कुएं की आत्मा Atul Kumar Sharma ” Kumar ” द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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कुएं की आत्मा

रश्मि अपने माता पिता की इकलौती संतान थी । पढ़ने लिखने में तेज और अन्य कार्यों में भी सबसे आगे रहती थी । सांस्कृतिक उत्सव कार्यक्रम हो या कोई सामाजिक कार्य , सबमें बढ़चढ़कर हिस्सा लेती । स्वभाव की भोली और सबपर आसानी से विश्वास करने वाली रश्मि ने कभी सपने में भी नही सोचा होगा कि उसकी आने वाली जिंदगी के कुछ दिन बेहद कष्टपूर्ण दहशत भरे होने वाले है । इंसान जैसा स्वयं होता है उसी नज़र से वो बाकी संसार को देखता है । अच्छा इंसान सबमे अच्छाई देखता है वहीं बुरा इंसान औरों की बुराइयाँ तलाशने में लगा रहता है । रश्मि के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ । जिसने उसकी जिंदगी को पूरी तरह घुमाकर रख दिया ।

रश्मि देखने मे बेहद खूबसूरत थी , इसलिए कॉलेज में उसके पीछे पड़ने वाले लड़कों की संख्या भी कम नही थी । जीतू उन्हीं में से एक था । वो रश्मि की खूबसूरती से उसकी तरफ आकर्षित हो चला था । और रश्मि से भी यही उम्मीद करता था कि वो भी उसके प्रेम निवेदन को स्वीकार कर ले । पर रश्मि अपने भविष्य को लेकर बहुत गम्भीर थी । पहले वो अपने सभी गोल्स अचीव करना चाहती थी । और इसीलिए रोज़ नियम से क्लास अटेंड करना , लाइब्रेरी जाकर बुक्स पढ़ना , नोट्स बनाना यही उसकी दिनचर्या हुआ करती थी । उसने जीतू को कई बार साफ साफ बोल दिया था कि वो किसी भुलावे में ना रहे कि वो उसके कभी नज़दीक भी आयेगी ।

कॉलेज की पिकनिक ट्रिप होने जा रही थी । सभी लोग उस ट्रिप को लेकर काफी उत्साहित थे । रश्मि भी अपनी सहेलियों के जोर देने पर पिकनिके जाने तैयार हो गई । नियत दिन पर सभी लोग बस में बैठकर निकल पड़े । पूरी बस में खुशी का माहौल था । अंताक्षरी और पहेलियों के दौर चल रहे थे । सभी स्टूडेंट्स बहुत खुश थे । पर जीतू की नज़र सिर्फ रश्मि पर ही टिकी थी । जो बस में एक कोने में चुपचाप बैठी खिड़की से बाहर देख रही थी । पिकनिक स्पॉट भी आ गया । वो एक पुराना प्रसिद्ध किला था । जो देखने मे बहुत ही सुंदर और विशाल था । लेकिन जहाँ एक तरफ वो किला अपनी अपनी खूबसूरत कारीगरी और विशालता के लिए प्रसिद्ध था वहीं दूसरी तरफ उस किले के बारे में एक अलग ही कहानी प्रचलित थी । स्थानीय लोगों की बात मानें तो वो एक पूर्णतः सत्यघटना थी । ये सत्यघटना किले की प्राचीनता को लेकर तो नही थी , पर इसी सदी में उस किले में ऐसा कुछ घटा था जो अपने आप मे बेहद दर्दनाक और डरावना था । कहते हैं की उस किले में एक कुँए में एक लड़के ने कूदकर अपनी जान दे दी थी । तबसे ही वो कुँआ कुछ बातों को लेकर बदनाम था ।

किला आते ही सभी लोग बस से उतरकर इधर उधर फैल गए । किले के अंदर विशाल प्रांगण में पिकनिक के लिए जरूरी तैयारियां होने लगीं । सभी लोग मस्ती मज़ाक करते हुए इधर उधर टहल रहे थे । किले की खूबसूरती ने रश्मि को बहुत प्रभावित किया । वो चारों तरफ घूम घूम कर उसकी अनंत सुंदर छटा का दर्शन लाभ ले रही थी । अपने कैमरे में उसे कैद कर रही थी । खाना वगेरह खा पीकर उनका कॉलेज ग्रुप किले के अन्य भाग में घूम रहा था ।लेकिन जीतू को इन सबमें कोई इंटरेस्ट नही था । वो अपने कुछ खुराफाती दोस्तो के साथ अकेला ही टहल रहा था । उसका मन रश्मि में ही लगा हुआ था । रश्मि भी अपनी सहेलियों के साथ किले के अन्य दूसरे हिस्सों में टहल रही थी । किले के अंदर ही एक चाय-पानी की स्टाल थी । जीतू वहीं अपने दोस्तों के साथ बैठा हुआ था । और भी कुछ लोग वहाँ बैठे बतिया रहे थे । उनमें से ही एक बहुत बुजुर्ग से दिखने वाले बाबा एक तरफ बैठे हुए हुक्का गुडगड़ा रहे थे । जैसे ही उनकी नज़र अपनी सहेलियों के साथ घूमती रश्मि पर पड़ी तो वो एकटक उसे ही देखते रह गए , जैसे कुछ पहचानने की कोशिश कर रहे हों । अचानक से वो बड़बड़ाने लगे ...

