जीवनधारा - 8 Shwet Kumar Sinha द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
  • My Wife is Student ? - 25

    वो दोनो जैसे ही अंडर जाते हैं.. वैसे ही हैरान हो जाते है ......

  • एग्जाम ड्यूटी - 3

    दूसरे दिन की परीक्षा: जिम्मेदारी और लापरवाही का द्वंद्वपरीक्...

  • आई कैन सी यू - 52

    अब तक कहानी में हम ने देखा के लूसी को बड़ी मुश्किल से बचाया...

  • All We Imagine As Light - Film Review

                           फिल्म रिव्यु  All We Imagine As Light...

  • दर्द दिलों के - 12

    तो हमने अभी तक देखा धनंजय और शेर सिंह अपने रुतबे को बचाने के...

श्रेणी
शेयर करे

जीवनधारा - 8

...पूजा ने अपने पापा को फोन लगाया । थोड़ी ही देर में, वह वहाँ पहुँच गयें । पूजा ने उन्हे सारी बातें बतायी ।

दोनों नजदीक के थाने पहुंचे । पुलिस वाले ने पहले तो पूजा को समझाया कि सब कहीं किसी जरूरी काम से चले गयें होंगे, आप थोड़ा इंतजार कर लीजिये । जब पूजा न मानी, तो पुलिस ने खोजबीन का आश्वासन देकर पूजा और उसके पिता को वापस भेजा ।

पूजा को उसके पिता ने अपने साथ घर चलने को कहा । लेकिन, पूजा ने उनके साथ जाने से साफ इंकार कर दिया और घर के बंद दरवाजे को खुलवायी और अंदर आयी ।

घर के भीतर आकर थोड़ी छानबीन की तो पाया कि जतिन के कमरे में उसका बैग और कपड़े नहीं थें । मन खटका, पर कर भी क्या सकती थी ! उसे सबसे अधिक चिंता नंदिनी के लिए हो रही थी, जिसका कोई अता-पता नही था । सौरभ के जाने के बाद वही तो उसके जीने का एकमात्र सहारा थी।

दो दिन गुजर गएँ । पुलिस वाले भी अपनी छानबीन में लगें थें, लेकिन किसी का कोई सुराग न मिला ।

पूजा के मोबाइल पर उसके बैंक अकाउंट में तीन करोड़ जमा होने का मैसेज आया । उसे देख वह फूट-फूट कर रोने लगी कि उसके ज़िंदगी का सबकुछ खत्म हो गया तो ऐसे पैसों का क्या करेगी ।

थोड़े ही देर बाद, किसी अंजान नंबर से पूजा के मोबाइल पर कॉल आया । उसने कॉल रिसिव किया, दूसरी तरफ जतिन था।

“अरे जतिन भईया, कहाँ है आपलोग ? नंदिनी कहाँ है ? माँ-बाबा का भी कोई पता नहीं । मुझे बहुत चिंता हो रही है। आपलोग बिना बताए कहा चले गयें ? प्लीज, मुझे नंदिनी से बात करा दीजिये ।”-जतिन की आवाज़ सुन हड़बड़ाहट में पूजा एक ही सांस में सवालों की बौछार कर डाली ।

“कूल, कूल भाभी । सब ठीक है.... । आगे भी ठीक रहे - यह आप पर निर्भर करता है । नंदिनी की तो बिलकुल भी चिंता नहीं करिये । इसका तो मैं खास खयाल रखता हूँ । आखिर वह सौरभ भईया और आपकी इकलौती संतान है। और मेरे खजाने की....... इकलौती चाभी । हा हा हा ! ” फोन के दूसरी तरफ अट्टहास भरता हुआ जतिन पूजा से बोला।

“जतिन भईया, आपको जो भी चाहिए सब ले लो । पर प्लीज, मेरी नंदिनी को कुछ न करना । मैं आपसे हाथ जोड़ती हूँ, विनती करती हूँ ।” – असहाय पूजा विनती करती हुई जतिन से बोली ।

“आपने पुलिस के पास जाकर बहुत बड़ी गलती कर दी । पर चलो, ठीक है । पहले तो आप अपनी शिकायत वापस लो और दूजे कि जल्दी से जल्दी तीन करोड़ मेरे अकाउंट में भेजो । तभी, आपको आपकी बिटिया वापस मिलेगी । नहीं तो…….आप खुद ही समझदार हो, अब आपसे क्या कहूँ । वैसे नंदिनी को भी सौरभ भईया की बहुत याद आ रही है । आप कहो तो उसे भी उन्ही के पास भेज देता हूँ ?” – जतिन ने पूजा को धमकाते हुए कहा । लाचार पूजा ने जतिन के कहे अनुसार सबकुछ करने का वादा किया।...