कैदियों के बीच मारपीट होते देख जेल के नए जेलर साहब ने चिल्लाकर कहा, " क्या हो रहा है यह सब? जानवर हो क्या तुम सब लोग? अरे तुमसे अच्छी तरह तो जानवर मिलकर खाते हैं, उठकर अपनी अपनी लाइन में लगो, तुम लोग यहां किसी भी अपराध के कारण आए हो फर्क नहीं पड़ता लेकिन अब तुम लोग अपने आप को सुधार सकते हो, ये तुम्हारे हाथ में है या फिर बने रहो मुजरिम और होते रहो बेज्जत समाज में " |
सभी कैदी चुपचाप सर झुका कर खड़े हो गए |
" हवलदार पानी दो एक ग्लास ", जेल के नए जेलर साहब ने कहा |
जी साहब लाता हूं कहकर एक हवलदार पानी लेने चला गया |
भैरव ने मुस्कुराते हुए कहा - " क्या बात है, ऐसा भाषण वाह.. सारे कैदी इनके बोलने भर से शांत हो गए " |
प्रेरित ने कहा - "कौन है ये?
भैरव - ये जेल के नए जेलर साब हैं जो आज ही ड्यूटी ज्वाइन किये है, उनका नाम…. अरे साब जी जरा आप देख कर बताना क्या नाम लिखा है नेम प्लेट पर" |
"ज्ञानेश्वर सिंह" प्रेरित ने देखकर जवाब दिया |
ज्ञानेश्वर सिंह जेल के नए जेलर थे, जो काफी मेहनती और नेक दिल थे, उनकी खासियत थी कि वो कैदी को पहले इंसान समझते थे, बाद में कैदी |
सारे कैदी अपने अपने काम पर लग गए | प्रेरित अब हंसने बोलने लगा था, भैरव के अलावा भी उसके कई दोस्त बन गए थे, पर शाम होते ही उसका अतीत काले साए की तरह उस पर मंडराने लगता |
एक रात भैरव ने प्रेरित से कहा - "क्या सोच रहे हैं साब"?
प्रेरित - "कुछ नहीं, बस ऐसे ही" |
भैरव प्रेरित के पास आकर बैठ गया और बोला, "अच्छा आप फिर उस लड़की से मिले? क्या हुआ उसके बाद? उसका नाम क्या था"?
प्रेरित ने मुस्कराते हुए कहा - "अरे बताता हूं, बताता हूं भाई.. तुम तो बंदूक की तरह सवाल पर सवाल दागे जा रहे हो " |
प्रेरित मुस्कुराया और अतीत के पन्नों में फिर चला गया,
"उस रात के बाद अगली सुबह जब मेरी आंख खुली तो दोपहर के एक बज चुके थे, मैंने मां से कहा, आपने मुझे उठाया क्यों नहीं?
माँ ने गुस्साते हुए कहा, "अब क्या तेरे लिए बैंड बजाती, ये आजकल के बच्चे भी रात भर सोएंगे नहीं और दिन में इन्हें जागना मुश्किल, आज कॉलेज भी नहीं गया" |
मैं सारा दिन घर पर उसके बारे में सोचता रहा और शाम को चाचा जी के यहां चला गया | मैं अक्सर उनके यहां जाता था, पापा के बाद उनका सपोर्ट ना मिलता तो मेरा जाने क्या होता, वहां हम ऐसे ही कभी शतरंज खेलते, कभी पोलो और मजे करते |
अगले दिन में कॉलेज गया, आर्थिक संपन्न होने और पापा के आर्मी में शहीद होने के कारण मुझे हर जगह ज्यादा इज्जत मिलती और पैसे की तो कमी कोई थी नहीं सो मेरे दोस्त मुझे घेरे रहते |
मैं उस दिन उनसे अपने दिल का हाल बता रहा था कि सामने देखा तो नजर के साथ दिल की धड़कन भी थम गई, वही लड़की मेरे सामने खड़ी थी |