...अगले दिन, शाम चार बजे ।
छूट्टी होने पर अन्य महिला सहकर्मियों के साथ, पूजा ऑफिस से बाहर निकल रही थी। तभी, रूपेश सामने से रूपेश अपनी कार से आता दिखा ।
“कॉफी हो जाये ।” – अपनी कार से निकलते हुए रूपेश ने पूजा से पूछा ।
मुस्कुराते हुए पूजा रूपेश के साथ कार में आकर बैठ गयी और दोनों पास के ही एक कॉफी हाउस पहुँच गएँ । रूपेश ने दो कॉफी लाने का ऑर्डर दिया ।
“आपको कैसे पता चला कि मैं ऑफिस से अभी निकलती हूँ ?” – पूजा ने सवाल दागा ।
“आपके ऑफिस के बगल में ही मेरा ऑफिस हैं । मैंने आपको ऑफिस से निकलते हुए देख लिया था । मेरी भी छुट्टी का समय यही है । कॉफी पीने का मन किया तो सोचा कि क्यूँ न आपको भी साथ ले लिया जाये ।“ – रूपेश ने पूजा को बताया ।
इस तरह, दोनों के मिलने का सिलसिला कुछ महीनो तक चलता रहा ।
एक दिन, रूपेश ने पूजा को बताया कि वह उसे पसंद करने लगा है और उससे शादी की पेशकश कर डाली ।
पूजा भी मन ही मन रूपेश को पसंद करती थी । अपना जवाब हाँ में देते हुए वह उसके गले से लिपट गयी ।
“आज ही, घर पर बात करके माँ-पापा को शादी का रिश्ता लेकर तुम्हारे घर भेजता हूँ ।” रूपेश ने पूजा को कहा ।
घर पहुंचकर रूपेश और पूजा अपने-अपने घर में एक-दूसरे को अपना जीवनसाथी चुनने की बात बताते हैं ।
रूपेश के मां-पापा शादी के लिए तैयार हो जाते हैं । शादी की रजामंदी मिलने की बात रूपेश फोन करके पूजा को बताता है । साथ ही, यह भी कहता है कि अगले दिन शादी की बात करने वह अपने माता-पिता के साथ पूजा के घर आ रहा है ।
दूसरी तरफ, पूजा की मां रूपेश से पहले मिल चुकी थी जब वह बैग वापस करने उनके घर आया था । अपनी बेटी के जीवनसाथी के रूप में रूपेश उन्हे पसंद भी था ।
पूजा के पापा दूसरे शहर में नौकरी करते थें । रूपेश के घरवालों से पूजा की शादी की बात करने के लिए वह भी घर पहुँच जाते हैं ।
अगले दिन, रूपेश अपने माँ-पापा के साथ पूजा के घर रिश्ता लेकर आता है ।
पूजा के माता-पिता रूपेश और उसके मां-पापा का स्वागत करते हैं । रसोई से चाय-नाश्ता लिए पूजा बाहर कमरे में आती है और सामने टेबल पर रख खुद भी एक तरफ बैठ जाती है ।
"पूजा तुम थोड़ा अंदर कमरे में जाओ । हमें रूपेश और उनके पापा से कुछ जरूरी बातें करनी हैं ।"- पूजा के पापा ने पूजा से कहा । थोड़ा संकुचाकर पूजा अंदर कमरे में चली जाती है ।
"देखिए, मुझे घुमा-फिराकर बातें करना पसंद नहीं । पूजा बहुत ज़िद्द कर रही थी, इसलिए मैंने उसे कुछ कहा नहीं । मुझे लगा कि सीधे आपलोगों से ही बात करना ज्यादा सही होगा ।" पूजा के पापा ने रूपेश के पिताजी से कहा ।
"ये रिश्ता नही हो सकता । हमलोग ऊंचे खानदान से संबंध रखते हैं और आपलोगों तो निम्न कुल से आते हो न ! यहां आने से पहले एक बार पता तो कर लिया होता । इसलिए, हमें क्षमा करें। पूजा तो अभी बच्ची है। पर, उसका सही-गलत देखना मेरी जिम्मेदारी है ।"- इतना कहते हुए पूजा के पिता हाथ जोड़कर सोफे से उठ खड़े हुए ।
उनके साथ ही रूपेश और उसके मां-पापा भी खड़े हो गए ।
"आपलोग अपनी बिरादरी में रूपेश के लिए कोई सुंदर-सुशील लड़की देखिए । यह समझदार है। इससे अच्छी लड़की जरूर मिल जायेगी । नमस्ते ।" - इतना कहकर पूजा के पिताजी ने रूपेश और उसके मां-पापा को घर के दरवाजे के बाहर तक लाकर छोड़ा और दरवाजा बंद कर दिया ।...