जीवनधारा - अन्तिम भाग Shwet Kumar Sinha द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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जीवनधारा - अन्तिम भाग

...रूपेश की माँ, पूजा के माता-पिता को अंदर आने को कहती है । भीतर से, रूपेश के पापा भी बाहर कमरे में आ जाते हैं । अचानक से उनलोगों को अपने घर पर देख वह उनके आने का कारण पूछते हैं । तब, पूजा के पिता उन्हे सारी बातें बताते हैं और अपने किए पर शर्मिंदगी जाहिर करते हुए क्षमा मांगते हैं ।

"आपसब और रुपेश के साथ मैंने अपने घर पर जो बदसलूकी किया था, उसके लिए मुझे माफ कर दें । ऊंच-नीच, जात-पात जैसी दकियानूसी विचारों से ग्रस्त होकर रूपेश जैसे हीरे को मैं पहचान न पाया और उसके रिश्ते को ठुकरा दिया । आज हाथ जोड़कर अपनी बेटी का रिश्ता आपके बेटे से करने आया हूँ । क्या अपलोग मेरी बेटी को अपने घर की बहू बनाना स्वीकार करेंगे ।" पूजा के पापा ने रुपेश के माता-पिता से अनुरोध करते हुए कहा ।

रूपेश के लिए पूजा के रिश्ते की बात सुन रूपेश के माता-पिता बहुत प्रसन्न होते हैं और उसे अपने घर की बहू बनाने के लिए तैयार हो जाते हैं ।

तभी, अंदर कमरे से बाहर निकल रूपेश पूजा के माता-पिता से अनुरोध करता है - "पूजा को अपनी जीवनसंगिनी के रूप में देखना मेरे जीवन की सबसे बड़ी खुशी होगी । लेकिन, पूजा के साथ ज़िंदगी शुरू करने के लिए कोई भी निर्णय लेने से पहले मैं एक बार पूजा से मिलना चाहुंगा । आप चिंता नही करिए, अंकल आंटी । अपने इस बेटे पर भरोसा रखिए”।

"ठीक है बेटा, हमें मंजूर है ।" यह कहते हुए पूजा के माता-पिता रूपेश के घर से विदा लेते हैं ।

अगले दिन शाम में ।

पूजा अपने ऑफिस से निकल रही थी। तभी, सामने से अपनी कार लिए रूपेश आता है और पूजा के सामने आकर खड़ा हो जाता है ।

"मैडम, आप कॉफी पीना पसंद करेंगी ।" मुस्कुराते हुए रूपेश पूजा से पूछता हैं। पूजा भी मुस्का कर हामी भर देती है ।

कॉफी हाउस में कॉफी पीते हुए रूपेश पूजा से शादी करने का प्रस्ताव रखता है ।

"रूपेश, तुमने नंदिनी को वापस लाने और मेरे लिए जो कुछ भी किया है, उसके लिए मैं हमेशा तुम्हारी आभारी रहूंगी । एक विधवा स्त्री और बेटी की मां के साथ अपनी ज़िंदगी की शुरुआत करने से बेहतर होगा कि तुम अपने लिए मुझसे भी अच्छी जीवन साथी तलाशों । मम्मी-पापा ने भी मुझे तुम्हारे लिए बोला था तो उन्हें भी यही बात समझायी । मैंने तुमसे प्यार किया है और तुम्हारे साथ नाइंसाफी कभी नही कर सकती ।" अपनी नम आँखों से पूजा रूपेश को बताती है ।

"वाह ! एक तरफ तो कहती हो कि मुझसे प्यार करती हो और दूसरे ही पल किसी और के साथ शादी करने की बात बोल पल भर में मुझे पराया भी कर दिया । नंदिनी जैसी बिटिया का पिता बनना मैं अपना सौभाग्य समझूंगा ।" - कहते हुए रूपेश पूजा के हाथों पर अपना हाथ रख देता है।

थोड़ी देर तक रूपेश की आंखों में निहारने के बाद मुस्कुराकर पूजा उसे अपने जीवनसाथी के रूप में स्वीकार करने की हामी भर अपना सिर हिला देती है ।

कॉफी शॉप से बाहर निकल आज दोनो एक-दूसरे का हाथ थामे रास्ते की ओर पैदल ही चल देते हैं - जीवन की एक नई शुरुआत की उम्मीद के साथ ।

।। समाप्त ।।

आप सभी पाठकों से निवेदन है कि कॉमेंट बॉक्स में कहानी के बारे में अपनी राय जरूर दें।