छल - Story of love and betrayal - 26 Sarvesh Saxena द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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छल - Story of love and betrayal - 26



रात के आठ बज चुके थे, भैरव अगले दिन मिलने का वादा करके चला गया, लेकिन दोनों को रात भर नींद नहीं आई वह समझ ही नहीं पा रहे थे कि आखिर यह हो क्या रहा है |

आधी रात के बाद प्रेरित को कुछ आवाज आई, जैसे लकड़ियों के जलने की आवाज होती है, उसने जैसे ही उठकर देखा तो पूरे कमरे में आग लगी हुई थी, बेड भी जल रहा था, वो घबराकर कर उठने लगा पर उसके ऊपर एक जलती हुई लाश गिर पड़ी और हंसते हुए बोली, "बेटा…. आओ… मैं ही तुम्हारा बाप हूं, आओ… मेरे गले लग जाओ…" |

प्रेरित घबराकर बालकनी की तरफ भागा तो उसे किसी ने गिरा दिया मुड़कर देखा तो नितेश और प्रेरणा खून से सने हुए थे, वो मोटे मोटे चाकू पकड़े उसे घूर रहे थे और दोनों ने प्रेरित के सीने में चाकू घुसा दिया, प्रेरित दर्द से छटपटा पड़ा पर जब उसने इधर उधर देखा तो उसकी जान में जान आई कि वह यह सब सपना देख रहा था ।

उसने उठकर एक गिलास पानी पिया और बालकनी में खड़ा हो गया | रात के तीन बजे थे, पूरा शहर सन्नाटे के आगोश में था |

प्रेरित को रह-रहकर मां पर गुस्सा आ रहा था, वह बहुत देर तक सोचता रहा रात से दिन हो गया तभी डोरबेल बजी और एक लड़का अंदर आया और बोला, "सर चाय", वो रोज की तरह दो कप चाय देकर चला गया और उसके जाते ही भैरव वहां आ गया और बोला, "अरे आपने पहले से ही मेरे लिए चाय मंगवा ली" |

वो बैठकर चाय पीता हुआ बोला, "अरे साब जी बहुत लोचा है मेरे को तो रात भर नींद नहीं आई लेकिन अच्छा लग रहा है, घर में इतने सालों बाद आकर अपने शहर में आकर, साब अब आप क्या करेंगे? यह तो लोचा फैलता ही जा रहा है" |

प्रेरित -"क्या तुम बता सकते हो कि सीमा का खून किस तारीख को हुआ था" |

भैरव (चाय का कप रखते हुए - साब जी तारीख… इतनी पुरानी बात हो गई कि मेरे को तारीख याद नहीं "|

प्रेरित - पता नहीं क्यों ऐसा लगता है, जैसे मुझे फंसाया गया है और प्रेरणा का तो पता नहीं पर नितेश कहीं जिंदा तो नहीं, बस सीमा के खून का दिन पता चल जाए तो पूरा यकीन हो जाए"|

प्रेरित यह कहकर नहाने चला गया और भैरव उसका इंतजार करने लगा |

प्रेरित के बाथरूम में जाते ही भैरव ने धीरे से सीमा का बैग उठाया और सीमा के कपड़ों को देखकर छूने लगा, उसमें सिर्फ वही साड़ियां थी जो सीमा भैरव से मिलने आती थी तब पहनती थी, उसका उदास चेहरा भैरव के सामने आ गया, भैरव का दिल बैठने लग गया, उसने बैग को बंद कर सीने से लगाया और फिर ज्यों का त्यों रख दिया |

प्रेरित नहा कर निकला और तैयार होकर भैरव के साथ अपना हुलिया बदलकर बाहर चला गया | आज प्रेरित सीधा कुशल के उस होटल में आया जिसका आज उद्घाटन था |

होटल बहुत शानदार था तो भीड़ भी काफी थी तभी भैरव ने आश्चर्यचकित होते हुए कहा, "अरे ये साला यहां क्या कर रहा है" ?

प्रेरित ने बड़ी हैरानी से पूछा, "क्या हुआ? क्या तुम इसे जानते हो"?

भैरव गुस्से में बोला, "अरे साब, जिस रात मैडम का खून हुआ था, उस रात के बाद वह उनका हत्यारा पति और आपका दोस्त नितेश आज तक नहीं दिखा, बाकी मुझे पकड़वाने से लेकर सबूत इकट्ठा करने और केस लड़ कर मुझे जेल जाने तक की कार्यवाही इसी कुत्ते ने की थी"|

प्रेरित अपना सिर पकड़ कर बैठ गया और गुस्से में बोला, "तुमने यह बात मुझे पहले क्यों नहीं बताई, यही तो कुशल है, इस होटल का मालिक और मेरा वफादार एम्पलाई जो जेल में मुझसे मिलने आता था, तुमसे तो मैं इसका जिक्र कई बार करता था " |

भैरव दुख व्यक्त करते हुए बोला, "ओ साब जी… यही कुशल है? मैंने सिर्फ इसे दूर से देखा था, नाम नहीं जानता था वरना शायद मैं आपको बताता"।

दोनों समझ गए थे कि नितेश और कुशल ने मिलकर इन दोनों को फंसाया था |

अब प्रेरित को यकीन हो गया था, उसकी सारी प्रॉपर्टी के पेपर पर उसने झूठ बोलकर मुझसे साइन करवाया और वो भी उस पर भरोसा कर बैठा, प्रेरित और भैरव वापस होटल आ गए और सोचने लगे कि क्या हुआ होगा |