"" असम्भव , ये नही हो सकता !!!!!.. ये में क्या देख रहा हूँ वही नाक नक्श वही चेहरा !!!!!!.. नही ये नही हो सकता । "" कहते हुए वो बुरी तरह भयभीत हो गए । उनको इस तरह घोर आश्चर्य में देख
जीतू और अन्य दूसरे लोग उनकी तरफ हैरानी से देखने लगे । तभी चाय वाले ने उन बूढ़े बाबा से पूछा ।

"" क्या हुआ बाबा , ऐसा क्या देख लिया और क्या नही हो सकता !!!!!!""

उस चाय वाले कि बात सुनकर बाबा और भी गम्भीर होकर रश्मि की तरफ ही देखते रहे जैसे रश्मि को जानते हों । उन्होंने अपने बूढ़े काँपते हाथों से रश्मि की तरफ उंगली उठाकर इशारा किया । जीतू ये सब देख रहा था । बाबा ने जब रश्मि की तरफ इशारा किया तो जीतू से रहा नही गया । वो उनके मज़े लेते हुए उनसे पूछने लगा ।

"" क्या हुआ बब्बा , उस लड़की को देखकर अचानक से आपके चेहरे का रंग क्यों उड़ गया ?????..आपके हावभाव तो करन अर्जुन फ़िल्म के स्टेशन मास्टर की तरह हो गए जो शाहरुख खान को देखकर आंखें फाड़ने लगता है । क्या आप उसे जानते हो ???""

बूढ़े बाबा अपनी ही धुन में बोले जा रहे थे ।

"" मेरी आँखें धोखा नही खा सकती । ये वोही लड़की है । बिल्कुल वही , चित्रा !!!!!!..इतने सालोँ बाद यहाँ खींची चली आई आखिर । जरूर कुछ अनहोनी घटित होने वाली है । ""

बाबा की बात सुनकर तो जीतू से अब रहा नही जाता । वो उनसे जोर देकर पूछने लगता है ।

"" आखिर बात क्या है बब्बा जी , अकेले ही हैरान होते रहेंगे या हमे भी मौका देंगे हैरान होने का । "" जीतू अपने दोस्तों की तरफ आँख मारते हुए बोला ।

"" वो लड़की देख रहे हो , वो चित्रा है वही चित्रा !!!!!.. बरसों पहले यहाँ आई थी अपने प्रेमी के साथ ।""

अब तो जीतू से रहा नही गया ।

"" अरे बब्बा , कौनसी गोली खाकर बैठे हो । उस लड़की को में जानता हूँ मै मेरे साथ ही पढ़ती है । उसका नाम चित्रा नही रश्मि है । क्यों खामखाँ फिल्मी सीन क्रिएट कर रहे हो । "" जीतू हंसते हुए बोला ।

"" हो ही नही सकता । ये वही है चित्रा । में कभी नही भूल सकता । उस दिन भी ऐसा ही माहौल था । लोग किला घूम रहे थे । ये लड़की भी एक लड़के के साथ यहाँ आई थी । में स्वयं यहाँ मौजूद था । सबकुछ हाँ सबकुछ मेने अपनी आँखों से देखा था । ये वही है । "" बाबा की आंखों में एक अलग ही चमक थी । पर जीतू उनकी खिल्ली उड़ाये जा रहा था । ये देख चाय वाला जीतू से बोला ।

"" नही साहब , यदि ये बोल रहे हैं तो कोई बात तो जरूर है । क्योंकि ये यहाँ के सबसे पुराने लोगों में से एक हैं । और लगभग रोज़ ही कई सालों से यहाँ आ रहे हैं । एक बात और कहें साहिब , जो मनहूस घटना कभी यहाँ घटी थी उसके एकमात्र चश्मदीद गवाह यही हैं । "" चाय वाला पूर्ण विश्वास से बोला ।

"" तो फिर हमें भी सुनाओ वो कहानी । "" जीतू उत्सुकता से बोला।

बाबा बताना शुरू करते हैं ।

" मेरे बच्चों ये मेरी आंखों देखी वो हकीकत है । जो अनहोनी बनकर उस प्रेमी जोड़े पर ऐसी गुजरी की वो भयंकर हादसा हो गया ।

