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छल - Story of love and betrayal - 13

धीरे-धीरे करके कई साल गुजर गये और फिर एक दिन…

"चल… चल सीधे, अब जब तू जेल की हवा खाएगा ना तब पता चलेगा तुझे, बहुत चर्बी चढ़ी है तुझे " | ज्ञानेश्वर सिंह की आवाज आई |

जंजीरों की और कैदियों की आवाज से जेल का गलियारा गूंज उठा प्रेरित और भैरव ने सलाखों से देखा तो एक लंबा-चौड़ा आदमी जो जंजीरों से जकड़ा था उसे चार पुलिस वाले और ज्ञानेश्वर सिंह पकड़ कर ला रहे थे |

प्रेरित - कौन है ये? लगता है बहुत बड़ा क्रिमिनल है और ये सारे कैदी उसे देखकर चिल्ला क्यों रहे हैं "?

भैरव ने ध्यान से देखा तो बोला - “अरे साब जी, चुपचाप बैठ जाइए, ये तो मुंबई का सीरियल किलर मुन्ना पठान है, इसका बहुत ऊपर तक सोर्स है, कभी पकड़ा नहीं गया, न जाने ज्ञानेश्वर साब ने कैसे पकड़ लिया" |

भैरव और प्रेरित चुपचाप एक किनारे बैठ गए |

ज्ञानेश्वर सिंह - " हां बस इसी में, इसे यहां अकेले बंद करो, वरना ये जिसके साथ रहेगा उसे भी मार डालेगा, अब देखता हूं तुझे कौन बचाता है मुझसे "|

मुन्ना पठान -" हा.. हा.. हा.. हा.. मेरे को पकड़ेगा रे तू? मेरे को? तेरे को बहुत चर्बी चढ़ गई रे… उतरेगी, जल्दी उतरेगी, तेरी चर्बी भी और वर्दी भी, अपन का सोर्स बहुत ऊपर तक है, अपन तो बाहर निकलेगा, पर तू अपनी बचा, हा.. हा.. हा.. हा.. "|

ज्ञानेश्वर सिंह ने अपना डंडा निकाला और मुन्ना पठान के जोर से मारा और कहा,
" देखते हैं साले"|

प्रेरित और भैरव उसे देख बिल्कुल हक्के बक्के हो गए क्योंकि उनके ठीक सामने वाले जेल के कमरे में वह बैठा हंस रहा था, ज्ञानेश्वर और हवलदार सब चले गए, प्रेरित और भैरव मुंह घुमा कर बैठ गए लेकिन मुन्ना पठान एक टक उधर ही देखे मुस्कुराये जा रहा था |

इंस्पेक्टर ज्ञानेश्वर सिंह जानता था कि मुन्ना का कनेक्शन बहुत ऊपर तक है तो उसे छुड़ाने के लिए उस पर प्रेशर डाला जाएगा इसीलिए ज्ञानेश्वर ने मीडिया के जरिए मुन्ना के पकड़ने की न्यूज़ फैला दी ताकि उसे छुड़ाना मुश्किल हो जाए और ऐसा ही हुआ |
कई महीने बीत गए मुन्ना इतने दिनों मे बौखला गया था | उसने पुलिसवालों और कैदियों का जीना हराम कर दिया था कई बार तो वो प्रेरित से भी उलझा लेकिन प्रेरित उससे दूर हो जाता |

अब तो मुन्ना पठान ने एक गिरोह तैयार कर लिया था कुछ कैदियों से मिलकर, उसे बचाने वाले भी जनता के प्रेशर के नीचे दब गए थे |

एक शाम प्रेरित उदास बैठा था, भैरव ने उसके अतीत के आगे की कहानी पूछी तो प्रेरित बोला, "भाई मैंने तो बहुत कहानी सुना दी लेकिन तुमने तो कुछ भी नहीं बताया, तुम भी कुछ बताओ अपने बीते कल के बारे में" |

भैरव उदास हो गया और बोला,

"क्या बताऊं साब, मैं ऐसे जुर्म की सजा काट रहा हूं जो मैंने किया ही नहीं" |

प्रेरित चौंक गया और बोला, "हे भगवान! मतलब तुम्हें किसी ने फंसाया है, तुमने केस क्यों नहीं लड़ा"?

भैरव -" अरे साब गरीब का केस कौन लड़ता है, मैं कहां से इतनी रकम जुटा पाता फिर भी अपनी जमा पूंजी लगाकर मैंने बहुत कोशिश की लेकिन बड़े लोगों ने मुझे फंसा ही दिया और मुझे सात साल की सजा हो गई "|

भैरव इतना कहकर खामोश हो गया |

प्रेरित - " लेकिन हुआ क्या था"?

भैरव - "अरे छोड़िए ना, फिर कभी बताऊंगा, अभी तो आप बताइए क्या हुआ फिर? आप दोनों की शादी कैसे हुई"?


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