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ऑनलाइन पढ़ाई


"रिया,तुम मोबाइल से क्या कर रही हो?"माँ अपनी बेटी रिया की तरफ गुस्से से देखती हुई चिल्लाकर बोली
"कुछ तो नहीं माँ, बस पढ़ाई कर रही हूं"रिया डरती हुई बोली
इतना सुनते ही माँ का गुस्सा तो मानो सातवें आसमान तक पहुँच गया वह उसकी हाथ से मोबाइल छिनती हुई बोली"मैंने कितनी बार कहा है की तुम्हें मोबाइल से नहीं पढ़ना है और वैसे भी यह कहाँ का शौक है की तुम मोबाइल से पढ़ो"
रिया रुआँसा होकर बोली"माँ, मैं तो ऑनलाइन पढ़ाई कर रही हूँ, क्योंकि मैं कुछ करना चाहती हूँ, अपनी जिंदगी को बेहतर बनाना चाहती हूँ, मेरे भी कुछ सपने है और इस कारण मैं प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी कर रही हूँ मोबाइल फोन से",लेकिन माँ कहाँ सुनने वाली थी रिया की बातों को अतः, वह कुछ नहीं बोली और चुपचाप वहाँ से उठकर चली गई और रिया बेचारी वही अपनी कमरों में बैठकर आसूं बहा रही थी तभी उसकी छोटी बहन सुष्मिता वहाँ आ गई और अपनी बड़ी बहन को आसूँ बहाती हुई देखकर बोली"मत रो दीदी मैं जानती हूँ तुम अपनी जिंदगी में बहुत कुछ करना चाहती हो,लेकिन माँ को यह सब पसन्द नहीं है, क्योंकि उनकी नजर में लड़कियों को केवल घर-बरतन के लिए ही जन्म लेती हैं,नौकरी करने के लिए नहीं"
अपनी छोटी बहन सुष्मिता की बातों को सुनकर रिया बोली"तब तू ही बता मैं क्या करूँ?क्या लड़कियों को पढ़ने का कोई अधिकार नहीं है?क्या यह अधिकार केवल पुरूष समाज को ही है?अगर ऐसा है तो सुष्मिता, मैं इसे नहीं मानती हूँ"इतना कहने के साथ ही रिया अपनी आसूँ पोछि
अपनी दीदी की बातों को सुनकर सुष्मिता बोली"हाँ दीदी,आप अपनी मंजिल की तरफ बढ़िये मैं आपके साथ हूँ और बहुत ही जल्द मैं आपकी इस समस्या का हल कर रही हूं"फिर क्या था?इतना सुनते ही रिया और सुष्मिता की चेहरे पर हल्की सी मुस्कुराहट आ गई
अगली सुबह रिया और सुष्मिता के मामा जी आए,जो पेशे से जाने-माने लेखक थे जैसे ही मामा जी के आने की खबर रिया सुनी तो प्रसन्नता के साथ उनका आशीर्वाद लेने के लिए पहुँची अपनी भांजी रिया को देखकर मामा जी बोले"आओ रिया बेटा,बैठो"और सामने रखी कुर्सी पर उन्होंने बैठने का इशारा किया
रिया भी अपनी मामा जी को प्रणाम करके बैठ गई तभी वहाँ सुष्मिता भी आ गई उसे देखकर मामा जी बोले"आओ बेटा सुष्मिता,देखो मैं रिया के लिए क्या लाया हूँ?"
"क्या लाए है मेरे लिए?"रिया बड़े ही हर्षोल्लास के साथ पूछ बैठी रिया की बातें सुनकर उसके मामा जी अपने बैग से एक डिब्बा निकाले और बोले"रिया,इसे खोलकर देखो"रिया बड़े ही प्रसन्नता के साथ उस डिब्बा को खोली तो उसकी आँखें हैरान रह गई, क्योंकि उसमें बहुत ही सुंदर मोबाइल फोन था यह देखकर वह बोली"थैंक यू मामा जी, अब मैं आराम से ऑनलाइन पढ़ाई कर सकूँगी,लेकिन आपको कैसे पता था की मुझे सेलफोन की आवश्यकता है?"
रिया की बातों को सुनकर मामा जी बोले"दरअसल रिया,तुम्हारे बारे में सुष्मिता मुझे सबकुछ बता चुकी थी तभी मैंने भी सोचा की क्यों ना इसी बहाने तुम्हारी समस्याओं को भी हल कर दूँ"यह सुनकर रिया बड़े ही प्रसन्नता के साथ सुष्मिता से बोली"थैंक यू सुष्मिता, तुम्हारे कारण ही आज से मैं आराम से ऑनलाइन तैयारी कर सकूँगी"
:कुमार किशन कीर्ति,Auther

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