छल - Story of love and betrayal - 17 Sarvesh Saxena द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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छल - Story of love and betrayal - 17



इधर भैरव ने भागते हुए प्रेरित से कहा, "चलो साब, यही अच्छा मौका है, हम भी भाग चलते हैं" |

प्रेरित - "नहीं, मैं नहीं जाऊंगा, ये कानून के खिलाफ होगा और वैसे भी, मैं क्या करूंगा भागकर, मैं जाऊंगा कहां? मुझे यही रहने दो, नहीं मैं नहीं जा सकता" |

भैरव (प्रेरित का हाथ पकड़कर) - "साब जी, जिंदगी यूं बार बार मौका नहीं देती, देखो कोई जान भी नहीं पाएगा कि हम मर गए या भाग गए, सब कुछ तो जल रहा है और आपकी तो पूरी जिंदगी पड़ी है, आप कहीं भी भाग जाना… बस यहां से निकलो"|

प्रेरित ने कुछ देर सोचा और दोनों आग की लपटों को पार करके भागने लगे | सब अपनी अपनी जान बचाने में लगे थे, आग बुझाने के लिए कई दमकल गाड़ियां आ चुकी थी | जेल की बाहरी दीवार को पार करने के लिए भैरव और प्रेरित ने छलांग लगाई पर भैरव लोहे के कटीले तारों पर गिर गया, प्रेरित ने भैरव को कांटों से हटाया और जेल के बाहर खेत में ले जाकर उसके बहते हुए खून को रोकने लगा |

भैरव ने दर्द में कराहते हुए कहा- "साब जी आप जाओ, वरना कोई आ जाएगा, आप भाग जाओ" |

प्रेरित उदास होते हुए बोला - "मैं तुम्हें छोड़ कर कहीं नहीं जाऊंगा, देखो कितना खून बह रहा है" |

भैरव - "अरे साब जी.. मेरी बात को समझो, मुझे आज नहीं तो एक साल बाद जेल से निकलना ही है, पर आप अपनी पूरी जिंदगी मत खराब करो, जाओ…आपको हमारी दोस्ती की कसम " |

प्रेरित को भैरव की बात न चाहते हुए भी माननी पड़ी और वो जाते-जाते वादा कर गया कि वो भैरव की रिहाइ के दिन जरूर मिलेगा |

प्रेरित, भैरव को लिटा कर भागने लगा तभी वहां ज्ञानेश्वर सिंह नाले से बाहर निकलकर खेतों में आ गये, वो इन दोनों को देख रहे थे, लेकिन प्रेरित को भागते हुए देख कर भी उन्होंने कुछ नहीं कहा |

जेल की आग भी अब पूरी तरह बुझ चुकी थी, हर तरफ काला धुआं और चीख-पुकार, अस्पताल की गाड़ियां दिख रही थी | भैरव को भी अस्पताल में भर्ती करा दिया गया था |
अगले दिन सुबह सभी न्यूज़ चैनलों और अखबारों में बस जेल में लगी आग का जिक्र था | मंत्री, नेता सब जेल का मुआयना करने आते | ऊपर से बार-बार मंत्रियों का फोन आता और ज्ञानेश्वर से सवाल-जवाब किया जाता लेकिन इन सबके पीछे मुन्ना पठान और जेल के कुछ लोग मिले हैं, ये कोई नहीं सुनना चाहता |

प्रशासन के बहुत दबाव के बाद एक लिस्ट जारी करने को कहा गया जिसमें मरे हुए कैदियों और पुलिसकर्मियों का नाम दर्ज कराया गया | आला अधिकारियों ने जबरन मुन्ना पठान का नाम जलकर मरने वाले कैदियों की लिस्ट में डाल कर उसका केस खत्म करने का फरमान ज्ञानेश्वर को सुना दिया, मजबूर ज्ञानेश्वर ने भी मुन्ना पठान को मरने वाले कैदियों की लिस्ट में डाल दिया साथ में प्रेरित को भी ज्ञानेश्वर ने लिस्ट में डाल दिया, हालांकि ये उसके उसूलों के खिलाफ था लेकिन उसके उसूल ऊपर बैठे अधिकारियों के आर्डर के सामने बहुत छोटे पड़ गए थे |

लिस्ट तैयार होते ही सभी न्यूज़ चैनल और अखबारों को दे दी गई, मरने वाले कैदियों के साथ भागने वालों के केस हमेशा के लिए बंद हो गए |

अब प्रेरित भी दुनिया की नजर में मर चुका था |