँ श्रीकांत भी अपनी कॉफी ले कर आ गया। तुम यहाँ कैसे? आस्था ने पूछा तो श्रीकांत ने बताया की वो दो डगह काम करता है.......शाम को 3-8 तक यहाँ काम करता है। श्रीकांत कॉफी पीने के बाद अपना थोड़ा सा काम निपटाने को कह कर चला गया। आदित्य ने राजशेखर को फोन किया तो वो रास्ते में था। आदित्य ने उसे वहीं आने को कह दिया। थोड़ी देर में चारो दोस्त गाड़ी में बैठे थे........रास्ते से बीयर और खाना पैक करा कर घर ले गए । घर गए तो वहाँ पर एक गोरी सी लड़की बैठी थी। कंधो तक बाल, घुटने तक स्कर्ट और एक खूबसूरत शार्ट टॉप.......आस्था को लगा कि शायद आदित्य की नयी गर्लफ्रेंड है। सोफिया ये आस्था है और ये राजशेखर हमारा फ्रैंड और आस्था ये सोफिया है, श्रीकांत अपनी गर्लफ्रेंड से मिलवा रहा था और आदित्य फ्रेश होने चला गया........। सविता ताई आप एक बार खाना हरम कर लो,मैं तब तक चेंज करके आती हूँ। राजशेखर भी चला गया और रह गए श्रीकांत और सोफिया..... आस्था चेंज कर रही थी, जब नचिकेत का फोन आया। उसने स्टूडियों का एड्रेस मैसेज कर दिया था, उसे ठीक 1 बजे वहाँ पहुँचने को कहा गया था। रात को खाना खाते और देर तक बातेॆ करते करते रात के 2 बज गए थे।
सब ने जम कर बीयर पी ली थी। आस्था को बार बार सबने कहा तो उसने 2-4 सिप ले कर छोड़ दी। आस्था, सोफिया और सविता ताई एक ही कमरे में सो गए। कल इसकी रिहर्सल का पहला दिन था और वो लेट नहीं होना चाहती थी।इसलिए 9 बजे का अलार्म लगा कर वो सो गयी......अलार्म बजने से पहले ही उसकी नींद खुल गयी। सविता अपने काम में लगी हुआ थी........आस्था ने अपने और सविता के लिए चाय बनायी और नहाने चली गयी.......धीरे धीरे सब उठ कर फटाफट तैयार हो कर अपने अपने काम पर जा रहे थे।
क्रमश:
सीमा बी.
स्वरचित