स्वीकृति - 13 GAYATRI THAKUR द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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स्वीकृति - 13

पार्ट 13

कल जमके हुई भारी बरसात के बाद आज सुबह से ही मौसम काफी साफ था. रमन देर तक बिस्तर पर सोया रहा, आंख खुलते ही वह बिस्तर से उठा और अपने लिए चाय का पानी चढा ही रहा था कि दरवाजे की घंटी बजी. दरवाजा खोलने पर सामने मीनाक्षी खड़ी दिखी. अंदर आते ही उसने उससे अपने साथ बाहर चलने की जिद की. रमन ने घड़ी देखी तो सुबह के 8:30 बज रहे थे. मीनाक्षी ने बड़े ही प्यार और अधिकार के साथ उसे अपने साथ चलने का आग्रह किया.

उसे आज अपनी एक प्रोजेक्ट से संबंधित किसी कार्य के सिलसिले में शहर से बाहर किसी ऐतिहासिक स्थल पर जाना था. उसने आते ही कहा, ‘.तुम जाओ जाकर जब तक तैयार हो जाओ, मैं चाय बना देती हूँ और हां, मैं तुम्हारे लिए तब तक ऑमलेट भी रेडी कर दूंगी. “लेकिन इतनी सुबह कहाँ ले जाना चाहती हो मुझ गरीब को?”, रमन ने मुस्कुराते हुए प्रश्न सूचक दृष्टि से उसकी ओर देखा तो जवाब में मीनाक्षी ने सिर्फ मुस्कुरा दिया और उसके हाथ से चाय की केतली लेते हुए बोली, “ तुम जाकर पहले नहा धो लो जब तक मैं तुम्हारे लिए चाय नाश्ते बना देती हूं “

रमन जब तक नहा धो कर बाहर आया इतने देर में मीनाक्षी चाय और ऑमलेट बना चुकी थी और वह नाश्ते के साथ टेबल पर बैठी हुई थी। रमन ने आते ही टीवी ऑन कर दी और सामने की कुर्सी पर बैठते हुए पूछा, “आज इतनी सुबह सुबह कैसे आना हो गया?” मीनाक्षी ने प्लेट में ऑमलेट और चाय की प्याली उसे थमाते हुए कहा, “पहले चाय पी लो फिर तुम्हे मुझे लेकर एक खास जगह चलना है। मुझे यहाँ के विषय में ज्यादा कुछ पता नहीं है, इसलिए सोचा तुम साथ रहोगे तो मुझे आसानी होगी.”

रमन ने मुस्कुराते हुए कहा, “ बंदा आपके ख़िदमत में हर वक्त हाजिर है आप जो आज्ञा दें मेरे हुजूर”, और फिर रमन ने मुस्कराते हुए बेहद प्यारभरी अपनी निगाहे उसकी आंखो में गड़ा दी तो मीनाक्षी ने शरमा कर अपनी नजरें झुका ली. उसके चेहरे पर शर्म की गुलाबी रंगत सी छा गई थी.

तभी टीवी पर एक ब्रेकिंग न्यूज़ प्रसारित हुआ जिसे सुनकर दोनों चौक पड़े. शहर के मशहूर बिजनेसमैन की इकलौती बेटी की हत्या की कोशिश् .. ससुराल वालों ने दहेज के लोभ में रची थी साजिश ......... शक के दायरे में उसका पति … विश्वसनीय सूत्रों से पता चला है कि कल आधी रात घायल अवस्था में एक हॉस्पिटल में उसे भर्ती करवाई गई…उसकी स्थिति काफी नाजुक बताई जा रही है.

