होटल आकर दोनो गहरी सोच में डूब गए तभी भैरव ने कुछ सोचकर कहा - "जिस दिन सीमा मैडम का खून नितेश यानी उनके पति ने किया था, उसी ने ही मुझे जेल भिजवाने के लिए कुशल को लगा रखा होगा और दोनों आप के विश्वास पात्र थे" |
ये सुनकर प्रेरित ने कहा - "और इसीलिए नितेश ने धीरे-धीरे मेरा विश्वास जीतकर मेरी सारी प्रॉपर्टी और इनकम की देखभाल का काम संभालने के साथ-साथ दोस्ती का नाटक किया, प्रेरणा को उसने जायदाद पाने के लिए फंसाया होगा"|
भैरव ने अंदाजे से कहा - " लेकिन जिस दिन मुझे पुलिस ने पकड़ा, उस दिन नितेश आपके घर प्रेरणा मैडम को यह खुशखबरी देने गया होगा कि उसने अपनी बीवी को रास्ते से हटा दिया और इल्जाम मेरे पर डाल दिया " |
प्रेरित ने उसकी बात पकड़ते हुए कहा - " बिल्कुल सही, लेकिन अफसोस उसी वक्त मैं गुस्से में घर आया तो इनको रंगे हाथों पकड़ लिया और मौत के घाट उतार दिया " |
भैरव - "हां बिल्कुल ऐसा ही हुआ होगा "|
दोनों हंसते हुए बोले इसका मतलब जैसी करनी वैसी भरनी, हमने उनको पहले ही सजा दे दी, दोनों शांति से बैठ गए तभी भैरव की पत्नी का फोन आया और भैरव चला गया |
अब दोनों का मन शांत था |
बस अब कुशल को सबक सिखाना रह गया था |
चार-पांच दिन बाद भैरव को प्रेरित ने फोन करके तुरंत बुलाया |
भैरव आकर प्रेरित को मिला, उसने अचानक से बुलाने का कारण पूछा तो प्रेरित ने बताया, "मैंने सारी बातों पर बहुत गौर से सोचा तो कुछ चीजें हैं जो अभी भी अंधेरे में हैं और समझ नहीं आ रही, पहली उलझन ये है की मेरी अपनी मां ने मुझसे इतना बड़ा झूठ क्यों बोला और उस दिन जब मैंने नितेश और प्रेरणा को गोली मारी उसके बाद मुझ पर कितने वार किया, क्योंकि उस वार के बाद तो मैं बेहोश हो गया था, इसका मतलब उस दिन नितेश प्रेरणा और मेरे अलावा वहां कोई और भी था और मैं हमेशा अपनी पिस्तौल लॉकर में रखता था तो उस दिन उस पिस्तौल को बाहर मेज पर क्यों रखा गया? ये वहाँ क्या कर रही थी? यह सब सवाल मेरे को सोने नहीं देते, मैं पागल हो जाऊंगा"|
भैरव ने हंसते हुए बड़ी आसानी से कहा - " क्या साब जी… आप भी परेशान क्यों होते हो, आप पर पक्का हमला कुशल ने किया होगा, आखिरकार वह भी तो मिला हुआ था और रही बात माताजी की तो उन्हें इन लोगों ने उनको बहुत धमकाया होगा "| प्रेरित को यह बात सही लगी |
भैरव ने फिर कहा - " साब जी अब आप टेंशन ना लो वो दोनों मर चुके हैं, अब आप मेरी मानो तो अपने बेटे का पता करो और किसी और बड़े शहर में जाकर बाकी की जिंदगी गुजारो" |
प्रेरित बेटे की बात सुनते ही तेज गुस्से में बोला - " वह गंदा खून मेरा नहीं था, मैं उसका बाप नहीं, वो मेरा बेटा नहीं" |
भैरव चुप हो गया, कुछ देर बाद दोनों ने फैसला किया कि अब हम दोनों मिलकर इस कुशल को उसके किए की सजा देंगे, दोनों ने कुछ आपस में बातें की और चले गए |
अगले दिन से ही दोनों कुशल पर नजर रखने लगे और भैरव ने कुशल को फोन करके डराना शुरू कर दिया |