जीवनधारा - 5 Shwet Kumar Sinha द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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जीवनधारा - 5

...अपनी आंखों के सामने अपने माता-पिता की बेइज्जती देख रूपेश आग बबूला हो गया था । मन तो कर रहा था कि पूजा के पापा को उनके कहे हरेक बात का जवाब दे । पर , मां-पापा के सामने तमाशा करना ठीक नहीं समझा और फिर पूजा पर भी क्या गुजरती – यह सब सोचकर वापस लौट जाना ही बेहतर समझा । बस, अपने मां-पापा के सामने हाथ जोड़कर माफी मांगा कि उसके कारण ही उन्हे इतना कुछ सुनना पड़ा । रूपेश के मां पापा समझ रहे थें कि उनका बेटा अभी अंदर से टूटा हुआ है इसलिए उन्होंने रूपेश को ढाढस बंधाया और हिम्मत दिया ।

दूसरी तरफ , पूजा कमरे से बाहर आई और रूपेश के लिए पूछने लगी ।

“ये रिश्ता संभव नहीं है क्योंकि रूपेश निम्न जाति से आता है । मेरे जिंदा रहते यह संभव नही कि मैं तुम्हारी शादी किसी निम्न जाति के लड़के के साथ होने दूं । बेहतर होगा कि तुम रूपेश को भूल जाओ ।” – पूजा के पिता जी ने पूजा को बताया ।

अपने पिता की ऐसी बातें सुन पूजा की आंखें भर आयी । पूजा की मां भी अपने पति को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वह टस से मस न हुएँ ।

"पूजा को रूपेश से शादी करने के लिए मेरे लाश के ऊपर से गुजरना होगा । मैंने पूजा के लिए एक लड़का देख रखा है जो हमारे ही जाति का है । वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर है । लड़का देखने में अच्छा है । मैंने सारी बातें तय कर रखी है । तुम्हारी शादी वहीं होगी ।" - पूजा के पापा ने सबको अपना फरमान सुनाते हुए कहा ।

फूट-फूट कर रोती हुई पूजा अपने कमरे की ओर भागी और उसे भीतर से बंद कर ली । लाचार मां मूकदर्शक बनकर यह सब देखती रही ।

कुछ ही दिनों पश्चात, पूजा की शादी पटना में रहने वाले उसी की बिरादरी के एक लड़के से करा दी जाती है । लड़के का नाम सौरभ था और वह पटना में ही एक बड़ी कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर था ।

मजबूर एवं लाचार पूजा अपने पापा का विरोध न कर पायी और न चाहते हुए भी सौरभ के साथ शादी के बंधन में बंध गयी ।

शादी के बाद पूजा विदा होकर अपने ससुराल आती है ।

पूजा के उदास चेहरे को देख सौरभ उससे पूछता है कि उदास क्यों हो ? क्या घर की याद आ रही हैं ? अगर कोई बात हो तो मुझे अपना दोस्त समझ बता सकती हो।

“मैं समझ सकता हूँ कि तुम्हे घर की और बीते पच्चीस साल की सारे बातें याद आ रही होंगी । पर भरोसा रखो, आगे की तुम्हारी जिंदगी और खुशहाल हो, इसका मैं हरसंभव ध्यान रखूंगा ।” -पूजा के करीब आकर बैठते हुए सौरभ उसे समझाता है।

सौरभ की ऐसी बातें सुनकर पूजा को एहसास हुआ कि शादी की पहले की बातें अपने अंदर ही दफन करने में सब की भलाई है। और फिर, इन सबमें सौरभ का क्या कसूर !

पूजा के सिराहने एक तकिया डालकर सौरभ उसे कहता है कि तुम बहुत थक गई होगी । इसलिए अभी सो जाओ। हम दोनों पहले एक-दूसरे को समझ लें , फिर आगे का रिश्ता बनाएंगे । पूजा उसकी बातों को समझ गयी और शांत मन से सो गयी।...