असलियत(लघुकथा) Kumar Kishan Kirti द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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असलियत(लघुकथा)


"बाबू जी,मुझे कुछ खाने को दीजिए,बड़ी तेज भूख लगी है"एक नवयुवक भिखारी अपने सामने खड़े रईस व्यक्ति से गिड़गिड़ाते हुए बोला,लेकिन वह रईस व्यक्ति इतना सुनते ही क्रोधित होकर बोला,"चल भाग यहाँ से ना जाने कहाँ-कहाँ से आ जाते हैं भीख मांगने के लिए?"और इतना कहने के साथ वह अपने घर में चला गया
भिखारी बेचारा चुपचाप खड़ा रहा धूप काफी तेज थी उस कमबख्त के पास छाता भी नहीं थी शरीर पर फ़टे और गंदे कपड़े थे,जो रह-रहकर बदबू भी दे रही थी फिर भी,अपनी हालात से बेखबर होकर वह नवयुवक भिखारी भीख मांग रहा था, खैर वह दूसरी मकान की तरफ चला गया शायद कुछ मिल जाए,लेकिन कहने को तो वह अमीरों का मोहल्ला था फिर भी,दिल से सभी दीन-हीन थे वह भिखारी कड़ी धूप में चिल्लाता रहा, लेकिन किसी ने भी उसकी पुकार नहीं सुनी और अंत में वह थक-हार कर वहाँ से चल पड़ा और मोहल्ले से थोड़ी दूर एक सरकारी विद्यालय था और ग्रीष्मावकाश होने के कारण विद्यालय बंद था,सो वह नवयुवक भिखारी उसी विधालय में चला गया
मैं प्रतिदिन उस भिखारी को देखता था वह कहीं ना कहीं से कुछ माँगकर लाता और अपनी भूख को शांत करता,लेकिन एक खासियत थी उसमें वह किसी से लगाव नहीं रखता था,यहाँ तक की वहाँ रहने वाले बच्चों से भी नहीं और दूसरी बात यह थी की भिखारी होने के कारण समाज उसकी तरफ ध्यान नहीं देता था यहाँ तक की मैं खुद भी उससे दूर रहने की कोशिश करता था,शायद यह मेरी एक खोटी सोच थी,फिर एक दिन तो ऐसा हुआ की किसी ने भी उसकी कल्पना तक नहीं की थी मैं अपने बरामदे में बैठकर चाय पी रहा था और अखबार को पढ़ रहा था तभी मुझे शोर सुनाई दिया और मैंने अपने मोहल्ले के लोगों को आवाज की तरफ जाते देखा,सो मैंने भी अखबार और चाय को छोड़कर उनके साथ चल पड़ा
आवाज शायद सरकारी विद्यालय की तरफ से आ रही थी जब मैं वहाँ पहुँचा तो देखा की वह नौजवान भिखारी के हाथ में रिवाल्वर था और एक कुख्यात बदमाश पर तानकर खड़ा था,और आस-पास लोगों की भीड़ जमा हो रही थीं बिल्कुल माहौल बदला हुआ था, तभी वह नौजवान भिखारी बोला"देखो,मैं जानता हूँ तुम एक शातिर बदमाश हो,लेकिन अब चारों तरफ से घिर चुके हो और तुम्हारे साथी पहले ही पकड़े जा चुके हैं, इसलिए भलाई इसी में है की अपने आप को कानून के हवाले कर दो"और इतना कहने के साथ ही उसने बाकी पुलिस अधिकारियों को उस बदमाश को पकड़ने का आदेश दिया फिर क्या था? पुलिस उसे पकड़कर जीप में बैठा ले गई,और एक दारोगा तथा कुछ पुलिस कर्मचारी वही रुक गए
तभी वह नौजवान भिखारी वहाँ आस-पास खड़े लोगों को देखकर बोला"मैं जानता हूँ की आप लोगों को हैरानी हो रही है, लेकिन सच्चाई यह है की मैं एक सीआईडी इंस्पेक्टर हूँ और मुझे पता चला था की वह शातिर बदमाश आपके मोहल्ले में बहुत बड़ा कांड करने वाला है, इसलिए उसे पकड़ने के लिए मुझे अपनी असलियत छूपाती पड़ी थी,और अब मैं जा रहा हूँ क्योंकि मेरा कर्तव्य पूरा हुआ
हमसभी अवाक थे,क्योंकि जिसे हम भिखारी समझ रहे थें वह तो हमारा रखवाला सीआईडी इंस्पेक्टर निकला