में ना जाने कितने सालोँ से यही पास में रहता हूँ । और रोज़ किले में आकर कुछ देर बैठता हूँ । बात उसी साल की जब शोले फ़िल्म आई थी , यानि 1975 की । और मुझे इसलिए ये याद है कि उस दिन 15 अगस्त का दिन था और मैने शोले फ़िल्म का पहला ही शो देखा था और यहाँ आकर अपने दोस्तों से उसकी कहानी बता रहा था । तभी एक प्रेमी जोड़ा किला घूमने आया । में उस आंखों देखी घटना को आजतक नही भूला हूँ । उन दोनों के नाम आज भी मुझे याद हैं । लड़के का नाम विशाल और लड़की का नाम चित्रा था । और देखकर ही लगता था कि वो लड़का उस लड़की से बेहद प्यार करता है । जब यहाँ किले में उस लड़के ने अपने प्यार का इज़हार उस लड़की से किआ तो वो लड़की बहुत नाराज हुई । यहाँ तक कि उसने उस लड़के विशाल को थप्पड़ तक मार दिया । बहुत बहस हुई दोनो में । तब मेने उन दोनों को समझाया भी था ।

उन लोगों ने मुझसे खूब बात की । अपने बारे में सब बताया । विशाल चित्रा से बेहद प्यार करता था । इतना कि वो उसके लिए कुछ भी कर सकता था । विशाल थोड़ा सनकी लड़का था । उसने चित्रा से अपने प्यार का इज़हार करने के लिए एक बार अपने खून से उसे पत्र भी लिखा था । वो दीवानगी की हद तक उसे चाहता था । पर चित्रा विशाल से बिल्कुल प्यार नही करती थी । उसने साफ साफ़ मना कर दिया । विशाल गुस्से में आकर चित्रा को धमकी देने लगा कि यदि वो नही मानी तो वो उस कुँए में कूदकर जान दे देगा । पर चित्रा उसकी बात सुने बिना पलटकर वापिस जाने लगी ।

उस लड़के ने आव देखा ना ताव दौड़ लगाकर सीधा उस अंधेरे गहरे कुँए में कूद गया । इस बात की उम्मीद किसी को नही थी कि अचानक से वो लड़का ऐसा कर लेगा ।

चित्रा को तो बिल्कुल भी उम्मीद नही थी । वो देखकर अवाक रह गई । उसके पाँव वहीं जड़ हो गए । आवाज़ हलक में अटक गई । उसे अपनी आंखों पर जरा भी विश्वास नही हो रहा था । विशाल इतनी जल्दी बिना सोचे समझे ऐसा कदम उठा लेगा इसकी कल्पना उस लड़की ने तो क्या मेने भी नही की थी । देखते ही देखते वहाँ भीड़ जमा हो गई । सभी अंदर झाँककर देखने लगे । लेकिन वो कुँआ इतना गहरा और अन्धकारमय था कि किसी की उसमें उतरने की हिम्मत नही हुई । चित्रा ये सब देखकर घबराकर यहाँ से भाग गई । तबसे ही उस लड़के की अतृप्त आत्मा इस कुँए में भटक रही है । अमावस्या को इस कुएँ से रोने की आवाज़ भी कई लोगो ने अपने कानों से सुनी है । अब तो कोई भी उस कुँए के पास तक नही जाता । इतने सालों बाद वो लड़की दोबारा यहाँ आई है । ये चित्रा ही है । शायद उसका पुर्नजन्म । ""

बाबा की बातें जीतू बड़े गौर से सुन रहा था । पर उसे इन आत्माओं भूतों की बातों पर यकीन नही होता था । उसने पूरी बात सुनकर भी मज़ाक करते हुए अपने दोस्तों से कहा ।

"" मतलब ये लड़की केवल इसी जन्म में ही नही बल्कि पिछले जन्म में भी बहुत घमंडी थी । "" जीतू आंखों को नचाते हुए अपने दोस्तों से बोला ।

लेकिन वो बाबा बड़े गौर से सिर्फ रश्मि को ही देखे जा रहे थे । उनको अपनी आँखों पर अब भी यकीन नही हो पा रहा था । उधर रश्मि घूमते घूमते उस कुँए के पास पहुंच जाती है । और उत्सुकतावश उस कुँए में झाँककर देखती है । पर वो कुँआ बहुत अन्धकारमय था । अंदर कुछ भी देख पाना सम्भव नही था । रश्मि एक पत्थर उठाकर उसमें फेंकती है । पर पत्थर भी कितना नीचे जाकर गिरा कुछ पता नही चलता । तभी एक दम जैसे कोई तेज़ हवा का झोंका अचानक ऊपर आया और रश्मि से टकरा गया । रश्मि बुरी तरह पछाट खाकर पीछे की तरफ गिरती है । उसे कुछ समझ नही आता ये क्या हुआ , बस हवा में दो भयंकर आंखों की आकृतियाँ सी उसे अचानक दिखी थी । वो काफी डर गई और तेज़ी से वहाँ से भाग गई ।

