उस लड़की को देखकर प्रेरित ने गाड़ी बैक की और बोला,
"हेलो…... क्या आपको मदद चाहिए"?
लड़की ने कोई जवाब नहीं दिया, वह दाएं बाएं देखने लगी |
मैंने फिर कहा, "देखिए अगर आपको आस पास जाना है तो मैं छोड़ दूंगा और वैसे भी इतनी रात गए, " इट्स नॉट सेफ" |
उस लड़की ने कोई जवाब नहीं दिया, मैंने भी गाड़ी स्टार्ट की और आगे चला गया लेकिन साइड मिरर में देखा तो वह पीछे भागती आ रही थी, मैंने गाड़ी रोकी और उसे बिठाया |
वो पहली झलक… उसका भीगा चेहरा जैसे अभी अभी किसी खिले हुए कमल पर बारिश की बूँदों ने अपना नाम लिख दिया हो, वो बार-बार अपना भीगा दुपट्टा सही करती |
उसका शरीर ठंड से और भी गोरा संगमरमर सा लग रहा था, मैं उसे छूना चाहता था, मैं बिल्कुल बेचैन हो गया था, मेरी उत्तेजना और बढ़ती, इससे पहले ही वह चिल्ला उठी |
तेज बारिश के कारण रास्ते में पेड़ गिरा पड़ा था |
"थोड़ा सा आगे देखकर गाड़ी चलाइए", उसने हिचकिचाते हुए मुझसे कहा |
मुझे अपने आप में शर्मिंदगी महसूस हो रही थी पर मैं नशे में था तभी उसने फिर कहा,
"गाड़ी रोक दीजिए",
मैंने गाड़ी रोक दी और पूछा, "आप इस हॉस्टल में रहती हैं"?
वह बोली, "हां, आपका शुक्रिया" |
" इससे पहले मैं उसका नाम पूछता वो चली गई | मुझ पर पहली नजर में ही प्यार का खुमार चढ़ गया, मैं सारी रात नशे में भी सो नहीं पाया और खिड़की के बाहर होती तेज बारिश को देखता रहा | कब रात से सुबह हो गई पता ही नहीं चला" |
जेल के सायरन की तेज आवाज से प्रेरित ख्यालों की बारिश से निकला तो भैरव बोला, "अरे साब जी, लो सुबह हो गई पता ही नहीं चला, सचमुच आपने अपनी खुशहाल जिंदगी में खुद ही जहर घोल लिया" |
प्रेरित की आंखों में आंसू थे | वो बोला,
"सच में यार, मैंने बहुत गलत किया, मैंने उस पर शक किया और उसे मार..",
प्रेरित इतना कह पाया कि तभी एक हवलदार आकर बोला,
"सायरन नहीं सुनाई दिया तुम लोगों को, निकलो बाहर, और हां अब आप वीआईपी नहीं रहे, आपके साथ आम कैदी जैसा बर्ताव किया जाएगा, तो आदत डाल लीजिए" |
हवलदार जाते हुए बड़बड़ाने लगा," तीन तीन खून करके बैठे हैं, फांसी हो जाती तो एक कैदी ही कम होता" |
सारे कैदी जेल के अंदर अपनी रोज की दिनचर्या करने लगे | ऐसे ही धीरे धीरे दिन कटते जाते और प्रेरित के जख्म भरने की बजाय और हरे होते जाते, उसके अंदर पश्चाताप की आग हरदम उसे झुलसाती |
एक दिन प्रेरित मुस्कराते हुए बोला - "जेल के अंदर भी पूरा शहर सा बसा होता है, ये तो जेल में आने के बाद पता चलता है" |
ये सुनकर भैरव ने कहा - "मतलब अब आपको यहां का हवा पानी अच्छा लगने लगा" |
प्रेरित ने उदासी भरी मुस्कान में थोड़ा सा सर हिलाया और कहा, " हां कह सकते हो दोस्त , पूरी जिंदगी जो गुजारनी है यहां, तुम्हें तो बस कुछ और साल काटने हैं"|
“ चलो - चलो लाइन लगाओ खाने के लिए” , एक हवलदार ने कैदियों को आवाज लगाइ |
सभी कैदी लाइन में अपनी थाली लेकर खड़े हो गए | कुछ देर बाद धक्का-मुक्की होने लगी और कैदियों में मारपीट होने लगी|