Bhutan Ladakh aur Dharamshala ki Yatraye aur Yaadey - 4 books and stories free download online pdf in Hindi

भूटान लद्दाख और धर्मशाला की यात्राएं और यादें - 4

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पारो:

पारो जिला भूटान देश के 20 जिलों में एक है। यह जिला भूटान की ऐतिहासिक घाटी में स्थित है। इस जिले की सभ्यता तिब्बत से प्रभावित है। इस जिले की उत्तरी सीमा तिब्बत से मिलती है। प्रारम्भ में इस घाटी में आकर बसने वाले तिब्बत मूल के लोग ही हैं। इस जिले की मुख्या भाषा द्ज़ोंग्ख (भूटानी) है और यही भाषा भूटान की राष्ट्रीय भाषा है। 

पारो नगर एक ऐसा स्थान है जहां पर्यटक सदैव आते रहते हैं। यहां की सांस्कृतिक छवि पर्यटकों को आकर्षित करती है। भूटान का पारो नगर ही एक ऐसा नगर है जहां भूटानी लोगों का रहन-सहन का स्तर उच्च है क्योंकि यहां पर्यटको के आवागमन के कारण डॉलर में लोगों की कमाई होती है।

 ताक्तशांग भूटान के लोगों का प्रसिद्द मठ है। इसे 8वीं सदी में गुरु पदमसंभव ने एक ध्यान गुफा के रूप में स्थापित किया था। भूटान का राष्ट्रीय संग्रहालय होने के कारण पर्यटक यहां भूटान की संस्कृति का अध्ययन करने आते हैं।लिटिल बुद्धा मूवी में पारो किले के आस-पास के दृश्य को फिल्माया गया था। भूटान की राष्ट्रीय एयर लाइन्स ड्रक एयर का यहां मुख्यालय है। 

Chhu का अर्थ है नदी. पारो नदी पश्चमी भूटान में 24,035 फीट ऊँचे पर्वत जोमोल हारी के दक्षिण भाग से निकलती है, और अंत में दक्षिणी भूटान में ब्रह्मपुत्र नदी में जा कर मिल जाती है। इसके निचले हिस्सों में नदी को रैडक के नाम से जाना जाता है। इसमें तिब्बत स्थित हिमालय के ग्लेशियरों से पानी बह कर आता है।

पारो छू, थिम्फू छू से मिलने के बाद वांग छू कहलाती है, और इसमें कई छोटे व बड़े रेपिड्स आते है। इसका कांच की तरह साफ पानी पहाड़ों और गहरी घाटियों से बहता हुआ पारो शहर से गुजरता है, और पारो के दो सबसे प्रसिद्ध मठ तक्शांग मठ और पारो दजोंग इस के किनारे पर बने हुए हैं। यहाँ विदेशी पर्यटकों को आने की अनुमति भी कुछ सालों पहले ही मिली है। यहाँ हवा में कार्बन डाइऑक्साइड का अनुपात विश्व की तुलना में न्यूनतम

यहाँ विदेशी पर्यटकों को आने की अनुमति भी कुछ सालों पहले ही मिली है। यहाँ हवा में कार्बन डाइऑक्साइड का अनुपात विश्व की तुलना में न्यूनतम है। ऑर्गेनिक खेती पर निर्भर ये देश अपनी शुद्ध हवा, खूबसूरत वादियों, लोगों के खुशी से चमकते चेहरों के लिए मशहूर है। 

यहाँ विकास को मापने के पैमाना महँगी गाड़ियाँ, ऊंची इमारतें नहीं है। भूटान अपने देश के विकास को वहाँ के व्यक्ति की खुशी से नापता है। जो एक अनूठी और आज की सबसे बड़ी जरूरत वाली सोच पर निर्भर है। जिसे अब विश्व के कई देश सराहने, मानने लगे हैं।

ये पैमाने तो हर देश के होने चाहिए। इनके रहते अपराध, मानसिक बीमारियों की संख्या में कमी तो होगी ही देश के विकास की चाल भी अद्वितीय होगी।

फूनशोलिंग के बस अड्डे पर पहुँच कर सोचा था कि पारो के लिए बस मिल जाएगी। पर वह नहीं मिली। बस दिन में एक ही बार जाती है वह भी सुबह के आठ बजे। अब मेरे पास दो ही रास्ते थे। अकेले टैक्सी ले ली जाये या फिर साझा टैक्सी को देखा जाये।