वो घबराते हुए बस में चुप-चाप आकर बैठ गई । पर उसे अंदर से पता नही कैसा लग रहा था । पूरी बस में वो खामोश सी डर सहमी हुई बैठी रही । और घर आकर सीधे अपने कमरे में चली गई । रश्मि की माँ दुर्गा को लगा कि शायद थक गई होगी इसलिए सीधे सोने चली गई । उन्होंने भी ज्यादा ध्यान नही दिया ।

रश्मि कमरे में आकर सर से पांव तक चादर ओढ़कर लेट गए । उसके सामने वही दृश्य घूम रहा था । हवा में वो दो भयंकर आँखे जो तेज़ी से कुँए से बाहर आकर उससे टकराईं । यही सोचते सोचते उसकी पता नही कब नींद लग गई । रात को बारह या एक बजे के बीच उसकी आँखें खुल गई । क्योंकि उसे महसूस हुआ था जैसे किसी ने उसे झंझोड कर उठाने की कोशिश की हो । अभी वह इस बात का अंदाजा ही लगा रही थी कि उसे वहम हुआ है , या फिर सचमुच किसी ने उसे पकड़कर उठाने की कोशिश की है ।

तभी उसे लगा कि जैसे कोई उसके कमरे की छत पर टहल रहा है ।क्योंकि उसे ऊपर से किसी के चलने की आवाजें स्पष्ट महसूस हो रही थी । रात के इस वक्त छत पर कौन हो सकता है..????? यह बात उसके दिमाग मे कौँध रही थी । अब उसे थोडा डर सा भी महसूस होने लगा था । दूसरे कमरे मे उसके पापा और माँ सोए हुए थे ।उसने सोचा,क्यों उनको बेवजह जगाए..?? यह सोचते हुए वह बिस्तर से नीचे उतरी । और अभी दरवाजे की ओर बढ़ ही रही थी कि खिडकी के पास उसे एक साया दिखाई दिया , जो जोर जोर से साँसे ले रहा था । रश्मि का दिल जैसे हलक मे अटक गया हो । उसके मुंह से एक तेज़ चीख निकल गई । उसकी चीख सुनकर दूसरे कमरे से दौडकर उसके पापा नवीन और माँ दुर्गा वहाँ आये , और उसे सँभाला । रश्मि बेहोश हो चुकी थी । उसे पानी के छींटे मारकर होश में लाया गया । वो हैरानी से सबको ऐसे देख रही थी जैसे कुछ हुआ ही ना हो ।

"" अरे मम्मा पप्पा आप इस वक़्त । क्या हुआ ???""

दोनो रश्मि के मुँह से ये सुनकर एक दूसरे का चेहरा देखने लगे । अगले दिन सुबह रश्मि की माँ दुर्गा किचन में काम करते करते रश्मि के बारे में ही सोच रही थी । क्योंकि उनको रश्मि की हालत कुछ ठीक नही लग रही थी । तभी रश्मि आई और किचन में से एक गाजर का टुकड़ा उठाकर खाते हुए माँ से बोली ।

"" मम्मा , में अपनी सहेली काजल के घर जा रही हूं । स्टडी के लिए । शाम तक आ जाऊंगी । आज हम दोनों कॉलेज नही जा रहे । बल्कि कुछ जरूरी नोट्स बनाने हैं तो उसके घर ही पढ़ाई करेंगे । "" और इतना कहते है कि वो दुर्गा के गाल पर एक चुम्मी लेकर मुस्कुराते हुये बाहर निकल गई । दुर्गा भी उसकी तरफ देखकर मुस्कुरा दी । लेकिन उसके मन मे कल की बातों को लेकर चिंता उभर रही थी ।

दोपहर में काजल अचानक रश्मि के घर आकर घबराकर बोली । तब नवीन और दुर्गा घर पर ही थे ।

"" आंटी आंटी , जल्दी चलिए , वो रश्मि .......""

उसके मुंह से रश्मि का नाम सुनकर दोनो चौंक गए ।

""क्या हुआ हुआ रश्मि को..?????.....""

दोनो उस लड़की काजल के साथ उसके घर की ओर भागे । बेहोश रश्मि को एक पलंग पर लिटाया गया । डाक्टर को भी फोन कर दिया गया । रश्मि के पापा नवीन ने जब काजल से पूछा कि यह सब कैसे हुआ तो उसने बताया..