टीवी पर अभी यह न्यूज़ प्रसारित हो ही रही थी कि एक अन्य बेहद चौंकाने वाले न्यूज़ ने सभी के होश उड़ा दिए. अभी अभी एक और दुखद समाचार की जानकारी प्राप्त हुई है कल रात ही शहर के जाने माने बिजनेसमैन ताराचंद को किसी ने गोली मार दी. अभी अभी जो जानकारी प्राप्त हो रही है उसमें उनकी पत्नी द्वारा गोली चलाए जाने की बात सामने आई है. अभीअभी हमारे संवाददाता को घर के नौकरों ने यह जानकारी दी है. जी हाँ, जिस वक्त गोली चली उस वक्त घर के नौकर मौजूद थे. यह एक्सक्लूसिव रिपोर्ट हमारे ही चैनल पर दिखाई जा रही है. ग्राउंड रिपोर्टिंग करते हुए हमारे संवाददाता मनीष। हाँ, मनीष बताइए अभी के ताजा हालात क्या है?आप बने रहिए हमारे साथ हम आपको पल पल की खबर पहुंचा रहे हैं. .. हां तो जिस वक्त गोली चली उस वक्त उनकी पत्नी को उनके कमरे से बाहर की और निकलते भी देखा आपने … हाँ तो वो किस रंग के कपड़े, साड़ी पहनी हुई थीं, उनके चेहरे का भाव क्या था? क्या वह बेहद गुस्से में थी? मनीष, मनीष आप अपने कैमरामैन से उनके बंगले को दिखाने के लिए कहिए ताकि हम अपने दर्शकों को दिखा सकें. पुलिस, पुलिस! लीजिए पुलिस भी पहुँच चुकी है. अब! .. हाँ तो ताराचंद को गोली मारने के बाद उनकी पत्नी फरार! पुलिस मामले की छानबीन कर रही है. हाँ, तो आप बने रहिए हमारे साथ हम आपको पल पल की खबर पहुंचाते रहेंगे.

इधर श्रीकांत ने सारी रात जागते हुए बितायी. न्यूज़ चैनलों पर हो रहे इस ब्रेकिंग न्यूज़ के प्रसारण से बेखबर श्रीकांत सुष्मिता को बचाने में लगा हुआ था. उसने ऑपरेशन कर उसकी जान तो किसी प्रकार बचा ली थी, परंतु सुष्मिता को अभी तक होश नहीं आया था। वह उसके नजदीक ही कुर्सी पर बैठा हुआ था. थोड़ी देर के लिए भी अगर उसे जरा सी झपकी आ भी जाती तो वह तुरंत उठ बैठता. अभी थोड़ी देर पहले उसकी जैसे ही आंख लगी उसके मोबाइल फ़ोन की घंटी बज उठी, फ़ोन उठा कर देखा तो रमन का कॉल था. कॉल रिसीव करते ही सामने से रमन की बेहद घबराई हुई सी आवाज आई, “तुम्हें कुछ पता भी है? तुमने अभी न्यूज़ देखा क्या? मालूम हुआ कुछ. तुम कहाँ पर हो? जहाँ कहीं पर भी हो फ़ौरन घर आ जाओ.”, रमन ने एक स्वांस में सारी बातें बता डाली.

इधर बड़के चाचा भी पिछले 4 दिन से शहर के बाहर अपने वकालत के काम से कहीं गए हुए थे. उनकी कोई खबर घरवालों को नहीं थी. बड़के चाचा किसी होटल में अपने किसी मुवक्किल से मिलने पहुंचे थे. उन्हें वहीं होटल में रुक जाना पड़ा था आधी रात को हुए शोर सराबे ने उनकी नींद उड़ा दी बगल के कमरे में किसी महिला ने नींद की गोली खाकर अपनी जान देने की कोशिश की थी. बताया जा रहा था कि वह महिला पिछले दो दिन से होटल के उस कमरे में बंद थी, किसी बड़े नेता के साथ, वह वहाँ लाई गई थी होटल के मैनेजर को बस इतना पता था कि किसी राजनीतिक पार्टी के लिए वह कमरा एक हफ्ते के लिए बुक किया गया है. शायद कुछ मीटिंग थी पिछले 2 दिन से वह महिला उस कमरे में बंद थी. पूछे जाने पर वह कुछ भी बता पाने की स्थिति में नहीं थी बड़के चाचा ने सुना तो वह भी कमरे के बाहर एकत्रित भीड़ में आ खड़े हुए. लोग तरह तरह के कयास लगा रहे थे. डॉक्टर ने दवा और इंजेक्शन देकर उसकी जान बचा ली थी, और होटल मैनेजर कुछ ऊपरी दबाव एवं अपने होटल की बदनामी के चक्कर में मामले को दफा रख करने के चक्कर में था। पुलिस ने भीड़ को वहाँ से हटाया तभी बड़के चाचा की नजर कमरे के अंदर उस महिला के चेहरे पर पड़ी. चेहरा पहचानकर वह चौंक पड़े. उन्होंने दावा किया कि वह उस महिला के परिचित हैं.

क्रमशः

गायत्री ठाकुर