"बेटा कुलदीप, कहाँ हो तुम?अरे,कोचिंग नहीं जाना है क्या!
कुुुलदीप के पिता उसेे बुलाते हुुुए बरामदे में प्रवेश कर गए।
मगर, कुुुलदिप वहाँ नहीं था।यह देखकर उसके पिता वही
खड़े होकर सोचने लगे।
तभी कुलदीप आता दिखाई दिया।उसे देखकर उसके पिता बोले"बेटा, तुम कहाँ चले गए थे?मैं तुमको कहाँ-कहाँ नहीं ढूंढा हूँ।खैर,चलो अब कोचिंग जाओ,तुम्हें पहले ही बहुत ज्यादा देर हो गई है।"
यह सुनकर कुलदीप बड़े ही उदास होकर बोला"नहीं पिताजी,मुझे कोचिंग नहीं जाना है।मैं खेती करके ही अपनी आजीविका चला लूँगा।"इतना कहकर वह बरामदे में रखी गई कुर्सी पर बैठ गया।उसके पिता बड़े ही हैरान हुए।
"लेकिन, क्यो कुलदीप आखिर तुम्हें क्या दिक्कत है?बताओ तो सही।हो सकता है, हमलोग उसे ठीक कर दे।"
उसके पिताजी हैरानी के साथ बोल पड़े।मगर, कुलदीप कुछ बोल नहीं सका।बस,सिर नीचे झुकाए बैठा रहा।
तभी इसी बीच उसकी माँ आ गई,और बोली"हाँ कुलदीप,तुम्हारे पिताजी सही ही तो बोल रहे है।आखिर तुम पढ़ाई क्यों छोड़ रहे हो!"अपनी माँ और पिताजी जी की अचरज भरी सवालों को सुनकर कुलदीप बोला"आपलोगों को मैं कैसे समझाऊँ?लगातार प्रशासनिक परीक्षाओं को देने के बाद मैं अभी तक ऑफिसर नहीं बन सका हूँ।मेरा मजाक उड़ाया जाता है समाज और कोचिंग में।"
इतना कहने के साथ उसकी आंखों में आँसू आ गए।वह आगे कुछ नहीं कह सका,और कहता भी क्या?सच्चाई तो सबके सामने ही थी।तभी उसकी नकारात्मक सोच को सुनकर उसके पिताजी बोले"बेटा कुलदीप, मैं जानता हूँ।तुम्हारी जगह कोई और होता तो वह भी ऐसा ही सोचता।लेकिन, जरा गौर से सोचो।अगर तुम पढ़ाई छोड़ दोगे, तब समाज और तुम्हारे मित्र और मजाक उड़ाएंगे।उनको कहने का मौका भी मिल जाएगा।"
इसके बाद उसकी माँ बोली"हमलोग तुम्हें अधिकारी के रूप में देखना पसंद करते हैं।मैं चाहती हूँ की मैं गर्व से कह सकूँ, मेरा कुलदीप बेटा एक अधिकारी है।क्या तुम दुनिया के तानों की डर से अपने अरमानों को तोड़ दोगे?क्या यही है तुम्हारी हिम्मत?"अपने माता-पिता की बातों को सुनकर कुलदीप अपनी आँसू पोछते हुए बोला"ठीक है,मैं कोचिंग जाऊँगा।मुझे आप लोग माफ कर दीजिए।"इतना कहकर वह खड़ा हो गया।"हाँ बेटा, तुम पढ़ो और कभी भी नकारात्मक सोच मत रखों।ईश्वर तुम्हारी भविष्य को उजव्वल करें।"उसकी माँ बड़े ही प्रसन्नता के साथ बोली।
फिर क्या था?कुलदीप बड़े ही प्रसन्नता के साथ फिर पूरी मेहनत से प्रशासनिक परीक्षा की तैयारी करने लगा।वह अब यह ठान चुका था की मुझे हर हाल में अधिकारी बनना है।चाहे कुछ भी हो जाए।कुलदीप के पिताजी और माँ भी अब उसकी तरफ से निश्चिंत हो गए थे।फिर वह दिन भी आ गया,जिसका इंतजार सभी को था।यानी,की कुलदीप प्री0 की परीक्षा उतीर्ण कर लिया।उसके पिताजी और माँ बड़े ही खुश हुए।मगर, कुलदीप थोड़ा नर्वस था,उसकी ऐसी हालत देखकर उसके पिताजी बोले
"बेटा, तुम इतने नर्वस क्यों हो?क्या बात है, बताओ तो सही।"यह सुनकर कुलदीप उदास मन से बोला"पिताजी,मेरा मेंस पेपर होने वाला है।लेकिन....।"इतना कहकर वह चुप हो गया।तब उसके पिताजी बोले"लेकिन, तुम्हें लगता है की तुम इसे पास नहीं कर पाओगे।देखो बेटा, ऐसी बात नहीं सोचते हैं।तुम मन लगाकर पढ़ाई करो समझे।"
खैर,इसके बाद दिन और महीने बीतते गए।और,अब बस कुलदीप को रिजल्ट का इंतजार था,क्योंकि वह इंटरव्यू देकर आ चुका था।इसी बीच,एक दिन रेडियो पर यह कुलदीप यह सुना की राज्यस्तरीय प्रशासनिक सेवा में उसका चयन हो गया है।उसे जिला निर्वाचन पदाधिकारी का पद मिला है।जैसे ही वह यह खबर सुना,वह अपने पिताजी के पास गया तो देखा...
उसके पिताजी और माँ की आँखें प्रसन्नता के कारण नम हो गई थी।कारण....उनका कुलदीप अब एक अधिकारी बन चुका था,यानी अफसर बेटा।