"" रमा बाथरूम मे गई थी,थोडी देर बाद जब वह बाहर निकली तो अचानक से गिर पडी,और बेहोश हो गई ""

डाक्टर भी जल्दी ही वहां पहुंच गए थे । उन्होंने चैकअप करके बताया कि डरने की जरूरत नहीं है।थकान और कमजोरी के कारण वह बेहोश हो गई है।

इन्जेक्शन और कुछ दवाई देकर वह चले गए।

दुर्गा ने काजल से कहा..""'आप रश्मि की अच्छी दोस्त हैं। क्या आप बता सकती हैं कि आजकल उसके.साथ यह सब क्या हो रहा है??..क्या वह किसी तनाव आदि से तो नहीं गुजर रही है । क्योंकि जबसे पिकनिक से आई है तबसे अजीब व्यवहार कर रही है । कभी तो खूब हंसती बोलती है कभी एक दम गुमसुम हो जाती है ।

काजल ने उनको एक तरफ चलने को कहा । दुर्गा उसके साथ दूसरे कमरे में चली गई ।

""काजल ने कहा.."""जह़ाँ तक मैं जानती हूँ आंटी , रश्मि को जो कुछ हो रहा है,उसका कारण मानसिक तो हरगिज नहीं हो सकता।यह कोई दुष्टात्मा है,जो उसके पीछे पडी गई है। और इस का इलाज कोई पैरानॉर्मल विशेषज्ञ ही कर सकता है ।""

काजल के मुंह से ये सब सुनकर दुर्गा उसके चेहरे की तरफ देखती ही रह गई ।

"" ये क्या कह रही हो बेटी !!!!!!! ""

"" जैसा मुझे लगा वैसा आपको बता रही हूं आंटी । मेने अंकल के सामने बोलना ठीक नही समझा इसलिए बाथरूम वाली झूठी बात बनाई । दरअसल जब हम दोनों पढ़ाई कर रहे थे तभी रश्मि अचानक मेरी तरफ बड़ी अजीब नज़र से घूरने लगी । और मुझसे लिपटने लगी । मेरे कपड़े खींचने लगी । उसकी आवाज़ में एक मर्दाना स्वर था । वहशी आंखों से वो मेरे साथ जबरदस्ती करने लगी । मेने उसे जोर से धक्का दिया और वो पलँग से नीचे गिरकर बेहोश हो गई । ""

काजल के मुंह से सारी बात सुनकर दुर्गा को काटो तो खून नही । वो बुरी तरह तनाव में आ गई ।

कुछ समय बाद रश्मि को होश आ गया था । उसे लेकर दोनो वापस घर आ गए । दुर्गा ने काजल वाली बात अपने पति नवीन को बताई । नवीन भी सकते में आ गए । क्योंकि काजल भला ऐसा झूठ क्यो बोलने लगी । और नवीन ने ऐसी बाते बहुत देख रखीं थी । इसलिए उनको विश्वास हो गया । उन्होंने अपने एक दोस्त किशोर को फोन मिलाया। और किसी ताँत्रिक का पता पूछा । क्योकि किशोर भूत प्रेतों पर विश्वास करता था। और एक बार उसने बताया था कि उसके छोटे भाई को भी इसी तरह की समस्या हुई थी ।जैसी आज रश्मि के साथ हो रही है। उसने अपने भाई का इलाज किसी ताँत्रिक से करवाया था। किशोर ने शाम तक उसका पता और फोन नम्बर देने का वादा किया।

जब रश्मि कुछ सामान्य सी हुई तब नवीन ने उससे पूछा...

""तुम्हें क्या हुआ था रश्मि बेटा ??...तुम अचानक बेहोश कैसे हो गई थी.??....

रश्मि ने बताया..

"""जब मैं काजल के साथ पढ़ाई कर रही थी, तब मुझे ऐसा लगा,जैसे किसी ने पीछे से मेरे कँधे पर हाथ रखा हो । मैं एकदम बहुत डर गई। और उसके बाद मेरी आँखों के सामने अँधेरा सा छा गया। बाद मे क्या हुआ मुझे नही पता। लेकिन मैं इतना जरूर जानती हूँ कि कोई है जो मेरा पीछा करता है।..मुझे बार बार अपनी मौजूदगी का अहसास करवा रहा है।""""......

