छल - Story of love and betrayal - 14 Sarvesh Saxena द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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छल - Story of love and betrayal - 14

प्रेरित ने मुस्कुराते हुए कहा -" मैंने कई दिन शादी के बारे में सोचा और फिर हिम्मत करके मां को बताया |

माँ ने प्रेरणा के परिवार के बारे में पूछा तो मैंने बताया कि उसका कोई नहीं तो वो मना करके चली गई और चाचा जी तो शादी के लिए बिल्कुल भी मान नहीं रहे थे, उनका कहना था कि एक ही शादी करनी है वो भी ऐसे कैसे कर दें, जहां लड़की के माँ - बाप नहीं, अरे मेहमानों का स्वागत कौन करेगा? मुझे यह रिश्ता मंजूर नहीं |

मैंने मां और चाचा जी को गुस्से में बोल दिया कि शादी करूंगा तो प्रेरणा से वरना नहीं और घर छोड़ कर चला आया, मैंने तो घर हमेशा के लिए छोड़ने की सोच ली थी |

दो दिन तक घर न जाने से मां परेशान थी |

मैं दो दिन बाद प्रेरणा को लेकर दोबारा घर गया प्रेरणा को देखते ही मां और चाचा जी राजी हो क्योंकि प्रेरणा थी ही इतनी सुंदर और उसने चाय नाश्ता बना कर माँ और चाचा जी की खूब खातिर की जो मां और चाचा जी को बहुत पसंद आया फिर क्या हमारी शादी हो गई |

शहर के नामी लोग, रिश्तेदार सभी ने शादी में हमारी जोड़ी की वाह वाह की, हम दोनों बहुत खुश थे |


प्रेरणा के आने से मेरा बिजनेस तो जैसे आसमान छूने लगा , मैं शहर का सबसे अमीर आदमी बन गया |

"तीन साल बाद हुआ स्वप्निल, हमारा बेटा..,"

प्रेरित इतना कहकर रुक गया और चिल्लाने लगा "स्वप्निल.. नहीं नहीं मेरा नहीं, मेरा नहीं, वो गंदा खून उस हरामजादे का नितेश का बेटा था " |

प्रेरित ने पास रखे बर्तनों को पैर मारते हुए कहा |

भैरव ने डरते हुए कहा -" अरे शांत हो जाइए साब, शांत हो जाइए, आप सो जाइए, रात बहुत हो चुकी है, सब ठीक हो जाएगा "|

प्रेरित और भैरव बात कर रहे थे कि मुन्ना पठान ने अपनी थाली जेल की सलाखों पर कसकर मारी और बोला –

" हरामजादों क्या बकर बकर लगा रखी है, जानता नहीं अपन मुन्ना पठान सो रहा है, बाहर तो लोगों को टपकाने से मेरे को फुर्सत नहीं मिलती लेकिन यहां तो अपन खाली है आराम से सोएगा, यही सोचकर अपन इधर आया लेकिन अपन साला लोगों को हमेशा के लिए सुला देता है, और तुम दोनों अपन की ही नींद हराम करेगा, छोडूंगा नहीं… बस कुछ दिन और बस, फिर अपन यहां से फरार.. हा.. हा.. हा.. हा.. हा.." |


भैरव और प्रेरित मुन्ना पठान की धमकी सुनकर डर गए और बिना कुछ कहे चुपचाप सो गए |

आज भैरव को अपनी पत्नी और बच्चे की बड़ी याद आ रही थी, अरसा बीत गया बच्चों को देखे, अब तो बच्चे भी कितने बड़े हो गए होंगे, तीसरे को तो मैंने अभी तक देखा भी नहीं, उसकी पत्नी उससे इस कदर नाराज थी कि पांच साल हो गए, एक बार मिलने भी नहीं आई | भैरव की आंखें भर आई और बीती जिंदगी की यादों में बहकर ना जाने कब सो गया |