पारो के लिए ‘पारो-पारो’ की आवाजें लगाते हुए कई कार चालक घूम रहे थे। किस टैक्सी को साझा करना है ये देख, समझ कर ही मैंने एक टैक्सी तय की।

 देश अच्छा, लोग अच्छे फिर भी सजगता में कोई बुराई नहीं है। मैं शहर हो या बाहर एक बात को स्वीकार कर ही आगे बढ़ती हूँ कि मैं एक महिला हूँ, हमें सजग रहना चाहिए। बाकी अगला पल भी कोई नहीं जानता है कब, क्या हो जाये फिर भी…

अपनी साझा टैक्सी से मैं सन्तुष्ट थी। फुनशीलोंग से पारो का रास्ता बहुत ही सुंदर है। जिसे शब्दों में बयान करने की मैं कोशिश ही कर सकती हूँ। वो बादल, जो हमारे साथ सड़को पर दौड़ रहे थे।

ठंडी हवा, जो एक अद्भुत सी जीवन शक्ति दे रही थी। धूल के बगैर हरियाली, जो बेहद जीवित, हरी, प्राणमय लग रही थी। मुझे लग रहा था कि ये रास्ता बस यूँ ही चलता रहे, हम इन पलों को जीते, पीते चलें। सब मेरी तरह तो नहीं हो सकते हैं। ड्राइवर ने एक जगह गाड़ी रोकी। साथ के सभी लोग उतरे। कुछ खाने-पीने के लिए। मैंने भी सोचा थोड़ा उतर कर चल लेती हूँ। बैठे-बैठे पैर भी थोड़ा व्यायाम माँग रहे थे। 

जलपान की उस छोटी-सी जगह पर अधिकतर महिलाएं ही कार्य कर रही थी। मैंने भी कॉफी पी। जो बहुत अच्छी थी। मैंने उस युवती को अच्छी कॉफी का शुक्रिया दिया। जिसका जवाब उसने बहुत प्रेम से मुस्कुराकर दिया।

वह जब मुझे पैसे लौटा रही थी तो मैंने गौर किया यह लोग कुछ भी देते समय अपने दोनों हाथों का इस्तेमाल करते हैं। 

जो आदत हमारी मन्दिर या किसी अति विशिष्ट अतिथि तक सीमित है वह इनके रोजमर्रा की आदत है। सबका सम्मान!

उस जलपान-गृह में एक कोने में एक महिला पान का स्टॉल लगाए हुए थी। भूटान में पान की खेती बहुत होती है। स्वाभाविक है, लोग उसका सेवन ज्यादा करते हैं।

इनके पान में एक पुड़िया में पाँच पान के आधे पत्ते होते हैं। बीच का डंडल निकाल कर एक पान के दो भाग बना लिए जाते हैं। उनके बीच में अलग-अलग स्वाद का चूना लगा होता है। साथ ही सुपारी के आधे-आधे पाँच टुकड़े होते हैं।

पान का पत्ता तो बहुत ताज़ा व स्वाद से भरा था। पर हमारे बनारसी, मीठे पान की तुलना में वो फीका ही था। कई तरह के पान मसाले, गुलकंद, सुपारी की आदत के कारण मुझे वह अच्छा नहीं लगा। मगर पान को इस तरह से भी खाया जाता है यह जानना, देखना अच्छा लगा। पान लेकर मैं वापस आकर अपनी कार की आगे की सीट पर बैठ गई। एक बार फिर हम आगे बढ़ रहे थे। 

अब शाम की शुरुआत होने लगी थी। पहाड़ों पर शाम जल्दी होती है। बारिश भी कभी भी हो जाती है। हवा ठंडी चल रही थी जो बहुत अच्छी लग रही थी।

हमारे ड्राइवर ने एक बार फिर गाड़ी रोकी। यह जगह तो मुझे बहुत मोहक लगी। एक जगह अस्थायी दुकानें बनी थी। करीब छह-सात महिलाएं सब्जी, पनीर, दूध, भुट्टे, मशरूम, हरी ताज़ी सब्जियां लेकर बैठी थी।

मेरे ड्रायवर ने कहा- “वह अपने घर के लिए पनीर, सब्जी ले रहा है। आप भी कुछ ले लीजिए। मैंने भी एक भुट्टा लिया (उबला हुआ) साथ ही तीस रुपये का एक पनीर का टुकड़ा भी लिया। गोल पनीर के टुकड़े, तीस का एक के हिसाब से एक छोटी सी प्लास्टिक में बांधकर बेचते हैं। तीन सौ के दस मेरे ड्रायवर ने लिए। मैंने सुना था भूटान में प्लास्टिक की थैलियों पर प्रतिबंध है। अब यहाँ प्लास्टिक को प्रचलन में देखकर दुःख हुआ। व्यवस्था में कोई भी नुकसानदायक वस्तु का प्रवेश तो आसान होता है। पर उसे निकाल फेंकना उतना आसान नहीं होता है।