उसकी बात सुनकर नवीन ने कहा....""""तुम चिन्ता मत करो ।सब कुछ ठीक हो जाएगा।बस तुम अपने आप को थोड़ा मजबूत रखना। क्योंकि डर इन्सान को कमजोर बना देता है। """"

रात का खाना खाकर सभी अपने अपने कमरे मे चले गए। मगर नवीन को बिल्कुल भी नींद नहीं आ रही थी। उसके दोस्त किशोर ने ताँत्रिक से बात कर ली थी, और कल ही रश्मि को वहां ले जाने का कार्यक्रम बना लिया था। तभी सहसा उन्हें आभास हुआ कि उसके कमरे के सामने से कोई गुजरा है। और रश्मि के कमरे की ओर गया है।

अभी इस घटना को कुछ ही मिनट गुजरे थे , कि उसके कानों मे किसी आदमी के हँसने की आवाज पडी। वह जल्दी से उठे और रश्मि के कमरे की ओर चल पड़े । रश्मि के कमरे के दरवाजे से उन्होंने जब अंदर झांका , तो उनको कुछ ऐसा दिखाई दिया कि उसके कदम कमरे के भीतर खींचते चले गए।

उन्होंने देखा कि रश्मि के बाल बिखरे हुए हैं । आँखे अंगारों सी लाल हो रही थी। और वह तकिए को बुरी तरह मसल रही थी । जैसे उसपर अपना गुस्सा उतार रही हो ।

यह सब देख कर नवीन ने उससे पूछा ।

"'' बेटा क्या हुआ , इतना गुस्से में क्यो हो ??""""....

मगर अब भी उसने नवीन की ओर देखा तक नहीं । अब नवीन ने उसके कँधे पर हाथ रखते हुए कहा ।

""""रश्मि तुम ने मेरी बात का जवाब नहीं दिया। """....

अब उसने गुस्से से नवीन की ओर नजर उठाकर देखा। उसके तेवर कुछ ऐसे थे कि नवीन कुछ सिहर से उठे । उनको यूं महसूस हुआ कि जैसे रश्मि उसे पहचानती ही ना हो ।

""""मैं रश्मि नही हूँ बुड्ढे । इसकी मौत हूँ"""

अचानक उसके मुँह से एक भारी मर्दाना आवाज निकली । उसके मुंह से यह सुनकर डर गए नवीन ।

""होश मे आओ रश्मि यह तुम क्या कह रही हो । ""

रश्मि फिर से चीखी ।

""" मेरे और इस लडकी के बीच ना ही आओ तो ठीक रहेगा । वरना इसका अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहना।""

अब नवीन वहां से बाहर निकले । और जाकर अपनी पत्नी दुर्गा को जगाया। वे दोनों रश्मि के कमरे की तरफ गए । मगर जब वो वहां पर गए तो हैरान रह गए। क्योंकि वह अपने कमरे मे नहीं थी। घर के सारे कमरों मे जाकर वे दोनो रश्मि को ढूँढने लगे। पर रश्मि कही नही दिखी । तभी बाहर खुले गलियारे में उनको परछाई सी नजर आई। जब उन्होंने सर उठाकर ऊपर की तरफ देखा,तो वह बुरी तरह सहम गए । क्योंकि रश्मि छत के एक किनारे पर खडी थी। और उसके हाव भाव से लग रहा था, जैसे वह छत से नीचे कूदने ही वाली है।

""""रूक जाओ रश्मि """"".....नवीन तेज़ स्वर में गरजे ।

मगर रश्मि ने कोई ध्यान नहीं दिया । तब नवीन जल्दी से सीढियां चढते हुए ,ऊपर की तरफ भागे । वहां पहुंच कर उन्होंने रश्मि को पीछे से पकड़ कर वापस खींचा। पीछे पीछे दुर्गा भी वहां पहुंच गई । ऐसा लग रहा था जैसे कोई अदृश्य ताकत उस पर हावी थी। जो उसकी जान लेना चाहती थी। किसी तरह उसे पकड़कर नीचे लाया गया। कुछ देर बार गुर्राते हुए वो एक और लुढ़क गई ।

बाकी की रात सभी ने उसके पास बैठ कर काटी। नवीन यह सोच सोच कर सिहर उठते थे कि अगर उसकी नजर छत पर खडी रश्मि पर नहीं जाती, तो पता नहीं क्या अनर्थ हो जाता। अभी वह ऐसा कुछ सोच ही रहे थे कि उसकी नजर बेहोश रश्मि पर गई , और वह चौंक.पड़े । क्योंकि रश्मि का चेहरा काला पड़ चुका था ।
और बेहोशी की हालत मे भी उसके मुँह से गुर्राहट सी निकल रही थी ।

जब जीतू को रश्मि की ये हालत पता चली तो वो मन ही मन रश्मि के लिए परेशान हुआ । वो काजल के घर जाकर उससे रश्मि का हाल पूछने लगा । काजल ने उसे सारी बात बता दी । जीतू ने उसे रश्मि के घर चलने की जिद की । दोनो रश्मि के घर को निकल गए ।

