कुशल ने कराहते हुए कहा -
" मैंने उस आदमी को रंगे हाथों घर से पकड़वा दिया और उसे सात साल की जेल हो गई, उसका नाम भैरव था और प्रेरणा की मौत की पुष्टि की खबर फैला दी, प्रेरणा की जगह सीमा की लाश मैंने पुलिस और डॉक्टर की मदद से रखवा दी, तुम्हें याद है जब अंतिम संस्कार में पुलिस तुमको लाई थी और स्वप्निल बार-बार तुम्हारे पास आ रहा था क्योंकि वह जानता था कि मम्मी जिंदा है और ये लाश किसी और की है पर मैंने उसे इतना डराया था कि वह खुलकर बोल ना सका, पता है क्यों? क्योंकि मैंने उसकी जीभ काट दी थी, नितेश के कहने पर" |
प्रेरित को यह सुनकर बहुत गुस्सा आया, उसने कुशल की दो उंगली काट दी, कुशल बिलबिला उठा, प्रेरित ने कहा,
" अब महसूस हुआ ना दर्द ", आगे बता क्या हुआ?
कुशल डरते हुए बोला -" मुझे पता था कि तुम प्रेरणा की शक्ल तक देखना पसंद नहीं करोगे, इसी बात का फायदा मैंने उठाया मैंने लाश को ऊपर से नीचे तक कवर करा दिया और अंतिम संस्कार के टाइम कहने के बावजूद भी तुमने चेहरा देखने से मना कर दिया जो कि मैं जानता था तब स्वप्निल से चिता को आग देकर यह किस्सा खत्म कर दिया और फिर तुम पर केस की सुनवाई हुई और तुम्हें उम्र कैद हो गई |
अब हमारा रास्ता साफ था कोई प्रॉब्लम नहीं थी सिवाय स्वप्निल के, मैंने नीतेश और प्रेरणा से पूछा तो उन्होनें स्वप्निल को मार डालने के लिए बोल दिया, मैं उसे मारता, फिर सोचा ये पाप मैं अपने सर क्यूँ लूँ और उसे बच्चों की तस्करी वालों को बेच दिया जिससे मुझे अच्छे दाम भी मिल गए |
उसके बाद मैंने सारे पेपर्स तैयार करवाए और तुमसे जेल में मिलने आता रहा और प्लान के मुताबिक तुमने सारे पेपर्स पर आसानी से साइन कर दिए | हमारा प्लान सक्सेसफुल हो चुका था और हमारे पास तुम्हारी सारी जायदाद सीमा की सारी प्रॉपर्टी और तुम्हारे चाचा की प्रॉपर्टी थी और हमारा जो कुछ भी था वो भी हमारा था |
हम अब राजा बन चुके थे शर्त के मुताबिक मुझे जितना चाहिए था, मैंने ले लिया और सारी प्रॉपर्टी बेचकर ये दोनों यहाँ न्यूयॉर्क चले आए | इन दोनों के न्यूयॉर्क जाने का बंदोबस्त मैंने ही किया था" |
अब प्रेरित को सारा षड्यंत्र समझ मे आया, वो हैरान था कि उसके साथ इतना बड़ा छल किया जा रहा था, वह प्यार नहीं, सब एक साज़िश थी |
उसने प्रेरणा से कहा," तुमने बहुत छल कर लिया, अब मरने के लिए तैयार हो जाओ",
तभी नितेश ने लपक कर प्रेरित की गन उठा ली और प्रेरित के सीने में सारी गोली दाग दी, प्रेरित वहीं गिर पड़ा |
तीनों को विश्वास ही नहीं हो रहा था कि वो प्रेरित को दोबारा मार डालेंगे ।
तीनों हंस-हंसकर कहने लगे "हमें मारने चला था, हा.. हा.. हा.. हा.. बेवकूफ, यह नहीं जानता कि हमें मारना बच्चों का खेल नहीं " |
तभी तीनों के दूसरे पैर में एक-एक गोली तेजी से लग गई और तीनों गिर पड़े ।