बंद है सिमसिम - 5 - वो डायन नहीं थीं Ranjana Jaiswal द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

बंद है सिमसिम - 5 - वो डायन नहीं थीं

बड़े मामा ने बताया कि अब वे जिन्न बन चुके हैं और ओझा और बड़े नाना उनकी सेवा- टहल करते हैं तो मेरे नाना -नानी भोंकार पार कर रो पड़े।जिस बेटे के जवान होने पर उसकी शादी करने का उनका सपना था।जिसके बच्चों को गोद में खिलाने का अरमान था,वह अब किसी तीसरी दुनिया का वासी बन गया था।बड़े नाना के थोड़े से लालच ने यह कैसा अनर्थ कर दिया?
उन्हें रोते देख मामा बच्चों की तरह मचले--बाउजी सबको जिलेबी खिलाते हैं हमारी जिलेबी कहाँ है?
नाना रोते- रोते बोले--अभी लेकर आता हूँ बेटा भरपेट खा लेना।
नाना उठने को हुए तो मामा ने उनका हाथ पकड़ लिया--मैं तो मजाक कर रहा था।बाउजी हमको का कमी है।दुनिया की सारी दौलत,सारी खाद्य- वस्तु,शानो -शौकत हमारे पास है पर हम उसका का करेंगे।अब हमारे पास आदमी का शरीर नहीं है स्वाद लेने वाली इन्द्रिय नहीं है।हम स्थूल शरीर नहीं रहे उसे तो आप लोगों ने अपने ही हाथों जला दिया था।अब हम सूक्ष्म शरीर है हम महसूस कर सकते हैं ....सूंघ सकते हैं पर किसी भी भौतिक वस्तु का आनंद नहीं ले सकते।आप चिंता न करिए।जब तक मेरी उम्र पूरी नहीं हो जाती तभी तक यह सब झेलना है फिर मेरा नया जन्म होगा।
--:बेटा,तुम जिसकी देह पर सवार हो वह तुम्हारी छोटी बहन है।उसे तो तुम बहुत प्यार करते थे उसे क्यों सता रही हो?उसकी देह छोड़ दो।लड़की है ...लोगों को पता चलेगा तो उसकी शादी नहीं हो पाएगी।सब समझेंगे कि उसको दौरा पड़ता है।'नाना ने गिड़गिड़ाते हुए बड़े मामा से कहा।
बड़े मामा गुस्से में बोले--कोई इसे कुछ कहकर तो देखे उसका सत्यानाश कर दूंगा। इस पर आता रहूंगा ।इसी के शरीर के बहाने दुनिया देखूंगा।आप सबसे मिल लूंगा।अब बहुत देर हो गई आज जा रहा हूँ।घर में कोई भी मेरी प्यारी बहन को परेशान न करे।
इतना कहकर बड़े मामा छोटी मासी की देह से निकल गए।मासी थोड़ी देर निश्चल पड़ी रहीं फिर उन्होंने आंखें खोल दीं।अपने को परिवार से घिरा पाकर बोलीं -आप लोग मुझे घेरे क्यों हुए हैं ?कुछ हुआ है क्या?
--'नहीं .....नहीं कुछ नहीं तुम चक्कर खाकर गिर गई थी न इसलिए सभी परेशान हैं। '
नानी ने चालाकी से बात संभाल ली।उन्होंने पहले ही सबको बड़े मामा वाली बात मासी से बताने को मना कर दिया था।
साथ ही घर की बात बाहर न निकले इस बात की ताकीद कर दी थी।
"हाँ मुझे भी बहुत कमजोरी लग रही है।लगता है मेरे शरीर में खून ही नहीं है।"
सचमुच मासी का चेहरा रक्त -विहीन और निचुड़ा -सा लग रहा था।भाई के प्रेम की कीमत छोटी मासी को आजीवन चुकानी थी।
मासी ज्यों ज्यों बढ़ती गईं उनके दौरे भी बढ़ते गए और यह बात गांव- मुहल्ले में भी फैल गई।मेरी माँ बहुत सुंदर थी उनकी शादी आसानी से हो गई थी पर मासी उतनी सुंदर नहीं था।दौरों के कारण उनका चेहरा चुचका और रक्त विहीन लगता था।वे माँ से लगभग दस साल छोटी थीं पर उनसे बड़ी दिखती थीं ।उनका स्वभाव भी चिड़चिड़ा और खराब था उस पर दौरे.....।बाहर का कोई नहीं जानता था कि मासी पर उनके ही बड़े भाई का साया है।सभी यह समझते थे कि लड़की को दौरा पड़ता है।कुछ के अनुसार यह हिस्टीरिया का दौरा था जो शादी के बाद ही ठीक हो सकता है।मासी की शादी में बड़ी मुश्किलें आ रही थीं।कहीं तय भी होती तो लोग कटवा देते कि लड़की पर दौरे पड़ते हैं।ऐसे में मासी और भी चिड़चिड़ी हो रही थीं ।मां को दो बेटियों के बाद बेटा हुआ था ।मासी उन्हें देख -देखकर जल रही थीं।एकाएक उन पर बड़े मामा सवार हो गए। वे हाथ- पैर पटकने लगीं।अब परिवार के लोग मामा के आने से डरते नहीं थे उनसे सहज बातचीत करते थे।माँ गोद में बच्चे को लेकर उनके सिरहाने बैठी थीं ।उन्होंने बड़ी बहन के हक से मामा को डांटा कि छोटी को क्यों परेशान करते हो?देखो तुम्हारे कारण इसकी शादी नहीं हो पा रही।मामा उठकर बैठ गए और एकटक माँ के गोद में लेटे भाई को घूरते रहे।माँ ने पूछा--ऐसे क्यों देख रहे हो इसे?
