अफसर बेटा....। Kumar Kishan Kirti द्वारा प्रेरक कथा में हिंदी पीडीएफ होम किताबें हिंदी किताबें प्रेरक कथा किताबें अफसर बेटा....। अफसर बेटा....। Kumar Kishan Kirti द्वारा हिंदी प्रेरक कथा 480 1.5k "बेटा कुलदीप, कहाँ हो तुम?अरे,कोचिंग नहीं जाना है क्या!कुुुलदीप के पिता उसेे बुलाते हुुुए बरामदे में प्रवेश कर गए।मगर, कुुुलदिप वहाँ नहीं था।यह देखकर उसके पिता वही खड़े होकर सोचने लगे।तभी कुलदीप आता दिखाई दिया।उसे देखकर उसके पिता बोले"बेटा, ...और पढ़ेकहाँ चले गए थे?मैं तुमको कहाँ-कहाँ नहीं ढूंढा हूँ।खैर,चलो अब कोचिंग जाओ,तुम्हें पहले ही बहुत ज्यादा देर हो गई है।"यह सुनकर कुलदीप बड़े ही उदास होकर बोला"नहीं पिताजी,मुझे कोचिंग नहीं जाना है।मैं खेती करके ही अपनी आजीविका चला लूँगा।"इतना कहकर वह बरामदे में रखी गई कुर्सी पर बैठ गया।उसके पिता बड़े ही हैरान हुए।"लेकिन, क्यो कुलदीप आखिर तुम्हें क्या दिक्कत कम पढ़ें पढ़ें पूरी कहानी मोबाईल पर डाऊनलोड करें अफसर बेटा....। अन्य रसप्रद विकल्प हिंदी लघुकथा हिंदी आध्यात्मिक कथा हिंदी उपन्यास प्रकरण हिंदी प्रेरक कथा हिंदी क्लासिक कहानियां हिंदी बाल कथाएँ हिंदी हास्य कथाएं हिंदी पत्रिका हिंदी कविता हिंदी यात्रा विशेष हिंदी महिला विशेष हिंदी नाटक हिंदी प्रेम कथाएँ हिंदी जासूसी कहानी हिंदी सामाजिक कहानियां हिंदी रोमांचक कहानियाँ हिंदी मानवीय विज्ञान हिंदी मनोविज्ञान हिंदी स्वास्थ्य हिंदी जीवनी हिंदी पकाने की विधि हिंदी पत्र हिंदी डरावनी कहानी हिंदी फिल्म समीक्षा हिंदी पौराणिक कथा हिंदी पुस्तक समीक्षाएं हिंदी थ्रिलर हिंदी कल्पित-विज्ञान हिंदी व्यापार हिंदी खेल हिंदी जानवरों हिंदी ज्योतिष शास्त्र हिंदी विज्ञान हिंदी कुछ भी Kumar Kishan Kirti फॉलो