भुट्टा खाते-खाते पारो आ गया। एक बहुत सुंदर शाम के साथ मैं पारो पहुँची। पारो के टैक्सी स्टैंड पर पहुँच कर सभी साथी अपने गंतव्य की और बढ़ चले। वह सब स्थानीय लोग थे।

एक महिला सैन्य ठिकाने पर उतरी। उसके साथ उसका छोटा बच्चा था। एक व्यक्ति किसी कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करता था। वह अपनी साइट पर उतरा। एक और व्यक्ति, पारो के शुरू होने से पहले ही उतरे।

 जब मैंने अपने ठहरने की जगह का पता बताया तो मेरा ड्रायवर बोला- “आपके ठहरने का स्थान यहाँ से करीब सात किलोमीटर दूर है। मुझे किसी आवश्यक कार्य से घर जाना है। आपको मैं दूसरी टैक्सी करवा देता हूँ। आप उसके साथ चले जाओ!”

इस समय यहां हल्की बारिश हो रही थी। पारो का मार्केट रोशनी में नहाया और बारिश में भीगा हुआ बहुत आकर्षक लग रहा था। किसी भी स्थान को पहली बार देखने पर जो अनूठा सा खिंचाव उसमें दिखता है वह बाद में फिर कभी नहीं दिखाई देता है। यह कुछ- कुछ पहली नजर में प्यार के जैसा ही होता है। अगली बार हम उस अहसास के साथ उस जगह को देखते हैं पर वह नवेलापन, वह अनूठापन फिर नहीं मिलता है। भूटान की पारम्परिक शैली में निर्मित एक मंजिल या दो मंजिल मकान व दुकान, रेस्टोरेंट बहुत अच्छे लग रहे थे। पानी से धुली सड़क पर इन इमारतों की रंग-बिरंगी रोशनी एक अजीब सा संमा बांध रही थी। ठंडी बारिश में भीगी हवा मेरा स्वागत कर रही थी।

मैं इस हवा से बातें ही कर रही थी कि अब तक मेरे टैक्सी ड्राइवर ने दूसरे टैक्सी ड्राइवर से बात तय कर ली थी। मैंने अपना पारो तक का किराया टैक्सी ड्राइवर को धन्यवाद के साथ दिया और सामान के साथ दूसरी टैक्सी में बैठी। 

कुछ मिनट की ड्राइव के बाद ही शहर ही हलचल व बस्ती समाप्त हो गई। अब बाहर एकदम अंधेरा था। गाड़ी में बैठी मैं सोच रही थी कि ऐसे सुनसान अनजान रास्ते पर मैं पहली बार किसी टैक्सी में हूं। नया देश, अनजान रास्ता… बारिश में इस सुनी सड़क पर कुछ गाड़ियां आ जा रही थी बस उनकी रोशनी की चमक ही रास्ते को चमका रही थी। जल्दी ही मेरा होमस्टे आ गया। सड़क से अंदर की ओर जाकर थोड़ा कच्चे रास्ते पर आगे बढ़ने के बाद मेरा डेस्टिनेशन आया। मैं अपने होमस्टे पर पहुँच गई।

मेरी होस्ट दरवाजे पर खड़ी मेरा इंतजार कर रही थी। मेरे ड्राइवर व होस्ट ने एक दूसरे से थोड़ी सी बात की। वह शायद एक दूसरे को जानते हों या फिर यहां कई बार आये हों। मैं अपने सामान के साथ बाहर निकली। मेरी होस्ट मुझसे बहुत प्यार से मिली। अपने घर में कोई मेहमान के आने पर हम जैसा उसका स्वागत करते है; मुझे कुछ वैसा ही लगा।

मेरी होस्ट मेरा सामान लेकर मेरे साथ पहली मंजिल पर चली। मेरा कमरा… एक साथ कई कमरे एक कतार से बने थे उनमें से ही एक कमरा मेरा था। वह पहाड़ी घरों की महक लिए हुए था। लकड़ी का फर्श व पारम्परिक खिड़की, सुंदर परदे जो मुझे देखते ही बहुत लुभावने लगे। पलंग के दोनों ओर दो लैंप शेड रखे थे।

 पलंग, अलमारी, टेबल सब कुछ लकड़ी का था। बहुत सुंदर व करीने से सजाया हुआ एक कमरा! कमरा देखते ही मैंने कहा “यह बहुत सुंदर है!”