'जी चाहता है इसे खा जाऊं'- -माँ ने अपनी जीभ को होंठों पर फिराया।माँ डर गई और भाई को आँचल से ढककर मामा को धिक्कारा--'शर्म नहीं आती ऐसा कहते।यह तुम्हारा भैने है।मामा को तो भैने बहुत प्रिय होता है।वे उसका पैर छूते हैं अपना पैर तक नहीं छुलाते।'
माँ ने मामा को भावनात्मक डोज दिया ताकि वे मेरे नन्हे भाई को क्षति न पहुंचाएं।
माँ की बात सुनकर मामा ताली पीट -पीटकर हँसने लगे।'उल्लू बनाया बड़ा मजा आया...देखो तो कैसे डर गई?अरे ,ये मेरा भैने है इसे थोड़े कुछ करूँगा।'
मामा की बात सुनकर माँ की जान में जान आई फिर भी वे भाई को लेकर वहाँ से हट गईं।
बड़ी मुश्किल से मासी की शादी बिहार के एक अमीर परिवार में तय हो पाई।लड़का बिधुर था मासी से दोगुनी उम्र का उसकी पहली पत्नी से तीन लड़के भी थे।मासी बहुत रोई पर नाना भी मजबूर थे ।मासी के लिए कोई अच्छा और उनके हमउम्र लड़का मिल ही नहीं रहा था।ऊपर से दहेज देने की भी सामर्थ्य नहीं थी।उस पर तुर्रा यह कि मासी को दौरे पड़ते थे।
शादी के बाद जब मासी जाने लगीं तो किसी के भी गले नहीं मिलीं।वे सबसे नाराज थीं विशेषकर माँ से जिन्होंने इस शादी का विरोध नहीं किया था।
उनके जाने के बाद माँ के मुँह से अपने आप निकल गया कि अब उसके ससुराल का सत्यानाश होगा।मासी के अशुभ लक्षण उस भरे -पूरे घर को भी बर्बाद कर देंगे।
उसी रात माँ के सपने में मामा आए और नाराजगी से बोले --क्या कह रही थी तुम उसके बारे में...खबरदार !माना कि तुम भी मेरी बहन हो पर जब दोनों में एक को चुनना होगा तो उसे ही चुनूंगा ।समझी या दूसरे तरीके से समझा दूं।
माँ की नींद खुली तो वे बुरी तरह भयभीत थीं।उन्होंने कसम खाई कि आइंदा कभी मासी के बारे में अच्छा बरस कुछ भी नहीं कहेंगी।लेने के देने पड़ सकते हैं।वह जाने उसकी किस्मत जाने!
पर साल बीतते न बीतते माँ की भविष्यवाणी सही साबित हुई थी।मासी के ससुराल में मासी को लेकर रोज ही हंगामा होने लगा।जवान सौतेले बेटों से मासी की जरा भी नहीं बनी।वे न उसे माँ मानने को तैयार थे न मासी उन्हें बेटा।उसका पति दोनों के बीच बैलेंस बनाने में असफल रहा।रोज ही घर में झगड़ा होता।अंततः पंचायत का सहारा लेना पड़ा।बेटे अपना हिस्सा लेकर अलग हो गए ।दूकान एक ही थी जिस पर बेटों ने जबरन कब्ज़ा कर लिया।
मासी खूब रोईं चीखी- चिल्लाईं और अंततः सौतेले बेटों को शाप देते हुए कहा --तुम लोगों की दूकान में आग लगे।
आधी रात को दूकान में अपने -आप आग लग गई।पूरा गाँव जमा हो गया था।शोरगुल सुनकर मासी भी बाहर निकलीं।उन्हें विश्वास ही नहीं हुआ कि उनकी जहरीली जुबान से निकली बात सच हो सकती है।उन्होंने गुस्से में भले ही ऐसा कह दिया था पर ऐसा कदापि नहीं चाहती थीं।करोड़ों की सम्पत्ति जलकर स्वाहा हो गई थी।वे अफसोस कर रही थी...पछता रही थीं ।उधर गांव के लोग उन्हें अजीब नजरों से देख रहे थे।मासी की सुबह कही बात सच हो गई थी।सभी उनसे भयभीत थे।सभी भी नजरें कह रही थीं कि यह औरत जरूर टोना -टोटका जानती होगी।
उस दिन से मासी पीठ पीछे टोनहीन कही जाने लगीं ,जबकि वो दिन नही थीं।