बुधवार के दिन हृदय पर एक बोझ आ गया । रिद्धि सिद्धि के दाता गौरी पुत्र के खासमखास का मर्डर मेरे हाथों हो गया। जो में नही चाहता था । बात यूँ है कि इस दिन मूषक प्रजाति में गज़ब का कॉन्फिडेन्स होता है।इस दिन मालिक भये कोतवाल तो डर काहे का।बस इसी प्रचण्ड सोच के साथ उस अज्ञात मूषक ने बुधवार सुबह सुबह उस कोने के मकान की बॉर्डर पार कर पूरे घर मे आतंक का जो खेल खेला वो देर रात तक जारी रहा।
बेहद सर्दिली और दर्दीली सुबह अतुल कुमार शर्मा समाचार पत्र के साथ मोबाइल जैसे यन्त्र का भी अवलोकन कर रहे थे, तभी अधूरे लगे दरवाज़े की जरा सी आड़ में से कोई परछाई भागते हुए सोफे के नीचे घुस गई।एक लंबे अंतराल के बाद इस तरह ही असमाजिक गतिविधि ने मुझे सचेत कर दिया।में अनहोनी की आशंका से भर गया।और पूरे घर को कंट्रोल रूम से रेड अलर्ट जारी कर दिया।
युद्धस्तर पर उस अज्ञात घुसपेठिये की खोजबीन होने लगी।मुझे उसी दिन सर्जीकल स्ट्राइक करने पर मजबूर कर दिया।उसने एक प्रोफेशनल किलर की तरह चुन चुन कर उन चीज़ों को निशाना बनाया जो समाज मे अच्छी प्रतिष्ठा रखतीं थी।जिनका मूल्य शायद इंसान से कहीं ज्यादा था। यकीन मानिए हमलोग बड़ी से बड़ी घटना दुर्घटना को सहन करने की शक्ति रखते हैं।लेकिन अमूल्य वस्तुओ के नुकसान के सदमे से बाहर आने में जो वक़्त लगता है उसमें एक पीढ़ी जवान हो जाती है। लाख कोशिशों के बाद सिर्फ इतनी इनफार्मेशन हाथ लगी कि जिस छछूंदर को माँ ने सीधा साधा समझकर नज़रअंदाज़ कर दिया था, घर मे उसको इधर उधर टहलने की स्वतंत्रता दी थी, उसी छछूंदर के साथ उस चूहे का देखा जाना मन मे कई आशंकाएं पैदा कर रहा था।छछूंदर की गद्दारी ने हिला कर रख दिया था। उसने अपने बिल में इस घुसपैठिये को शरण दी । जिसने मुझे रॉ की तरह सोचने पर मजबूर कर दिया।
ये आतंकी यदि आसमानी शक्तियों के दाएं या बाये हाथ हों तो मध्यम वर्गीय व्यक्ति के दर्द की सीमा नापना मुश्किल ही नही नामुमकिन है । बेशकीमती सामान, उपसामान , जो भी थे जो उसकी कतरन शक्ति के दायरे में आते थे,उसने पूरी शिद्दत से अपना कर्तव्यपालन किआ।उसकी कर्तव्यनिष्ठा और समर्पण देखकर तो अतुल कुमार शर्मा भी हैरान रह गए। प्रत्येक सरकारी कर्मचारी को उससे सीख लेना ही चाहिए।सीक्रेट तरीके से उसने अपने पूरे मिशन को अंजाम दिया। इतना दर्द तो नोटबन्दी से होने वाले नुकसान ने नही दिया जितना 2000 के कुतरे नोट ने दे दिया।मूषक महाराज वेल एजयूकेटेड थे।उन्होंने छोटे मोटे सामान को टच तक नही किआ, उन वस्तुओं पर फोकस किया जो घर की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित करती हैं।में किसी नतीजे पर पहुंचने ही वाला था कि माँ ने गणेशजी का हवाला देकर बढ़ते कदमो को रोक दिया।परिणामस्वरूप शाम होते होते घर की अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो गई।अब तो स्तिथि सहनशक्ति के बाहर हो गई। घर की अल्मारियो की सुरक्षा बढ़ा दी गई। लेकिन फिर भी वो जेहादी नही माना।
लगता है उसके दिमाग मे भी ये बैठ गया था कि इस प्रकार के जेहाद से जन्नत में 72 चुहियाओं का सुख मिलेगा।बस इसी लालच में उसने मार्टिन रेट किलर को अपना निवाला बनाया और खुद मार्टिन के हाथों का निवाला बन गया। ईश्वर इसकी अतृप्त रूह को सुकून दे। उसकी डेड बॉडी को दफ़ना कर अभी आया ही था कि एक छोटे से चूहे ने पांव में काटने की कोशिश की ।
और इस तरह इंतकाम की आग में सुलगते उस चूहे की संतान ने फिर से तनावग्रस्त कर दिया।।