जीवनधारा - 10 Shwet Kumar Sinha द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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जीवनधारा - 10

...अपने घर की ओर पैदल ही आगे बढ़ती पूजा को रोकने की हिम्मत रूपेश को न हुई और वहीं खड़ा उसे दूर तक जाता देखता रहा । पूजा के आंखो से ओझल होने के बाद रूपेश भी वापस अपने घर की तरफ मुड़ गया।

घर पहुँचकर पूजा बिना किसी से कुछ बोले अपने कमरे में आकर फूट-फूट कर रोती रही । बाहर से माँ के आवाज़ लगाने पर खुद को संभाली और आंसुओं को पोछती हुई कमरे से बाहर निकली । बहुत देर तक सोफे पर बैठ कुछ सोचती रही। फिर, किसी को फोन मिलायी और कुछ जरूरी बातें बताने को घर पर आने का आग्रह किया ।

थोड़ी ही देर में, सादे लिबास में एक पुलिस इंस्पेक्टर पूजा के घर पहुंचा । पूजा ने उसे जतिन और नंदिनी के बारे में सारी बातें विस्तारपूर्वक बतायी । साथ ही, नंदिनी की एक तस्वीर और लिखित आवेदन भी उसके तरफ बढ़ाया । उनलोगों का जल्दी पता लगाने का दिलासा देता हुआ पुलिस इंस्पेक्टर चला गया।

इस तरह से दिन बीतते जा रहे थें । ऑफिस और घर के बीच की नीरस जिंदगी जीते हुए पूजा प्रतिदिन पुलिसवालों को फोन करती और उनसे नंदिनी के बारे में पुछती । उसके पिता जी उसका यह हाल देख अंदर ही अंदर घूटते रहते और मन ही मन इन सब के लिए खुद को भी कहीं न कहीं जिम्मेदार मानते, जो उन्होंने पूजा और रूपेश के साथ किया।

एक दिन शाम को ऑफिस से लौटते समय पूजा और रूपेश रास्ते में एक दूसरे से टकराते हैं। रूपेश पूजा से नंदिनी के बारे में पूछता है और उसका उदास चेहरा देख खुद ही समझ जाता है । ढाढस बँधाता हुआ रूपेश पूजा को कॉफी के लिए आमंत्रित करता है, जिसपर पूजा साफ इंकार कर देती है । लेकिन, रूपेश के बार-बार आग्रह करने पर वह मान जाती है । फिर, दोनो पास के ही काफी शॉप चले जाते हैं, और रूपेश दो कॉफी का ऑर्डर देता है।

"मुझे नंदिनी की एक फोटो दे दो। मैं भी अपने स्तर से उसके बारे पता करने का भरसक प्रयास करूंगा । और तुम इतना उदास मत रहा करो, पूजा । मैं समझता हूं कि तुम्हारे पास अब खुश होने के लिए कुछ भी नही बचा । पर, जबतक तुम ठीक नही रहोगी, नंदिनी की तलाश कैसे कर पाओगी !" - पूजा को समझाता हुए रूपेश कहता हैं।

पूजा कोई उत्तर नही देती और नंदिनी का एक कलर फोटो रूपेश की तरफ बढ़ा देती है।

"और, तुम बताओ । तुम्हारी बीवी कैसी है ? बच्चे कितने है तुम्हारे ?" पूजा रूपेश से पूछती है।

"मैने अब शादी नही की । तुम्हारे चले जाने के बाद कभी भी शादी न करने का निश्चय किया, क्योंकि किसी और से शादी करके मैं उसकी जिंदगी बर्बाद नहीं करना चाहता ।" रूपेश अपना सिर नीचे झुकाए पूजा को बताता है।

तभी वेटर कॉफी लेकर आता है । और बिना कुछ बोले दोनो कॉफी पीते हैं।

कॉफी पीकर, रूपेश पूजा को घर छोड़ने के लिए कहता है। लेकिन, पूजा साफ इंकार कर देती है और पैदल ही अपने घर की ओर बढ़ जाती है।

रूपेश नंदिनी के बारे में पूरे पटना में खोजबीन करता है । लेकिन, कहीं भी कोई जानकारी नहीं मिलती।

एक दिन, ऑफिस के काम से रूपेश दूसरे शहर को जाता रहता है । पटना से थोड़ी ही दूर निकलकर हाइवे पर एक ढाबे पर कार रोक चाय पीने लगता है और अपने वॉलेट से नंदिनी की तस्वीर निकाल उसे देखते हुए कुछ सोचता रहता है।

तभी, चाय बनाता हुआ ढाबेवाला बोलता है-"साहब, कितनी प्यारी बिटिया है । अभी कुछ दिनों पहले ऐसी ही एक प्यारी सी बच्ची अपने किसी रिश्तेदार के साथ इधर आयी थी । शायद बीमार थी, इसलिए बेहोश हो गई । फिर, उसके साथ वाला आदमी उसे अपनी गाड़ी में बिठा लेकर चला गया।...