जैसे ही वो दोनो रश्मि के घर पहुंचे तो वो लोग उसे लेकर तांत्रिक के पास लेकर जा रहे थे । जीतू और काजल भी उनके साथ हो गए । जैसे जैसे तांत्रिक का ठिकाना पास आने लगा रश्मि बेहोश हो गई । उसे बेहोशी की हालत में ही तांत्रिक के पास ले जाया गया । तांत्रिक ने उसके हाथ की चींटी उंगली पकड़ी । उंगली पकड़ते ही वो होश में आ गई । उसके होश मे आते ही ताँत्रिक ने उसके मुंह पर भी अभिमँत्रित जल छिड़क दिया। ऐसा करते ही रश्मि एकदम से उठकर बैठ गईऔर उस ताँत्रिक की ओर कहर बरपाती नजरों से देखने लगी ।

"""कौन है तू?????.... चल नाम बता अपना..."""ताँत्रिक ने उसके गुस्से की परवाह किए बिना गरज कर पूछा ।

जवाब देने के बजाय रश्मि के मुँह से मरदाना आवाज मे फिर से हँसी सुनाई दी, यह देख कर एक ओर खडी हुई उसकी सहेली काजल भी दहल उठी । तभी तांत्रिक ने कुछ राई के दाने काले तिल में मिलाकर उसपर फूंक मारकर उसपर फेंके । और फिर पूछा ।

"""" बोल तू कौन है ,और इस लडकी के पीछे क्यों पड़ा हुआ है।"""""

चिल्लाते हुए रश्मि ने कहा..

"""तेरी इतनी औकात नहीं है , कि तू मुझसे सवाल जवाब कर सके । भाग जा यहां से वरना तुझे पछताने के सिवा कुछ हासिल नहीं होगा ।

""""अपने हौंसलों को इतना मत बढा ए दुष्टात्मा, कहीं ऐसा ना हो कि मैं तूझे नरक की आग मे ही ना झोंक दूं ।""""" कहते ही उसने पास में से एक मुठ्ठी भभूत उठाकर उसकी तरफ फूंक मारी ।

रश्मि के मुँह पर जाते ही उसने एक झुरझुरी सी ली।और वह इधर उधर अपने सिर को झटकने लगी । सिर के बाल बिखर गए थे । जिससे वह बडी भयावह लग रही थी । एकाएक वह रोने लगी।अबकी बार उसके गले से जो आवाज निकल रही थी वह रश्मि की ही थी ।

रोते हुए बोली ..

"""मुझे बचा लो पप्पा ये मुझे नहीं छोड़ेगा """... ताँत्रिक ने अब उसकी ऊँगली छोड़ दी । और उस पर वह भभूत उड़ाना भी बंद कर दिया ।

ठीक उसी पल जैसे बिजली सी चमकी । रश्मि के पैर की जोरदार लात ताँत्रिक की छाती पर पडी । और वह चीखता हुआ दूर जा गिरा । रश्मि के चेहरे पर शैतानियत नाच रही थी । और मुँह से वही मरदाना ठहाके गूँज रहे थे । ठोकर इतनी जबरदस्त थी कि ताँत्रिक के मुँह से खून बह रहा था । वह कराहते हुए उठा और साफ कह दिया ।

""इस दुष्टात्मा से पार पाना मेरे वश की बात नहीं है । क्योकि यह कोई साधारण आत्मा नहीं है ।यह बहुत शक्तिशाली है अगर जल्दी ही इस पर काबू नहीं पाया गया तो यह इस लड़की पर पूरी तरह हावी हो जाएगी । इससे तो अब मेरे गुरुजी ही निपटेंगे ।

उस तांत्रिक ने अपने गुरु भैरवनाथ को फोन लगाया । क्योंकि रश्मि को बस में करना उसके गुरु के ही बस का था । कुछ देर बाद भैरवनाथ वहाँ पहुंच गए । उन्होंने रश्मि को गौर से देखा । रश्मि बेहोश पड़ी थी । उन्होंने उसकी आंख खोल के देखी , जैसे ही उन्होंने पलक ऊपर उठाकर उसकी आंख खोली , रश्मि भयंकर तेज़ स्वर में दहाड़ते हुए उठ बैठी । और भैरव नाथ को गुस्से से दांत कितकिताते हुए देखने लगी ।

भैरवनाथ ने उसके माथे पर एक तिलक खींच दिया । और गरजे ।

""""बता कौन है तू????? और इस लड़की के पीछे क्यों पड़ा हुआ है?????.....""""

