...ढाबेवाले की बातें सुन रूपेश चाय पीना छोड़ उस लड़की के बारे में उससे विस्तार से पूछताछ करने लगा ।
“करीब दो-तीन दिन पहले, तकरीबन पैंतीस वर्ष की उम्र का एक आदमी ऐसी ही बच्ची को लेकर आया था । उस बच्ची की उम्र रही होगी- यही कोई चार-पांच साल के आसपास । आपके पास इसकी कोई और दूसरी तस्वीर है तो मुझे दिखाओ । तब शायद मैं उसे अच्छे से पहचान जाऊं, क्योंकि इसमें केवल बच्ची का चेहरा ही दिख रहा है। इसलिए मैं कंफ्यूज हो रहा हूँ।" उस ढाबेवाले ने रूपेश को बताया ।
आगे बढ़ने के बजाए रूपेश ने अपनी कार को वापस पटना की तरफ घुमाया और सीधे पूजा के घर पहुँच गया ।
दरवाजे पर डोरबेल बजी और पूजा की मां ने दरवाजा खोला । इतने सालों बाद मिलने पर भी पूजा की मां ने रूपेश को झट से पहचान लिया ।
"कैसे हो बेटा ?" पूजा की मां ने रूपेश से उसका हालचाल पूछा ।
"नमस्ते आंटी, बहुत जरूरी काम हैं। पूजा को जल्दी से बुलाइए ।" रूपेश ने हड़बड़ाहट में कहा ।
पूजा की मां रूपेश को अंदर हाल में लेकर आयी और थोड़ा इंतजार करने बोलकर पूजा को बुलाने भीतर कमरे में चली गयी ।
सामने व्हील चेयर पर बैठे पूजा के पापा कोई पत्रिका पढ़ रहे थें । रूपेश ने उनका अभिवादन किया । खुश रहने का आशीर्वाद देकर पूजा के पापा ने उसे बताया कि उनके परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है । एक तरफ जहां उनके कमर के निचले हिस्से ने काम करना बंद कर दिया है, वहीं दूसरी तरफ अपनी बेटी की ऐसी हालत देखकर भी वह कुछ नही कर पा रहे है । तब, रूपेश ने उन्हे शहर के बाहर ढाबेवाले के द्वारा नंदिनी के फोटो को पहचानने की बात बताई । रूपेश की बात सुन पूजा के पिताजी के चेहरे पर उम्मीद की एक लकीर दिखी और उन्होंने हाथ जोड़कर रूपेश से अपने किए के लिए माफ़ी मांगा, जो उन्होंने उसके और उसके माता-पिता के साथ किया था।
“अंकल, सब ठीक हो जाएगा । इतनी चिंता न करें, जो होना था सो हुआ । सब समय का दोष समझकर भूल जाइए।”–पूजा के पिताजी को हिम्मत बँधाते हुए रूपेश ने उनसे कहा।
तभी, भीतर के कमरे से पूजा आती है । रूपेश को अपने घर पर देखकर उसके आने का कारण पूछती है ।
"मुझे नंदिनी की दो-तीन तस्वीरें चाहिए, जिसमे वह पूरी दिखती हो । शहर के बाहर हाइवे के पास शायद उसे किसी ने देखा है । पर, नंदिनी की पूरी तस्वीर देखकर ही वह बता पाएगा कि वह नंदिनी थी या कोई और ।
पूजा कमरे से नंदिनी की कुछ तस्वीरें लेकर आती है और उसे रूपेश की ओर बढ़ा देती है। उन तस्वीरों को लेकर रूपेश लौटने लगता है तो पुजा खुद भी ढाबेवाले के पास चलने के लिए उससे आग्रह करती है।
फिर, रूपेश और पूजा ढाबेवाले की तरफ निकल पड़ते हैं। पूजा को चिंतित देख रूपेश उसे हिम्मत देते हुए कहता है कि चिंता न करो, नंदिनी जहां भी होगी, ठीक होगी और जल्दी ही मिल जायेगी।...