“आपको अच्छा लगा?” उन्होंने खुश होकर पूछा। 

“आप अभी कुछ पियेंगी या डिनर लेना पसंद करेंगी?”

“पहले मुझे चाय मिल सकती है क्या?”

“हाँ, जरूर, उसके साथ में मैं आपको हमारे ही खेत के चावल से बनी लाई भी लेकर आती हूँ।”

“अरे वाह, जरूर!” मैं बहुत थकान व भूख महसूस कर रही थी। 

मेरी होस्ट मेरे लिए चाय व लाई लेकर आई। उन्होंने मुझसे पूछा- “मैं खाना ऊपर ही खाना पसंद करूँगी या नीचे डायनिंग रूम में आना चाहूँगी?”

“मैं थोड़ी देर में नीचे ही आती हूँ!”

“ठीक है! आप आराम से आइये!”

अचानक मुझे याद आया मेरे पास पनीर है। अभी ठंड तो काफी है फिर भी मैंने होस्ट से पूछा –“मेरे पास ये पनीर है। इसे कमरे में ही रहने दें या फ्रिज में रखना ठीक होगा?”

“आप मुझे दे दो हम इसे फ्रिज में ही रख देते हैं।”

मसाले की चाय बहुत अच्छी थी। साथ ही वो लाई व कुछ बिस्किट मैंने खाये। थोड़ी देर आराम किया। घर में सबसे बात करके मैं नीचे गई।

नीचे हवा ठंडी लग रही थी। खाने में कद्दू का सूप, मिक्स वेज व रोटी थी। सब कुछ बहुत अच्छा था। साथ ही कमरे में भूटानी संगीत चल रहा था। मद्धम रोशनी में वहाँ की पारंपरिक शैली में बना वो डायनिंग रूम बहुत अच्छा लग रहा था। कम ऊंचाई की टेबल और वैसी ही बैठने की व्यवस्था थी। यह भूटान की पारम्परिक स्टाइल की डाइनिंग टेबल थी। जिस पर गहरे महरुन रंग की गद्दीयां बहुत अच्छी लग रही थी। साथ ही आधुनिक शैली की डाइनिंग टेबल भी थी कमरे में हल्की रोशनी, एक जादुई समां बांध रही थी।

खाना परोसने वाली युवती (उगमे) बहुत नम्र व मृदु भाषी थी। उसने भी हर चीज हमेशा दोनों हाथों से ही रखी थी। सम्मान, अपनापन दिखाने का एक तरीका है। जो यहाँ बहुत अच्छा लग रहा था।

ऊपर जाते समय मेरी होस्ट मिल गई। वो अपनी पाँच साल की बेटी कुलू के साथ बैठी थी। मैं उनके पास रुककर उनसे बात करने लगी।

“कल सुबह आपको कहाँ जाना है?”

“कल मैं टाइगर नेस्ट जाने का सोच रही हूँ।”

“हाँ, वो तो भूटान का प्रमुख आकर्षण है।”

मैं साझा टैक्सी लेना चाहूँ तो क्या यहाँ कोई एकल महिला है जो साथ चाहती हो?

आमा, मेरी होस्ट का नाम है। उन्होंने बताया –“ अभी जो छहः महिलाएँ यहाँ ठहरी हुईं हैं वो सभी एकल हैं। सुबह मैं आपको बता दूँगी। यदि कोई टाइगर नेस्ट जा रहा हो तो आप साथ में चले जाना।”

21/9/18

अगली सुबह मैं सुबह जल्दी उठी, मैंने अपने होमस्टे को देखा जो बहुत सुंदर था। पारंपरिक शैली में बना एक बड़ा घर जिसके पीछे बहुत बड़ा बगीचा व किचिन गार्डन था। बिल्ली और श्वान यहाँ आराम से साथ में धूप सेक रहे थे। एक दूसरे के दुश्मन यह दोनों जब साथ में पलते हैं तो दोस्त हो जाते हैं।

वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम मुझे बहुत अनूठा और सुंदर लगा। आप फोटो देखें, शायद आपको भी अच्छा लगेगा। ऐसा घरेलू यंत्र मैंने पहली बार देखा।

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