कुछ दिन बाद…
जेल मे एक हवलदार ने कैदियों पर चिल्लाते हुए कहा - "ए.. तू.. सही से लाइन में खड़ा हो और चुपचाप खाना खा ले, वरना पिछवाड़े पे पड़ेगा ना तो भूख चली जाएगी, हा हा हा " |
तभी वहां ज्ञानेश्वर सिंह आ जाता है और चिल्लाकर कहता है,
"हवलदार ऐसे बात करते हैं, तुम्हें शर्म आनी चाहिए, ये सब भी इंसान हैं, गेट आउट फ्रॉम हेयर" |
हवलदार मन ही मन मे बड़बड़ाते चला गया और ज्ञानेश्वर वही कैदियों के पास बैठ गए | सारे कैदी उनकी इज्जत करते थे इसलिए उनको सलाम करने लगे पर ज्ञानेश्वर की नजर मुन्ना पठान पे ही टिकी थी |
मुन्ना खाना लेते हुए -" अबे साले, जल्दी खाना दे ना, तुझे जल्दी काम करना नहीं आता क्या, अपन कुत्ता के माफिक इतनी देर से लाइन में लगा है" |
खाना परोसने वाला डर गया और कुछ नजर तिरछी करके माफी मांगने लगा, ज्ञानेश्वर गुस्से में उठा और मुन्ना पठान के जोरदार डंडा मारा लेकिन मुन्ना ने डंडा हाथ में पकड़ लिया और बोला –
" तेरा तो मैं ऐसा गेम बजाऊंगा कि तू याद रखेगा और तूने मेरे गिरेबान पर हाथ डाला है ना, तेरा गिरेबान मुन्ना पठान फाड़ के दिखाएगा" |
ये कहकर मुन्ना ने अपने खाने की थाली उठाई और जाने लगा पर दोबारा वापस आकर नजर में नजर डालते हुए बोला –
"सुन रे जेलर आज रात अपन यहाँ से फुर्र… अगर तू अपने ही बाप की औलाद है तो रोक ले मुझे, जा तैयारी कर, जमकर तैयारी कर, हा.. हा.. हा.. हा.. " |
मुन्ना ये कहकर अपनी टोली के साथ बैठ गया | ज्ञानेश्वर आग बबूला होकर ऑफिस में आया और सभी पुलिस वालों को वार्निंग दे दी कि आज कोई घर नहीं जाएगा और सब रात भर इस मुन्ना पठान पर निगरानी रखेंगे |
सब पुलिस वाले हवलदार खुसुर-पुसुर करने लगे और अपने काम पर लग गए | ज्ञानेश्वर ने एक स्पेशल रिक्वेस्ट पर स्पेशल पुलिस फोर्स मंगवाई पूरा जेल अंदर से बाहर तक छावनी में बदल गया |
सुबह से शाम हो चली थी, ज्ञानेश्वर ने पूरी जेल का जायजा लिया सभी कैदियों को जेल के अंदर कर दिया और बाहर काम करते हुए कुछ कैदियों से बोला, "आप लोग तुरंत अपने अपने लॉकअप में जाइए" |
कैदी बोले - "अच्छा साहब, यह सामान हटा दें, अभी जाते हैं" |
ये कहकर कैदी बिखरा लकड़ी का सामान रखने लगे तो ज्ञानेश्वर ने गुस्से में कहा, "तुम लोगों को सुनाई नहीं दिया, अभी के अभी लॉकअप में जाओ" |
इधर मुन्ना जोर जोर से हंस रहा था | प्रेरित और भैरव भी समझ चुके थे आज जरूर ये मुन्ना पठान कुछ करने वाला है, शाम ढलने लगी तो पुलिस वाले मुन्ना के लॉकअप के बाहर भी खड़े हो गए और अंदर बाहर जेल में चारों तरफ पुलिस वालों की तैनाती कर दी गई |
भैरव - " अच्छा साब, आपने अपनी अतीत की इतनी कहानी बताई, इसमें नीतेश कब आया" |
प्रेरित खून का घूंट पीते हुए बोला - "हमारी शादी को लगभग एक डेढ़ साल हुआ था फिर एक दिन मां ने कहा," बेटा.. बुरा ना मानो तो एक बात बोलूं, बहू चाहती है कि वो भी तुम्हारे साथ काम करे"|
प्रेरित - "ओके मॉम, ये तो बहुत ही अच्छी बात है, लेकिन ये बात तो खुद वो भी मुझे बता सकती थी"|
माँ -" बेटा वो घबराती है कि तुम्हें बुरा ना लगे" |
मै प्रेरणा के इस फैसले से बहुत खुश था कि वह इतने बड़े घर की बहू होने के बावजूद भी काम करना चाहती है, घर ऑफिस इतने अच्छे से संभाल रखा था उसने कि मैं क्या बताऊं, लेकिन……...…
वो बस इतना कहकर चुप हो गया ।