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प्यार का पहला खत




रविवार का दिन होने के कारण मैं घर पर ही था।ऑफिस बन्द था।आज कोई काम करने का मन भी नहीं कर रहा था।ना कुछ लिखने का मन कर रहा था और ना ही कोई साहित्यिक पुुस्तक पढ़ने को मन कर रहा था।
हाँ, इसी क्रम में मुझे चाय पीने का मन हुआ तब मैंने अपनी
पत्नी अनुष्का को आवााज लगाई और उसे चाय बनाने को कहा।अनुष्का जानती है की मैं चाय बहुत पीता हुुु सो इसी बात को लेकर वह कभी कभी मुझे ताने देती रहती है।
मैं अपने कमरे में कुर्सी पर बैठकर आराम कर रहा था।
तभी मेंरी नजर एक बहुत ही पुरानी डायरी पर गई,जो मेरी ही थी।मैं उठकर गया और उसके
पन्नें को देखने लगा।तभी मुझे एक पूराना खत मिला जो मैंने अपनी पत्नी अनुष्का के लिए लिखा था।मैं उसे पढ़ने लगा जो इस प्रकार से था।
"प्रिये अनुष्का,
कैसी हो?आशा करता हूँ तुम ठीक होगी।
मैं जानता हूँ की मैंं तुम्हें समय नहीं दे पा रहा हूँ।
क्या करूँ कवि होने के कारण मैं काव्य पाठ छोड़ नहीं
सकता हूँ और ना ही लिखना बंद कर सकता हूँ।
फिर भी मैं तूूमसे ही प्यार करता हूँ।तुम अपना ख्याल
रखना।तुम्हारा और केवल तुम्हारा...
कुुुमार किशन कीर्ति।"
तभी मेरी पत्नी चाय लेकर आ गई।मेज पर वह चाय को रखकर मेरी तरफ देखकर बोली"क्यों राइटर महोदय क्या पढ़ रहे थे!"फिर वह मेरे सामने रखी गई कुर्सी पर बैठ गई।
मैं उसकी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए बोला"अब लो आप ही इसे पढ़ लो।पता चल जाएगा।"इतना कहकर उस
खत को मैंने अनुष्का की तरफ बढ़ा दिया और चाय पीने लगा।अनुष्का कुछ नहीं बोली,लेकिन हैरान जरूर हो गई थी।कुछ पल के बाद वह मुुझसे बोली"एक बात बोलिए
कवि महोदय,इस पत्र को अभी तक रखने का मकसद क्या है!"वह मेरी तरफ प्यार भरी नजर से देखकर बोली।
तब मैं अपनी पत्नी अनुष्का की तरफ देखकर बोला"आप
जानना चाहती है तो सुुन सकती है।यह कोई ऐसी बात नहीं है की आपसे छिपा सकूँ।यह तो प्यार का पहला खत है जिसे मैंने केवल और केवल आपके लिए ही लिख कर रखा हुआ था।"मेरी बात सुुुनकर अनुष्का बोल पड़ी"हाँ, बात तो
बिल्कुल सही है, क्योकी आप तो प्यार मुुझसे करते थे मगर इजहार करने का साहस नहीं थी।"वह मुझे व्यंग्य भाषा की तानो से घायल करती हुई मुस्कुराई।मैंं अंदर ही अंदर झेेप,
मगर क्या कर सकता था।बात में दम था,और कोई गलत भी तो नहीं बोली थी।
मैं उसके पास जाकर बैैैठ गया और उसका हाथ अपनी
हाथ में लेकर बोला"अनुष्का, सच में कहता हूँ।मैं आज
भी तुमसे प्यार करता हूँ, जितना उस वक्त करता था।तुम
शायद नहीं जानती हो की मैं इस पत्र को
इतना महत्व क्यों देता हूँ।यह हमारी मोहब्बत का
पहला खत है।जो गवाह है हमारी मिलन का,और इसे मैं
आजीवन महत्व देता रहूँगा।"यह सुनकर मेरी पत्नी
अनुष्का की आँख नम हो गई और वह मेरी तरफ देखकर
बोली"मैं भी तो आपसे आज भी बहुत ही ज्यादा प्यार
करती हूँ।हमारी प्यार को दुुनिया की नजर ना लगे।"
इतना कहने के साथ ही वह अपनी सिर को मेरे कंधे पर बड़े ही सुुुकून के साथ रख दी।इसके साथ ही वह माहौल ही
प्यार में डूब सा गया।जहा केवल और केवल दो दिलों का
मिलन हो रहा था।
:कुमार किशन कीर्ति।

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