"" साले में तेरी बीवी नही हूँ जो तेरे इशारे पर बकने लगूं । "" रश्मि ने उसे देखते हुए दांत किटकिटाना चालू कर दिया ।

"" अच्छा तो तू नही मानेगा । जय महांकाल भस्म कर दे ये चांडाल ।"" भैरव नाथ ने महाकाल की भस्म उसके माथे पर लगा दी ।

रश्मि बुरी तरह दर्द से तड़प उठी ।

"" इस भस्म को हटाओ मेरा शरीर जल रहा है । में सब बताता हूँ । ""

""""ठीक है तो फिर बकना चालू कर । """""

रश्मि के शरीर पर हावी उस आत्मा ने अपनी मर्दाना आवाज मे बताना शुरु किया ।

"""मेरा नाम विशाल है , मेरी अपनी प्रेमिका चित्रा से बेहद प्यार करता था । बहुत प्यार करता था में उससे । पर उसने कभी मेरे प्यार की कदर नही की । मेने उसके पीछे कुँए में कूदकर अपनी जान दे दी । और वो वहाँ से भाग गई । गुर्रर्ररर ।"""

"" तो तू इसके पीछे क्यो पड़ा है । ये चित्रा नही रश्मि है ।"'

""""यह मुझे चित्रा जैसी खूबसूरत लगी थी । इसलिए मेरा दिल आ गया था इस पर । बरसो से सोई तमन्ना जगा दी इस लड़की ने मेरे दिल मे । """" ये कहते हुये वो अपने सीने को तेज तेज़ ठोंकने लगा।

"" फालतू बकवास मत कर । "" भैरवनाथ गरजे ।

"" मैंने इसे कभी छत से गिराकर मारने की भी कोशिश की । मगर इसके खूंसट बाप बीच मे आ गया । लेकिन कब तक बचेगी यह मुझसे???...इसे तो अब मरना ही होगा ।"""" रश्मि एक दम सफेद आंख निकलते हुए गर्दन को अजीब तरह से घुमाते हुए कुटिलता से मुस्काई ।

""""तेरे जैसी पता नहीं कितनी आत्माएं महाकाल के सामने दया की भीख माँगती नजर आती हैं । महाकाल तो कालों के काल हैं । भूतों के देव हैं । तुझे उन्ही के पास भेज देता हूँ । """""""यह कहकर भैरवनाथ ने पोटली ने में से एक और राख जैसी कोई वस्तु निकाली और मँत्र पढते हुए रश्मि के माथे के बीचोबीच लगा दी । वह फिर से चीख चिल्लाने लगी । बालों को इधर उधर झटकने लगी । पर बस में नही आ रही थी । तभी भैरव नाथ बोले ।

"" ये इतनी आसानी से बस में नही आने वाली । भगवान शिव का त्रिशूल लेकर आने से उसी से ये आत्मा भागेगी ।

"" अब त्रिशूल कहां से लाएं""" नवीन ने विचलित होते हुए बोला ।

"""" शिवजी की सारी शक्तियां उनके त्रिशूल में निहित होतीं हैं ।एक प्राणप्रतिष्ठित मूर्ति जिसके ऊपर कोई मन्दिर की छत ना हो । खुले में हो । वहां से त्रिशूल लाकर इसे मुक्त करना पड़ेगा ।"""""""

काजल बोली""""में जानती हूं ऐसा मंदिर जो खुले में है । वहां से त्रिशूल ला सकते हैं। में और जीतू जाकर ले आते हैं । जल्दी आ जाएंगे ।"""""

थोड़ी देर बाद वे त्रिशूल लेकर हाज़िर थे । भैरव नाथ ने त्रिशूल लेकर उसे प्रणाम किया । फिर रश्मि के माथे पर रखकर सबसे बोला।

""""" आप सभी #ॐ_नमः_शिवाय का मंत्र का जाप करते रहें। """""
सारा वातावरण ॐ नमः शिवाय से गुंजित हो उठा.....

अचानक से रश्मि आंखे फाड़कर उठ खड़ी हुई । और अपने कानों को बंद कर लिया । ताकि ॐ नमः शिवाय की ध्वनि उसके कानों में ना पड़े । पर वो फिर भी इस मंत्र के जाप से स्वयम को बचा नही सकी । रश्मि झटके से हिली और और फिर एक तरफ गिर गई ।

भैरव नाथ ने कहा..""""इसे सता रही शैतानी आत्मा का कब्जा अब इसके शरीर पर नहीं रहा। अब यह बिल्कुल ठीक है। थोड़ी देर बाद यह उठ जाएगी"""""

भैरवनाथ की इस बात से सभी के चेहरे पर खुशी के भाव उभरे।नवीन ने मन ही मन भगवान का शुक्रिया अदा किया।और भैरवनाथ के चरण छुए । सभी ने उनके चरण छूये ।

समाप्त

लेखक - अतुल कुमार शर्मा " कुमार "